बिहार बोर्ड कक्षा 10 -विज्ञान के लिए दीर्घ प्रश्न अध्याय 6: जैव प्रकम
कक्षा 10 वीं विज्ञान के अध्याय -6 जैव प्रकम के दीर्घ प्रश्न यहाँ उत्तर के साथ हिन्दी में दिये गए हैं । यह सभी दीर्घ प्रश्न एनसीईआरटी द्वारा दियें हुए कक्षा 10 वीं के पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार कियें गए है । इससे छात्रों को कक्षा 10 वीं के विज्ञान के अध्याय-6 जैव प्रकम को सरलता से समझने में बहुत आसानी होगी । बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं विज्ञान के अध्याय-6 जैव प्रकम के ये दीर्घ प्रश्न-उत्तर विद्याकुल के विशेषज्ञ शिक्षको के द्वारा तैयार किए गए है ।
1. उत्सर्जन क्या है ? उत्सर्जन में भाग लेने वाले वृक्क से संबंधित अन्य रचनाओं को सूचीबद्ध करें।
उत्तर ⇒ शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकलना उत्सर्जन कहलाता है। मनुष्य में उत्सर्जन से संबंधित महत्त्वपूर्ण रचनाएँ निम्नांकित हैं –
(i) वृक्क
(ii) मूत्रवाहिनी
(iii) मूत्राशय
(iv) मूत्रमार्ग
2. परपोषण किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर ⇒ जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं करते हैं अपितु किसी-न-किसी रूप में अन्य स्रोतों से प्राप्त करते हैं। परपोषण निम्नांकित चार प्रकार
के होते हैं –
(i) प्राणिसम पोषण
(ii)मृतजीवी पोषण
(iii) परजीवी पोषण
(iv) परासरणी पोषण।
3. स्वपोषण की आवश्यक शर्ते क्या है? इसके उपोत्पाद क्या हैं ?
उत्तर ⇒ स्वपोषण के लिए निम्न शर्तों को पूरा करना आवश्यक है –
(A) पर्णहरित या क्लोरोफिल की उपस्थिति
(B) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)की उपस्थिति
(C) जल (H2O) की उपस्थिति
पर्णहरित या क्लोरोफिल सूर्य से विकिरण ऊर्जा को अवशोषित करते हैं। जिसके द्वारा CO2 एवं H2O का स्थिरीकरण कर अपने भोजन कार्बोहाइट्रेट का निर्माण करते हैं। उपोत्पाद के रूप में ग्लूकोज एवं ऑक्सीजन प्राप्त होते हैं। ग्लूकोज अंततः स्टार्च में बदल जाता है।
4. परिसंचरण तंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ उच्च श्रेणी के जंतुओं में एक विशेष प्रकार का परिवहन तंत्र होता है जो ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, पोषक तत्वों, हार्मोन, उत्सर्जी पदार्थों या अन्य उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न विभिन्न पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में ले जाता है, जिसे परिसंचरण तंत्र कहते हैं। इस तंत्र के तीन प्रमुख अवयव हैं –
(i) रक्त या रुधिर
(ii) हृदय
(iii) रक्त वाहिनियाँ
5. उत्सर्जन क्या है? मानव में इसके दो प्रमुख अंगों के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ जीवों के शरीर से उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निष्कासन की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। मानव में इसके दो प्रमुख अंग के नाम निम्नलिखित हैं —
(i) वृक्क (Kidney) – जो रक्त में द्रव्य के रूप में अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालता है।
(ii) फेफड़ा (Lungs) – जो रक्त में गैसीय अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है।
6. वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए क्या महत्त्व है ?
उत्तर ⇒ वाष्पोत्सर्जन क्रिया का पौधों के लिए निम्नलिखित महत्त्व हैं –
(i) यह पौधों के मूलरोम द्वारा खनिज लवणों के अवशोषण एवं जड़ से पत्तियों तक उनके परिवहन में सहायक होता है।
(ii) यह पौधों में तापक्रम संतुलन बनाये रखता है।
(iii) वाष्पोत्सर्जन के कारण ही पौधों की जड़ों से चोटी तक जल की निश्चित धारा बनी रहती है।
(iv) दिन में रंध्रों के खुले रहने पर वाष्पोत्सर्जन कर्षण; ही जाइलम में जल की गति के लिए मुख्य प्रेरक बल का कार्य करता है
7. मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है ?
उत्तर ⇒ जल की मात्रा पुनरावशोषण, शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा पर तथा कितना विलेय वय॑ उत्सर्जित करना है, पर निर्भर करता है। अगर अधिक मात्रा में जल या अन्य द्रव्य का सेवन किया जाये तो रक्त का दाब बढ़ जाता है व अधिक मात्रा में मूत्र बनती है। मूत्र की मात्रा भोजन में लिये गए खनिज लवण व दूसरे ठोस आहार पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए अगर खाने में नमक की मात्रा अधिक है तो वृक्क से उचित मात्रा में लवण मूत्र के साथ ही बनता है जिससे रक्त में विसरण दाब सही रहता है। मूत्राशय पेशीय होता है। अत: यह तंत्रिका नियंत्रण में है और हम इसी कारणवश मूत्र निकासी को नियंत्रित कर लेते हैं।
8. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है ?
उत्तर ⇒ जलीय जीव जल में विलेय ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। क्योंकि जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा वायु में ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम है, इसलिए जलीय जीवों की श्वास दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा द्रुत होती है। स्थलीय जीव श्वसन के लिए वायुमंडल के ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव इस प्रकार लाभप्रद है।
9. विषमपोषी पोषण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ विषमपोषी पोषण वह प्रक्रिया है, जिसमें जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित न कर किसी अन्य स्रोतों पर निर्भर करते हैं। जैसे—सभी जन्तु, अहरित पौधे (कवक)। इसके तीन प्रकार हैं—
(i) मृतजीवी पोषण
(ii) परजीवी पोषण
(iii) प्राणिसम पोषण।
10. उत्सर्जी पदार्थों के निष्कासन हेतु पौधों द्वारा उपयुक्त विधियों का नाम लिखें।
उत्तर ⇒ पौधों में उत्सर्जन के लिए जंतुओं की तुलना में कोई विशिष्ट अंग का प्रयोजन नहीं हैं। पौधे भिन्न-भिन्न तरीके से उत्सर्जी पदार्थों को निष्कासित करते हैं. पत्तियों के रंध्रों एवं तनों के वातरंध्रों द्वारा विसरण की प्रक्रिया से CO,को निष्कासित करते हैं। आवश्यकता से अधिक जल वाष्पोत्सर्जन द्वारा उत्सर्जित होता है। कुछ उत्सर्जी पदार्थ पत्तियों एवं छालों में संचित रहते हैं, जो निश्चित समयांतराल पर निष्कासित होते हैं।
11. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है ?
उत्तर ⇒ हमारे शरीर में वसा का पाचन आहारनाल की क्षुद्रांत्र में होता है। यकृत से निकलनेवाला क्षारीय पित्तरस, आए हुए भोजन के साथ मिलकर, उसकी अम्लीयता को निष्क्रिय करके उसे क्षारीय बना देता है, जिसकी इसी प्रकृति पर अग्न्याशयिक रस सक्रियता से कार्य करता है। पित्तरस वसा को सूक्ष्म कणों में तोड़ देता है। इस क्रिया को इमल्सीकरण क्रिया कहते हैं । लाइपेज एंजाइम, जो कि अग्न्याशयिक रस में पाया जाता है, इमल्सीफाइड वसा को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता।
12. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर ⇒ किसी भी जीव में शारीरिक वृद्धि के लिए उसे बाहर से अतिरिक्त कच्ची सामग्री की भी आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर जीवन कार्बन आधारित अणुओं पर निर्भर है, अतः अधिकांशतः, खाद्य पदार्थ भी कार्बन आधारित हैं। इन कार्बन स्रोतों की जटिलता के अनुसार विभिन्न जीव भिन्न प्रकार के पोषण प्रक्रम को प्रयुक्त करते हैं।
13. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है ?
उत्तर ⇒ पचे हुए भोजन का अवशोषण ज्यादा हो सके तथा सतही क्षेत्रफल अधिक हो इसके लिए क्षुद्रांत्र के आंतरिक स्तर पर अनेक अंगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं । दीर्घरोम में रुधिरवाहिकाओं की बहुतायत होती है जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाती हैं। इन । कोशिकाओं में भोजन का प्रयोग ऊर्जा प्राप्ति के लिए किया जाता है तथा नये ऊतकों के निर्माण तथा टूटे हुए ऊतकों की मरम्मत हेतु होता है ।
13. रक्त की संरचना को समझाएँ।
उत्तर ⇒ रक्त लाल रंग का गाढ़ा, क्षारीय तरल पदार्थ है, जो मुख्य रूप से कोशिका एवं प्लाज्मा से बना है। रक्त कोशिका तीन प्रकार की होती है—लाल रक्त कोशिका, श्वेत रक्त कोशिका एवं पट्टिकाणु।
प्लाज्मा (50-55%) में 90-92% जल, 6-8% प्लाज्मा प्रोटीन एवं 1-2%अकार्बनिक लवण पाये जाते है। इसमें ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, वसा आदि पाये जाते हैं।
14. मृतजीवी पोषण क्या है ?
उत्तर ⇒ जीव मृत जंतुओं और पौधों के शरीर से अपना भोजन, अपने शरीर की सतह से, घुलित कार्बनिक पदार्थों के रूप में अवशोषित करते हैं। यही मृतजीवी – पोषण है। मृतजीवी अपना भोजन मुख्यतः तरल अवस्था में अवशोषण द्वारा ग्रहण करते हैं। जंतुओं और पौधों की मृत्यु के पश्चात् उनके मृत शरीर को मृतजीवी अपघटित कर, अर्थात् सड़ा-गलाकर उनके मूल तत्त्वों में बदल देते हैं। ऐसे मूल तत्त्व पुनः मिट्टी में प्रतिस्थापित हो जाते हैं और उत्पन्न गैस वातावरण में मिल जाते हैं। इन तत्त्वों को फिर से हरे पौधे मिट्टी से ग्रहण कर अपने उपयोग में लाते हैं। यही चक्र पृथ्वी में निरंतर चलता रहता है।
15. जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे ?
उत्तर ⇒ जीवन के अनुरक्षण के लिए हम निम्नलिखित प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे –
(i) पोषण
(ii) श्वसन
(iii) परिवहन एवं
(iv) उत्सर्जन इत्यादि ।
पर इन जैव प्रक्रमों के अतिरिक्त सभी जीवधारी जनन द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं । ये क्रियाएँ जीवन के लिए अति आवश्यक हैं।
16. प्रकाशसंश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधे कहाँ से प्राप्त करते हैं ?
उत्तर ⇒ प्रकाशसंश्लेषण के लिए पौधे कच्ची सामग्री निम्नांकित जगहों से प्राप्त करते हैं –
(i) कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) – इसे बायुमंडल से प्राप्त किया जाता है।
(ii) जल – भूमि से पौधे जड़ों द्वारा प्राप्त करते हैं।
(iii) पर्णहरित – यह पौधों के कोशिकाओं में स्थित हरित लवक होते हैं।
(iv) सूर्य का प्रकाश – सूर्य के प्रकाश से पौधे, फोटोन ऊर्जा कणों के रूप में प्राप्त करते हैं जो क्लोरोफिल में संचित होकर आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाये जाते हैं।
17. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद होते हैं ?
उत्तर ⇒ जल में ऑक्सीजन काफी कम घुलित होते हैं, जबकि अधिक जैव ऊर्जा के उत्पादन के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जलीय जीव – (मछलियाँ) सर्वप्रथम मुख के द्वारा घुलित ऑक्सीजन को लेती हैं तथा विमाण के द्वारा क्लोम की कोशिकाओं में अवशेषित कर लेती हैं। जबकि स्थलीय जीव फेफड़ा के द्वारा आसानी से ऑक्सीजन ले पाते हैं।
18. ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ अभिवाही एवं अपवाही धमनिका के संयोग को ग्लोमेरुलर कहते हैं । अपवाही धमनिका का व्यास कम होने के कारण ग्लोमेरुलस के अन्दर रक्त पर दबाव अधिक बढ़ जाता है तथा इस उच्च दबाव पर रक्त के छनने की प्रक्रिया होती है, जिसे ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन या अल्ट्राफिल्ट्रेशन कहते हैं। इसके कारण प्रतिदिन 150-180 लीटर रक्त का वृक्कीय निस्पंद होता है, जिनमें 168.5 लीटर जल अवशोषित कर लिया जाता है एवं 1.5 से 1.8 लीटर मूत्र बनता है ।
19. विभिन्न प्रकार के प्राणिसमभोजी सजीवों का उल्लेख करें ।
उत्तर ⇒ प्राणिसमभोजी सजीव अपना भोजन ठोस या तरल के रूप में जंतुओं के भोजन ग्रहण करने की विधि द्वारा ग्रहण करते हैं । ऐसे प्राणियों का भोजन संपूर्ण पादप या अन्य प्राणि अथवा उनके कुछ भाग होते हैं । भोजन के स्रोतों के आधार पर प्राणिसमभोजी निम्न प्रकार के होते हैं— शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी, स्वजातिभक्षक, अपशिष्टभोजी, परभक्षी, कीटभक्षी, अपघटक, मत्स्यभक्षी, धान्यपोषी ।
20. पित्त क्या है? मनुष्य के पाचन में इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर ⇒ पित्त यकृत ग्रंथि से स्रावित होने वाला (श्राव) द्रव्य है जो छोटी आँत में भोजन के पाचन में मदद करता है। मनुष्य के पाचन क्रिया में इसका निम्नलिखित महत्त्व है।
(i) पित्त आमाशय से ग्रहणी में आए अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बना देता है ताकि अग्न्याशयी रस के एंजाइम उस पर क्रिया कर सके।
(ii) पित्त भोजन में वसा के बड़े कण को सूक्ष्म कण में तोड़ने में मदद करता है, ताकि लाइपेज एंजाइम उस पर क्रिया कर वसा अम्ल एवं ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर सके। इस प्रकार वसा के पाचन में पित्त का महत्त्व है।
हम आशा करते है कि ऊपर दिए गए विज्ञान विषय के दीर्घ प्रश्न-उत्तर से आपको अध्याय-6 जैव प्रकम के पाठ को समझने में आसानी हुई होगी । इस दीर्घ प्रश्न-उत्तर की सहायता से आप इस अध्याय का क्विक रिवीजन भी काफी अच्छे से कर सकेगें जोकि आपके परीक्षा के समय में काफी महत्वपूर्ण साबित होगा । अगले अध्याय के महत्वपूर्ण दीर्घ प्रश्न-उत्तर के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।