बिहार बोर्ड कक्षा 11 रसायन विज्ञान अध्याय 6 उष्मगतिकी लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न:1 आंतरिक ऊर्जा का क्या महत्व है?
उत्तर: चरण परिवर्तन, रासायनिक प्रतिक्रियाओं, परमाणु प्रतिक्रियाओं और कई अन्य सूक्ष्म घटनाओं को समझने के लिए आंतरिक ऊर्जा महत्वपूर्ण है, क्योंकि अणुओं और परमाणुओं के बीच संभावित ऊर्जा महत्वपूर्ण हैं। दोनों वस्तुएं निर्वात में स्थूल और सूक्ष्म ऊर्जा प्रदर्शित करती हैं।
प्रश्न:2 एन्थैल्पी क्या है?
उत्तर: निश्चित दशाओं में निकांय की आन्तरिक ऊर्जा तथा PV ऊर्जा का योग एन्थैल्पी कहलाता है। निकाय की एन्थैल्पी को अन्तर्निहित ऊष्मा अथवा पूर्ण ऊष्मा भी कहते हैं। इसे H से प्रदर्शित करते हैं।
H =U+ PV
जहाँ, H = निकाय की एन्थैल्पी, U = निकाय की आन्तरिक ऊर्जा, P = दाब तथा V = आयतन
प्रश्न:3 आंतरिक ऊर्जा को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर: शरीर के अंदर कणों की संख्या में बदलाव किए बिना वस्तु के तापमान या मात्रा को संशोधित करके आंतरिक ऊर्जा को बदला जा सकता है। तापमान: जैसे-जैसे सिस्टम का तापमान बढ़ता है, अणु तेजी से आगे बढ़ेंगे, इस प्रकार अधिक गतिज ऊर्जा होगी और इस प्रकार आंतरिक ऊर्जा में वृद्धि होगी।
प्रश्न:4 क्या आंतरिक ऊर्जा एक राज्य कार्य है?
उत्तर: एक राज्य कार्य प्रणाली की संतुलन स्थिति को परिभाषित करता है, और इस प्रकार प्रणाली को भी परिभाषित करता है। उदाहरण के लिए, आंतरिक ऊर्जा, एन्थैल्पी और एंट्रॉपी राज्य मात्राएं हैं क्योंकि वे मात्रात्मक रूप से थर्मोडायनामिक सिस्टम के संतुलन राज्य का वर्णन करते हैं, भले ही सिस्टम उस स्थिति में कैसे पहुंचे।
प्रश्न:5 अनुत्क्रमणीय प्रक्रम क्या है
उत्तर: “वह प्रक्रम है जिनको उल्टे क्रम मेंd उन्हीं अवस्था में सम्पन्न नहीं किया जाता है, जिस अवस्था में सीधे क्रम में सम्पन्न किया जाता है।”
अनुत्क्रमणीय प्रक्रमों के उदाहरण –
1.घर्षण द्वारा ऊष्मा का उत्पादन,
2.जूल-थॉमसन प्रभाव तथा
3.विद्युत् प्रतिरोध का गर्म होना।
प्रश्न:6 उत्क्रमणीय प्रक्रम क्या है?
उत्तर: “वह प्रक्रम है, जिसको उल्टे क्रम में उसी अवस्था में सम्पन्न किया जाता है जिस अवस्था में सीधे क्रम में सम्पन्न किया जाता है।”
जैसे यदि कार्यकारी द्रव dq में ऊष्मा अवशोषित करके dW कार्य किया जाता है, तो विपरीत क्रम में यदि dW कार्य कार्यकारी द्रव पर करने पर dq ऊष्मा प्राप्त हो जाए, तो प्रक्रम उत्क्रमणीय होगा।
उत्क्रमणीय प्रक्रमों के उदाहरण –
1.समान तापों की दो वस्तुओं में ऊष्मा का स्थानांतरण,
2.स्प्रिंग को धीरे-धीरे खींचना।
प्रश्न:7 ऊष्मागतिकी क्या है?
उत्तर: ऊष्मागतिकी, भौतिक विज्ञान की वह शाखा है “जिसके अंतर्गत ऊष्मीय ऊर्जा, कार्य एवं इनके पारस्परिक रूपांतरण का अध्ययन किया जाता है। तो इसे ऊष्मागतिकी कहते हैं।” तथा वर्तमान में ऊष्मागतिकी के क्षेत्र में व्यापक वृद्धि हुई है। अतः ऊष्मागतिकी का क्षेत्र यान्त्रिक ऊर्जा अथवा कार्य तक सीमित नहीं है। अपितु ऊर्जा के विभिन्न रूप हैं। जैसे- रासायनिक ऊर्जा, विद्युत् ऊर्जा एवं चुंबकीय ऊर्जा तक विस्तृत है।
प्रश्न:8 रुद्धोष्म प्रक्रम संपन्न होने के लिए आवश्यक शर्तें क्या है?
उत्तर: रुद्धोष्म प्रक्रम संपन्न होने के लिए आवश्यक शर्तें :-
पात्र की दीवार पूर्णत कुचालक होनी चाहिए।
यह प्रक्रम तीव्रता के साथ होना चाहिए।
जिसमें परिवेश व निकाय के बीच ऊष्मा का आदान-प्रदान होने में वक्त ने लगे।
प्रश्न:9 ऊष्मा गतिकी में कार्य व ऊष्मा की धारणा क्या महत्वपूर्ण है?
उत्तर: कार्य तथा ऊर्जा :- ऊष्मा गतिकी में कार्य व ऊष्मा की धारणा महत्वपूर्ण है।
कार्य व ऊष्मा निकाय की सीमा व निकाय की अवस्था परिवर्तन से उत्पन्न होती है।
कार्य व ऊष्मा को परिवेश पर हुए प्रभाव के द्वारा व्यक्त किया जाता है।
कार्य व ऊष्मा का मान धनात्मक तथा ऋण आत्मक दोनों संभव है।
कार्य व ऊष्मान इकाई की अवस्था परिवर्तन के पथ पर निर्भर करती है।
प्रश्न:10 निकाय एवं परिवेश क्या है?
उत्तर: निकाय एवं परिवेश
ऊष्मागतिकी में निकाय का अर्थ ब्रह्मांड के उस भाग से है, जिसपर प्रेक्षण किए जाते हैं तथा इसका शेष भाग ‘परिवेश’ कहलाता है। परिवेश में निकाय को छोड़कर सब कुछ सम्मिलित है। निकाय एवं परिवेश– दोनों मिलकर ब्रह्मांड बनता है।
निकाय + परिवेश = ब्रह्मांड
प्रश्न:11 ऊष्मागतिकी का शुन्यांकी के नियम क्या है?
उत्तर: ऊष्मागतिकी का शुन्यांकी के नियम :- इस नियम अनुसार यदि दो ऊष्मागतिकी के निकाय किसी तीसरे ऊष्मा गतिकी निकाय के साथ साथ अलग-अलग उसमें साम्यअवस्था में हो तो वह आपस में उस्मिए साम्यअवस्था में होंगे। इसी को ऊष्मा गतिकी का शुन्यांकी नियम करते हैं।
प्रश्न:12 एन्थैल्पी क्या है उदाहरण सहित?
उत्तर: यह एन्थैल्पी निरंतर के साथ ऐसी प्रणाली की आंतरिक ऊर्जा के योग के बराबर है। आपको यह समझने की जरूरत है कि ऊर्जा के रूप बदल जाते हैं, लेकिन एन्थैल्पी स्थिर रहती है। उदाहरण के लिए, जब पानी जम कर बर्फ बन जाता है, तो उस कार्य को करने में ऊर्जा की कुछ मात्रा व्यय होती है, जिसे एन्थैल्पी कहते हैं।
प्रश्न:13 एन्थैल्पी एक अवस्था फलन क्यों है?
उत्तर: जैसा कि समाकलन के समाधान द्वारा दर्शाया गया है, एन्थैल्पी एक अवस्था फलन है क्योंकि यह केवल आरंभिक और अंतिम स्थितियों पर निर्भर करता है, न कि इन स्थितियों को स्थापित करने के लिए अपनाए गए पथ पर । इसलिए, राज्य कार्यों का अभिन्न अंग केवल दो मूल्यों का उपयोग करके लिया जा सकता है: अंतिम और प्रारंभिक मूल्य l
प्रश्न:14 अवस्था फलन का उदाहरण क्या है?
उत्तर: वे मूलभूत (ऊष्मागतिक) गुण जो किसी निकाय की अवस्था को निर्धारित करते हैं, उन्हें अवस्था फलन कहते हैं। जैसे दाब, आयतन, ताप, एन्थैल्पी, मुक्त ऊर्जा, आन्तरिक ऊर्जा तथा एन्ट्रॉपी इत्यादि l
प्रश्न:15 ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम की सीमाएं क्या हैं?
उत्तर: ऊष्मप्रवैगिकी के पहले नियम की सीमा यह है कि यह ऊष्मा के प्रवाह की दिशा के बारे में कुछ नहीं कहता है । यह कुछ भी नहीं कहता है कि प्रक्रिया सहज प्रक्रिया है या नहीं। उलटी प्रक्रिया संभव नहीं है। वास्तविक व्यवहार में, ऊष्मा पूरी तरह से कार्य में परिवर्तित नहीं होती है।
प्रश्न: 16 ऊष्मागतिकी के कितने नियम होते हैं?
उत्तर: ऊष्मागतिकी का अधिक भाग दो नियमों पर आधारित है। ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम – यह कहता है कि ऐसा संभव नहीं और एक ही ताप की वस्तु से यांत्रिक ऊर्जा की प्राप्ति नहीं हो सकती। ऐसा करने के लिये एक निम्न तापीय पिंड (संघनित्र) की भी आवश्यकता होती है।
प्रश्न:17 साम्यावस्था क्या है उदाहरण सहित समझाइए
उत्तर: किसी के सन्दर्भ में रासायनिक साम्य उस अवस्था को कहते हैं जिसमें समय के साथ अभिकारकों एवं उत्पादों के सांद्रण में कोई परिवर्तन नहीं होता। प्रायः यह अवस्था तब आती है जब अग्र क्रिया की गति पश्चक्रिया की गति के समान हो जाती है।
प्रश्न:18 किसी निकाय की अवस्था से क्या तात्पर्य है ?समझाइए।
उत्तर: जब किसी निकाय के लिए P V, T तथा n का मान निश्चित हो जाता है तो इसे निकाय की एक अवस्था कहते हैं अर्थात् इन गुणों में परिवर्तन से निकाय की अवस्था परिवर्तित हो जाती है।
प्रश्न:19 ऊष्मागतिकी निकाय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर: ब्रह्मांड का कोई भी छोटा या बड़ा भाग जिसके ऊपर ताप, दाब तथा भौतिक कारकों के परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। उस भाग को ऊष्मागतिकी निकाय कहते हैं।
प्रश्न:20 स्थिर दाब पर होने वाली प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
उत्तर: जब गैस का प्रसार होता है तो निकाय द्वारा कार्य किया जाता है। इसे धनात्मक लिया जाता है और AU ऋणात्मक होता है। अत: निकाय की आंतरिक ऊर्जा घटती है। (v) समदाबी प्रक्रम : स्थिर दाब पर होने वाला ऊष्मागतिक प्रक्रम समदाबी प्रक्रम कहलाता है।
प्रश्न:21 गैसीय दाब क्या है?
उत्तर: बर्तन के दीवारों के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर गैसों के कणों द्वारा आरोपित बल गैस का दाब कहलाता है।
प्रश्न:22 दबाव कैसे बनता है?
उत्तर: बर्तन के दीवारों के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर गैसों के कणों द्वारा आरोपित बल गैस का दाब कहलाता है।
प्रश्न:23 परिवेश और निकाय में क्या अंतर है?
उत्तर: निकाय उस भौतिक समष्टि, जिसका अध्ययन किया जा रहा है, का एक भाग होता है जबकि समष्टि का शेष भाग परिवेश कहलाता है। ही घंटों तक गरम रहती है । यदि फ्लास्क पूर्णतया ऊष्मारोधी पदार्थ का बना हो तो निकाय और परिवेश के बीच किसी भी प्रकार का द्रव्य अथवा ऊर्जा-विनिमय नहीं होता है।
प्रश्न:24 उष्मा और कार्य में अंतर स्पष्ट करे l
उत्तर: ऊष्मा और कार्य में संबंध उचित परिस्थितियों में किसी तंत्र (निकाय) पर किया गया सम्पूर्ण कार्य W ऊष्मा Q में परिवर्तित हो सकता है। ऐसी परिस्थिति में उत्पन्न ऊष्मा किये गये कार्य के समानुपाती होती है। अर्थात्
W = JQ
आनुपातिकता स्थिरांक J को ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक कहते हैं एवं इसका मान 4.184 जूल प्रति कैलोरी है।
प्रश्न:25 निकाय की आन्तरिक ऊर्जा से आप क्या समझते है?
उत्तर: निकाय की आन्तरिक ऊर्जा उसके आण्विक घटकों की गतिज ऊर्जा और स्थितिज ऊर्जाओं के योग के बराबर होती है। इसमें केवल गतिज ऊर्जा की हानि ही होती है । ऊष्मा और कार्य किसी निकाय में ऊर्जा स्थानांतरण के दो रूप हैं । तापान्तर के कारण किसी निकाय में ऊर्जा का स्थानान्तरण ऊष्मा के रूप में होता है।