बिहार बोर्ड कक्षा 10 वी राजनीति विज्ञान- अध्याय 3: लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष की NCERT Book
"लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा और संघर्ष" विषय लोकतांत्रिक व्यवस्था में विभिन्न राजनीतिक दलों, समाजिक समूहों और विचारधाराओं के बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष की प्रकृति और इसके प्रभावों को समझाने पर आधारित है। लोकतंत्र में जहां सभी नागरिकों को समान अधिकार होते हैं, वहीं विभिन्न समूहों के बीच विचारधारा, नीति, और शक्ति की प्रतिस्पर्धा भी स्वाभाविक होती है। यह प्रतिस्पर्धा और संघर्ष समाज में परिवर्तन, प्रगति, और न्याय को बढ़ावा देने के लिए एक स्वस्थ तंत्र के रूप में कार्य कर सकते हैं।
मुख्य बिंदु
लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा का महत्व
- लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रतिस्पर्धा राजनीतिक दलों, नेताओं और विचारधाराओं के बीच होती है।
- यह प्रतिस्पर्धा समाज में विभिन्न दृष्टिकोणों को सामने लाती है और नागरिकों को अपने विचारों और प्राथमिकताओं के आधार पर चुनाव करने का अवसर देती है।
राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष
- लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विभिन्न राजनीतिक दल अपने सिद्धांतों, योजनाओं और नीतियों के आधार पर चुनाव लड़ते हैं।
- इन दलों के बीच संघर्ष यह सुनिश्चित करता है कि विभिन्न मुद्दों पर बहस हो और जनता के बीच विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए जाएं।
सामाजिक संघर्ष और विरोध
- लोकतंत्र में सामाजिक संघर्ष समाज के विभिन्न वर्गों, जैसे जाति, धर्म, और लिंग आधारित समूहों के बीच होता है।
- यह संघर्ष समानता, न्याय और अधिकारों के लिए होता है, और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से समाधान ढूंढे जाते हैं।
विचारधाराओं का संघर्ष
- लोकतंत्र में विभिन्न विचारधाराओं के बीच संघर्ष होता है, जैसे उदारवाद, समाजवाद, और राष्ट्रवाद।
- इस संघर्ष से समाज में नई नीतियाँ, विचार और सुधारों का जन्म होता है, जो समाज के विकास में सहायक होते हैं।
लोकतंत्र में संघर्ष के सकारात्मक पहलु
- लोकतांत्रिक संघर्ष यह सुनिश्चित करता है कि सभी वर्गों की आवाज़ सुनी जाए और उनके अधिकारों का सम्मान किया जाए।
- यह संघर्ष समाज में जागरूकता और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देता है, जिससे लोकतंत्र और मजबूत होता है।
संघर्ष और प्रतिस्पर्धा के नकारात्मक प्रभाव
- कभी-कभी संघर्ष और प्रतिस्पर्धा के कारण समाज में अस्थिरता और हिंसा हो सकती है।
- अगर यह संघर्ष राजनीतिक या सामाजिक असहमति के रूप में बढ़ जाए, तो यह समाज में विभाजन और तनाव उत्पन्न कर सकता है।
निष्कर्ष
"लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा और संघर्ष" अध्याय यह दर्शाता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रतिस्पर्धा और संघर्ष का होना स्वाभाविक है। हालांकि यह प्रक्रिया समाज में विचारों और नीतियों के विकास में सहायक होती है, परंतु अगर यह असंयमित हो जाए तो समाज में अस्थिरता उत्पन्न कर सकता है। लोकतंत्र की स्थिरता और प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि प्रतिस्पर्धा और संघर्ष स्वस्थ और न्यायपूर्ण तरीके से हों।