बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी सामाजिक विज्ञान -अर्थ शास्त्र- अध्याय 1: अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास की NCERT Book
"अर्थव्यवस्था और इसके विकास का इतिहास" वह विषय है जो समाज और राष्ट्रों की आर्थिक गतिविधियों के उद्भव, विकास और परिवर्तनों की पड़ताल करता है। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि किसी समाज की समृद्धि और विकास का किस प्रकार से समाज की आर्थिक स्थिति से संबंध होता है। इसके अंतर्गत कृषि, उद्योग, व्यापार, मुद्रा, और राज्य की नीतियों का प्रभाव अध्ययन किया जाता है।
मुख्य बिंदु:
प्रारंभिक अर्थव्यवस्था:
- प्रारंभ में मानव समाज की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित थी। कृषि और घरेलू उद्योग प्रमुख थे।
- व्यापार और वस्तु विनिमय का तरीका विकसित हुआ, लेकिन सीमित था।
साम्राज्यवादी युग और आर्थिक संरचनाएँ:
- औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने फायदे के लिए संरचित किया। भारत से कच्चे माल का निर्यात किया जाता था और तैयार वस्तुएं आयात की जाती थीं।
- ब्रिटिश शासन ने भारतीय उद्योगों को नुकसान पहुँचाया और कृषि को बाधित किया।
स्वतंत्रता संग्राम और आर्थिक विचार:
- स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय नेताओं ने स्वतंत्र और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया।
- महात्मा गांधी ने खादी और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में काम किया।
आधुनिक अर्थव्यवस्था और विकास:
- स्वतंत्रता के बाद, भारतीय सरकार ने औद्योगिकीकरण, हरित क्रांति, और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया।
- 1991 के बाद, आर्थिक सुधारों और वैश्वीकरण के प्रभाव से भारतीय अर्थव्यवस्था में नए अवसरों और चुनौतियों का सामना किया गया।
विकास के मापदंड:
- आर्थिक विकास की मापदंड में सकल घरेलू उत्पाद (GDP), प्रति व्यक्ति आय, बेरोजगारी दर, और सामाजिक विकास सूचकांक (HDI) प्रमुख हैं।
निष्कर्ष:
अर्थव्यवस्था और इसके विकास का इतिहास यह दर्शाता है कि समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थितियों से उसकी आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं। समय के साथ, दुनिया भर के देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं के विकास के लिए विभिन्न उपायों को अपनाया। भारत ने भी ब्रिटिश शासन से मुक्ति के बाद अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई, और आज एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बनकर उभरा है।