पाठ का सारांश:
"जीव जगत का वर्गीकरण" बिहार बोर्ड कक्षा 11 की जीवविज्ञान पाठमाला का दूसरा अध्याय है जो छात्रों को जीव जगत के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इस पाठ में जीवों के वर्गीकरण के मूल सिद्धांत, जीव जगत के प्रमुख वर्गों की विशेषताएँ और उनके उदाहरण दिए गए हैं।
पाठ की महत्वपूर्ण बिंदुओं की चर्चा:
- वर्गीकरण का महत्व: पाठ में वर्गीकरण के मूल सिद्धांतों की समझ और उनके महत्व की व्याख्या की जाती है।
- बायोलॉजिकल नेमिंक्लेचर: छात्रों को वर्गीकरण में उपयोग होने वाले बायोलॉजिकल नेमिंक्लेचर के बारे में जानकारी प्रदान की जाती है।
- वर्गीकृत प्राणियों की विशेषताएँ: पाठ में प्रमुख जीव वर्गों, जैसे कि प्राणियों, वनस्पतियों, और फफूंदियों की विशेषताओं की चर्चा की जाती है।
पाठ का महत्व:
"जीव जगत का वर्गीकरण" पाठ बिहार बोर्ड कक्षा 11 जीवविज्ञान पाठमाला में छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पाठ उन्हें जीव जगत के विभिन्न प्रकारों की समझ प्रदान करता है। छात्रों को वर्गीकरण के मूल सिद्धांतों, वर्गीकृत प्राणियों के विभिन्न प्रकारों की जानकारी प्राप्त होती है जो उनकी जीवविज्ञान में बेहतर समझ और निरंतरता बनाती है।
आवश्यक बिंदुएं:
- वर्गीकरण के सिद्धांत: छात्रों को वर्गीकरण के मूल सिद्धांतों की समझानी चाहिए जैसे कि समानता और विविधता के आधार पर वर्गीकरण किया जाता है।
- वर्गीकृत प्राणियों की विशेषताएँ: प्रमुख जीव वर्गों की विशेषताओं की समझ से छात्र जीव जगत के विभिन्न प्रकारों को पहचान सकते हैं।
- वर्गीकरण के प्रमुख सिद्धांत: वर्गीकरण के प्रमुख सिद्धांतों की चर्चा छात्रों को विभिन्न प्रकार के जीवों के बीच समानताओं और विभिन्नताओं की समझ में मदद करती है।
महत्वपूर्ण प्रश्न:
प्रश्न 1: जगत कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: जगत (Kingdoms) मुख्य रूप से पाँच प्रकार के होते हैं। यह वर्गीकरण जीवों को उनके विशेष लक्षणों के आधार पर विभाजित करता है। इस वर्गीकरण प्रणाली को आर. एच. व्हिटेकर ने साल 1969 में पेश किया था. इस प्रणाली में वर्गीकरण का आधार है: कोशिका संरचना, पोषण पद्धति, शरीर संगठन, जीव का जातिवृतीय संबंध. ये पाँच जगत निम्नलिखित हैं:
- मोनरा (Monera): इसमें एककोशकीय, प्रोकैरियोटिक जीव शामिल होते हैं, जैसे बैक्टीरिया और साइनोबैक्टीरिया।
- प्रोटिस्टा (Protista): यह एककोशकीय, यूकैरियोटिक जीवों का समूह है, जैसे अमीबा, पैरामीशियम, और यूग्लीना।
- फंजाई (Fungi): इस जगत में कवक या फफूंद जैसे जीव शामिल होते हैं, जैसे मोल्ड्स, खमीर और मशरूम।
- प्लांटी (Plantae): इसमें सभी प्रकार के पौधे आते हैं, जो बहुकोशकीय और स्वपोषी (autotrophic) होते हैं।
- ऐनिमेलिया (Animalia): इस जगत में सभी प्राणी शामिल होते हैं, जो बहुकोशकीय और परपोषी (heterotrophic) होते हैं।
प्रश्न 2: प्रकार के जीव कौन से हैं?
उत्तर: आर्थ्रोपोडा (Arthropoda) प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। इसमें कठोर बाह्यकंकाल (exoskeleton) और संयुक्त उपांग (jointed appendages) वाले जीवों की एक विस्तृत विविधता पाई जाती है।
प्रश्न 3: प्लांटी जगत को कितने भागों में बांटा गया है?
उत्तर: वनस्पति जगत को दो श्रेणियों में बांटा गया है:
- क्रिप्टोग्राम (Cryptogams): बीजाणुओं द्वारा प्रजनन करते हैं, फूल और फल नहीं होते।
- उदाहरण: मॉस, फर्न, शैवाल।
- फ़ेनेरोगैम (Phanerogams): बीजों द्वारा प्रजनन करते हैं, फूल और फल होते हैं।
- उदाहरण: गाइनस्पर्म (Gymnosperms) जैसे पाइन, और एंजियोस्पर्म (Angiosperms) जैसे गुलाब, आम।
प्रश्न 4: प्जूलॉजी के कितने भाग होते हैं?
उत्तर: जीव विज्ञान की तीन प्रमुख शाखाएँ इस प्रकार हैं:
- सूक्ष्म जीव विज्ञान (Microbiology) - सूक्ष्मजीवों का अध्ययन (जैसे बैक्टीरिया, वायरस, आदि)।
- प्राणी विज्ञान (Zoology) - प्राणियों का अध्ययन।
- वनस्पति विज्ञान (Botany) - पौधों का अध्ययन।
प्रश्न 5: 8 पाँच जगत वर्गीकरण का आधार क्या है?
उत्तर: पाँच जगत वर्गीकरण का आधार निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
- कोशिका संरचना (Cell Structure): यह देखा जाता है कि जीवों की कोशिकाएं प्रोकैरियोटिक हैं या यूकैरियोटिक। उदाहरण के लिए, मोनरा में प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं होती हैं जबकि अन्य चार जगत (प्रोटिस्टा, फंजाई, प्लांटी और ऐनिमेलिया) में यूकैरियोटिक कोशिकाएं पाई जाती हैं।
- शारीरिक संगठन (Body Organization): जीवों का शारीरिक संगठन सरल (एककोशकीय) से लेकर जटिल (बहुकोशकीय) तक हो सकता है। बहुकोशकीय जीवों में ऊतकों, अंगों और अंग तंत्रों की उपस्थिति को भी ध्यान में रखा जाता है।
- पोषण का प्रकार (Mode of Nutrition):
- जीवों का पोषण का तरीका भी वर्गीकरण का महत्वपूर्ण आधार है:
- ऑटोट्रोफिक (Autotrophic): वे जीव जो स्वयं अपना भोजन बनाते हैं, जैसे प्लांटी (पौधे)।
- हेटरोट्रोफिक (Heterotrophic): वे जीव जो अन्य जीवों पर निर्भर करते हैं, जैसे फंजाई, ऐनिमेलिया आदि।
- सैप्रोट्रोफिक (Saprotrophic): फंजाई का उदाहरण जो मृत और सड़े हुए पदार्थों पर निर्भर रहती है।
- जनन की विधि (Mode of Reproduction): प्रजनन की विधि भी वर्गीकरण का आधार है। यह लैंगिक (sexual) और अलैंगिक (asexual) दोनों प्रकार का हो सकता है।
- जातिवृत्तीय संबंध (Phylogenetic Relationship): जातिवृत्तीय अध्ययन के आधार पर जीवों की उत्पत्ति और उनके संबंधों को वंशवृक्ष (phylogenetic tree) के माध्यम से दिखाया जा सकता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कौन से जीव आपस में कितने निकटतम रूप से जुड़े हुए हैं।
इस प्रकार, "जीव जगत का वर्गीकरण" पाठ बिहार बोर्ड कक्षा 11 के छात्रों के लिए जीवविज्ञान के मूल अवधारणाओं की समझ में मदद करने के साथ-साथ परीक्षा में भी उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए महत्वपूर्ण है।