बिहार बोर्ड कक्षा 10th विज्ञान अध्याय 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 10 -विज्ञान के लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न अध्याय 10: प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

कक्षा 10 वीं विज्ञान के अध्याय -10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न यहाँ उत्तर के साथ हिन्दी में दिये गए हैं । यह सभी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एनसीईआरटी  द्वारा दियें हुए कक्षा 10 वीं  के पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार कियें गए है । इससे छात्रों को कक्षा 10 वीं के विज्ञान के अध्याय-10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन को सरलता से समझने में बहुत आसानी होगी ।बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं विज्ञान के अध्याय-10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन के ये दीर्घ  उत्तरीय प्रश्न-उत्तर विद्याकुल के विशेषज्ञ शिक्षको के द्वारा तैयार किए गए है ।














चित्र में L उत्तल दर्पण दिखाया गया है। AB विभ्व XY मुख्य अक्ष पर उदग्र रूप से स्थित है। AB का प्रतिबिंब उत्तल दर्पण में A‘B‘ बनता है जो आभासी है। 
BP = विभ्व की दूरी =u
PB’ = प्रतिबिंब की दूरी = v‘
PF = दर्पण का फोकसांतर =ƒ 
PC = वक्रता त्रिज्या = R
ΔABC ~ΔA’B’C 































चित्र में MPN एक अवतल दर्पण दिखाया गया है। मुख्य अक्ष XX‘ है। AB एक वस्तु है जो मुख्य अक्ष पर उदग्र खड़ा है। AB प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समांतर है। AM आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद फोकस F से होकर गुजरता है। दूसरी किरण दर्पण के वक्रता केन्द्र से होकर जाती है। AN किरण MS किरण को A‘ पर काटती है। AB का वास्तविक उल्टा प्रतिबिंब A‘B‘ बनता है। जो बिंब से छोटा है। 
PB = बिंब की दूरी =u
PB = = प्रतिबिंब की दूरी =ν
PF = दर्पण का फोकसांतर = ƒ
और PC = दर्पण की वक्रता त्रिज्या = R
ΔABC ~ΔA’B’C 














3. किसी उत्तल दर्पण में सिद्ध करें कि f =R/2 , जहाँ f = फोकसांतर,  R = दर्पण की वक्रता त्रिज्या है। 









उत्तर⇒ चित्र में एक उत्तल दर्पण को प्रधान अक्ष XX‘ पर रखा गया है।  दर्पण का ध्रुव P है। F दर्पण का फोकस और C वक्रता केंद्र है। AB अपवर्तित किरण है। यह दर्पण से परावर्तित होकर BD दिशा में चली जाती है। DB को मिलाने पर यह मुख्य अक्ष के F बिंदु (फोकस) पर मिलाती है। C से B को मिलाया और अपनी दिशा में M तक बढ़ाया गया है। 
PF = फोकसांतर =f; PC = वक्रता त्रिज्या = R
अनंत बिंदु से आनेवाली प्रकाश किरण F पर मिलती है
अतः वस्तु का प्रतिबिंब F पर बनता है। यह प्रतिबिंब आभासी है।
∠ABM = i तथा ∠MBD = r
∠i = ∠r परावर्तन के नियम से
∠x = ∠FBC (अंतराभिमुख कोण)
AB || XX’ अतः ∠i = ∠BCF   
इसलिए ∠ BCF  = ∠FBC 
इसलिए BF = FC 
अगर B बिंदु P के काफी समीप हैं तो B C = P C
इसलिए  BF = PF = FC
PC = PF + FC 
 R=f +f  
इसलिए  2f =R 
इसलिए  f =R/2 
फोकसांतर =1/2 x वक्रता त्रिज्या 


4. अवतल दर्पण में सिद्ध करें कि f=R/2 जहाँ f  और R के विशिष्ट मान है। 
उत्तर⇒ 










AB प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समांतर है। AB किरण दर्पण से परावर्तन के बाद F (फोकस) से होकर गुजरता है। CB को मिलाया गया है। 
∠ABC = ∠CBF = ∠i = ∠r 
इसलिए  AB \\XX ‘ 
∠CBF = ∠ABC = ∠BCF 
इसलिए ∠i = ∠r 
इसलिए  अत: CF = BF 
अगर B बिन्दु P के काफी समीप है तो BF = PF
इसलिए CP = PF = f (फोकसान्तर)  CP = R अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या है।
इसलिए CP = CF + PF
R= f +f = 2f
इसलिए  R = 2f
अतः वक्रता त्रिज्या = 2 x फोकसान्तर 


5. पूर्ण आंतरिक परावर्तन को समझावें। 
उत्तर⇒ कुछ विशिष्ट परिस्थियों में आपतित प्रकाश को उसकी तीव्रता में बिना किसी विशिष्ट हानि के उसी माध्यम में वापस किया जा सकता है। इस परिघटना को पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।    जब वायु में अपवर्तन कोण का मान 90° होता है तो माध्यम विशेष जिससे प्रकाश किरण चलती है के आपतन कोण को क्रांतिक कोण कहते हैं।






























 7.किसी गोलीय दर्पण (अवतल दर्पण) के लिए सूत्र 1v - 1u=1f का निगमन कीजिए।जहाँ संकेतों का सामान्य अर्थ है। 
या अवतल दर्पण के लिए u, υ तथा में सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर: माना कि M1M2 एक अवतल दर्पण है जिसका ध्रुव P है, फोकस F है तथा वक्रता केन्द्र C है (देखें चित्र)। इसकी मुख्य अक्ष के किसी बिन्दु पर एक वस्तु AB रखी है। वस्तु के सिरे A से मुख्य अक्ष के. समान्तर चलने वाली आपतित किरण AM दर्पण के बिन्दु M से टकराती है। परावर्तन के पश्चात् यह किरण दर्पण के फोकस F से होकर गुजरती है। दूसरी किरण AO दर्पण के वक्रता केन्द्र C से होकर जाती है तथा परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग से वापस लौट जाती है। दोनों परावर्तित किरणें A’ बिन्दु पर काटती हैं।
इस बिन्दु A’ से मुख्य अक्ष पर डाला गया लम्ब A’B’, वस्तु AB का प्रतिबिम्ब है। अब माना कि वस्तु AB की दर्पण के ध्रुव से दूरी PB = -1, प्रतिबिम्ब A’B’ की दूरी PB’ = – υ, दर्पण की वक्रता-त्रिज्या PC = – R तथा दर्पण की फोकस दूरी PF = – f है। (ये सभी दूरियाँ चूंकि आपतित किरण के चलने की दिशा के विपरीत दिशा में नापी जाती हैं अर्थात् दर्पण के बायीं ओर हैं; अत: चिह्न परिपाटी के अनुसार ये दूरियाँ ऋणात्मक हैं )।

त्रिभुज ABC तथा त्रिभुज A’B’C समकोणिक हैं।
अतः ABA'B'=CBB'C  …..(i)
इसी प्रकार, त्रिभुज A’ B’ F तथा त्रिभुज MNF भी समकोणिक हैं।
MNA'B'=NFFB'  …..(ii)
परन्तु MN = AB है,
अतः  ABA'B'=NFFB'  …..(iii)
समीकरण (i) व (iii) की तुलना करने पर,
CBB'C= NFFB'  …..(iv)
माना कि दर्पण पर बिन्दु M, ध्रुव P के बहुत समीप है, तब N व P बिन्दु अत्यन्त निकट होंगे।
उस स्थिति में, NF = PF (लगभग)
यह मान समीकरण (iv) में रखने पर,
CBB'C= PFFB'
अथवा  PB-PCPC-PB'= PFPB'-PF
चिह्न सहित मान रखने पर,
-u-(R)-R-(-v)= -f-v+f
परन्तु R = 2f, अत:
-u+2f-2f+v= -f-v+f
या (-u+2f) (-υ + f) = -f(-2f + υ)
या uυ – uf – 2 fυ + 252 = 2F2 – fy
या uυ – uf – fy = 0
या uf + fy = uυ
दोनों ओर urf से भाग करने पर,
1v - 1u=1f
यही सूत्र अवतल दर्पण के लिए फोकस दूरी तथा दर्पण से वस्तु और प्रतिबिम्ब की दूरियों में सम्बन्ध का सूत्र है।

   8 . किसी उत्तल लेंस के आवर्धन के लिए एक व्यंजक प्राप्त करें। 
उत्तर⇒ प्रधान अक्ष के लंबवत प्रतिबिम्ब का अकार h और वस्तु का आकार h का अनपात लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन कहा जाता है ।













 10. आवर्धन से क्या समझते हैं ?
उत्तर⇒ गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन वह आपेक्षिक विस्तार है जिससे ज्ञात होता है कि कोई प्रतिबिंब बिम्ब की अपेक्षा कितना गुना आवर्धित है। इसे प्रतिबिंब की ऊँचाई के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है। यदि ॥ बिम्ब की ऊँचाई हो तथा ‘ प्रतिबिंब की ऊँचाई हो तो गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन (m) प्राप्त होगा। 











इस बात पर ध्यान रखा जाता है कि बिम्ब की ऊँचाई धनात्मक ली जाती है क्योंकि बिम्ब को मुख्य फोकस अक्ष के ऊपर रखा जाता है । आभासी प्रतिबिंबों के लिए प्रतिबिंब की ऊँचाई भी धनात्मक होती है जबकि वास्तविक प्रतिबिंबों के लिए प्रतिबिंब ऊँचाई ऋणात्मक चिह्न से ज्ञात किया जाता है । आवर्धन के मान में ऋणात्मक चिह्न से ज्ञात होता है कि प्रतिबिंब वास्तविक है और आवर्धन के मान में धनात्मक चिह्न बताता है कि प्रतिबिंब आभासी है। 


हम आशा करते है कि ऊपर दिए गए विज्ञान विषय के दीर्घ  उत्तरीय प्रश्न-उत्तर से आपको अध्याय-1 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन के पाठ को समझने में आसानी हुई होगी ।इस दीर्घ  उत्तरीय प्रश्न-उत्तर की सहायता से आप इस अध्याय का क्विक रिवीजन भी काफी अच्छे से कर सकेगें जोकि आपके परीक्षा के समय में काफी महत्वपूर्ण साबित होगा । अगले अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-उत्तर के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।