बिहार बोर्ड कक्षा 11 रसायन विज्ञान अध्याय 13 हाइड्रोकार्बन लघु उत्तरीय प्रश्न
Launch Your Course Log in Sign up
Menu
Classes
Competitive Exam
Class Notes
Graduate Courses
Job Preparation
IIT-JEE/NEET
vidyakul X
Menu

बिहार बोर्ड कक्षा 11 रसायन विज्ञान अध्याय 13 हाइड्रोकार्बन लघु उत्तरीय प्रश्न

ASC

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. ऐल्काइन के द्रव अमोनिया में सोडियम द्वारा अपचयन के फलस्वरूप विपक्ष ऐल्कीन बनती है। क्या 2- ब्यूटाइन के इस प्रकार हुए अपचयन के फलस्वरूप ब्यूटीन ज्यामितीय समावयवता प्रदर्शित करेगी?

उत्तर:

2-ब्यूटाइन के अपचयन से प्राप्त विपक्ष-2-ब्यूटीन ज्यामितीय समावयवता प्रदर्शित करती है।


प्रश्न 2. एल्केनों से एल्कीन की अधिक क्रियाशीलता का क्या कारण है ?

उत्तर: एल्केनों में C-C के मध्य केवल आबन्ध होता है। जबकि एल्कीन में C=C  के मध्य एक - आबन्ध और एक आबंध होता है। पार्वीय अतिव्यापन के कारण बंध, बंध से दुर्बल होता है। इस कारण ऐल्कीन, ऐल्केनों से अधिक क्रियाशील है। 1 आबंध की आबन्ध ऊर्जा (251 kJ/mol) आबंध की आबंध ऊर्जा (347 kJ/mol) से कम होने के कारण भी इनकी क्रियाशीलता ऐल्केन से अधिक होती है।

प्रश्न 3. असममित कार्बन किसे कहते हैं ?

उत्तर: वह कार्बन परमाणु जिससे चार भिन्न समूह या परमाणु जुड़े रहते हैं। असममित कार्बन परमाणु कहलाता है। इस असममित कार्बन की उपस्थिति के कारण यौगिक असममिति दर्शाता है तथा प्रकाश घूर्णकता का गुण दर्शाता है।

प्रश्न 4. किरेलता से क्या समझते हो?

उत्तर: वे अणु जो अपने दर्पण प्रतिबिम्ब पर अध्यारोपित नहीं होते हैं किरेल अणु कहलाते हैं तथा इस गुण को किरेलता कहते हैं। किरेल अणु ध्रुवण घूर्णक होते हैं। अणु में उपस्थित किरेलता असममित कार्बन परमाणु की उपस्थिति के कारण होती है। जिन अणुओं में किरेलता होती है वे ध्रुवण घूर्णक होते हैं लेकिन असममित कार्बन परमाणु युक्त अणु में ध्रुवण घूर्णकता हो यह जरूरी नहीं है। वे ध्रुवण घूर्णक हो भी सकते हैं और नहीं भी।

प्रश्न 5. ऐल्केन किसे कहते हैं ? तथा इनमें किस प्रकार के बंध होते हैं ?

उत्तर: ऐल्केन संतृप्त हाइड्रोकार्बन हैं। इन्हें पैराफिन भी कहते हैं। ये अत्यन्त कम क्रियाशील होते हैं तथा अधिक स्थायी होते हैं। इनका सामान्य सूत्र – CnH2n+2 होता है। ऐल्केन में कार्बन – कार्बन के मध्य एकल बंध व 6 बंध होता है तथा कार्बन-हाइड्रोजन बंध भी बंध होता है। ऐल्केन में प्रत्येक कार्बन sp3 संकरित अवस्था में होता है।

उदाहरण – मेथेन CH4 एथेन C2H6.

प्रश्न 6. ऐल्कीन किसे कहते हैं ? इनमें कार्बन किस संकरित अवस्था में होता है ?

उत्तर: ऐल्कीन असंतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं। इन्हें ओलीफिन भी कहते हैं। ये ऐल्केन की तुलना में अधिक क्रियाशील होते हैं तथा इनका स्थायित्व ऐल्केन की तुलना में कम होता है। ये सरलता से योगात्मक अभिक्रिया देते हैं। इनका सामान्य सूत्र CnH2n-2 होता है। ऐल्कीन में कार्बन-कार्बन के बीच द्विबंध होता है तथा कार्बन sp संकरित अवस्था में होता है। 

उदाहरण – एथिलीन CH2=CH2 प्रोपीलीन CH3-CH=CH2

प्रश्न 7. ऐल्काइन किसे कहते हैं ? तथा इनमें किस प्रकार के बंध होते हैं?

उत्तर: ऐल्काइन असंतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं। ये अत्यधिक क्रियाशील होते हैं तथा अत्यधिक अस्थायी होते हैं। इनका सामान्य सूत्र CnH2n+1 होता है।
कार्बन – कार्बन के मध्य त्रिबंध होता है। जिसमें एक बंध व दो 7 बंध होते हैं तथा दोनों कार्बन sp  संकरित अवस्था में होते हैं।
उदाहरण – एसीटिलीन CH=CH , प्रोपाईन CH3-CCH2

प्रश्न 8. समपक्ष-विपक्ष समावयवता क्या होती है ? उदाहरण सहित समझाइये।

उत्तर: समपक्ष-विपक्ष समावयवता को ज्यामितीय समावयवता भी कहते हैं, जो युग्म बंध युक्त ऐसे यौगिकों के द्वारा दर्शायी जाती है, जिनमें युग्म बन्धित कार्बन परमाणु दो भिन्न परमाणुओं या समूहों द्वारा जुड़े रहते हैं। जब समान समूह या हाइड्रोजन परमाणु द्विबंध के एक ही ओर स्थित होते हैं तो प्राप्त यौगिक समपक्ष समावयवयी तथा जब विपरीत ओर स्थित होते हैं, तो प्राप्त यौगिक विपक्ष समावयवयी कहलाता है।

उदाहरण – CH3CH=CH-CH3

प्रश्न 9. ऐसीटिलीन से नाइट्रोबेन्जीन आप किस प्रकार प्राप्त करोगे?

उत्तर:

प्रश्न 10. साइक्लोहेक्सेन की तुलना में साइक्लोप्रोपेन अधिक क्रियाशील होता है, क्यों ?

उत्तर: साइक्लोप्रोपेन में C-C-C बंध कोण 60 का होता है, जिसके कारण वलय तनाव में होता है इसलिये इसका स्थायित्व कम तथा क्रियाशीलता अधिक होती है। जबकि साइक्लोहेक्सेन में C-C-C बंध कोण 10928  के पास होता है, जिसके कारण वलय का तनाव कम होता है, जिसके कारण इसका स्थायित्व अधिक और क्रियाशीलता कम होती है।

प्रश्न 11. क्रियात्मक समावयवता को उदाहरण सहित समझाइये।

उत्तर: जब दो या दो से अधिक यौगिकों में अलग-अलग क्रियात्मक समूह उपस्थित हों पर उनका अणुसूत्र एक ही हो तो इस प्रकार उत्पन्न समावयवता को क्रियात्मक समावयवता कहते हैं।

उदाहरण – C2H6O

CH3-O-CH2C2H5-OH

प्रश्न 12. एरीन में कौन-सी समावयवता पायी जाती है ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

एरीन में स्थिति समावयवता पायी जाती है। टॉलुईन के अतिरिक्त सभी बेंजीन के यौगिकों में स्थिति समावयवता होती है।

उदाहरण – C8H10 चार समावयवयी रूपों में मिलता है|

प्रश्न 13. ऐल्काइन की अम्लीय प्रकृति को दर्शाने के लिये एक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर: वे ऐल्काइन जिनके अणु के अंतिम छोर में त्रिबंध होता है, वे दुर्बल अम्ल की तरह कार्य करते हैं । ऐसे ऐल्काइन की अभिक्रिया Na , Ca जैसी क्रियाशील धातुओं से कराने पर ये हाइड्रोजन मुक्त करते हैं तथा इनके व्युत्पन्न प्राप्त होते हैं, जिन्हें एसीटिलाइड कहते हैं।

प्रश्न 14. बेयर अभिकर्मक क्या है, तथा इससे असंतृप्तता का परीक्षण कैसे करते हैं ?
उत्तर: क्षारीय KMnO4 को बेयर अभिकर्मक कहते हैं। असंतृप्त हाइड्रोकार्बन की अभिक्रिया बेयर अभिकर्मक से कराने पर क्षारीय KMnO4 का रंग उड़ जाता है। इसलिये इसका उपयोग यौगिक की असंतृप्तता के परीक्षण के लिये करते हैं।

प्रश्न 15. ऐल्कीन पर बेयर अभिकर्मक की अभिक्रिया को समीकरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: एथिलीन कमरे के ताप पर 1% क्षारीय KMnO4 अर्थात् बेयर अभिकर्मक के साथ अभिक्रिया कराने पर एथिलीन ग्लाइकॉल बनाता है तथा इस योगात्मक अभिक्रिया के कारण KMnO4 का गुलाबी रंग उड़ जाता है।

प्रश्न 16. परॉक्साइड प्रभाव क्या है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर: यदि कार्बनिक परॉक्साइड जैसे बेंजॉयल परॉक्साइड की उपस्थिति में असममित एल्कीन या एल्काइन पर असममित अभिकर्मक का योग कराया जाता है तो अभिक्रिया मार्कोनीकॉफ नियम के विपरीत होती है। इस अभिक्रिया को प्रति मार्कोनीकॉफ नियम या परॉक्साइड प्रभाव या खराश प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 17. एथेन, एथिलीन तथा एसीटिलीन में विभेद कैसे करते हैं ? परीक्षण सहित समझाइए।
उत्तर: एथेन, एथिलीन तथा एसीटिलीन में विभेद –

 

परीक्षण

ऐल्केन

(एथेन)

ऐल्कीन

(एथिलीन)

एल्काइन

(एसीटिलीन)

1.बेयर अभिकर्मक

2.ब्रोमीन जल

3.अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट के साथ अभिक्रिया

1.कोई अभिक्रिया नहीं

2. कोई अभिक्रिया नहीं

3.कोई अभिक्रिया नहीं

1.रंगहीन

2.रंगहीन

3.कोई अभिक्रिया नहीं

1.रंगहीन

2.रंगहीन

3.सिल्वर एसीटिलाइड का सफेद अवक्षेप ।

 

प्रश्न 18. बर्थलोट संश्लेषण क्या है ?
उत्तर: दो कार्बन इलेक्ट्रोड के बीच विद्युत् आर्क में से हाइड्रोजन गैस की धारा प्रवाहित करने पर एसीटिलीन प्राप्त होता है। इसे बर्थलोट संश्लेषण कहते हैं।

प्रश्न 19. वेस्ट्रॉन तथा वेस्ट्रॉसोल क्या है ?
उत्तर: (1) ऐसीटिलीन पर CCl4, विलायक की उपस्थिति में हैलोजन की योगात्मक अभिक्रिया से बना .. यौगिक वेस्ट्रॉन कहलाता है।

(2) वेस्ट्रॉन को ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ गर्म किया जाता है तो विहाइड्रो – हैलोजनीकरण के कारण वेस्ट्रॉसोल प्राप्त होता है।

प्रश्न 20. प्रोटोट्रॉफी किसे कहते हैं ?
उत्तर: प्रोपाइन पर जलयोजन होने पर इनॉल व कीटो रूप प्राप्त होते हैं। यह चलावयवता समावयवता को प्रदर्शित करते हैं तथा इस प्रकार की समावयवता उन यौगिकों में होती है, जिनमें कम-से-कम एक हाइड्रोजन होता है तथा एक स्थिति से दूसरे तक प्रोटॉन के स्थानांतरण के कारण उत्पन्न होती है इसे प्रोटोट्रॉफी कहते हैं।

प्रश्न 21. संरूपण समावयवता किसे कहते हैं ?
उत्तर: कार्बन-कार्बन एकल बंध के मध्य घूर्णन के कारण जो विभिन्न आकाशीय व्यवस्थाएँ उत्पन्न होती हैं वे संरूपी कहलाती हैं तथा संरूपियों से सम्बन्धित आण्विक ज्यामिति को संरूपण समावयवता कहते हैं।

प्रश्न 22.बहुलीकरण अभिक्रिया को उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर: वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक सरल इकाई जिन्हें एकलक कहते हैं। परस्पर संयोजन कर एक जटिल अणु का निर्माण करते हैं बहुलक कहलाते हैं तथा इस अभिक्रिया को बहुलीकरण कहते हैं।
उदाहरण – एथिलीन अणुओं के बहुलीकरण से पॉलीएथिलीन बनता है।

प्रश्न 23. एल्कीन इलेक्ट्रॉन स्नेही योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करती है, जबकि ऐरीन इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करती है। कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: एल्कीन ढीले बँधे - इलेक्ट्रॉनों के धनी स्रोत होते है, जिसके कारण ये इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करता है। ऐल्कीनों की इलेक्ट्रॉन स्नेही योगात्मक अभिक्रियाओं में ऊर्जा में अत्यधिक बदलाव आता है। जिसके कारण ये इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं की अपेक्षा ऊर्जात्मक रूप से अधिक प्रभावी होती है। एरीन में इलेक्ट्रॉन स्नेही योगात्मक अभिक्रिया के दौरान बेंजीन वलय की ऐरोमैटिक प्रकृति नष्ट हो जाती है जबकि इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया में यह स्थिर रहती है। ऐरीन की इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ ऊर्जात्मक रूप से इलेक्ट्रॉन स्नेही योगात्मक अभिक्रियाओं की अपेक्षा अधिक प्रभावी होती है।

प्रश्न 24.ज्यामितीय समावयवता की आवश्यक शर्ते क्या हैं ?
उत्तर: ज्यामितीय समावयवता के लिये निम्नलिखित शर्ते आवश्यक हैं –

(1) इसमें कम-से-कम एक कार्बन-कार्बन द्विबंध होना चाहिए।

(2) द्विबंधित कार्बन परमाणु से जुड़े परमाणु या समूह भिन्न-भिन्न होने चाहिए।

प्रश्न 25.ऑक्टेन संख्या से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: विभिन्न ईंधनों के तुलनात्मक अपस्फोटरोधी गुण को व्यक्त करने के लिए एडगर ने सन् 1927 में ऑक्टेन अंक शब्द प्रयुक्त किया, जिसके अनुसार किसी ईंधन की ऑक्टेन संख्या आवश्यकतानुसार आइसो ऑक्टेन के मिश्रण में उपस्थित होती है, जिसका किसी मानक इंजन में अपस्फोटन दिये हुए ईंधन के अपस्फोटन के बराबर होता है, अर्थात् किसी ईंधन की ऑक्टेन संख्या, हेप्टेन तथा आइसो ऑक्टेन के मिश्रण में आइसो ऑक्टेन का प्रतिशत होती है।