बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी हिंदी- गद्य खण्ड- अध्याय 11: नौबतखाने मे इबादत की NCERT Book
"नौबतखाने में इबादत" एक प्रसिद्ध मुहावरा है, जिसका अर्थ होता है किसी विशेष स्थान या स्थिति में, जब सभी अन्य विकल्प समाप्त हो जाते हैं, तो किसी उच्च उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अंतिम उपाय के रूप में इबादत या प्रार्थना करना। यह मुहावरा यह दर्शाता है कि जीवन के कठिन समय में इंसान अपने विश्वास, आस्था, और ईश्वर के प्रति समर्पण को महत्वपूर्ण मानता है। मुहावरे का "नौबतखाना" शब्द एक प्रतीक के रूप में काम करता है, जहाँ साधारण तौर पर लोग कोई कार्य करते हैं, और इबादत का अर्थ है ईश्वर से सहायता की प्रार्थना करना।
मुख्य बिंदु:
नौबतखाने का अर्थ:
- "नौबतखाना" शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है वह स्थान या समय जब किसी विशेष कार्य के लिए तैयारियां की जाती हैं। ऐतिहासिक रूप से, यह स्थान राजा-महाराजाओं के महल में संगीत या अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए होता था, जहाँ विभिन्न वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल होता था।
- इस मुहावरे में "नौबतखाना" का अर्थ होता है संकट या कठिन समय का सामना करना।
इबादत का महत्व:
- इबादत, यानी पूजा या प्रार्थना, विभिन्न धर्मों में ईश्वर से मदद प्राप्त करने का एक तरीका मानी जाती है। यह व्यक्ति की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। कठिन परिस्थितियों में लोग इबादत को अंतिम उपाय के रूप में अपनाते हैं।
- जीवन के कठिन मोड़ों पर, जब मनुष्य अन्य सभी उपायों से निराश हो जाता है, तब वह ईश्वर से मदद की उम्मीद करता है।
मुहावरे का संकेत:
- "नौबतखाने में इबादत" का मुहावरा यह दर्शाता है कि जब सभी अन्य विकल्प समाप्त हो जाते हैं और किसी भी स्थिति का हल न दिखाई दे, तब इबादत की ओर रुख किया जाता है।
- यह विचारधारा यह भी बताती है कि मनुष्य की आत्मनिर्भरता और ईश्वर की मदद दोनों ही महत्वपूर्ण होते हैं। कठिन समय में, मानवता अपनी आस्था को मजबूत करने का प्रयास करती है।
समाज और संस्कृति में प्रभाव:
- यह मुहावरा समाज में यह संदेश देता है कि संकट के समय में संयम और आस्था बनाए रखना चाहिए। इंसान अपनी समस्याओं का समाधान ईश्वर से प्रार्थना करके भी पा सकता है।
- यह दर्शाता है कि जीवन में संघर्ष के बावजूद, ईश्वर में विश्वास रखने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन प्राप्त हो सकता है।
निष्कर्ष:
"नौबतखाने में इबादत" एक प्रतीकात्मक मुहावरा है, जो जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं के संदर्भ में ईश्वर के प्रति आस्था और प्रार्थना की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। यह मुहावरा यह बताता है कि जब सभी उपाय विफल हो जाएं, तो ईश्वर से मदद की उम्मीद की जाती है। यह संदेश देता है कि जीवन में आस्था और संयम बनाए रखना आवश्यक है और कठिन समय में हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।