बिहार बोर्ड कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 7 जन्तुओं में संरचनात्मक संगठन लघु उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 11 जीव विज्ञान अध्याय 7 जन्तुओं में संरचनात्मक संगठन लघु उत्तरीय प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न1 लाल रुधिर कणिकाएँ प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं?

उत्तर :लाल रुधिर कणिकाएँ कशेरुकी जन्तुओं (vertebrates) में ही पाई जाती हैं। मानव में लाल रुधिराणु 75-8μ व्यास तथा 1-2μ मोटाई के होते हैं। पुरुषों में इनकी संख्या लगभग 50 से 55 लाख किन्तु स्त्रियों में लगभग 45 से 50 लाख प्रति घन मिमी होती है। ये गोलाकार एवं उभयावतल (biconcave) होती हैं। निर्माण के समय इनमें केन्द्रक (nucleus) सहित सभी प्रकार के कोशिकांग (cell organelle) होते हैं किन्तु बाद में केन्द्रक, गॉल्जीकाय, माइटोकॉन्ड्रिया, सेन्ट्रियोल आदि संरचनाएँ लुप्त हो जाती हैं, इसीलिए स्तनियों के लाल रुधिराणुओं को केन्द्रकविहीन (non-nucleated) कहा जाता है। ऊँट तथा लामा में लाल रुधिराणु केन्द्रकयुक्त (nucleated) होते हैं। लाल रुधिराणुओं में हीमोग्लोबिन (haemoglobin) प्रोटीन होती है। स्तनियों में इनका जीवनकाल लगभग 120 दिन होता है। वयस्क अवस्था में इनका निर्माण लाल अस्थिमज्जा में होता है। हीमोग्लोबिन, हीम (haem) नामक वर्णक तथा ग्लोबिन (globin) नामक प्रोटीन से बना होता है। हीम पादपों में उपस्थित क्लोरोफिल के समान होता है, जिसमें क्लोरोफिल के मैग्नीशियम के स्थान पर हीमोग्लोबिन में लौह (Fe) होता है।


UP Board Solutions for Class 11 Biology Chapter 7 Structural Organisation in Animals image 5

हीमोग्लोबिन के एक अणु का निर्माण हीम के 4 अणुओं के एक ग्लोबिन अणु के साथ संयुक्त होने से होता है। हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन परिवहन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


 2 लाल रुधिराणुओं के कार्य ।

उत्तर :लाल रुधिराणुओं के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं

यह एक श्वसन वर्णक है। यह ऑक्सीजन वाहक (oxygen carrier) के रूप में कार्य करता है। हीमोग्लोबिन का एक अणु ऑक्सीजन के चार अणुओं का संवहन करता है।

 शरीर के अन्त:वातावरण में pH सन्तुलन को बनाए रखने में हीमोग्लोबिन सहायता करता है।

कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन (transport) कार्बोनिक एनहाइड्रेज (carbonic anhydrase) नामक एन्जाइम की उपस्थिति में ऊतकों से फेफड़ों की ओर करता है

3 श्वेत रुधिर कणिकाएँ। प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं

उत्तर :श्वेत रुधिर कणिकाएँ अनियमित आकार की, केन्द्रकयुक्त, रंगहीन तथा अमीबीय (amoeboid) कोशिकाएँ हैं। इनके कोशिकाद्रव्य की संरचना के आधार पर इन्हें दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है

(अ) ग्रैन्यूलोसाइट्स (granulocytes) तथा

(ब) एग्रैन्यूलोसाइट्स (agranulocytes)।

4 ग्रेन्यूलोसाइट्स (Granulocytes) : प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं?

उत्तर :इनका कोशिकाद्रव्य कणिकामय तथा केन्द्रक पालियुक्त (lobed) होता है, ये तीन प्रकार की होती हैं

(i) बेसोफिल्स

(ii) इओसिनोफिल्स तथा

(iii) न्यूट्रोफिल्स।

5 बेसोफिल्स (Basophils) प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते है

उत्तर :ये संख्या में कम होती हैं। ये कुल श्वेत रुधिर कणिकाओं का लगभग 0-5 से 2% होती हैं। इनका केन्द्रक बड़ा तथा 2-3 पालियों में बँटा दिखाई देता है। इनका कोशिकाद्रव्य मेथिलीन ब्लू (methylene blue) जैसे— क्षारीय रजंकों से अभिरंजित होता है। इन कणिकाओं से हिपैरिन, हिस्टैमीन एवं सेरेटोनिन स्रावित होता है।

6  इओसिनोफिल्स या एसिडोफिल्स (Eosinophils or Acidophils)  प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं?

उत्तर :ये कुल श्वेत रुधिर कणिकाओं का 2-4% होते हैं। इनका केन्द्रक द्विपालिक (bilobed) होता है। दोनों पालियाँ परस्पर महीन तन्तु द्वारा जुड़ी रहती हैं। इनका कोशिकाद्रव्य अम्लीय रंजकों जैसे इओसीन से अभिरंजित होता है। ये शरीर की प्रतिरक्षण, एलर्जी तथा हाइपरसेन्सिटिवटी का कार्य करते हैं। परजीवी कृमियों की उपस्थिति के कारण इनकी संख्या बढ़ जाती है, इस रोग को इओसिनोफिलिया कहते हैं।

7 न्यूटोफिल्स या हेटेरोफिल्स (Neutrophils or Heterophils)  प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं?

उत्तर :ये कुल श्वेत रुधिर कणिकाओं का 60 – 70% होती हैं। इनका केन्द्रक बहुरूपी होता है। यह तीन से पाँच पिण्डों में बँटा होता है। ये सूत्र द्वारा परस्पर जुड़े रहते हैं। इनके कोशिकाद्रव्य को अम्लीय, क्षारीय व उदासीन तीनों प्रकार के रंजकों से अभिरंजित कर सकते हैं। ये जीवाणु तथा अन्य (UPBoardSolutions.com) हानिकारक पदार्थों का भक्षण करके शरीर की सुरक्षा करते हैं। इस कारण इन्हें मैक्रोफेज (macrophage) कहते हैं

 8 एग्रैन्यूलोसाइट्स (Agranulocytes) : प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं

उत्तर :इनका कोशिकाद्रव्य कणिकारहित होता है। इनका केन्द्रक अपेक्षाकृत बड़ा व घोड़े की नाल के आकार का (horse-shoe shaped) होता है। 

9 लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes)  प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं?

उत्तर :ये छोटे आकार के श्वेत रुधिराणु हैं। इनका कार्य प्रतिरक्षी (antibodies) का निर्माण करके शरीर की सुरक्षा करना है।

10 ) मोनोसाइट्स (Monocytes)  प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं?

उत्तर :ये बड़े आकार की कोशिकाएँ हैं, जो भक्षकाणु क्रिया (phagocytosis) द्वारा शरीर की सुरक्षा करती हैं।

11 उपास्थि अणु या कोन्ड्रोसाइट्स (Chondrocytes) : प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं?

उत्तर :उपास्थि (cartilage) के मैट्रिक्स में स्थित कोशिकाएँ कोन्ड्रोसाइट्स कहलाती है। ये गर्तिकाओं या लैकुनी (lacunae) में स्थित होती हैं। प्रत्येक गर्तिका में एक-दो या चार कोन्ड्रोसाइट्स होते हैं। कोन्ड्रोसाइट्स की संख्या वृद्धि के साथ-साथ उपास्थि में वृद्धि होती है। कोन्ड्रोसाइट्स द्वारा ही उपास्थि का मैट्रिक्स स्रावित होता है। यह कॉन्ड्रिन प्रोटीन (chondrin protein) होता है। उपास्थियाँ प्रायः अस्थियों के सन्धि स्थल पर पाई जाती हैं

12 तन्त्रिकाक्ष य़ा ऐक्सॉन (Axon) : प्राणियों के शरीर में कहाँ मिलते हैं

उत्तर :तन्त्रिका कोशिका (neuron) तन्त्रिकातन्त्र का निर्माण करती है। प्रत्येक तन्त्रिका कोशिका के तीन भाग होते हैं

साइटॉन (cyton)

 डेन्ड्रॉन्स (dendrons) तथा

 ऐक्सॉन (axon)।

साइटॉन से निकले प्रवर्षों में से एक प्रवर्ध अपेक्षाकृत लम्बा, मोटा एवं बेलनाकार होता है। इसे ऐक्सॉन (axon) कहते हैं। यह साइटॉन के फूले हुए भाग ऐक्सॉन हिलोक (axon hillock) से निकलता है। इसकी शाखाओं के अन्तिम छोर पर घुण्डी सदृश साइनेप्टिक घुण्डियाँ (synaptic buttons) होती हैं। ये अन्य तन्त्रिका कोशिका के डेन्ड्रॉन्स के साथ सन्धि बनाती हैं। ऐक्सॉन मेड्यूलेटेड (medullated) या नॉन-मेड्यूलेटेड (non-medullated) होते हैं। ऐक्सॉन श्वान कोशिकाओं (UPBoardSolutions.com) (Schwann cells) से बने न्यूरीलेमा (neurilemma) से घिरा होता है। मेड्यूलेटेड ऐक्सॉन में न्यूरीलेमा तथा ऐक्सॉन के मध्य वसीय पदार्थ माइलिन होता है।

13 पक्ष्माभ उपकला (Ciliated Epithelium) :

उत्तर :इसकी कोशिकाएँ स्तम्भकार या घनाकार होती : हैं। कोशिकाओं के बाहरी सिरों पर पक्ष्म या सीलिया होते हैं। प्रत्येक पक्ष्म के आधार पर एक आधारकण (basal granule) होता है। पक्ष्मों की गति द्वारा श्लेष्म व अन्य पदार्थ आगे की ओर धकेल दिए जाते हैं। यह श्वास नाल, ब्रौंकाई, अण्डवाहिनी, मूत्रवाहिनी आदि की भीतरी सतह पर पाई जाती हैं।

 14 उपकला ऊतक (Epithelial Tissue) :

संरचना तथा कार्यों के आधार पर उपकला ऊतक को दो समूहों में बाँटा जाता है-आवरण उपकला (covering epithelium) तथा ग्रन्थिल उपकला (glandular epithelium)।

14 . सरल उपकला या सामान्य एपिथीलियम (Simple Epithelium) 

उत्तर :यह उपकला उन स्थानों पर पाई जाती है, जो स्रावण, अवशोषण, उत्सर्जन आदि का कार्य करते हैं। यह निम्नलिखित पाँच प्रकार की होती हैं

15 ) सरल शल्की उपकला (Simple Squamous Epithelium) 

उत्तर ::कोशिकाएँ चौड़ी, चपटी, बहुभुजीय तथा परस्पर सटी रहती है। शल्की उपकला वायु कूपिकाओं, रुधिर वाहिनियों के आन्तरिक स्तर, हृदय के भीतरी स्तर, देहगुहा के स्तरों आदि में पाई जाती हैं।

16 सरल स्तम्भी उपकला (Simple Columnar Epithelium) :

उत्तर :इस उपकला की कोशिकाएँ लम्बी तथा परस्पर सटी होती हैं। आहारनाल की भित्ति का भीतरी स्तर इसी उपकला का बना होता है। ये पचे हुए खाद्य पदार्थों का अवशोषण भी करती हैं।

17  सरल घनाकार उपकला (Simple Cuboidal Epithelium) :

 उत्तर :उपकला की कोशिकाएँ घनाकार होती हैं। यह ऊर्तक श्वसनिकाओं, मूत्रजनन नलिकाओं, जनन ग्रन्थियों आदि में पाया जाता है। जनन ग्रन्थियों (gonads) में यह ऊतक जनन उपकला (germinal epithelium) कहलाता है।

18 पक्ष्माभी उपकला (Ciliated Epithelium)

:उत्तर :इसकी कोशिकाएँ स्तम्भाकार अथवा घनाकार होती हैं। इन कोशिकाओं के बाहरी सिरों पर पक्ष्म या सीलिया होते हैं। प्रत्येक पक्ष्म के आधार पर आधार कण (basal granule) होता है। पक्ष्मों की गति द्वारा श्लेष्म तथा अन्य पदार्थ आगे की ओर धकेले जाते हैं। यह उपकला श्वासनाल, अण्डवाहिनी (oviduct), गर्भाशय आदि में पाई जाती है।

 

 

19 ) कूटस्तरित उपकला (Pseudostratified Epithelium) :

 उत्तर : यह सरल स्तम्भाकार उपकला को रूपान्तरित स्वरूप है। इसमें कोशिकाओं के मध्य गोब्लेट या म्यूकस कोशिकाएँ स्थित होती हैं। ये ट्रेकिया, श्वसनियों (bronchi), ग्रसनी, नासिका गुहा, नर मूत्रवाहिनी (urethra) आदि में पाई जाती हैं।

20 . संयुक्त या स्तरित एपिथीलियम या उपकला (Compound or Stratified Epithelium) 

 उत्तर : इसमें उपकला अनेक स्तरों से बनी होती है। कोशिकाएँ विभिन्न आकार की होती हैं। कोशिकाएँ आधारकला (basement membrane) पर स्थित होती हैं। सबसे निचली पर्त की कोशिकाएँ निरन्तर विभाजित होती रहती हैं। बाहरी स्तर की कोशिकाएँ मृत होती हैं। कोशिकाओं की संरचना के आधार पर ये निम्नलिखित प्रकार की होती हैं

21 स्तरित शल्की उपकला (Stratified Squamous Epithelium)

:उत्तर : इसमें सबसे बाहरी स्तर की कोशिकाएँ चपटी वे शल्की होती हैं तथा सबसे भीतरी स्तर की कोशिकाएँ स्तम्भी या घनाकार होती हैं। आधारीय जनन स्तर की कोशिकाओं में निरन्तर विभाजन होने से त्वचा के क्षतिग्रस्त होने पर इसका पुनरुदभवन होता रहता है। स्तरित शल्की उपकला किरेटिनयुक्त या किरेटिनविहीन होती है। स्तरित शल्की उपकला त्वचा की अधिचर्म, मुखगुहा, ग्रसनी, ग्रसिका, योनि, मूत्रनलिका, नेत्र की कॉर्निया, नेत्र श्लेष्मा आदि में पाई जाती हैं।

22 अन्तवर्ती या स्थानान्तरित उपकला (Transitional Epithelium) 

उत्तर : इसमें आधारकला तथा जनन स्तर नहीं होता है। इसकी कोशिकाएँ लचीले संयोजी ऊतक पर स्थित होती हैं। सजीव कोशिकाएँ परस्पर अंगुली सदृश प्रवर्धा (interdigitation) द्वारा जुड़ी रहती हैं। ये कोशिकाएँ फैलाव व प्रसार के लिए रूपान्तरित होती हैं। यह मूत्राशय, मूत्रवाहिनियों (ureters) की भित्ति का भीतरी स्तर बनाती हैं। पर संवेदी रोम होते हैं। कोशिका के आधार से तन्त्रिका तन्तु (nerve fibres) निकलते 

23 तन्त्रिका संवेदी उपकला (Neurosensory Epithelium) 

:उत्तर : यह स्तम्भकार उपकला के रूपान्तरण से बनती है। कोशिकाओं के स्वतन्त्र सिरों। यह नेत्र के रेटिना (retina), घ्राण अंग की श्लेष्मिक कला,अन्त:कर्ण की उपकला आदि में पाई जाती है

25 ग्रन्थिल उपकला। 

 उत्तर : ये घनाकार या स्तम्भाकार उपकला से विकसित होती हैं। ग्रन्थिल कोशिकाएँ एकाकी या सामूहिक होती हैं।