बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी सामाजिक विज्ञान अर्थ शास्त्र- वैश्वीकरण की NCERT Book
Launch Your Course Log in Sign up
Menu
Classes
Competitive Exam
Class Notes
Graduate Courses
Job Preparation
IIT-JEE/NEET
vidyakul X
Menu

बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी सामाजिक विज्ञान अर्थ शास्त्र- अध्याय 6: वैश्वीकरण की NCERT Book

BSEB > Class 10 > NCERT Book > अर्थ शास्त्र- अध्याय 6: श्वीकरण की NCERT book

"वैश्वीकरण" एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से दुनिया भर के देशों और समाजों के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और तकनीकी प्रगति के कारण आपसी जुड़ाव और निर्भरता बढ़ती है। यह आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण घटना है, जिससे देश और समाज एक दूसरे के करीब आते हैं। वैश्वीकरण ने वैश्विक व्यापार, निवेश, संवाद और प्रौद्योगिकी में अभूतपूर्व वृद्धि की है।

Download this PDF

मुख्य बिंदु:

  1. वैश्वीकरण का अर्थ और विकास:

    • वैश्वीकरण का मतलब है विभिन्न देशों और उनके समाजों का आपस में जुड़ना और एक दूसरे से प्रभावित होना।
    • इसका विकास 20वीं सदी के अंत और 21वीं सदी की शुरुआत में हुआ, जब सूचना और परिवहन प्रौद्योगिकियों ने वैश्विक स्तर पर संपर्क को आसान बना दिया।
  2. वैश्वीकरण के प्रकार:

    • आर्थिक वैश्वीकरण: इसमें व्यापार, पूंजी निवेश, और वैश्विक उत्पादन शामिल हैं। यह वैश्विक बाजार को एकजुट करता है।
    • सांस्कृतिक वैश्वीकरण: इसमें विभिन्न संस्कृतियों, परंपराओं, विचारों और मान्यताओं का आदान-प्रदान होता है, जो विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक समानता उत्पन्न करता है।
    • राजनीतिक वैश्वीकरण: इसमें अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन (WTO), और अंतर्राष्ट्रीय बैंक की भूमिका है, जो वैश्विक स्तर पर राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
    • तकनीकी वैश्वीकरण: इसमें सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का तेजी से विस्तार शामिल है, जिससे दुनिया भर में सूचना का आदान-प्रदान आसान हो गया है।
  3. वैश्वीकरण के फायदे:

    • आर्थिक वृद्धि: वैश्वीकरण से देशों को अधिक व्यापारिक अवसर, विदेशी निवेश, और उत्पादन के क्षेत्र में विस्तार मिलता है।
    • नौकरी के अवसर: वैश्वीकरण के कारण देशों में नए उद्योग और व्यवसाय विकसित होते हैं, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
    • प्रौद्योगिकी और ज्ञान का आदान-प्रदान: विभिन्न देशों के बीच प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक ज्ञान का साझा होना विकास को प्रोत्साहित करता है।
    • संस्कृति का विस्तार: वैश्वीकरण से विभिन्न संस्कृतियों के बीच सहयोग बढ़ता है, जिससे वैश्विक सोच और सांस्कृतिक विविधता में वृद्धि होती है।
  4. वैश्वीकरण के नुकसान:

    • स्थानीय उद्योगों पर प्रभाव: वैश्वीकरण के कारण स्थानीय उद्योगों और छोटे व्यवसायों पर दबाव बढ़ता है, क्योंकि बड़े बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इनसे प्रतिस्पर्धा करती हैं।
    • सामाजिक असमानता: वैश्वीकरण से कुछ देशों और समुदायों को फायदा होता है, जबकि अन्य को नुकसान हो सकता है। यह सामाजिक असमानता को बढ़ा सकता है।
    • संस्कृति का विलय: वैश्वीकरण के कारण स्थानीय परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान को खतरा हो सकता है, क्योंकि पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव अधिक बढ़ सकता है।
    • पर्यावरणीय प्रभाव: वैश्वीकरण के कारण अधिक उत्पादन और उपभोग होता है, जो पर्यावरणीय संकट को बढ़ा सकता है।
  5. भारत में वैश्वीकरण:

    • भारत में 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद वैश्वीकरण की प्रक्रिया तेज हुई।
    • वैश्वीकरण ने भारत में विदेशी निवेश, व्यापार, और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वृद्धि की है।
    • हालांकि, भारत में वैश्वीकरण के कारण कुछ परंपरागत उद्योगों और सामाजिक वर्गों पर दबाव भी बढ़ा है।

निष्कर्ष:
वैश्वीकरण ने दुनिया भर में संपर्क और सहयोग को बढ़ावा दिया है और इससे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर कई अवसर उत्पन्न हुए हैं। हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं, जैसे कि स्थानीय उद्योगों पर प्रभाव और सामाजिक असमानता का बढ़ना। इस प्रक्रिया को संतुलित तरीके से प्रबंधित किया जाना चाहिए, ताकि इसके लाभ सभी तक पहुंच सकें और इसके दुष्प्रभावों को कम किया जा सके।