बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी भूगोल - निर्माण उद्योग के Handwritten नोट्स
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बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी भूगोल - अध्याय 3: निर्माण उद्योग के Handwritten नोट्स

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निर्माण उद्योग" अध्याय भारत में औद्योगिक विकास, इसके प्रकार, और आर्थिक योगदान पर आधारित है। यह अध्याय उद्योगों के महत्व, उनके स्थान निर्धारण के कारकों, और पर्यावरण पर उनके प्रभाव को उजागर करता है। निर्माण उद्योग कृषि पर निर्भरता को कम करने और देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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प्रमुख विषय:

  1. निर्माण उद्योग का महत्व:

    • रोजगार सृजन।
    • औद्योगिक उत्पादों के निर्यात से विदेशी मुद्रा अर्जन।
    • राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विकास में योगदान।
  2. उद्योगों के प्रकार:

    • खनिज-आधारित उद्योग: लौह और इस्पात, सीमेंट।
    • कृषि-आधारित उद्योग: कपास, जूट, चीनी।
    • सूक्ष्म और लघु उद्योग: हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग।
    • भारी उद्योग: ऑटोमोबाइल, मशीन निर्माण।
  3. स्थान निर्धारण के कारक:

    • कच्चे माल की उपलब्धता।
    • श्रम और पूँजी।
    • बाजार और परिवहन।
    • जलवायु और ऊर्जा स्रोत।
  4. भारत में प्रमुख निर्माण उद्योग:

    • लौह एवं इस्पात उद्योग: झारखंड, छत्तीसगढ़।
    • कपास वस्त्र उद्योग: महाराष्ट्र, गुजरात।
    • जूट उद्योग: पश्चिम बंगाल।
    • सीमेंट उद्योग: मध्य प्रदेश, राजस्थान।
  5. पर्यावरणीय प्रभाव:

    • वायु, जल, और ध्वनि प्रदूषण।
    • अपशिष्ट निपटान और पर्यावरणीय क्षति।
  6. सरकार की पहल:

    • उद्योगों के लिए "मेक इन इंडिया" पहल।
    • उद्योगों के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ)।
    • पर्यावरण संरक्षण के लिए सख्त कानून।

परीक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण बिंदु:

  • निर्माण उद्योगों के प्रकार और उनके उदाहरण।
  • स्थान निर्धारण के कारक।
  • भारत में प्रमुख उद्योग और उनका वितरण।
  • निर्माण उद्योगों का पर्यावरण पर प्रभाव और उनके समाधान।

निष्कर्ष:
निर्माण उद्योग भारत के आर्थिक विकास का आधार हैं। इन उद्योगों का सतत विकास और पर्यावरणीय संरक्षण न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण भी सुनिश्चित करेगा।