बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी हिंदी- गद्य खण्ड- अध्याय 5: नागरी लिपि की NCERT Book
नागरी लिपि, भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्रमुख लिपि है, जिसे हिंदी, संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं को लिखने के लिए उपयोग किया जाता है। यह लिपि देवव्रत, ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न हुई है और इसका प्रयोग भारतीय उपमहाद्वीप के कई प्रमुख भाषाओं के लेखन में किया जाता है। नागरी लिपि का इतिहास प्राचीन है, और इसका उपयोग वेदों, उपनिषदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों की लेखन प्रक्रिया में भी हुआ था। समय के साथ, नागरी लिपि ने अनेक रूपों और शैलियों को अपनाया और आज यह सबसे अधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक मानी जाती है।
मुख्य बिंदु:
नागरी लिपि का इतिहास:
- नागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है, जिसे लगभग 3वीं शताब्दी ईसा पूर्व में अशोक के शिलालेखों में देखा गया था।
- इस लिपि के विभिन्न रूपों का उपयोग प्राचीन संस्कृत ग्रंथों के लेखन के लिए किया जाता था, जैसे कि वेद, उपनिषद, महाभारत, और रामायण।
- नागरी लिपि ने काव्य, दर्शन, विज्ञान, और अन्य विधाओं के ग्रंथों के लेखन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
नागरी लिपि की विशेषताएँ:
- नागरी लिपि को देवनागरी भी कहा जाता है, जो "देव" (ईश्वर) और "नागरी" (नगर) शब्दों से लिया गया है, जो इस लिपि को भारतीय संस्कृति और धर्म से जोड़ते हैं।
- नागरी लिपि में 48 अक्षर होते हैं, जिनमें 14 स्वर (vowels) और 34 व्यंजन (consonants) शामिल होते हैं।
- इसे बाएं से दाएं लिखा जाता है और इसमें प्रत्येक अक्षर को एक निश्चित स्थान और उच्चारण के आधार पर रखा जाता है।
- लिपि का एक और महत्वपूर्ण तत्व यह है कि इसमें शब्दों के अंत में एक ऊँचा रेखा (होरिजेंटल लाइन) होती है, जो इसे पहचानने में मदद करती है।
नागरी लिपि का प्रयोग:
- नागरी लिपि का सबसे प्रसिद्ध उपयोग हिंदी, संस्कृत, मराठी, और कश्मीरी जैसी भाषाओं के लेखन में होता है।
- संस्कृत के अधिकांश ग्रंथों, वेदों और शास्त्रों को नागरी लिपि में ही लिखा गया है।
- हिंदी, जो भारत की राजभाषा है, नागरी लिपि में लिखी जाती है और यही लिपि आजकल सबसे अधिक प्रयोग की जाती है।
नागरी लिपि का प्रभाव और विकास:
- नागरी लिपि का प्रयोग भारतीय साहित्य, संस्कृति और शिक्षा के प्रसार में अहम भूमिका निभाता रहा है।
- 19वीं शताब्दी के दौरान, भारत में ब्रिटिश शासन के समय, नागरी लिपि को और अधिक महत्व मिला और यह हिंदी और संस्कृत के प्रमुख ग्रंथों का लेखन प्रमुख रूप से हुआ।
- आजकल, इंटरनेट, कंप्यूटर और मोबाइल फोन की मदद से भी नागरी लिपि का उपयोग बढ़ा है, जिससे यह तकनीकी दुनिया में भी अपनी उपस्थिति बनाए हुए है।
नागरी लिपि का आधुनिक रूप:
- आजकल नागरी लिपि का आधुनिक रूप विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों पर जैसे कि कंप्यूटर, स्मार्टफोन, इंटरनेट पर उपयोग किया जाता है।
- विभिन्न प्रकार के कीबोर्ड और सॉफ़्टवेयर, जैसे कि यूनिकोड, का उपयोग करके नागरी लिपि को विश्व स्तर पर प्रसारित किया जा रहा है।
- सोशल मीडिया और ब्लॉगिंग प्लेटफार्मों पर भी हिंदी और अन्य भाषाओं में लिखने के लिए नागरी लिपि का उपयोग बढ़ा है।
निष्कर्ष:
नागरी लिपि भारतीय संस्कृति और भाषा की एक अनमोल धरोहर है। इसका इतिहास बहुत पुराना है और यह भारतीय भाषाओं की पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। नागरी लिपि की सरलता, स्पष्टता और सुंदरता इसे एक विशेष स्थान दिलाती है, और इसका प्रभाव भारतीय साहित्य, विज्ञान, और धर्म में आज भी महसूस किया जाता है। समय के साथ, नागरी लिपि ने अपनी उपस्थिति को डिजिटल युग में भी बनाए रखा है, जिससे यह भारतीय भाषाओं की समृद्धि को बढ़ावा देती है।