बिहार बोर्ड कक्षा 11 रसायन विज्ञान अध्याय 4 रासायनिक आबंध तथा आण्विक संरचना लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न:1 त्रिगुण का नियम क्या है?
उत्तर: त्रिकोणीय नियम में कहा गया है कि त्रि में पहले और तीसरे तत्व के परमाणु द्रव्यमान का अंकनगणितीय माध्य उस त्रि में दूसरे तत्व के परमाणु द्रव्यमान के लगभग बराबर होंगे।
प्रश्न:2 सप्तक का नियम क्या है?
उत्तर:सप्तक का नियम कहता है कि जब तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के क्रम में व्यवस्थित किया जाता है तो प्रत्येक आठवें तत्व के समान गुण होते हैं।
प्रश्न:3 डॉबेराइनर के ट्रिक को क्यों खारिज कर दिया गया था।
उत्तर: डॉबेराइनर के त्रिक को हटा दिया गया क्योंकि यह सभी ज्ञात तत्वों को त्रिक के रूप में सरल करने में असफल हो रहा है।
प्रश्न:4 न्यूलैंड्स के अष्टक नियम को क्यों खारिज किया गया?
उत्तर: न्यूलैंड्स के ऑक्टेव्स के नियम को खारिज कर दिया गया क्योंकि यह कैल्शियम से परे बड़े तत्वों की व्यवस्था में गड़बड़ी कर रहा है।
प्रश्न:5 सहसंयोजक बांड कितने प्रकार के होते है?
उत्तर: सहसंयोजक बांड के प्रकार:
साझा इलेक्ट्रॉन जोड़े की संख्या के आधार पर, सहसंयोजक बंधन को वर्गीकृत किया जा सकता है:
1.एकल सहसंयोजक बंधन
2.डबल सहसंयोजक बंधन
3.ट्रिपल सहसंयोजक बंधन
प्रश्न:6 आबंध प्रबलता को आबंध-कोटि के रूप में आप किस प्रकार व्यक्त करेंगे?
उत्तर-आबंध कोटि बढ़ने पर आबंध प्रबलता का मान भी बढ़ता है।
प्रश्न:7 आबंध लंबाई की परिभाषा दीजिए।
उत्तर: किसी अणु की बंध लम्बाई अणु में आबंधित परमाणुओं के नाभिकों के मध्य साम्यावस्था पर दूरी का मान होता है।
प्रश्न:8 ध्रुवीय सहसंयोजी आबंध से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: दो असमान परमाणुओं के मध्य बनने वाला सहसंयोजी बंध में इनके विद्युत्-ऋणात्मकता में अन्तर के कारण ध्रुवीय गुण होता है क्योंकि आबंधित इलेक्ट्रॉन युग्म अधिक विद्युत्-ऋणात्मक परमाणु की ओर विस्थापित हो जाता है। ऐसा बंध ध्रुवीय सहसंयोजी बंध कहलाता है।
प्रश्न:9 चतुष्फलकीय ज्यामिति के अलावा CH4 अणु की एक और संभव ज्यामिति वर्गसमतलीय है, जिसमें हाइड्रोजन के चार परमाणु एक वर्ग के चारों कोनों पर होते हैं। व्याख्या कीजिए कि CH4 का अणु वर्ग-समतलीय नहीं होता है।
उत्तर: वर्ग समतलीय ज्यामिति में बंध कोण 90° का होता है जिसमें चतुष्फलकीय ज्यामिति बंध कोण 109°28′ की तुलना में अधिक प्रतिकर्षण (कम स्थायित्व) होता है। अत: अधिक स्थाई अवस्था (कम प्रतिकर्षण)वाली अवस्था चतुष्फलकीय ज्यामिति ही CH4 की वास्तविक अवस्था होगी।
प्रश्न:10 इलेक्ट्रॉनों की आबंधी युग्म तथा एकाकी युग्म से क्या समझते हैं?
उत्तर: इलेक्ट्रॉनों के वे युग्म आबन्धी युग्म कहलाते हैं जो दो परमाणुओं के मध्य साझा करके बन्ध बनाते हैं जबकि परमाणु पर उपस्थित वो इलेक्ट्रॉन युग्म जो बन्ध बनाने में भाग नहीं लेते हैं एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म कहलाते हैं।
प्रश्न:11 कक्षकों के निरूपण में प्रयुक्त धन (+) तथा ऋण (-) चिन्हों का क्या महत्व होता है?
उत्तर: इलेक्ट्रॉन तरंग फलन में धन एवं ऋण चिन्ह, नाभिक से तरंग फलन की दिशा दर्शाते हैं। समान चिन्ह वाले तरंग फलनों के योग से आबंधी आण्विक कक्षक बनते हैं जबकि विपरीत चिन्ह वाले तरंग फलनों के योग से विपरीत बन्धी आण्विक कक्षक बनते हैं।
प्रश्न:12 हाइड्रोजन आबंध की परिभाषा दीजिए। यह वाण्डर वाल्स बलों की अपेक्षा प्रबल होते हैं या दुर्बल?
उत्तर: हाइड्रोजन बंध H – परमाणु व विद्युत्ऋणी परमाणु (N, O, F) के मध्य आकर्षण बल है। हाइड्रोजन बंध, वाण्डर वाल्स बलों की तुलना में प्रबल होता है क्योंकि हाइड्रोजन बंध में प्रबल द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्य क्रिया होती है जबकि वाण्डर वाल्स बल प्रकीर्णन का दुर्बल बल है।
प्रश्न:13 ‘आबंध कोटि’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: आबंध कोटि-अणु या आयन के दो परमाणुओं के बीच उपस्थित बंधों की संख्या आबंध कोटि (Bond order) कहलाती है।
प्रश्न:14 रासायनिक बंध किसे कहते हैं?
उत्तर: सभी पदार्थों में परमाणु संयुक्त अवस्था में पाये जाते हैं तथा परमाणुओं के संयोग से विद्युत् आवेश रहित कण बनते हैं, वे अणु कहलाते हैं तथा किसी भी अणु में पाये जाने वाले परमाणुओं के मध्य पाये जाने वाला आकर्षण ही रासायनिक बंध कहलाता है।
प्रश्न:15 एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म से क्या समझते हैं?
उत्तर: किसी परमाणु के संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन युग्म जो बंध निर्माण में भाग नहीं लेता है। अर्थात् बंध निर्माण के पश्चात् संयोजी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन युग्म जो परमाणु में शेष रहता है, एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म कहलाता है। जैसे – H2O अणु में केन्द्रीय परमाणु ऑक्सीजन के पास दो एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म होते हैं।
प्रश्न:16 द्विध्रुव आघूर्ण से क्या समझते हैं?
उत्तर: किसी बंध का द्विध्रुव आघूर्ण परमाणुओं पर उपस्थित आवेश की मात्रा तथा उनके बीच की दूरी के गुणनफल के बराबर होता है। यह एक सदिश राशि है तथा इसकी सहायता से किसी बंध की आयनिक प्रतिशतता की गणना की जा सकती है। इसे µ से दर्शाते हैं।
प्रश्न:17 हाइड्रोजन बंध से क्या समझते हैं?
उत्तर: किसी अणु में उपस्थित सहसंयोजी बंध द्वारा जुड़े हाइड्रोजन परमाणु और उसी यौगिक के अन्य अणु के प्रबल ऋण विद्युती तत्व के बीच कार्य कर रहे स्थिर वैद्युत आकर्षण बल को हाइड्रोजन बंध कहते हैं, इसे बिन्दुकित रेखा द्वारा दर्शाते हैं। हाइड्रोजन बंध दो प्रकार के होते हैं –
1. अन्तर अणुक हाइड्रोजन बंध,
2.अन्तःअणुक हाइड्रोजन बंध।
प्रश्न:18 ग्लिसरॉल की श्यानता एथेनॉल से अधिक है, क्यों?
उत्तर: एथेनॉल अणु में एक हाइड्रॉक्सिल समूह होता है जबकि प्रत्येक ग्लिसरॉल में तीन OH समूह होते हैं जो तीन हाइड्रोजन बंध बनाते हैं अर्थात् ग्लिसरॉल में हाइड्रोजन बंध बनाने की प्रवृत्ति एथेनॉल से अधिक है। इसलिये ग्लिसरॉल की श्यानता एथेनॉल से अधिक है।
प्रश्न:19 सल्फ्यूरिक अम्ल के उच्च क्वथनांक तथा उच्च श्यानता का कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: H2SO4 अणु में उच्च ऋणविद्युतता होने के कारण हाइड्रोजन बंध बनाने की प्रवृत्ति होती है। H-बंध के कारण H2SO4 के अणु संगुणित अवस्था में होते हैं। इस अंतर अणुक हाइड्रोजन बंध के कारण ये सरलता से वाष्पित नहीं होते हैं इसलिये इनके क्वथनांक तथा श्यानता उच्च होती है।
प्रश्न:20 किसी अणु द्वारा हाइड्रोजन बंध निर्माण के लिये प्रमुख शर्ते क्या हैं?
उत्तर: किसी अणु द्वारा हाइड्रोजन बंध बनने की शर्ते निम्नलिखित हैं –
1.किसी अणु में हाइड्रोजन से जुड़े सहसंयोजी बंध द्वारा जुड़े परमाणु की ऋणविद्युतता अत्यधिक उच्च होनी चाहिए।
2. हाइड्रोजन से सहसंयोजी बंध द्वारा जुड़े परमाणु की परमाणु त्रिज्या कम होनी चाहिये।
प्रश्न:21 (सिग्मा) σ बंध किसे कहते हैं?
उत्तर: जब अर्धपूर्ण कक्षक एक-दूसरे के साथ सम्मुख अतिव्यापन करते हैं तो बंध बनता है। इस प्रकार का बंध s – s, S – p तथा p – p कक्षकों के सम्मुख अतिव्यापन के फलस्वरूप बनते हैं। यह प्रबलतम बंध है तथा इलेक्ट्रॉनों का घनत्व अंतः नाभिकीय अक्ष पर अधिकतम होता है।
प्रश्न:22 सोडियम एक प्रबल विद्युत् धनात्मक तत्व है, क्यों?
उत्तर: सोडियम का परमाणु क्रमांक 11 है तथा इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है। इसके बड़े आकार के कारण इनकी आयनन ऊर्जा का मान अत्यन्त कम होता है, जिसके फलस्वरूप ये सरलता से इलेक्ट्रॉन का त्याग कर धनायन बनाते हैं। इसलिये ये प्रबल धनविद्युती तत्व हैं।
प्रश्न:23 HF अणु HI अणु से अधिक ध्रुवीय है, क्यों?
उत्तर: फ्लुओरीन की ऋणविद्युतता आयोडीन से अधिक होती है, इसलिये साझे के इलेक्ट्रॉनों का विस्थापन-HF में HI की तुलना में अधिक होता है, जिसके फलस्वरूप HF में आवेश का विभाजन HI से अधिक है, इसलिये HF अणु HI से अधिक ध्रुवीय है।
प्रश्न:24 उपसहसंयोजी यौगिकों के गुण लिखिए।
उत्तर: उपसहसंयोजी यौगिकों के गुण निम्नलिखित हैं –
1. यह प्रायः जल में अविलेय होते हैं किन्तु कार्बनिक विलायकों में विलेय होते हैं।
2. उपसहसंयोजक बंध दृढ़ और दिशात्मक होते हैं।
3. इनके क्वथनांक एवं गलनांक वैद्युत संयोजी यौगिक से कम लेकिन सहसंयोजी यौगिकों से अधिक होते हैं।
प्रश्न:25 आइसोमर्स और अनुनाद संरचनाओं के बीच अंतर क्या है?
उत्तर: अनुनाद संरचनाओं के लिए आइसोमर्स मौजूद नहीं हैं। आइसोमर्स में अलग-अलग परमाणु और इलेक्ट्रॉन की व्यवस्था होती है। अनुनाद रूपों के बीच एकमात्र अंतर इलेक्ट्रॉनों की व्यवस्था है।
चूंकि वे स्पष्ट रूप से अणुओं में बंधन दिखाते हैं, अनुनाद संरचनाएं लुईस डॉट संरचना का बेहतर प्रतिनिधित्व करती हैं
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