बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी सामाजिक विज्ञान इतिहास- यूरोप में राष्ट्रवाद की NCERT Book
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बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी सामाजिक विज्ञान -इतिहास- अध्याय 1: यूरोप में राष्ट्रवाद की NCERT Book

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"यूरोप में राष्ट्रवाद" विषय 19वीं सदी के दौरान यूरोपीय देशों में राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता के लिए चलाए गए आंदोलनों को समझने में मदद करता है। इस काल में राष्ट्रवाद ने एक नई राजनीतिक चेतना को जन्म दिया, जिसने लोगों को भाषा, संस्कृति और इतिहास के माध्यम से एकजुट होने की प्रेरणा दी। यह अध्याय यूरोप के विभिन्न हिस्सों में राष्ट्रवाद के उदय और इसके परिणामस्वरूप हुए बदलावों पर प्रकाश डालता है।

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मुख्य बिंदु

  1. नेपोलियन और राष्ट्रवाद का उदय
    फ्रांसीसी क्रांति (1789) ने "स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व" के आदर्शों को फैलाया।
    नेपोलियन ने यूरोप में सुधार लागू किए, लेकिन उसकी सैन्य नीति ने असंतोष भी बढ़ाया।

  2. कांग्रेस ऑफ़ वियना (1815)
    नेपोलियन की हार के बाद यूरोप के राजाओं ने पुरानी व्यवस्था बहाल करने का प्रयास किया।
    यह व्यवस्था राष्ट्रवाद के विकास में बाधा बनी।

  3. क्रांति और राष्ट्रवाद (1830-1848)
    1830 और 1848 में यूरोप के विभिन्न हिस्सों में क्रांतियां हुईं।
    ग्रीस ने ऑटोमन साम्राज्य से आजादी हासिल की, जबकि इटली और जर्मनी में एकता के प्रयास तेज हुए।

  4. इटली और जर्मनी का एकीकरण
    इटली का एकीकरण: मैज़िनी, कवूर और गारिबाल्डी जैसे नेताओं के प्रयास।
    जर्मनी का एकीकरण: बिस्मार्क के नेतृत्व में प्रशा ने इसे संभव बनाया।

  5. राष्ट्रवाद और औपनिवेशिकता
    यूरोपीय राष्ट्रवाद ने औपनिवेशिक विस्तार को भी प्रेरित किया।
    राष्ट्रवाद के नाम पर कमजोर देशों पर प्रभुत्व स्थापित किया गया।

  6. सांस्कृतिक और आर्थिक पहलू
    एकता के लिए भाषा, इतिहास, और संस्कृति को महत्वपूर्ण माना गया।
    व्यापार और परिवहन के विकास ने भी राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।

निष्कर्ष

यूरोप में राष्ट्रवाद ने न केवल राजनीतिक और सामाजिक बदलाव लाए बल्कि आधुनिक राष्ट्र-राज्यों की नींव भी रखी। हालांकि, इसका दुरुपयोग औपनिवेशिकता और नस्लीय भेदभाव के रूप में भी हुआ। इस अध्याय से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि किस प्रकार राष्ट्रीय एकता और पहचान का विकास संघर्ष और क्रांति के माध्यम से हुआ।

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