बिहार बोर्ड कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 18 शरीर द्रव तथा परिसंचरण तंत्र लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. रक्त का थक्का बनते समय किन कारकों की उपस्थिति में प्रोट्रॉम्बिन, भ्रॉम्बिन में परिवर्तित होता है ?
उत्तर : )श्रॉम्बोप्लास्टिन, कैल्सियम आयन एवं एक्सिलरेटर आयन कारकों की उपस्थिति में प्रोट्रॉम्बिन, भ्रॉम्बिन में परिवर्तित होता है
प्रश्न 2. मनुष्य का हृदय होता है
(उत्तर : मायोजेनिकमनुष्य का हृदय होता है
प्रश्न 3. अरक्तता क्या है? एक वयस्क पुरुष के रुधिर में हीमोग्लोबिन की कितनी मात्रा होनी चाहिए?
उत्तर : यह एक ऐसा रोग है जिसमें की शरीर में, हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाने से, 02-वहन की दर घट जाती है। यह रोग लाल रुधिराणुओं के व्यापक विनाश या धीमे निर्माण के कारण इनकी संख्या अत्यधिक कम हो जाने से होता है। एक सामान्य व्यक्ति में हीमोग्लोबिन की मात्रा औसतन 15 ग्राम प्रति 100 मिलिलीटर रुधिर होती है।
प्रश्न 4. हीमोलिम्फ और रुधिर में क्या अन्तर है? हीमोलिम्फ के कार्य बताइए।
उत्तर : हीमोलिम्फ में हीमोग्लोबिन अनुपस्थित होता है जिसके कारण यह रंगहीन होता है जबकि रुधिर हीमोग्लोबिन की उपस्थिति के कारण लाल रंग का होता है। रुधिर में लाल रक्त कणिकाएँ, श्वेत रक्त कणिकाएँ, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा इत्यादि अवयव होते हैं जबकि हीमोलिम्फ में 70% जल एवं शेष भाग में अमीनो तथा यूरिक अम्लों की काफी मात्रा, पोटैशियम, सोडियम, कैल्सियम एवं मैग्नीशियम आदि लवण, वसाएँ, शर्कराएँ, प्रोटीन्स, श्वेत रक्त कणिकाएँ आदि उपस्थित होते हैं। हीमोलिम्फ में स्थित श्वेत रक्त कणिकाएँ रक्त से खाद्य पदार्थों का अंतर्ग्रहण कर विभिन्न ऊतकों तक पहुँचाती हैं। तथा कुछ बाह्य हानिकारक जीवाणु आदि का भक्षण कर शरीर के बाहर निकालती हैं। ये विभिन्न ऊतकों से अपशिष्ट पदार्थों को भी पृथक् करने का कार्य करती हैं।
प्रश्न 5. एरिथ्रोब्लास्टोसिस फीटैलिस का वर्णन कीजिए।
उत्तर : यह Rh तत्त्व से सम्बन्धित रोग है जो केवल शिशुओं में, जन्म से पहले ही, गर्भावस्था में होता है। यह बहुत कम, लेकिन घातक होता है। इससे प्रभावित शिशु की गर्भावस्था में ही या जन्म के शीघ्र बाद, मृत्यु हो जाती है। ऐसे शिशु सदा Rh+ होते हैं। इनकी माता Rh– तथा पिता Rh+ होता है। इन्हें यह गुण पिता से ही वंशागति में मिलता है। परिवर्धन काल में भ्रूण के कुछ लाल रुधिराणु प्रायः माता केरुधिर में पहुँच जाते हैं। अतः माता के रुधिर में Rh-प्रतिरक्षी (Rh-antibody) का संश्लेषण होने लगता है। यह प्रतिरक्षी, माता के रुधिर में Rh-प्रतिजन की अनुपस्थिति के कारण माता को कोई हानि नहीं पहुँचाता, लेकिन जब यह माता के रुधिर के साथ भ्रूण में पहुँचता है तो इसकी लाल कणिकाओं को चिपकाने लगता है। साधारणत: प्रथम गर्भ के शिशु को विशेष हानि नहीं होती, क्योंकि इस समय तक माता में Rh-प्रतिरक्षी की थोड़ी-सी ही मात्रा बन पाती है। बाद में गर्भो के Rh+ शिशुओं में इस रोग की सम्भावना बढ़ जाती है।
प्रश्न 6 खुले एवं बन्द परिसंचरण तन्त्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर : खुला परिसंचरण तन्त्र से तात्पर्य शरीर में रुधिर का नलियों रहित भाग में प्रवाह से है, जबकि बन्द परिवहन तन्त्र में रक्त नलियों में बहता है।
प्रश्न 7. हृदय के सभी छिद्रों पर कपाट व्यों होते हैं? द्विवलनी तथा त्रिवलनी कपाटों के बारे में लिखिए।
उत्तर : अलिन्द-निलय छिद्र का नियन्त्रण करने हेतु इस पर सघन तन्तुकीय ऊतक के बने भंजों का कपाट (valve) होता है। दाहिना अलिन्द-निलय कपाट तीन चपटे एवं त्रिकोणाकार से भंजों अर्थात् पल्लों (flaps) का बना होता है। इसे त्रिवलनी या ट्राइकस्पिड कपाट (tricuspid valve) कहते हैं। बायाँ अलिन्द-निलय कपाट केवल दो, अधिक बड़े, मोटे एवं मजबूत पल्लों का बना होता है। इसे द्विवलनी यो बाइकस्पिड कपाट (bicuspid valve) या मिटूल कपाट (mitral valve) कहते हैं।ये कपाट रुधिर को केवल अलिन्दों से निलयों में जाने का मार्ग देते हैं, विपरीत दिशा में जाने का नहीं।
प्रश्न 8. त्रिवलनी कपाट तथा द्विवलनी कपाट में एक प्रमुख अन्तर बताइए।
उत्तर : त्रिवलनी कपाट (tricuspid valve) में तीन वलन (folds), जबकि द्विवलनी कपाट (bicuspid valve) में दो वलन होते हैं।
प्रश्न 9. हृदय स्पंदन को नापने के लिए डॉक्टर किस उपकरण का प्रयोग करता है?
उत्तर : हृदय स्पंदन को नापने के लिए डॉक्टर स्टेथोस्कोप नामक उपकरण का प्रयोग करता है।
प्रश्न 10. शिरा अलिन्द पर्व (कोटरालिन्द गाँठ SAN) को हृदय का गति प्रेरक (पेस मेकर) क्यों कहा जाता है?
उत्तर : शिरा अलिन्द पर्व (कोटरालिन्द गाँठ SAN) :
दाएँ अलिन्द की भित्ति के अग्र महाशिरा छिद्र के समीप शिरा अलिन्द घुण्डी (Sino Atrial Node, SAN) स्थित होती है। इसे गति प्रेरक (pace maker) भी कहते हैं। इससे स्पन्दन संकुचन प्रेरणा स्वत: उत्पन्न होती है। इसके तन्तुओं में-55 से 60 मिलीवोल्ट का विश्राम विभव (resting potential) होता है, जबकि हृदय पेशियों में यह-85 से 95 मिली वोल्ट और हृदय में फैले विशिष्ट चालक तन्तुओं में 90 से -100 मिलीवोल्ट होता है। शिरा अलिन्द पर्व (SAN) से सोडियम आयनों के लीक होने से हृदय स्पन्दन प्रारम्भ होता है। शिरा अलिन्द पर्व की लयबद्ध उत्तेजना प्रति मिनट 72 स्पन्दनों की एक सामान्य विराम दर पर जीवनपर्यन्त चलती रहती है।
प्रश्न 11. अलिन्द निलय गाँठ (AVN) तथा अलिन्द निलय बण्डल (AVB) का हृदय के कार्य में क्या महत्त्व है?
उत्तर : अलिन्द निलय गाँठ (Auriculo ventricular Node)-शिरा अलिन्द पर्व के तन्तु अन्त में अपने चारों ओर के अलिन्द पेशी तन्तुओं के साथ मिलकर शिरा अलिन्द पर्व तथा अलिन्द निलय गाँठ (AVN) के बीच एक अन्तरापर्वीय पथ का निर्माण करते हैं। अलिन्द निलय गाँठ अन्तराअलिन्द पट के दाहिने भाग में हृद कोटर (कोरोनरी साइनस) के छिद्र के निकट होती है। अलिन्द निलय गाँठ के पेशीय तन्तु अलिन्द निलय बण्डल (bundle of His or Atrio Ventricular Bundle, AVB) से मिलकर निलय में दाएँ-बाएँ बँट जाते हैं। इनसे पुरकिन्जे तन्तुओं (Purkinje fibres) का निर्माण होता है। शिरा अलिन्द पर्व (SAN) में उत्पन्न संकुचने एवं शिथिलन के उद्दीपन अलिन्द निलय गाँठ (AVN) तथा अलिन्द निलय बण्डल (AVB) या हिस का बण्डल (Bundle of His) से होते हुए निलय में स्थित पुरकिन्जे तन्तुओं में पहुँचते हैं। इसके फलस्वरूप हृदय के अलिन्द तथा निलय में क्रमशः संकुचन एवं शिथिलन होता रहता है। हृदय शरीर के विभिन्न भागों से रक्त को एकत्र करके पुनः पम्प करता रहता है।
प्रश्न 12 रक्त को एक संयोजी ऊतक क्यों मानते हैं?
उत्तर : रक्तक विशेष संयोजी ऊतक है जिसमें द्रवीय पदार्थ, प्लाज्मा तथा अन्य अवयव मिलते हैं। ये सम्पूर्ण शरीर में परिसंचरण करते हैं।
प्रश्न 13. प्लाज्मा (प्लैज्मा) प्रोटीन का क्या महत्व है?
उत्तर : फाइब्रिनोजन, ग्लोब्यूलिन तथा एल्ब्यूमिन आदि मुख्य प्लाज्मा प्रोटीन हैं। इसका महत्व निम्न कारणों से बहुत अधिक है रुधिर के थक्का जमने के लिए फाइब्रिनोजन की आवश्यकता होती है। ग्लोब्यूलिन शरीर की रक्षात्मक क्रियाओं में प्राथमिक रूप से आवश्यक है। एल्ब्यूमिन ऑस्मोटिक सन्तुलन में सहायता करते हैं।
प्रश्न 14. स्तम्भ I का स्तम्भ II से मिलान करें
स्तम्भ I – स्तम्भ II
(i) इओसिनोफिल्स – (a) रक्त जमाव (स्कंदन)
(ii) लाल रुधिर कणिकाएँ – (b) सर्वआदाता
(iii) AB रुधिर समूह – (c) संक्रमण प्रतिरोध
(iv) पट्टिकाणु प्लेटलेट्स – (d) हृदय संकुचन
(v) प्रकुंचन (सिस्टोल) – (e) गैस परिवहन (अभिगमन)
उत्तर :
(i) c
(ii) e
(iii) b
(iv) a
(v) d