बिहार बोर्ड कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 21 तंत्रिकीय नियंत्रण व समन्वय लघु उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 21 तंत्रिकीय नियंत्रण व समन्वय लघु उत्तरीय प्रश्न

लघुतरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1. प्रकाशग्राही कोशिकाएं कितने प्रकार की होती है?

उत्तर: प्रकाशग्राही कोशिकाएं दो प्रकार की होती हैं जिन्हें क्रमश: शलाका और शंकु कहते हैं। इन कोशिकाओं में प्रकाश संवेदी प्रोटीन प्रकाश वर्णक पाए जाते हैं। दिन - रात की दृष्टि (फोटोपिक दृष्टि) शंकु का कार्य तथा स्कोटोपिक दृष्टि शलाका का कार्य है। प्रकाश रेटिना से प्रवेश कर लैंस तक पहुंचता है और रेटिना पर वस्तु की छवि बनाती है। रेटिना में उत्पन्न आवेगों को मस्तिष्क के दृष्टि वल्कट भाग तक दुक तन्त्रिका द्वारा भेजा जाता है। जहां पर तंत्रिकीय आवेगों का विश्लेषण होता है और रेटिना पर बनने वाली छवि को पहचाना जाता है।

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प्रश्न 2. मानव नेत्र पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर: मनुष्य में एक जोड़ी नेत्र खोपड़ी में स्थित अस्थि गर्तिक, जिसे नेत्र कोटर कहते हैं। नेत्र कोटर/ गोलक की दीवारें तीन परतों से बनी होती हैं। कार्निया को छोड़कर बाहरी परत स्केलेरा (शुक्ल पटल) है। स्केलेरा के भीतर की ओर मध्य परत कॉरोइड कहलाती है। आंतरिक परत रेटिना कहलाती है। यह तीन परतों की बनी होती है:

प्रकाशग्राही कोशिका 

द्विधुवीय कोशिकाएँ

गुचित्रका कोशिका।

प्रश्न 3. तंत्रिका तंतु की झिल्ली का ध्रुवीकरण किस प्रकार से सम्पन्न होता है?

उत्तर: तंत्रिका तंतु की झिल्ली का ध्रुवीकरण: प्रत्येक तन्त्रिका विश्राम काल में धुव्रित अवस्था में होती है। जिसके बाहर धनात्मक आवेश पाया जाता है तथा भीतर की ओर ऋणात्मक आवेश पाया जाता है। बाहर की तरफ Na+ भीतर की तुलना में 10 - 12 गुणा अधिक होते हैं। यह कार्बनिक आयनों के कारण होता है। विश्राम अवस्था के विभव को विश्रान्ति काल विभव कहते हैं। यह - 70 mv से - 86 mv होता है।

प्रश्न 4. तंत्रिका तंतु के समांतर आवेगों का संचरण किस प्रकार से होता है?

उत्तर:  सक्रिय विभव अन्य भागों के लिए उद्दीपन का कार्य करता है। जैसे ही विधुवण तरंग तन्त्रिका तन्तु पर आगे की तरफ संचरित होती है तो पिछले भागों में उद्दीपन का प्रभाव समाप्त होकर तन्त्रिका तन्तु पुनः वित्रान्ति अवस्था में लौट आती है। इस क्रिया में K+ बाहर आते हैं तथा Na+ पुनः बाहर की तरफ को भेजे जाते हैं। इस अवस्था को पुनः धुवण कहते हैं।

प्रश्न 5. प्रमस्तिष्क क कितने भाग हिते है?

उत्तर: यह पूरे मस्तिष्क के अस्सी प्रतिशत भाग का निर्माण करता है। अनुलम्ब विदर की सहायता से दो भागों में विभाजित होता है जिन्हें क्रमश: दायां व बायां प्रमस्तिष्क गोलार्ध कहते हैं। दोनों प्रमस्तिष्क गोलार्ध कास केलोसम द्वारा जुड़े होते हैं।

प्रहन 6. घ्राण मस्तिष्क किस प्रकार का कार्य करता है?

उत्तर: यह गंध से सम्बन्धित क्षेत्र है। प्रमस्तिष्क गोलार्थों के वे सभी क्षेत्र जो प्राण सम्बन्धी अनुक्रिया से सम्बन्धित हैं, संयुक्त रूप से घ्राण मस्तिष्क बनाते हैं। प्रत्येक प्रमस्तिष्क गोलार्ध के अग्र ललाटीय पाली में धंसा एकएक घ्राण पिण्ड ताथा घ्राण मार्ग पाये जाते हैं।

प्रश्न 7. कार्पोरा क्वाड्रीजेमिना किसे कहते है?

उत्तर: मध्य मस्तिष्क : यह छोटा और मस्तिष्क का संकुचित भाग है। यह मध्य मस्तिष्क अग्र मस्तिष्क के थेलेमस/हाइपोथेलेमस तथा पश्च मस्तिष्क के पास के बीच स्थित होता है। एक नाल प्रमस्तिष्क तरल नलिका मध्य मस्तिष्क से गुजरती है। पश्च भाग में चार उभार पाये जाते हैं जिन्हें ओप्टिक पाली या कोलिकुलस कहते हैं। चारों उभारों को संयुक्त रूप से कार्पोरा क्वाड्रीजेमिना कहते हैं।

प्रश्न 8. मैलियस किस प्रकार की अस्थिका होती है?

उत्तर: यह अस्थिका बाहर कर्ण पटह की ओर स्थित होती है। यह सबसे बड़ी हथौड़ेनुमा होती है। मैलियस अस्थिका जबड़े की आर्टिकुलर  अस्थि के रूपान्तरण से बनती है। इसका बाहरी संकरा सिरा कर्ण परह से तथा भीतरी चौड़ा सिरा इन्कस  से जुड़ा रहता है।

प्रश्न 9. काँक्लिया का वर्णन कीजिए। 

उत्तर: सैक्युलस के पार्श्व अधर सतह से एक लम्बी कुण्डलित स्प्रिंगनुमा रचना विकसित होती है जिसे कोक्लिया की नली या कोक्लिया कहते हैं। इस नली की प्रत्येक कुण्डली के बीच में लिगामेर या तन्तु स्थित रहते हैं जिनसे इसकी विशिष्ट कुण्डलाकार आकृति का नियमन किया जाता है।

कोक्लिया की नली चारों ओर से अस्थि कोश द्वारा घिरी रहती है। कोक्लिया की नली राइसनर की कला  तथा आधार कला द्वारा तीन गुहाओं में विभाजित रहती है

इसका ऊपरी भाग या कक्ष स्कैला वैस्टीब्यूलाई 

मध्य भाग प्रघ्राण मध्य या स्केला मीडिया 

निचला भाग मध्य कर्ण सोपान या स्केला टिम्पेनाई कहलाता है।

स्केला वेस्टीब्यूलाई तथा स्केला टिम्पेनाई में पेरिलिम्फ भरा रहता है किन्तु ये दोनों गुहाएँ एक - दूसरे से एक छिद्र द्वारा सम्बद्ध रहती हैं जिसे हेलीकोटीमा कहा जाता है।

प्रश्न 10. ऑर्गन ऑफ कॉटाई किस प्रकार से कार्य करता है?

उत्तर:  ऑर्गन ऑफ कॉर्टाई: बेसिलर कला के एपिथिलियम स्तर पर मध्य रेखा की पूरी लम्बाई पर एक संवेदी अनुलम्ब उभार के रूप में पाया जाता है। इसमें अवलम्बी कोशिकाओं व स्तम्भ संवेदी कोशिकाओं की तीन पंक्तियाँ बाहर की ओर व एक पंक्ति भीतर की ओर होती है। स्तम्भ संवेदी कोशिकाओं व अवलम्बी कोशिकाओं के बीच कुछ रिक्त स्थान पाये जाते हैं। इन रिक्त स्थानों में पाये जाने वाले द्रव को कार्टिलिम्फ कहते हैं।

प्रश्न 11. सिनेप्टिक संचरण क्रियाविधि किस प्रकार से सम्पन्न होती है?

उत्तर:  तन्त्रिका आवेगों का एक न्यूरोन से दूसरे न्यूरोन तक संचरण सिनेप्सिस द्वारा होता है। एक सिनेप्स का निर्माण पूर्व सिनैष्टिक न्यूरोन तथा पश्च सिनेप्टिस न्यूरॉन की झिल्ली द्वारा होता है, जो कि सिनेप्टिक दरार द्वारा विभक्त हो भी सकती है या नहीं भी। सिनेप्स दो प्रकार के होते हैं:

विद्युत सिनेप्स 

रासायनिक सिनेप्स

विद्युत सिनेप्स पर पूर्व और पश्च सिनेप्टिक न्यूरॉन की झिल्लियाँ एक - दूसरे के समीप होती हैं। एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक विद्युत धारा का प्रवाह सिनेप्सिस से होता है। विद्युतीय सिनेप्सिस से आवेग का संचरण, एक तंत्रिकाक्ष से आवेग के संचरण के समान होता है। विद्युतीयसिनेप्सिस से आवेग का संचरण, रासायनिक सिनेप्सिस के संचरण की तुलना में अधिक तीव्र होता है।


प्रश्न 12. आप किस प्रकार किसी वस्तु के रंग का पता लगाते हैं?

उतर्र: दृष्टि शंकुओं  के थाहरी रोडोप्सिन के स्थान पर बैंगनी - सी रंगा होती है जिसे आयोडाप्सिन कहते हैं। आयोडाप्सिन में रंगा पदार्थ तो रेटिनीन ही होता है लेकिन प्रोटीन घटक फोटोप्सिन होता है। यह रंगा तीन प्रकाश व वस्तुओं के रंगभेद को ग्रहण करता है। अनुमानतः तीन प्राथमिक रंगों लाल, हरा व नीले से सम्बन्धित तीन प्रकार के शंकु पाये जाते हैं। इन तीन प्रकार के शंकुओं में तीन अलग-अलग प्रकार के वर्णकों के विविध उद्दीपन से रंगों के विभिन्न मिश्रणों का ज्ञान जन्तुओं को होता है।

प्रश्न 13. त्र किस प्रकार रेटिना पर पड़ने वाले प्रकाश का नियमन करता है?

उत्तर: आइरिस के मध्य में एक बड़ा छिद्र पाया जाता है जिसे पुतली या तारा  कहते हैं। आइरिस पर अरेखित अरीय प्रसारी  पेशियाँ फैली रहती हैं जिसके संकुचन से पुतली का व्यास बढ़ता है एवं आइरिस पर पायी जाने वाली वर्तुल स्फिंक्टर (पेशियाँ संकुचन द्वारा पुतली के व्यास को कम करती हैं। अत: आइरिस कैमरे के डायाफ्राम की भांति अपने छिद्र को आवश्यकतानुसार घटा-बढ़ाकर गोल में (रेटिना) में जाने वाले प्रकाश की मात्रा का नियमन करती है।

प्रश्न 14. सक्रिय विभव उत्पन्न करने में Na की भूमिका का वर्णन दीजिए।

उत्तर: उद्दीपित होने पर एक्सोलेमा की पारगम्यता में परिवर्तन हो जाता है, Na+ भीतर प्रवेश करते हैं जिसके कारण तन्त्रिका तन्तु बाहर की तरफ ऋणावेशित एवं भीतर की तरफ धनात्मक हो जाते हैं। इसे विधवित अवस्था कहते हैं। इस दौरान उत्पन्न विभव को सक्रिय विभव (Action Potential) कहते हैं। यह + 30mV तक होता है। यह सक्रिय विभव अन्य भागों के उद्दीपन का कार्य करता है।

प्रश्न 15. सिनेप्स पर न्यूरोट्रांसमीटर मुक्त करने में Ca+ की भूमिका का वर्णन कीजिए।

उत्तर: सिनेप्स पर आवेग के द्वारा डेन्ड्राइट्स के अन्तस्थ सिरे पर बटन कुछ रासायनिक पदार्थों, जैसे - एसीटाइलकोलिन का स्रावण करते हैं। इन्हें रासायनिक उद्दीपक न्यूरोझमर) कहते हैं। ये न्यूरोझमर के कारण Ca++ ऊतक द्रव्य से घुण्डियों में पहुंचते हैं जिसके प्रभाव से ऐसीटायलकोलीन मुक्त होकर पश्च साइनेप्टिक न्यूरॉन की कला की पारगम्यता को प्रभावित करता है। फलस्वरूप पुनः विद्युती सम्पोषण हो जाता है। शीघ्र ही एसीटिलकोलीन एस्टरेज नामक एन्जाइम ऊतक से बनता है जो ऐसीट्राइबलकोनन का विघटन कर ऐसीटेट तथा कोलीन में कर देता है और तन्त्रिका आवेग का प्रसारण हो जाता है

प्रश्न 16.  अंतः कर्ण में ध्वनि द्वारा तंत्रिका आवेग उत्पन्न होने की क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।

उत्तर: श्रवण - क्रिया इसका प्रमुख श्रेय कॉरटाई के अंग को जाता है। बाह्य वातावरण से उत्पन्न ध्वनि तरंगें बाह्य कर्ण द्वारा एकत्रित होकर कर्ण पटह से टकराती हैं। कर्ण परह के इस कम्पन को मध्यकर्ण में स्थित तीनों अस्थियाँ फेनेस्ट्रा ओवेलिस के ऊपर स्थित झिल्ली को पहुँचाती हैं। स्टेपीज के कम्पन को स्केला वैस्टीब्यूलाई में स्थित पेरीलिम्फ में पहुंचा देता है। इस कारण कम्पन वेग अनुसार पेरीलिम्फ का दबाव कभी घटता है, कभी बढ़ता है।

इस परिवर्तन के फलस्वरूप राइसनर कला में कम्पन उत्पन्न हो जाते हैं, ठीक इसी समय स्कैला टिम्पेनाई में दबाव बढ़ने से आधार कला में भी कम्पन होता है। इस तरह राइसनर तथा आधार कला के कम्पन से कोरटाई अंग की संवेदी कोशिकाएँ भी कम्मित हो उठती हैं। इन्हीं संवेदी कोशिकाओं से कम्पन प्रेरणाएं प्राप्त कर श्रवण तन्त्रिका मस्तिष्क को पहुंचाती हैं। जहाँ इन कम्पनों का विश्लेषण कर मनुष्य ध्वनि को सुनने व समझने में सक्षम हो पाता है।

प्रश्न 17. आच्छादित तन्त्रिकाक्ष के गुण बटीए। 

उत्तर: आच्छादित तन्त्रिकाक्ष 

1. ऐसे न्यूरोन जिनमें मायलिन आवरण पाया जाता है उसे आच्छादित तन्निकाक्ष अथवा मेडयूलेटेड अथवा माइलिनेटेड न्यूरोन कहते हैं।

2. इनका रंग सफेद होता है

3. इसलिए में श्वेत न्यूरोन भी कहते हैं।

4. तंत्रिकाक्ष (न्यूरोन) के चारों ओर श्वान कोशिकायें पायी जाती हैं जो मायलिन आवरण  बनाती हैं।

5. आच्छादी तत्रिका तंतु मेस व कपाल तन्त्रिकाओं में पाये जाते हैं। 

6. यह अनाचादित तनिकाक्ष की तुलना में तत्रिका संचरण की गति बढ़ा देते हैं।

प्रश्न 18. कपाल तन्त्रिकाएँ कितने प्रकार की होती है?

उत्तर: तीन प्रकार की होती हैं:

संवेदी (Sensory)

प्रेरक (Motor)

मिश्रित (Mixed)

प्रश्न 19. पीत बिंदु क्या होता है?

उत्तर: दृष्टि अक्ष पर स्थित रेटिना के भाग को पीत बिंद (Yellow Spot) कहते है।

 इसमें केवल शंकु (Cones) पाये जाते हैं।

इस पर सर्वाधिक स्पष्ट प्रतिबिम्ब का निर्माण होता है।

इसमें पीले वर्णक पाये जाते हैं।

यहाँ पर एक उभरा हुआ गर्त पाया जाता है जिसका मध्य बिन्दु फोबिया सेन्ट्रेलिस कहलाता है पीत बिन्दु पर नेत्र आवरण पाया जाता है।

प्रश्न 20. काचाभ द्रव किसे कखते है?

उत्तर:   लैन्स व रेटीना के बीच पाई जाने वाली गुहा को काचाभ द्रव कक्ष कहते हैं।