बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी सामाजिक विज्ञान भूगोल- अध्याय 1: भारत : संसाधन एवं उपयोग की NCERT Book
"भारत: संसाधन एवं उपयोग" एक महत्वपूर्ण विषय है जो देश के प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार, उनके उपयोग और इसके साथ जुड़ी चुनौतियों को समझने में मदद करता है। भारत एक संसाधन संपन्न देश है, जहाँ कृषि, खनिज, जल, वन, ऊर्जा और मानव संसाधन जैसे विविध संसाधनों की प्रचुरता है। इन संसाधनों का उचित उपयोग न केवल आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि देश की समृद्धि और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मुख्य बिंदु:
प्राकृतिक संसाधन:
- भूमि संसाधन: भारत में भूमि का विशाल भंडार है, जिसमें कृषि भूमि, वन, मरुस्थल, और पर्वतीय क्षेत्र शामिल हैं।
- जल संसाधन: नदियाँ, जलाशय, और भूजल भारत के प्रमुख जल संसाधन हैं। हालांकि जल संकट और पानी की बढ़ती मांग एक बड़ी चुनौती है।
- खनिज संसाधन: भारत में विभिन्न प्रकार के खनिज संसाधन जैसे कोयला, लोहा, तांबा, बक्साइट और अन्य खनिज हैं, जो उद्योगों के लिए आवश्यक कच्चे माल प्रदान करते हैं।
- वन संसाधन: भारत के वन क्षेत्र से लकड़ी, औषधियाँ, रेजिन, और अन्य वन्य उत्पाद मिलते हैं। ये कृषि और स्थानीय जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मानव संसाधन:
- भारत का मानव संसाधन बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ की बड़ी जनसंख्या, युवा कार्यबल, और श्रम शक्ति देश के आर्थिक विकास में योगदान करती है।
- शिक्षा, कौशल विकास, और रोजगार के अवसरों का विस्तार मानव संसाधन के अधिकतम उपयोग के लिए आवश्यक है।
ऊर्जा संसाधन:
- भारत में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत जैसे कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, और नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन, जल) शामिल हैं।
- कोयला भारत का प्रमुख ऊर्जा संसाधन है, लेकिन ऊर्जा की बढ़ती मांग और पर्यावरणीय संकट से निपटने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना आवश्यक है।
- ऊर्जा का उचित उपयोग और वैकल्पिक स्रोतों का विकास देश की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में सहायक हो सकता है।
संसाधनों का उपयोग और प्रबंधन:
- संसाधनों का अत्यधिक उपयोग और उनके अति दोहन से पर्यावरणीय संकट, जलवायु परिवर्तन, और प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ रही हैं।
- भारत में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अधिकतर कृषि, उद्योग और ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जाता है।
- संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिए सतत विकास, पुनर्नवीनीकरण, और संसाधन संरक्षण की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।
संसाधनों से संबंधित चुनौतियाँ:
- जल संकट: जल की कमी, जल प्रदूषण, और जल के असमान वितरण के कारण जल संकट एक प्रमुख समस्या बन गई है।
- वनों की कमी: वन संसाधनों का अत्यधिक उपयोग और अंधाधुंध वृक्षों की कटाई से वनस्पति संकट उत्पन्न हो रहा है।
- प्राकृतिक संसाधनों का अति उपयोग: खनिज और ऊर्जा संसाधनों का अत्यधिक दोहन पर्यावरणीय नुकसान और संसाधनों की कमी का कारण बन रहा है।
संसाधन संरक्षण और सुधार:
- सतत विकास: संसाधनों का संरक्षण और उनका उचित उपयोग सतत विकास की ओर अग्रसर कर सकता है।
- पुनः प्रयोग और पुनर्नवीनीकरण: कचरे का पुनर्चक्रण, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग, और जल संरक्षण के उपायों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
- प्राकृतिक संसाधनों की नीति: सरकार और संस्थाओं को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए नीतियाँ बनानी चाहिए और उनका पालन करवाना चाहिए।
निष्कर्ष:
भारत के पास अत्यधिक प्राकृतिक और मानव संसाधन हैं, जो आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, इन संसाधनों का अति उपयोग और उनका सही तरीके से प्रबंधन करना एक चुनौती है। यदि हम सतत विकास के सिद्धांतों को अपनाते हैं और संसाधनों के संरक्षण पर जोर देते हैं, तो हम इन संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग कर सकते हैं और एक समृद्ध और स्थिर भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।