बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी हिंदी- गद्य खण्ड - जित-जित मै निरखत हूँ की NCERT Book
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बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी हिंदी- गद्य खण्ड- अध्याय 8: जित-जित मै निरखत हूँ की NCERT Book

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जित-जित मैं निरखत हूँ" एक प्रसिद्ध हिंदी कविता के रूप में ज्ञात है, जिसे कवि जयशंकर प्रसाद ने लिखा था। यह कविता उनके द्वारा रचित 'कामायनी' महाकाव्य का हिस्सा है। इस कविता में कवि ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखा और समझा है। "जित-जित मैं निरखत हूँ" का शाब्दिक अर्थ है—"जहां-जहां मैं देखता हूँ, वहां-वहां कुछ विशेष अनुभव होते हैं।" कविता में कवि ने जीवन के संघर्ष, भावनाओं और आशाओं को प्रस्तुत किया है।

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मुख्य बिंदु:

  1. कविता का संदर्भ:

    • "जित-जित मैं निरखत हूँ" कविता में कवि ने जीवन के अनुभवों को आत्ममंथन के रूप में प्रस्तुत किया है। वे अपने आसपास की दुनिया, मनुष्य के संघर्ष और प्रकृति के साथ उसके रिश्ते को देख रहे हैं। कविता में जीवन की निरंतरता और उतार-चढ़ाव को दर्शाया गया है।
    • कवि का यह अनुभव सिर्फ बाहरी दुनिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके भीतर की उथल-पुथल, मानसिक संघर्ष और जीवन के उद्देश्यों के बारे में भी है।
  2. भावनात्मक गहराई:

    • इस कविता में कवि ने जीवन के हर पहलु को देखा और अनुभव किया। हर जगह, हर समय कुछ न कुछ सिखने को मिलता है, यह दिखाते हुए कवि ने अपने जीवन को आत्ममंथन और निरीक्षण के रूप में प्रस्तुत किया है।
    • कविता में व्यक्तिगत अनुभव, समाज का विश्लेषण और अस्तित्व के सवालों पर विचार किया गया है।
  3. जीवन के संघर्ष और प्रेरणा:

    • "जित-जित मैं निरखत हूँ" जीवन के संघर्षों और उनसे मिलने वाली प्रेरणाओं का प्रतीक है। यह कविता जीवन के कठिन समय में आशा और साहस बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
    • कविता का संदेश यह है कि हर व्यक्ति को जीवन में अपने उद्देश्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए, चाहे रास्ते में कितनी ही कठिनाइयाँ आएं।
  4. साहित्यिक महत्व:

    • जयशंकर प्रसाद के "कामायनी" महाकाव्य का यह हिस्सा साहित्य में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस कविता के माध्यम से प्रसाद ने जीवन के गहरे और जटिल पहलुओं को बहुत सुंदरता से शब्दों में पिरोया है।
    • कविता में उनके विश्लेषण और चित्रण की गहरी समझ को महसूस किया जा सकता है, जो भारतीय साहित्य में एक मील का पत्थर माना जाता है।

निष्कर्ष: "जित-जित मैं निरखत हूँ" एक गहन और भावनात्मक कविता है जो जीवन के संघर्षों, प्रेरणाओं और आत्ममंथन को व्यक्त करती है। जयशंकर प्रसाद ने इस कविता के माध्यम से जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा दी है। यह कविता न केवल हिंदी साहित्य का अहम हिस्सा है, बल्कि जीवन के जटिल पहलुओं को समझने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।