बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी सामाजिक विज्ञान -इतिहास- अध्याय 6: शहरीकरण एवं शहरी जीवन की NCERT Book
शहरीकरण एवं शहरी जीवन" विषय आधुनिक समाज में शहरीकरण के प्रभाव और शहरी जीवन की विशेषताओं पर केंद्रित है। यह विषय शहरी क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या, बुनियादी ढांचे, रोजगार के अवसर, और जीवन की गुणवत्ता के बदलावों का विश्लेषण करता है। शहरीकरण का मतलब केवल जनसंख्या का शहरी इलाकों में स्थानांतरण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बदलावों का परिणाम भी है।
मुख्य बिंदु
शहरीकरण का परिभाषा और प्रक्रिया
- शहरीकरण का मतलब गांवों से लोगों का शहरों की ओर प्रवास करना और शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का बढ़ना।
- यह प्रक्रिया विभिन्न कारणों से होती है, जैसे रोजगार के अवसर, बेहतर जीवन स्तर और शिक्षा।
शहरी जीवन की विशेषताएँ
- आधुनिक जीवन शैली: शहरों में जीवन की गति तेज होती है, जिसमें उच्च शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं, और बेहतर बुनियादी ढांचा शामिल हैं।
- विविधता: शहरों में विभिन्न समुदायों और संस्कृतियों का मिश्रण होता है, जो सामाजिक विविधता को जन्म देता है।
शहरीकरण के प्रभाव
- आर्थिक प्रभाव: शहरीकरण के साथ रोजगार के अवसर बढ़ते हैं, लेकिन यह भी आर्थिक असमानताओं और सामाजिक समस्याओं को बढ़ावा दे सकता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: शहरीकरण के कारण पर्यावरणीय समस्याएं जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और शहरी कचरा भी बढ़ता है।
सामाजिक परिवर्तन
- शहरी जीवन में पारंपरिक पारिवारिक संरचनाओं और सामाजिक रिश्तों में बदलाव आया है।
- ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में जीवन की गति तेज़ और व्यस्त होती है।
शहरी समस्याएँ
- भ्रष्टाचार और असमानता: शहरी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार और सामाजिक असमानताएँ अधिक पाई जाती हैं।
- बेरोज़गारी: शहरी क्षेत्रों में बेरोज़गारी की दर भी काफी अधिक हो सकती है, खासकर प्रवासी श्रमिकों के लिए।
- जगह की कमी: शहरों में ज़मीन और आवास की कमी भी एक बड़ी समस्या है, जिससे स्लम क्षेत्रों का निर्माण होता है।
शहरी नीतियाँ और विकास
- शहरी विकास के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की है, जैसे स्मार्ट सिटी मिशन, स्वच्छ भारत अभियान, और अन्य बुनियादी ढांचा सुधार योजनाएँ।
- इन योजनाओं का उद्देश्य शहरों को अधिक सुविधाजनक और पर्यावरण के अनुकूल बनाना है।
निष्कर्ष
"शहरीकरण एवं शहरी जीवन" अध्याय हमें शहरीकरण की प्रक्रिया, इसके सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों को समझने में मदद करता है। यह बताता है कि शहरी जीवन में तकनीकी प्रगति, बेहतर बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों के साथ-साथ सामाजिक असमानताएँ और पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।