बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 1 भौतिक जगत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.भौतिकी से रसायन विज्ञान के संबंध पर चर्चा करें।
उत्तर. परमाणु की संरचना, रेडियोधर्मिता, एक्सरे विवर्तन आदि के अध्ययन ने वर्तमान शताब्दी के रसायन विज्ञान में क्रांति ला दी है। इन अध्ययनों ने आवर्त सारणी में तत्वों की पुनर्व्यवस्था, एक नमूने में पदार्थों के निशान का पता लगाने, संयोजकता और रासायनिक बंधन की प्रकृति को जानने और जटिल रासायनिक संरचना को समझने के लिए प्रेरित किया है।
प्रश्न 2.भौतिक विज्ञान का जीव विज्ञान से संबंध को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर. भौतिकी में हुई प्रगति से जीवन विज्ञान भी लाभान्वित हुआ है। जीव विज्ञान के अध्ययन में ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप का अत्यधिक उपयोग पाया जाता है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी ने कोशिका की संरचना को भी देखना संभव बना दिया है। एक्स-रे और न्यूट्रॉन विवर्तन ने न्यूक्लिक एसिड की संरचना को समझने में मदद की है, जिससे जीवन गतिविधि पर महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने में मदद मिली है।
प्रश्न 3. भौतिकी के आधार पर प्रौद्योगिकी में हुई दो प्रगति के नाम लिखिए।
उत्तर.
(1) परमाणु विखंडन की खोज ऊर्जा का एक जबरदस्त स्रोत साबित हुई है। परमाणु ऊर्जा केंद्रों और परमाणु बमों में द्रव्यमान के ऊर्जा में रूपांतरण के कारण बड़ी मात्रा में ऊर्जा उपलब्ध होती है।
(2) पृथ्वी के उपग्रहों का मौसम के सटीक पूर्वानुमान के लिए सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है।
प्रश्न 4.विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कुछ प्रमुख समकालीन क्षेत्रों की सूची बनाएं, जो वर्तमान के लिए उत्तरदायी हैं
उत्तर.औद्योगिक क्रांति-(1) लीवर सिस्टम के अध्ययन ने बड़ी संख्या में बहुत उपयोगी मशीनों को डिजाइन करने में मदद की है।
(2) विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना ने इलेक्ट्रिक मोटर्स और जेनरेटर के विकास का नेतृत्व किया है।
(3) थर्मोडायनामिक्स ने हमें गर्मी इंजन और रेफ्रिजरेटर डिजाइन करने के लिए प्रेरित किया है।
(4) नाभिकीय विखंडन की खोज परमाणु ऊर्जा केंद्रों में ऊर्जा का एक जबरदस्त स्रोत साबित हुई है, द्रव्यमान के ऊर्जा में रूपांतरण के कारण बड़ी मात्रा में ऊर्जा उपलब्ध हो जाती है।
प्रश्न 5. विज्ञान की प्रकृति पर सबसे गहरा बयान अल्बर्ट आइंस्टाइन के समय के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक से आया है| आपको क्या लगता है कि जब आइंस्टाइन ने कहा था " दुनिया के बारे में सबसे अचूक बात यह है कि यह समझ में नहीं आता है" ?
उत्तर: हमारे चारों ओर का ब्रह्मांड बहुत जटिल है और इसमें होने वाली घटनाओं को समझना भी बहुत मुश्किल है, लेकिन विज्ञान के ऐसे कई नियम हैं जो इन सभी घटनाओं की व्याख्या करने में पूरी तरह सक्षम हैं। इसलिए जब हम किसी घटना को पहली बार देखते या सुनते हैं तो समझ में नहीं आता है|
लेकिन जब हम सिद्धांतों का गहन विश्लेषण करते हैं। घटना से संबंधित है, तो घटना हमारे लिए वर्णनात्मक हो जाती है। अतः विज्ञान के विषय में भौतिक जगत से जुड़े प्रत्येक तथ्य की स्पष्ट व्याख्या उपलब्ध है। जब हमारी जिज्ञासु प्रवृत्ति किसी तथ्य से संबंधित वैज्ञानिक दृष्टिकोण को जानना चाहती है, तो हम उसे जानते हैं ताकि सबसे जटिल घटना भी हमें आश्चर्यचकित न करे; इसलिए आइंस्टीन का कथन तार्किक है।
प्रश्न 6. “प्रत्येक महान भौतिक सिद्धान्त अपसिद्धान्त से आरम्भ होकर धर्मसिद्धान्त के रूप में समाप्त होता है।” इस तीक्ष्ण टिप्पणी की वैधता के लिए विज्ञान के इतिहास से कुछ उदाहरण लिखिए।
उत्तर: परंपरागत रूढि़वादी विचारधारा के विरोध में व्यक्त की गई राय को महज किंवदंतियां माना जाता है। और एक तथ्य जिसे सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत विरोधाभास माना जाता है वह एक नियम है। कोपरनिकस का भूकेन्द्रित सिद्धांत शुरू में एक किंवदंती के रूप में चर्चा का विषय बन गया, लेकिन टाइकोब्राहन और जॉन्स केपलर द्वारा प्रतिपादित और समर्पित होने के बाद, इसे सार्वभौमिक के रूप में स्वीकार किया गया। तो यह नियम बन गया।
प्रश्न 7.“सम्भव की कला ही राजनीति है।” इसी प्रकार “समाधान की कला ही विज्ञान है।” विज्ञान की प्रकृति तथा व्यवहार पर इस सुन्दर सूक्ति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: राजनीति में सब कुछ संभव है। उनके पास कोई आचार संहिता नहीं है, कोई नियम नहीं है और कोई सिद्धांत नहीं है। उनका एकमात्र लक्ष्य सत्ता में बने रहना है, चाहे साधन सही हों या गलत। लेकिन वैज्ञानिक घटनाओं को ध्यान से देखता है। डूब और। प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर उनका संकलन और विश्लेषण करता है और नियम बनाता है। इस प्रकार यह प्रकृति के रहस्यों को खोलता है।
प्रश्न 8. यद्यपि अब भारत में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का विस्तृत आधार है तथा यह तीव्रता से फैल भी रहा है, परन्तु फिर भी इसे विज्ञान के क्षेत्र में विश्व नेता बनने की अपनी क्षमता को कार्यान्वित करने में काफी दूरी तय करनी है। ऐसे कुछ महत्त्वपूर्ण कारक लिखिए जो आपके विचार से भारत में विज्ञान के विकास में बाधक रहे हैं?
उत्तर: आज भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया में अपनी जगह बना ली है और उसका अपना एक व्यापक आधार है। चाहे वह मानव संसाधन, सूचना प्रौद्योगिकी, रॉकेट, चिकित्सा, परिवहन, रक्षा, परमाणु विज्ञान, अनुसंधान और जैव प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग हो, लेकिन कुछ कारण हैं कि यह अभी भी दुनिया में एक मान्यता प्राप्त वैज्ञानिक शक्ति नहीं है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं-
- विज्ञान प्रबंधन पर नियंत्रण।
- अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के बीच समन्वय का अभाव है।
- भारत में कुछ बुनियादी सुविधाओं का अभाव।
- वैज्ञानिकों के लिए सीमित रोजगार के अवसरों की उपलब्धि।
- इस देश में बुनियादी शोध के लिए बड़े फंड की जरूरत है।
प्रश्न 9. किसी भी भौतिक विज्ञानी ने इलेक्ट्रॉन के कभी भी दर्शन नहीं किए हैं, परन्तु फिर भी सभी भौतिक विज्ञानियों का इलेक्ट्रॉन के अस्तित्व में विश्वास है। कोई बुद्धिमान, परन्तु अन्धविश्वासी व्यक्ति इसी तुल्यरूपता को इस तर्क के साथ आगे बढ़ाता है कि यद्यपि किसी ने देखा नहीं है, परन्तु भूतों का अस्तित्व है। आप इस तर्क का खण्डन किस प्रकार करेंगे?
उत्तर: इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के ज्ञात होने के आधार पर, कई घटनाएं देखी गई हैं और हो रही हैं। इसके संबंध में कुछ सिद्धांत प्रतिपादित किए गए और वे प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध पाए गए, लेकिन न तो आत्माओं की उपस्थिति को साबित करने के लिए कोई प्रायोगिक प्रमाण मिला है और न ही इससे संबंधित कोई घटना भी देखी गई है ताकि इसकी उपस्थिति को साबित किया जा सके। यह सिर्फ एक कल्पना है: मात्र अंधविश्वास।
प्रश्न 10.दो शताब्दियों से भी अधिक समय पूर्व इंग्लैण्ड तथा पश्चिमी यूरोप में जो औद्योगिक क्रान्ति हुई थी उसकी चिंगारी का कारण कुछ प्रमुख वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक उपलब्धियाँ थीं। ये उपलब्धियाँ क्या थीं?
उत्तर:मुख्य उपलब्धियाँ जिनके कारण औद्योगिक क्रांति का जन्म हुआ, वे इस प्रकार हैं:
बिजली की खोज से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए डायनेमो और मोटर का डिजाइन।
ऊष्मा और ऊष्मागतिकी पर आधारित इंजन का आविष्कार। कपास मशीन हाथ से कपास की तुलना में 300 गुना तेजी से बिनौला अलग करने के लिए।
विस्फोटकों की खोज से न केवल सैन्य बलों को, बल्कि खनिजों के खनन में भी अघोषित सफलता हासिल हुई है।
लोहे को उच्च ग्रेड स्टील में बदलने के लिए ब्लास्ट फर्नेस।
गुरुत्वाकर्षण के अध्ययन से लेकर गोलियों/तोपों/बंदूकों की गति के अध्ययन की खोज तक।
प्रमुख वैज्ञानिकों के नामों की सूची इस प्रकार है-
क्रिश्चियन हेगेन,
गैलीलियो गैलीली,
माइकल फैराडे और
आइजैक न्यूटन।
प्रश्न 11. प्रायः यह कहा जाता है कि संसार अब दूसरी औद्योगिक क्रान्ति के दौर से गुजर रहा है, जो समाज में पहली क्रान्ति की भाँति आमूलचूल परिवर्तन ला देगी। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के उन प्रमुख समकालीन क्षेत्रों की सूची बनाइए जो इस क्रान्ति के लिए उत्तरदायी हैं।
उत्तर: विज्ञान और तकनीक की उपलब्धियाँ जो औद्योगिक क्रान्ति लाने में सक्षम हैं, उनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैंलेजर तकनीक जिसके द्वारा रक्तस्राव के बिना शल्य क्रिया सम्भव हो सकी है तथा जिसके द्वारा रॉकेट तथा उपग्रहों को नियन्त्रित किया जा सकता है।सुपरकण्डक्टरों का निर्माण जिसके द्वारा कमरे के ताप पर विद्युत शक्ति बिना हानि के प्रेषित की जा सकती है। कम्प्यूटर का बढ़ता हुआ प्रभाव और प्रयोग जिसने मानव की कार्यकुशलता कई गुनी बढ़ा दी है। बायोटेक्नोलॉजी का अद्भुत विकास।
प्रश्न 12. बाईसवीं शताब्दी के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर अपनी निराधार कल्पनाओं को आधार मानकर लगभग 1000 शब्दों में कोई कथा लिखिए।
उत्तर: आज हम सदर देशों की यात्रा वाययान, रेलमार्ग अथवा मोटरकार द्वारा करते हैं जो पेट्रोल अथवा डीजल से चलते हैं। बाईसवीं शताब्दी तक पहुँचते-पहुँचते हम दूर आकाश में स्थित ग्रहों तथा उपग्रहों की यात्रा कर सकेंगे जिनकी अनुमानित दूरी हजारों प्रकाश वर्ष से भी अधिक है। अनुमान है कि वे यान ईंधन रहित होंगे।
आज उपग्रह को स्थापित करने के लिए रॉकेट का प्रयोग आवश्यक है और उसके लिए उपयुक्त प्लेटफॉर्म का होना भी आवश्यक है, किन्तु बाईसवीं शताब्दी के आते-आते विज्ञान की प्रगति उस अवस्था तक पहुँच जाएगी कि पृथ्वी से प्रेषित यानों को रिमोट कंट्रोल द्वारा संचालित किया जा सकेगा। यही नहीं आकाश में भ्रमण करती हुई कार्यशाला भी होगी जो किसी यान में त्रुटि आने पर उसकी आवश्यक देखभाल और मरम्मत भी कर सकेगी।
प्रश्न 13. विज्ञान के व्यवहार पर अपने ‘नैतिक दृष्टिकोणों को रचने का प्रयास कीजिए। कल्पना कीजिए कि आप स्वयं किसी संयोगवश ऐसी खोज में लगे हैं जो शैक्षिक दृष्टि से रोचक है। परन्तु उसके परिणाम निश्चित रूप से मानव समाज के लिए भयंकर होने के अतिरिक्त कुछ नहीं होंगे। फिर भी यदि ऐसा है तो आप इस दविधा के हल के लिए क्या करेंगे?
उत्तर: वैज्ञानिक का कार्य प्रकृति के सत्य की खोज करना और उसे फिर प्रकाशन माध्यम से संसार के सामने प्रस्तुत करना है। इसमें कोई भी सन्देह नहीं है कि एक ही खोज का प्रभाव मानव पर उत्थान और विनाश दोनों के लिये उपयोगी किया जा सकता है। यह बात वैज्ञानिक खोज के व्यावहारिक उपयोग करने वाले पर निर्भर है। यहाँ पर यह बात भी सम्भव हो सकती है कि जो खोज आज विनाशकारी है, वह आगे चलकर लाभकारी भी सिद्ध हो सकती है। यदि मैं एक वैज्ञानिक अन्वेषक हूँ और माना कि मैं स्टेम सेल पर कार्य कर रहा हूँ तो वैज्ञानिक आविष्कारक के रूप में मेरा दायित्व है कि उसके परिणाम समाज के सामने प्रस्तुत करू। राजनेता इसका उपयोग एक विशेष मानव जाति के विकास के लिए करते हैं या फिर डॉक्टर इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिए करते हैं, इस बात का ध्यान रखना मेरा कार्य नहीं है। आइस्टाइन ने का सूत्र संसार को दिया लेकिन इसका उपयोग हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराने में होगा ऐसा उसने कभी भी नहीं सोचा था। आज यह समीकरण संसार में ऊर्जा उत्पादन के कार्य में लाई जा रही है, जो कि मानव कल्याण का कार्य ही है।
प्रश्न 14.भारत में गणित, खगोलिकी, भाषा विज्ञान, तर्क तथा नैतिकता में महान विद्वत्ता की एक लम्बी एवं अटूट परम्परा रही है। फिर भी इसके साथ एवं समान्तर, हमारे समाज में बहुत से अन्धविश्वासी तथा रूढ़िवादी दृष्टिकोण व परम्पराएँ फली-फूली हैं और दुर्भाग्यवश ऐसा अभी भी हो रहा है और बहुत-से शिक्षित लोगों में व्याप्त है। इन दृष्टिकोणों का विरोध करने के लिए अपनी रणनीति बनाने में आप अपने विज्ञान के ज्ञान का उपयोग किस प्रकार करेंगे?
उत्तर: भारत में रूढ़िवादिताएँ और अतार्किक कर्मकाण्ड काफी प्रचलित हैं। इनको समाज से हटाना कोई छोटा-सा सुगम मार्ग नहीं है। इन व्यवहारों को जन्म देने वाले कुछ कारण निम्नलिखित हैं समाज के बड़े भाग को शिक्षा से वंचित रखना। लोगों में विज्ञान के प्रति ज्ञान का अभाव रहना।शासक तथा भूमि मालिकों का स्वार्थ।
जाति प्रथाः ।दूसरों को अज्ञानी रखकर उन पर शासन करने की लालसा रखना। ज्यादा-से-ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम, जैसे- रेडियो, टी०वी०, समाचार-पत्र, विज्ञान प्रदर्शनियाँ आदि के द्वारा विज्ञान एवं तकनीकी के विकास में लोगों की रुचि को जाग्रत करके व्यवहार को बदलने से अपने ध्येय की प्राप्ति हो सकती है। इससे लोग शिक्षित हो सकते हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिये उन्हें स्कूल भेजने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए। भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियन्त्रण पाने के लिये हमें वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना अतिआवश्यक है। यह एक विस्फोटक स्थिति है। इससे लोगों में विज्ञान के प्रति विश्वास उत्पन्न होगा और विज्ञान के ज्ञान का सदुपयोग होगा।
प्रश्न 15. “भौतिकी के समीकरणों में सुन्दरता होना उनका प्रयोगों के साथ सहमत होने की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण है।” यह मत महान ब्रिटिश वैज्ञानिक पी०ए०एम० डिरैक का था। इस दृष्टिकोण की समीक्षा कीजिए। इस पुस्तक में ऐसे सम्बन्धों तथा समीकरणों को खोजिए जो आपको सुन्दर लगते हैं।
उत्तर: यह कथन असत्य नहीं है। भौतिकी के समीकरण प्रयोगों से मिलने चाहिए और साथ ही सरल और सुन्दर भी होने चाहिए। आइन्स्टाइन का समीकरण एक ऐसा ही समीकरण है जो बहुत सुन्दर और याद करने में सरल है। लेकिन इस समीकरण ने बीसवीं शताब्दी में विज्ञान एवं समाज का चेहरा ही बदल दिया है। दूसरा समीकरण F = G है जो कि सामान्य एवं सुन्दर है। एक दी गई स्थिति में इस समीकरण ने खगोल विज्ञान की समझ में ही आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। भौतिकी में कुछ अन्य ऐसे ही समीकरण निम्नवत् हैं
F=mg,
E=12mv2
P=mv,
E=hv तथा स्थितिज ऊर्जा U = mgh
प्रश्न 16.यद्यपि उपर्युक्त प्रक्कथन विवादास्पद हो सकता है परन्तु अधिकांश भौतिक विज्ञानियों का यह मत है कि भौतिकी के महान नियम एक ही साथ सरल एवं सुन्दर होते हैं। डिरैक के अतिरिक्त जिन सुप्रसिद्ध भौतिक विज्ञानियों ने ऐसा अनुभव किया उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं-आइन्स्टाइन, बोर, हाइजेनबर्ग, चन्द्रशेखर तथा फाइनमैन। आपसे अनुरोध है कि आप भौतिकी के इन विद्वानों तथा अन्य महानायकों द्वारा रचित सामान्य पुस्तकों एवं लेखों तक पहुँचने के लिए विशेष प्रयास अवश्य करें। (इस पुस्तक के अन्त में दी गई ग्रन्थ-सूची देखिए)। इनके लेख सचमुच प्रेरक हैं।
उत्तर:
क्रमांक | नाम | प्रमुख योगदान/आविष्कार | मूल देश |
1 | अर्किमिडिस | उत्प्लावकता का नियम. उत्तोलक का नियम | यूनान |
2 | गैलिलियो गैलिली | जड़त्व का नियम | इटली |
3 | क्रिश्चियन हाइगेंस | प्रकाश का तरंग सिद्धांत | हौलेंड |
4 | आईज़क न्यूनटन
| गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम , गति के नियम, परवर्ती दूरदर्शक | इंग्लैण्ड |
5 | माइकल फैराडे | विधुत चुम्बकीय प्रेरण के नियम | इंग्लैण्ड
|
6 | सी० एच० टाउनस० | मेसर लेसर | अमेरिका |
7 | एस० चंद्रशेखर | चंद्रशेखर-सीमा | भारत |
8 | जेम्स चेड्विक | न्यूट्रॉन | इंग्लैंड |
9 | मेघनाथ साहा | तापकिक आयनन | भारत |
10 | एडविन ह्युबल | प्रसारी विश्व | अमेरिका |
प्रश्न 17.विज्ञान की पाठ्य-पुस्तकें आपके मन में यह गलत धारणा उत्पन्न कर सकती हैं कि विज्ञान पढ़ना शुष्क तथा पूर्णतः अत्यन्त गम्भीर है एवं वैज्ञानिक भुलक्कड़, अन्तर्मुखी, कभी न हँसने वाले अथवा खीसे निकालने वाले व्यक्ति होते हैं। विज्ञान तथा वैज्ञानिकों का यह चित्रण पूर्णतः आधारहीन है। अन्य समुदाय के मनुष्यों की भाँति वैज्ञानिक भी विनोदी होते हैं। तथा बहुत से वैज्ञानिकों ने तो अपने वैज्ञानिक कार्यों को गम्भीरता से पूरा करते हुए अत्यन्त विनोदी प्रकृति के साथ साहसिक कार्य करके अपना जीवन व्यतीत किया है। गैमो तथा फाइनमैन इसी शैली के दो भौतिक विज्ञानी हैं। ग्रन्थ सूची में उनके द्वारा रचित पुस्तकों को पढ़ने में आपको आनन्द प्राप्त होगा।
उत्तर: फाइनमैन तथा गैमो द्वारा रचित इन पुस्तकों के नाम निम्नलिखित हैं
आर० पी० फाइनमैन द्वारा रचित ‘Surely you are joking, Mr. Feynman’, बेन्टन बुक्स (1986) । जी गैमो द्वारा रचित ‘Mr. Tompkins in paperback’, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस (1987) । उपर्युक्त पुस्तकों को पढ़ने पर ज्ञात होता है कि वैज्ञानिक भी अन्य समुदाय के मनुष्यों की भाँति ही विनोदी होते हैं। विज्ञान विषय पढ़ना शुष्क तथा पूर्णतः गम्भीर नहीं हैं यदि इसका अध्ययन हम रुचिपूर्वक, तथ्यों को भली-भाँति समझकर करें।
प्रश्न 18: द्रव्यमान तथा ऊर्जा का तुल्यता का नियम बताइए तथा इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:आइन्सटाइन के अनुसार, द्रव्यमान तथा ऊर्जा पृथक्-पृथक् अस्तित्व वाली भौतिक राशियाँ नहीं हैं, बल्कि एक ही राशि के दो रूप हैं। द्रव्यमान को ऊर्जा में तथा ऊर्जा को द्रव्यमान में बदला जा सकता है। द्रव्यमान तथा ऊर्जा के बीच तुल्य सम्बन्ध, E = mc2, जहाँ E ऊर्जा तथा m द्रव्यमान हैं। इसके अनुसार यदि ऊर्जा E विलुप्त हो जाए, तो द्रव्यमान m बढ़ जाता है और यदि द्रव्यमान m नष्ट हो जाए तो इसके समतुल्य ऊर्जा E उत्पन्न होती है।
उदाहरण–सूर्य पर चल रही नाभिकीय संलयन की क्रियाओं में सूर्य का द्रव्यमान निरन्तर ऊर्जा में परिवर्तित हो रहा है।
प्रश्न 18:वैज्ञानिक विधि क्या है? वैज्ञानिक विधि के विभिन्न चरणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:भौतिक जगत की प्राकृतिक घटनाओं का क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित ज्ञान प्राप्त करने के लिए जो । विधि अपनायी जाती है, उसे वैज्ञानिक विधि कहते हैं। वैज्ञानिक विधि निम्नलिखित चार चरणों में पूर्ण की जाती है।
1. क्रमबद्ध प्रेक्षण: प्राकृतिक घटना अथवा अध्ययन के लिए चुनी गई समस्या से सम्बन्धित भौतिक राशियों के पर्याप्त संख्या में प्रेक्षण लिए जाते हैं और उन्हें सुव्यवस्थित करके उनका विश्लेषण किया जाता है।
2. परिकल्पना की रचना :प्राप्त प्रेक्षणों का विश्लेषण करने के लिए एक कार्यकारी मॉडल तैयार किया जाता है, जिसे परिकल्पना कहते हैं। इसमें समस्या को गणितीय रूप में अभिव्यक्त किया जाता हैं।
3. परिकल्पना का परीक्षण :बनाई गई परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए, उस परिकल्पना के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं एवं उनका सत्यापन करने के लिए नए प्रयोग भी किए जाते हैं।
4. सिद्धान्त की स्थापना:यदि परिकल्पना सत्यापित हो जाती है, तो उसे अन्तिम सिद्धान्त मान लिया जाता है। यदि परिकल्पना सत्यापित नहीं हो पाती है तो उसमें संशोधन किए जाते हैं अथवा नई परिकल्पना तैयार की जाती है और उसके परीक्षण के लिए पुनः नये प्रयोग किए जाते हैं। इसी क्रम को तब तक जारी रखते हैं जब तक प्रयोगों द्वारा पूर्णत: सत्यापित अन्तिम सिद्धान्त प्राप्त न हो जाये।
प्रश्न 19:प्रकृति के मूल बल कौन-कौन से हैं? प्रत्येक के प्रमुख गुण लिखिए। उदाहरण सहित बलों के एकीकरण को समझाइए।
या
प्रकृति के चार मूल बल कौन-कौन से हैं। उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर: प्रकृति के मूल बल: प्रकृति में चार प्रकार के मूल बल हैं जो निम्नलिखित हैं-
गुरुत्वाकर्षण बल,
विद्युत चुम्बकीय बल,
प्रबल नाभिकीय बल तथा
दुर्बल नाभिकीय बल।
1. गुरुत्वाकर्षण बल:न्यूटन के अनुसार, ब्रह्माण्ड में प्रत्येक द्रव्य-कण दूसरे द्रव्य-कण को अपनी ओर आकर्षित करता है तो इन कणों के बीच एक आकर्षण बल लगता है। यही आकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण बल के नियमानुसार, किन्हीं दो पिण्डों के बीच कार्यरत् गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह एक सार्वत्रिक बल है।
जहाँ m1 व m2 = पिण्डों के द्रव्यमान तथा r = द्रव्यमानों के बीच की दूरी गुरुत्वाकर्षण बलों के गुण निम्नलिखित हैं
ये बल सदैव आकर्षणात्मक होते हैं तथा कभी भी प्रतिकर्षणात्मक नहीं होते हैं।
ये प्रकृति में सबसे दुर्बल बंल होते हैं।
ये विस्तृत दूरियों पर भी कार्यरत् रहते हैं।
ये दूरी सम्बन्धी व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करते हैं।
ये केन्द्रीय बल होते हैं अर्थात् दोनों वस्तुओं के केन्द्रों को जोड़ने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करते हैं।
ये बल संरक्षी बल होते हैं।
2. विद्युत चुम्बकीय बल:आवेशित कणों के बीच कार्यरत् बल को विद्युत चुम्बकीय बल कहते हैं। स्थिर आवेशित कणों के बीच कार्यरत् बल को कूलॉम के नियम द्वारा व्यक्त किया जाता है, इसीलिए इसे कूलॉम का नियम भी कहते हैं।
कूलॉम के अनुसार, किन्हीं दो स्थिर बिन्दु आवेशों के बीच कार्यरत् स्थिर वैद्युत बल, आवेशों के परिमाणों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनकी बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
जहाँ, q1 q2= कार्यरत् आवेश तथा r = कार्यरत् आवेशों के बीच की दूरी है। समान आवेशों के बीच कार्यरत् बल प्रतिकर्षण तथा असमान आवेशों के बीच कार्यरत् वैद्युत बल आकर्षण प्रकृति का होता है।
विद्युत चुम्बकीय बलों के गुण निम्नलिखित हैं
ये बल आकर्षणात्मक अथवा प्रतिकर्षणात्मक हो सकते हैं।
ये बल कूलॉम के नियम का पालन करते हैं।
ये दूरी सम्बन्धी व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करते हैं।
दो प्रोटॉनों के बीच स्थिर वैद्युत बल किसी भी स्थिर दूरी के लिए गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में 1036 गुना प्रबल होते हैं।
ये अधिक दूरी तक प्रभावी नहीं होते हैं।
ये केन्द्रीयै बल होते हैं।
ये संरक्षी बल होते हैं।
3. प्रबल नाभिकीय बल:वे बल जो एक नाभिक में न्यूट्रॉनों तथा प्रोटॉनों को परस्पर साथ-साथ बाँधे रखते हैं, प्रबल नाभिकीय बल कहलाते हैं। अतः ये बल दो प्रोटॉनों अथवा दो न्यूट्रॉनों अथवा एक
टॉन व एक न्यूट्रॉन के बीच कार्यरत रहते हैं, जबकि ये कण परस्पर एक-दूसरे के काफी निकट होते हैं। जब दो न्यूक्लिऑन परस्पर 10-15 मीटर दूरी पर होते हैं तो उनके बीच प्रबल नाभिकीय आकर्षण बल इतनी ही दूरी पर स्थित दो प्रोटॉनों के बीच लगने वाले प्रतिकर्षणात्मक वैद्युत बल की तुलना में 10 गुना प्रबल होता है।
प्रबल नाभिकीय बलों के गुण निम्नलिखित हैं
नाभिकीय बल आकर्षण बल हैं।
ये बल अत्यन्त प्रबल हैं। मानव जानकारी में अब तक जितने भी बल ज्ञात हैं उनमें सबसे अधिक तीव्र नाभिकीय बल ही हैं।
ये वैद्युत बल नहीं हैं। यदि ये वैद्युत बल होते तो इनके कारण प्रोटॉनों के बीच प्रतिकर्षण होता और नाभिक की संरचना सम्भव न हो पाती।
ये गुरुत्वीय बल भी नहीं हैं। दो न्यूक्लिऑनों के बीच गुरुत्वीय बल बहुत क्षीण होते हैं, जबकि नाभिकीय बल अत्यन्त तीव्र हैं। अत: नाभिकीय बल मूलत: गुरुत्वीय बल नहीं हो सकते।
ये बल आवेश पर किसी प्रकार भी निर्भर नहीं करते अर्थात् विभिन्न न्यूक्लिऑनों के बीच
(जैसे-प्रोटॉन-प्रोटॉन के बीच, न्यूट्रॉन-न्यूट्रॉन के बीच, प्रोटॉन-न्यूट्रॉन के बीच) बल एकसमान (uniform) होते हैं।
ये बल अत्यन्त लघु परिसर (short range) के हैं। अत: ये बहुत कम दूरी (केवल नाभिकीय व्यास, 10-15 मीटर के अन्दर) तक ही प्रभावी होते हैं।
4. दुर्बल नाभिकीय बल:इन बलों की उत्पत्ति की खोज रेडियोधर्मिता में β-रूप की घटना के दौरान हुई। ये बल अल्प जीवन काल वाले कणों के बीच अन्योन्य प्रक्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न बल हैं। दुर्बल नाभिकीय बलों के गुण निम्नलिखित हैं|
ये बल आकर्षणात्मक अथवा प्रतिकर्षणात्मक हो सकते हैं।
ये बल कूलॉम के नियम का पालन करते हैं।
ये दूरी सम्बन्धी व्युत्क्रम वर्ग के नियम का पालन करते हैं।
दो प्रोटॉनों के बीच स्थिर वैद्युत बल किसी भी स्थिर दूरी के लिए गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में 1036 गुना प्रबल होते हैं।
ये अधिक दरी तक प्रभावी नहीं होते हैं।
ये केन्द्रीय बल होते हैं।
ये संरक्षी बल होते हैं।
विद्युत चुम्बकीय बलों का क्षेत्र कण फोटॉन होता है जिस पर कोई आवेश नहीं होता है तथा जिसका विराम द्रव्यमान शून्य होता है।
बलों का एकीकरण:
एकीकरण भौतिकी की मूलभूत खोज है। भौतिकी की महत्त्वपूर्ण उन्नति प्राय: विभिन्न सिद्धान्तों तथा प्रभाव क्षेत्रों के एकीकरण की ओर ले जाती है। न्यूटन ने पार्थिव तथा खगोलीय प्रभाव क्षेत्रों को अपने गुरुत्वाकर्षण के सर्वमान्य नियम के अधीन एकीकृत किया। ऑस्टेंड तथा फैराडे ने प्रायोगिक खोजों द्वारा दर्शाया कि व्यापक रूप में वैद्युत तथा चुम्बकीय परिघटनाएँ अविच्छेद्य हैं। मैक्सवेल की इस खोज ने, कि प्रकाश विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, विद्युत चुम्बकत्व तथा प्रकाशिकी को एकीकृत किया। आइंस्टाइन ने गुरुत्व तथा विद्युत चुम्बकत्व को एकीकृत करने का प्रयास किया परन्तु अपने इस साहसिक कार्य में सफल न हो सके। परन्तु इससे भौतिक विज्ञानियों की, बलों के एकीकरण के उद्देश्य के लिए, उत्साहपूर्वक आगे बढ़ने की प्रक्रिया रुकी नहीं।
प्रश्न 20: आवेश संरक्षण का नियम लिखिए। उदाहरण दीजिए।
उत्तर:जब दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ा जाता है, तो दोनों वस्तुओं पर एक साथ विपरीत प्रकृति परन्तु समान परिमाण के आवेश उत्पन्न हो जाते हैं। अर्थात् दोनों वस्तुओं पर उत्पन्न आवेश की कुल मात्रा शून्य ही रहती है। इस बात को हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि "न तो आवेश उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता ।" यह कथन ही " आवेश संरक्षण का नियम" कहलाता प्रत्येक प्राकृतिक घटना में, जहाँ वैद्युत आवेश का आदान-प्रदान होता है, इस नियम को सत्य पाया गया है।
उदाहरणार्थ:
ठीक इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर परिमाण का धनावेश होता है।
इलेक्ट्रॉन तथा पॉजिट्रॉन का संयोग आवेश संरक्षण को प्रदर्शित करता है। इलेक्ट्रॉन पर ऋणावेश होता है तथा पॉजिट्रॉन पर अतः दोनों के आवेश का कुल योग शून्य होता है। ये दोनों परस्पर संयोग करके दो y-प्रोटॉन उत्पन्न करते हैं जिसमें प्रत्येक पर आवेश शून्य ही होता है। अतः संयोग से पूर्व कुल आवेश = संयोग के पश्चात् कुल आवेश।
प्रश्न 21: भौतिकी का प्रौद्योगिकी से सम्बन्ध उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:भौतिकी तथा प्रौद्योगिकी के बीच सम्बन्ध-भौतिकी तथा प्रौद्योगिकी के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है। भौतिकी के सिद्धान्तों पर प्रौद्योगिकी को प्रयुक्त कर अनेक मशीनें तथा उपकरण बनाए गए हैं जो समाज के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हुए हैं। इसके उदाहरण निम्नलिखित हैं
1. टेलीफोन, टेलीग्राफ और टेलेक्स के विकास से हम दूर तक बात कर सकते हैं । समाचार भेज सकते हैं।
2. रेडियो, टेलीविजन और सैटेलाइट के विकास से संचार साधन में क्रान्ति|
3. इलेक्ट्रॉनिक ,कम्प्यूटर, लेसर के विकास से समाज को अत्यधिक लाभ हुआ है।
4. विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर विद्युत का उत्पादन आधारित है।
5. ऊष्मागतिकी के नियम पर आधारित ऊष्मा इंजन, पेट्रोल इंजन, डीजल इंजन आदि से सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना ।
6. न्यूक्लीयर चेन प्रतिक्रिया को नियन्त्रित करके न्यूक्लीयर रिएक्टर से शक्ति का उत्पादन करना।
7. रॉकेट की उड़ान न्यूटन के गति के तीसरे नियम पर आधारित है।
प्रश्न 22: भौतिकी ने समाज पर क्या प्रभाव डाला है ?उत्तर-बिना भौतिकी के समाज की कल्पना अधूरी लगती है। भौतिकी में हुई प्रगति से तकनीकी विकास हुआ है जिसके फलस्वरूप आधुनिक समाज के हर क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है। भौतिकी ने समाज के प्रत्येक क्षेत्र को आश्चर्यजनक रूप से प्रभावित किया है। शिक्षा, कृषि चिकित्सा, संचार, परिवहन तथा प्रत्येक क्षेत्र में भौतिकी के आविष्कारों जैसे-कम्प्यूटर, टी.वी., टेलिफोन इत्यादि का व्यापक रूप में उपयोग हो रहा है। चिकित्सा और कृषि के क्षेत्र में तो हम बिना भौतिकी के आविष्कारों के उपयोग के किसी बात की कल्पना ही नहीं कर सकते। इसके अलावा भौतिकी के विभिन्न आविष्कारों ने मनुष्य के दृष्टिकोण को भी प्रभावित किया है। आज मनुष्य किसी भी सिद्धांत या तर्क को जब तक पूर्ण रूप से संतुष्ट न हो जाये तब तक स्वीकार नहीं करता।
स्पष्ट है कि आज पूरा समाज विज्ञान अनुकूलित हो गया है। समाज के प्रत्येक व्यक्ति की चिंतन धारा बदल गयी है। उसका दृष्टिकोण वैज्ञानिक हो गया है। अतः आज आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक व्यक्ति भौतिकी का अध्ययन कर, उसके नियमों और सिद्धांतों से अवगत हो जाये ताकि बदलते युग के साथ अनुकूलन कर सके।
प्रश्न 23.भौतिकी का विज्ञान की अन्य शाखाओं से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-भौतिकी का या भौतिकी से विज्ञान की विभिन्न शाखाओं का सम्बन्ध है। विज्ञान के प्रत्येक विषय का किसी-न-किसी रूप में भौतिकी से सम्बन्ध है। भौतिकी का गणित से संबंध-भौतिकी के नियमों को सामान्य तथा गणितीय रूप में प्रस्तुत किया जाता है। अतः भौतिकी का अध्ययन करने वाले व्यक्ति को गणित का प्रारंभिक ज्ञान होना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति गणित का जितना अधिक ज्ञान रखता है वह व्यक्ति दिये गये समयान्तराल में भौतिकी के अधिक-से-अधिक सिद्धांतों को आसानी से समझ सकता है। गणित भौतिकी की भाषा है। अतः गणितीय ज्ञान के बिना प्रकृति के नियमों को समझना, व्याख्या करना या खोज करना संभव नहीं है।
आधुनिक सैद्धांतिक भौतिकी की द्रुतगति से विकास में गणित एक शक्तिशाली औजार के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है। रेडियो, टी.वी., कम्प्यूटर, उपग्रह आदि भौतिकी एवं गणित की संयुक्त देन हैं।
भौतिकी एवं रसायन विज्ञान-परमाणु संरचना का अध्ययन भौतिकी की सहायता से किया जाता है। इस अध्ययन के आधार पर ही आवर्त सारणी में तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के अनुसार व्यवस्थित किया गया है। इस अध्ययन के आधार पर संयोजकता तथा रासायनिक बंध की प्रकृति को समझने में सहायता मिली है। इसके अलावा रेडियोएक्टिविटी का अध्ययन भौतिकी में किया जाता है जिसके आधार पर किसी पदार्थ में रेडियोऐक्टिव पदार्थ की मात्रा का पता लगाया जाता है, X-किरणों तथा न्यूट्रॉनों के विवर्तन का अध्ययन भौतिकी के अन्तर्गत किया जाता है। : भौतिकी का रसायन से इतना गहरा संबंध है कि रसायन की एक शाखा का नाम ही भौतिक रसायन’ है।
भौतिकी और जीवविज्ञान-प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग जीवविज्ञान में बहुतायत से किया जाता है। इन उपकरणों की सहायता से कोशिका की संरचना को समझने में सहायता मिलती है। X-किरणों एवं न्यूट्रॉनों के विवर्तन के अध्ययन से न्यूक्लिक अम्लों की संरचना को समझने में सफलता मिली है, फलस्वरूप विभिन्न जैव प्रक्रियाओं को समझने में सहायता प्राप्त हुई है।विभिन्न प्रकार की मशीनें एवं चिकित्सा उपकरण विभिन्न चिकित्सा कार्यक्रमों में सहायक हो रहे हैं।