बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी सामाजिक विज्ञान इतिहास- अध्याय 3: हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन की NCERT Book
"हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन" 20वीं सदी में वियतनाम, कंबोडिया, और लाओस जैसे देशों में औपनिवेशिक शासन के खिलाफ स्वतंत्रता के संघर्ष को दर्शाता है। यह अध्याय उपनिवेशवाद, सांस्कृतिक पुनरुत्थान और राष्ट्रवादी नेताओं के प्रयासों पर केंद्रित है, जिन्होंने अपने देशों को विदेशी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए आंदोलन चलाए।
मुख्य बिंदु
फ्रांसीसी उपनिवेशवाद का प्रभाव
फ्रांस ने 19वीं सदी में हिन्द-चीन को अपने उपनिवेश के रूप में स्थापित किया।
यहां की प्राकृतिक संपदा का शोषण और सांस्कृतिक दमन किया गया।राष्ट्रवाद का उदय
शिक्षा, प्रेस और सांस्कृतिक पुनरुत्थान ने राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा दिया।
पारंपरिक धर्म और संस्कृति ने भी लोगों को औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ एकजुट किया।हो ची मिन्ह और वियतनाम की क्रांति
हो ची मिन्ह ने वियतनाम को स्वतंत्र कराने के लिए साम्यवाद और राष्ट्रवाद का सहारा लिया।
वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी ने आंदोलन को संगठित किया।कंबोडिया और लाओस में संघर्ष
कंबोडिया और लाओस में भी राष्ट्रवादियों ने फ्रांसीसी शासन के खिलाफ आंदोलन किए।
इन आंदोलनों में बौद्ध धर्म और सांस्कृतिक पुनरुत्थान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।औपनिवेशिक विरोधी आंदोलन के प्रमुख चरण
शैक्षिक सुधारों और किसान आंदोलनों ने राष्ट्रवादी आंदोलनों को आधार दिया।
1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वियतनाम ने स्वतंत्रता की घोषणा की।आधुनिक राजनीति पर प्रभाव
हिन्द-चीन के आंदोलनों ने एशिया में स्वतंत्रता संग्रामों को प्रेरित किया।
इस क्षेत्र में साम्यवाद और राष्ट्रवाद का मिश्रण एक नई राजनीतिक दिशा का कारण बना।
निष्कर्ष
हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष और स्वतंत्रता के लिए किए गए प्रयासों का प्रतीक है। यह अध्याय हमें समझने में मदद करता है कि किस प्रकार सामूहिक जागरूकता और नेतृत्व ने एक लंबे संघर्ष के बाद इस क्षेत्र को स्वतंत्रता दिलाई।