बिहार बोर्ड कक्षा 11 रसायन विज्ञान अध्याय 12 कार्बनिक रसायन: कुछ आधारभूत सिद्धांत तथा तकनीकें लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. खुली श्रृंखला यौगिक अथवा अचक्रीय यौगिक अथवा ऐलिफैटिक यौगिक क्या हैं? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर : जिन कार्बनिक यौगिकों में कार्बन परमाणुओं की खुली श्रृंखला होती है, खुली श्रृंखला यौगिक अथवा अचक्रीय यौगिक कहलाते हैं। इन यौगिकों को ऐलिफैटिक यौगिक भी कहते हैं।
उदाहरणार्थ-
प्रश्न 2. बन्द श्रृंखला यौगिक अथवा चक्रीय यौगिक की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।
उत्तर : जिन कार्बनिक यौगिकों में परमाणुओं की एक या उससे अधिक बन्द श्रृंखलाएँ अथवा वलय होते हैं, बन्द श्रृंखला यौगिक अथवा चक्रीय यौगिक कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ-
प्रश्न 3. समचक्रीय तथा विषमचक्रीय यौगिक क्या होते हैं? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर : समचक्रीय यौगिक- वे यौगिक जिनमें वलय केवल कार्बन परमाणुओं का बना होता है, समुचक्रीय यौगिक कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-साइक्लोप्रोपेन, डाइफेनिल, बेंजीन, टॉलूईन आदि।। विषमचक्रीय यौगिक-वे बन्द श्रृंखला यौगिक जिनकी वलय में विषम परमाणु (कार्बन तथा हाइड्रोजन के अतिरिक्त अन्य परमाणु, जैसे– N , O , s आदि) होते हैं, विषमचक्रीय यौगिक कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ–फ्यूरेन, थायोफीन, पिरीडीन आदि।
प्रश्न 4. ऐलिसाइक्लिक यौगिक क्या हैं? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर : वे समचक्रीय यौगिक जिनके गुण ऐलिफैटिक यौगिकों के गुणों से मिलते-जुलते होते हैं, ऐलिसाइक्लिक यौगिक कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ-
प्रश्न 5. ऐरोमैटिक यौगिक क्या हैं? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर: ये विशेष प्रकार के चक्रीय असंतृप्त यौगिक हैं। इन यौगिकों के लिए ऐरोमैटिक शब्द का प्रयोग प्रारम्भ में खोजे गये कुछ यौगिकों की मीठी गन्धं होने के कारण किया गया था परन्तु अब दुर्गन्धयुक्त ऐरोमैटिक भी ज्ञात हैं।
उदाहरणार्थ-
प्रश्न 6. निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए|
उत्तर : (i) N , N -डाइमेथिल-2-मेथिल प्रोपेनाइन
(ii) आइसोप्रोप्रिल प्रोपोनेट
(iii) 3-मेथिल पेन्टानोइक ऐसिड
(iv) 2 , 4-डाइमेथिल हेक्सेन
(v) हेप्ट-5-ईन-3-आइन, 2- ओन
(vi) 3-ब्रोमो, 2-क्लोरो, 4-आयोडो हेक्सेन
(vii) हाइड्रॉक्सी 2-फेनिल प्रोपेनोइक ऐसिड
(viii) 2-ब्रोमो, एथिल प्रोपानोएट
(ix) N मेथिल 2-प्रोपेनामीन
(x) प्रोपेन 1 , 2 , 3-ट्राइकार्बोनाइट्राइल
(xi) 3-ब्रोमो, 3-क्लोरो, 2-मेथिल ब्यूटेनोइक ऐसिड
(xii) 4-हाइड्रॉक्सी 4-मेथिल, पेन्टेनोन-2
प्रश्न 7. IUPAC पद्धति में निम्नलिखित संरचना सूत्र वाले यौगिकों का नाम बताइए|
उत्तर :(i) ब्यूट -3-ईन -1-आइन
(ii) पेन्ट-3-ईन-1-आइन
(iii) 2 , 2 , 3-ट्राइक्लोरो ब्यूटेन-1 ऑल
(iv) 2-मेथिल 1 , 4-हेक्सेन-डाई-ऑल।
(v) 2-हाइड्रॉक्सी ब्यूटेन-1 ऑल
(vi) 2-एथिल-4-मेथिल हेक्सेन
(vii) 2-ब्यूटेनल
(viii) 2-प्रोपेनल
(ix) 3-मेथिल-पेन्टेन-2 ऑन
(x) हाइड्रॉक्सी ब्यूटेनोइक अम्ल
(xi) प्रोपेनॉइल क्लोराइड
(xii) 3-मेथिल ब्यूटेनॉइल क्लोराइड
प्रश्न 8. समतल ध्रुवित प्रकाश किसे कहते हैं? यह कैसे प्राप्त किया जाता है?
उत्तर : वह प्रकाश जिसमें कम्पन केवल एक ही तल में होते हैं, समतल ध्रुवित प्रकाश कहलाता है। साधारण प्रकाश की किरण को निकोल प्रिज्म में से प्रवाहित करने पर वह समतल ध्रुवित प्रकाश में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 9.ध्रुवण घूर्णकता क्या है?
उत्तर : कुछ पदार्थों में क्रिस्टलीय अवस्था या विलयन अवस्था में समतल ध्रुवित प्रकाश के तल को दायीं ओर या बायीं ओर घुमाने का गुण होता है। पदार्थों के इस गुण की ध्रुवण घूर्णकता कहते हैं।
उदाहरणार्थ-लैक्टिक अम्ल, टार्टरिक अम्ल, ग्लूकोस आदि।
प्रश्न 10. किरेल एवं अकिरेल अणु क्या होते हैं?
उत्तर: जो अणु दायें ओर बायें हाथों की भाँति अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होते हैं वे किरेल अणु कहलाते है।
उदाहरणार्थ- 2-ब्यूटेनॉल अणु। जबकि जो अणु दायें और बायें हाथों की भॉति अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित होते हैं, वे अकिरेल अणु कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ- 1-ब्यूटेनॉल अणु।
प्रश्न 11. कार्बोनियम आयन को उदाहरण सहित समझाइए। इसके दो गुण लिखिए।
उत्तर : वह धनावेशित आयन जिसमें कार्बन परमाणु पर धनावेश होता है तथा धनावेशित कार्बन परमाणु के संयोजी कोश में केवल 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं, कार्बोधनायन या कार्बोनियम आयन कहलाता है।
उदाहरणार्थ-
कार्बोनियन आयन के दो प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
(1) इनका अष्टक अपूर्ण होता है।
(2) ये धनावेशित होते हैं। अत: इनकी प्रकृति इलेक्ट्रॉनस्नेही होती है।
प्रश्न 12. कार्बनायन किसे कहते हैं? कार्बनायन की दो विशेषताएँ लिखिए। किसी एक कार्बनायन का सूत्र भी लिखिए।
उत्तर : वह ऋणावेशित आयन जिसमें कार्बन परमाणु पर ऋणावेश होता है तथा ऋणावेशित कार्बन के पास एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है, कार्बनायन कहलाता है।
उदाहरणार्थ-
कार्बनायनों की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं-
(1) ऋणावेशित कार्बन के पास एक-एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होता है।
(2) इनका निर्माण विषमांगी (हेटरोलिटिक) विदलन से होता है।
प्रश्न 13. मुक्त मूलक क्या होते हैं? ये किस प्रकार बनते हैं?
उत्तर : उदासीन परमाणु या परमाणुओं का समूह जिसके पास विषम या अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होता है, मुक्त मूलक कहलाता है। मुक्त मूलक के प्रतीक अथवा सूत्र में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन को एक बिन्दु द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
जैसे—क्लोरीन मुक्त मूलक को प्रदर्शित करता है। मुक्त मूलक बहुत अस्थायी और बहुत क्रियाशील होते हैं। मुक्त मूलक सह-संयोजी बन्ध में होमोलिटिक विदलन से उत्पन्न होता है।
जैसे—क्लोरीन अणु को मुक्त मूलकों में विखण्डन सूर्य के प्रकाश या ऊष्मा द्वारा होता है।
प्रश्न 14. नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर : यदि प्रतिस्थापन अभिक्रिया नाभिकस्नेही अभिकर्मक द्वारा सम्पन्न होती है तो उसे नाभिकस्नेही । प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं। इसे SNद्वारा प्रकट करते हैं। ऐल्किल हैलाइंडों की प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ नाभिकस्नेही अभिक्रियाएँ होती हैं।
उदाहरणार्थ-ऐल्किल हैलाइड का जलीय क्षारक द्वारा जल-अपघटन
प्रश्न 15. समावयवता किसे कहते हैं? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर : जिन यौगिकों के अणुसूत्र समान होते हैं परन्तु गुण भिन्न-भिन्न होते हैं समावयवी कहलाते हैं। तथा यह परिघटना समावयवता कहलाती है। उदाहरणार्थ-एथिल ऐल्कोहॉल और डाइमेथिल ईथर दोनों समावयवी हैं।
प्रश्न 16. संरचनात्मक समावयवता को परिभाषित कीजिए इसके प्रकार भी लिखिए।
उत्तर : संरचनात्मक समावयवता अणुओं के संरचना सूत्रों में भिन्नता होने के कारण उत्पन्न होती है। संरचनात्मक समावयवियों के अणुसूत्र तो समान होते हैं परन्तु उनके संरचना सूत्र भिन्न-भिन्न होते हैं। संरचनात्मक समावयवता के प्रमुख प्रकार निम्नवत् हैं-
(1) श्रृंखला समावयवता,
(2) स्थाने समावयवता,
(3) क्रियात्मक समूह समावयवता,
(4) मध्यावयवता तथा
(5) चलावयवता
प्रश्न 17. योगात्मक या संकलन अभिक्रियाएँ क्या हैं?
उत्तर : वे अभिक्रियाएँ जिनमें दो अणु संयोग करके एक अणु बनाते हैं योगात्मक या संकलन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। ये अभिक्रियाएँ सामान्यत: बहुआबन्ध युक्त कार्बनिक यौगिकों में होती हैं। इन अभिक्रियाओं में एक - आबन्धका विदलन हो जाता है तथा दो -आबन्ध बनते हैं।
उदाहरणार्थ-
प्रश्न 18. मुक्त मूलक प्रतिस्थापन अभिक्रिया को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर : यदि प्रतिस्थापन अभिक्रिया मुक्त मूलक अभिकर्मक द्वारा सम्पन्न होती है तो उसे मुक्त मूलक प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरणार्थ-विसरित प्रकाश में मेथेन तथा क्लोरीन की अभिक्रिया
इस अभिक्रिया में आक्रमणकारी अभिकर्मक एक मुक्त मूलक (Cl.) होता है।
प्रश्न 19. SN1 अभिक्रिया से क्या अभिप्राय है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर इस अभिक्रिया में आक्रमणकारी अभिकर्मक नाभिकस्नेही जैसे-OH- , CN- आदि होते हैं। इन अभिक्रियाओं की दर केवल एक स्पीशीज के सान्द्रण पर निर्भर करती है अतः इन अभिक्रियाओं को SM1 से प्रदर्शित करते हैं।
उदाहरण—-ब्यूटिल क्लोराइड की जल तथा ऐसीटोन के मिश्रण में सोडियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रिया द्वारा 1-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल बनता है।
प्रश्न 20. श्रृंखला समावयवता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर : श्रृंखला समावयवता अणुओं के कार्बन श्रृंखला की रचना में भिन्नता होने के कारण उत्पन्न होती है। श्रृंखला समावयवियों के अणुसूत्र तो समान होते हैं, परन्तु उनकी कार्बन श्रृंखलाओं की रचना में भिन्नता होती है। श्रृंखला समावयवी समान सजातीय श्रेणी के सदस्य होते हैं।
उदाहरणार्थ-ब्यूटेन के दो श्रृंखला समावयवी हैं जिनके संरचना सूत्र निम्नवत् हैं-
प्रश्न 21. स्थान समावयवता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : स्थान समावयवता कार्बन श्रृंखला में किसी प्रतिस्थापी समूह या युग्म बन्ध के स्थान में भिन्नता होने के कारण उत्पन्न होती है। स्थान समावयवियों के अणुसूत्र एवं कार्बन श्रृंखला की रचना तो समान होती है परन्तु उनकी कार्बन श्रृंखला में प्रतिस्थापी समूह या युग्म बन्ध का स्थान भिन्न होता है। स्थान समावयवी भी सजातीय श्रेणी के सदस्य होते हैं।
उदाहरणार्थ- 1-ब्यूटीन और 2-ब्यूटीन, ब्यूटीन के दो स्थान समावयवी हैं।
प्रश्न 22. क्रियात्मक समूह समावयवता को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर : क्रियात्मक समूह समावयवता अणुओं में भिन्न क्रियात्मक समूहों की उपस्थिति के कारण होती है। क्रियात्मक समूह समावयवियों के अणुसूत्र तो समान होते हैं परन्तु उनमें क्रियात्मक समूह भिन्न-भिन्न होते हैं। क्रियात्मक समूह समावयवी भिन्न-भिन्न सजातीय श्रेणियों के यौगिक होते हैं।
उदाहरणार्थ-एथिल ऐल्कोहॉल तथा डाइमेथिल ईथर क्रियात्मक समूह समावयवी हैं।
प्रश्न 23. मध्यावयवता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर : मध्यावयवता किसी द्वि-संयोजी क्रियात्मक समूह से जुड़े ऐल्किल समूहों की प्रकृति में भिन्नता होने के कारण उत्पन्न होती है। मध्यावयवियों के अणुसूत्र तो समान होते हैं परन्तु उनमें द्वि-संयोजी क्रियात्मक समूह में जुड़े ऐल्किल समूहों की प्रकृति भिन्न-भिन्न होती है। मध्यावयवी एक ही सजातीय श्रेणी के सदस्य होते हैं। ईथर, ऐल्किल सल्फाइड, द्वितीयक ऐमीन, एस्टर आदि मध्यावयवता प्रदर्शित करते हैं।
उदाहरणार्थ-डाइएथिले सल्फाइड एवं मेथिल-n-प्रोपिल सल्फाइड मध्यावयवी हैं।
प्रश्न 24. त्रिविम समावयवती को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर : जब अणुओं में अनके परमाणुओं की आकाशीय व्यवस्था (विन्यास) में भिन्नता होती है तो यह परिघटना त्रिविम समावयवता कहलाती है। त्रिविम समावयवियों के अणुसूत्र एवं संरचना सूत्र तो समान होते हैं परन्तु उनके परमाणुओं की आकाशीय व्यवस्था भिन्न-भिन्न होती है।
उदाहरणार्थ- 2-ब्यूटीन की निम्नलिखित दो त्रिविम संरचनाएँ सम्भव हैं|
प्रश्न 25. त्रिविम समावयवियों के प्रकार बताइए।
उत्तर : त्रिविम समावयवी मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-
(1) प्रतिबिम्ब रूप तथा
(2) अप्रतिबिम्बी त्रिविम समावयव
जो त्रिविम समावयवी बायें एवं दायें हाथों के सदृश एक-दूसरे के अन-अध्यारोपणीय दर्पण प्रतिबिम्ब रूप कहलाते हैं जबकि जो त्रिविम समावयवी एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब नहीं होते हैं, वे अप्रतिबिम्बी त्रिविम समावयवी कहलाते हैं।