बिहार बोर्ड कक्षा 11वी - हिंदी पद्य खंड अध्याय 5: भारत-दुर्दशा के Handwritten नोट्स
बिहार बोर्ड कक्षा 11 हिंदी साहित्य के पांचवे अध्याय "भारत-दुर्दशा" में दुष्कालीन समाज और राजनीति की विकृतियों को चित्रित किया गया है। इस अध्याय में सुमित्रानंदन पंत द्वारा भारत की दुर्दशा का चित्रण किया गया है जिसमें समाज की समस्याओं और राजनीति की कमियों की चर्चा होती है। परीक्षा के परिप्रेक्ष्य से, यह अध्याय छात्रों को दुष्कालीन समाज की समस्याओं को समझने में मदद करेगा और समाज में सुधार की दिशा में उनकी सोच को दिशा देगा।
अध्याय अवलोकन:
- समाज की विकृतियाँ: इस अध्याय में सुमित्रानंदन पंत द्वारा भारत के समाज की विकृतियों को व्यक्त किया गया है। उन्होंने विविध समाजिक और राजनीतिक समस्याओं के बारे में आलेख किया है।
- देश की स्थिति का विवरण: सुमित्रानंदन पंत ने दुष्कालीन समाज और राजनीति की स्थिति को विवरणपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया है। उन्होंने देश की वर्तमान स्थिति को चित्रित करते हुए उसकी समस्याओं की चर्चा की है।
- समाज के प्रति जागरूकता: इस अध्याय में सुमित्रानंदन पंत ने समाज को उनकी दुष्कालीन स्थिति से अवगत कराने का प्रयास किया है। उन्होंने जनसामान्य के बीच जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया है।
परीक्षा में महत्व:
- समाज की समस्याओं के प्रति जागरूकता: "भारत-दुर्दशा" अध्याय का परीक्षा में बड़ा महत्व होता है, क्योंकि यह छात्रों को दुष्कालीन समाज की समस्याओं को समझने और उनका समाधान ढूंढने में मदद करता है।
- राजनीति की कमियों का चित्रण: छात्र इस अध्याय से भारतीय राजनीति की कमियों को समझ सकते हैं और परीक्षा में उनके महत्व को समझाएं।