बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 10 तरलों के यांत्रिकी दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बर्नूली का प्रमेय लिखकर सिद्ध कीजिए।
अथवा
सिद्ध कीजिए कि बहते हुए द्रव की ऊर्जाओं का वेग सदैव नियत रहता है।
अथवा
बर्नूली का प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिए कि P + 12v2 + dgh = नियतांक।
उत्तर:
इस प्रमेयानुसार, जब कोई आदर्श तरल किसी नली में धारारेखीय प्रवाह से प्रवाहित होता है तो इसके मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर इसके एकांक द्रव्यमान या एकांक आयतन की कुल ऊर्जा (दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग) नियत रहती है। इसे बर्नूली का प्रमेय कहते हैं।
गणितीय प्रमाण – माना कोई आदर्श द्रव एक असमान अनुप्रस्थ परिच्छेद वाली नली XY में बह रहा है।
A तथा B नली के दो अनुप्रस्थ परिच्छेद हैं जिनके क्षेत्रफल A1 तथा A2 हैं। परिच्छेद A पर द्रव के प्रवाह का वेग v1 एवं दाब P1 तथा B पर द्रव के प्रवाह का वेग v2 दाब P2 है।
पृथ्वी तल से A की ऊँचाई h1 तथा B की ऊँचाई h2 है एवं नली में बहने वाले द्रव का घनत्व d है।
तब परिच्छेद A पर द्रव पर लगने वाला बल = दाब क्षेत्रफल =P1 . A
अतः परिच्छेद A से प्रति सेकण्ड निकलने वाले द्रव पर किया गया कार्य
= बल दूरी =P1 .A1v1
एवं परिच्छेद B से प्रति सेकण्ड निकलने वाले द्रव पर किया गया कार्य
=P2 .A2v2
अतः द्रव पर किया गया कुल कार्य
=P1 .A1v1 - P2 .A2v2 ..................(1)
परन्तु अविरतता के सिद्धांत से,
A1v1 = A2v2 = md
अतः प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव का द्रव्यमान = आयतन घनत्व
m = A1v1d = A2v2 d
अतः A1v1 = A2v2 = md
समी. (1) में, मान रखने पर,
द्रव पर किया गया कुल कार्य = P1md- P2md = (P1 -P2) md
A पर प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव की स्थितिज ऊर्जा m g h1 तथा B पर m gh2 अतः द्रव की स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि = m gh2 - m gh1 = m g (h2- h1)
A पर प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव की गतिज ऊर्जा 12mv12 तथा B पर 12mv22
अतः द्रव की गतिज ऊर्जा में वृद्धि = 12mv22- 12mv12= 12m( v22- v12)
परन्तु ऊर्जा संरक्षण नियम से,
द्रव पर किया गया कार्य = स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि + गतिज ऊर्जा में वृद्धि
(P1 -P2)md = mg(h2 -h1) + 12m( v22- v12)
(P1 -P2) = gd (h2 -h1) + 12d( v22- v12)
=d gh2 - d gh1 + 12dv22-12dv12
P1+d gh1 + 12dv12=P2+d gh2 +12dv22 ………..(2)
या P + dgh + 12dv2 = एक नियतांक …(3)
अतः द्रव के एकांक द्रव्यमान की कुल ऊर्जा नियत रहती है।
pd + gh + 12v2 = नियतांक …(4)
अतः द्रव के एकांक आयतन की कुल ऊर्जा नियत रहती है।
प्रश्न 2. वेन्चुरीमीटर द्वारा द्रव के प्रवाह की दर ज्ञात कीजिए।
अथवा
बर्नूली प्रमेय का एक अनुप्रयोग समझाइये।
अथवा
वेन्चुरीमीटर में दो स्थानों पर नली के अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल A1 तथा A2 हैं तथा वहाँ दाब में अन्तर द्रव की ऊँचाई h के बराबर है। नली में से प्रति सेकण्ड बहने वाले द्रव के आयतन का सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
वेन्चुरीमीटर बर्नूली प्रमेय पर आधारित एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से किसी नली में बहने वाले पानी के प्रवाह की दर ज्ञात की जा सकती है।
वेन्चुरीमीटर की बनावट चित्र में प्रदर्शित की गयी है। इसमें AB एक क्षैतिज नली होती है जिसके बीच का भाग R संकीर्ण होता है। इसके साथ दो ऊर्ध्वाधर नलियाँ M तथा N जुड़ी रहती हैं।
मानलो A पर नली के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल A1 पानी के प्रवाह का वेग v1 तथा दाब P1 है। R पर नली के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल A2 पानी के प्रवाह का वेग v2 तथा दाब P2 है चूँकि नली क्षैतिज है अत: बर्नूली प्रमेय से,
P1 + 12dv12= P2 + 12dv22
या (P1 -P2) = 12d( v22- v12) ...............(1)
परन्तु अविरतता के सिद्धान्त से,
A1v1 = A2v2 = Q = पानी के प्रवाह की दर
अतः v1 =QA1 तथा v2 =QA2
समीकरण (1) में मान रखने पर,
P1 -P2 =12d ( Q2A22 -Q2A12) = 12d Q2A12 A22 ( A12- A22) ................(2)
यदि नलियों M तथा N में पानी के तल का अन्तर h हो, तो
P1 -P2 = hdg
समीकरण (2) में मान रखने पर,
h d g = 12d Q2A12 A22 ( A12- A22)
Q2= A12 A22 2 hg A12- A22
Q = A1 A22 hg A12- A22
प्रश्न 3. टॉरिसिली का प्रमेय लिखिए तथा सिद्ध कीजिये।
उत्तर:
इस प्रमेयानुसार किसी पिण्ड से किसी द्रव का बहि:स्राव वेग उस वेग के बराबर होता है जिसे कोई वस्तु द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ से उस छिद्र तक स्वतंत्रतापूर्वक गिरते हुए प्राप्त कर लेता है।
माना चित्रानुसार किसी टंकी में H ऊँचाई तक द्रव भरा हुआ है। द्रव की स्वतंत्र सतह से h गहराई पर टंकी में एक छिद्र है तब छिद्र 5 में से द्रव बहने लगेगा। टंकी में बने छिद्र में से जिस वेग से कोई द्रव बाहर निकलता है, उसे उस द्रव का । बहिःस्राव वेग कहते हैं।
द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ पर गतिज ऊर्जा 0 तथा स्थितिज ऊर्जा
अधिकतम होगी। अतः द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ पर एकांक आयतन की कुल ऊर्जा
= P + 0 + d g h
= P + d g h
जहाँ P = वायुमंडलीय दाब तथा d = द्रव का घनत्व है। इसी तरह छिद्र S पर एकांक आयतन की कुल
ऊर्जा = P + 12dv2 + dg (H - h)
जहाँ v = बहि:स्राव वेग है।
अतः बर्नूली प्रमेय से,
P + d g H = P + 12dv2 + dg (H - h)
अतः d g H = 12dv2 + dg H -dg h)
या 12dv2 = d gh
या v2 = 2 gh
या v = 2 gh
यदि कोई वस्तु h ऊँचाई से स्वतन्त्रतापूर्वक छोड़ी जाये ( u = 0) तो गति के तृतीय समीकरण से,
v2 = u2 +2 gh
v2 = 2 gh
∴ v = 2 gh
अत: किसी छिद्र से किसी द्रव का बहि:स्राव वेग उस वेग के बराबर होता है जिसे कोई वस्तु द्रव के स्वतंत्र पृष्ठ से उस छिद्र तक स्वतंत्रतापूर्वक गिरते हुए प्राप्त कर लेता है।
प्रश्न 4 . पारे का काँच के साथ स्पर्शकोण अधिक होता है, जबकि जल का काँच के साथ स्पर्शकोण न्यून कोण होता है। स्पष्ट कीजिए क्यों?
उत्तर: जब द्रव की एक बूंद किसी ठोस सतह पर डाली जाती है तब ठोस-हवा ( TSA ) ठोस-द्रव ( TSL ) एवं द्रव-हवा ( TLA ) अन्तरापृष्ठों पर पृष्ठ तनाव कार्य करते हैं।द्रव का ठोस के साथ स्पर्श कोण निम्न सूत्र से दिया जाता है-
cos = TSA - TSLTLA
पारे-काँच के लिए TSA < TSL < TSL अत: cos का मान ऋणात्मक है एवं का मान 90 से अधिक होता है।
जल-काँच के लिए TSA < TSL अत: cos का मान धनात्मक होता है एवं का मान 90 से कम होता है।
प्रश्न 5. स्पष्ट कीजिए क्यों-
(a) किसी द्रव का पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
(b) यदि किसी बाह्य बल का प्रभाव न हो, तो दव बूंद की आकृति सदैव गोलाकार होती है।
उत्तर:
(a) पृष्ठ तनाव द्रव के सतह पर खींची काल्पनिक रेखा के इकाई लम्बाई पर कार्यरत लम्बवत् स्पर्शी बल के बराबर होता है, यह बल पृष्ठ के क्षेत्रफल से स्वतंत्र है । अतः पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता।
(b) बाह्य बल के अनुपस्थिति में द्रव पर केवल पृष्ठ तनाव के कारण बल कार्य करेगा जिसके कारण वह कम क्षेत्रफल घेरती है, गोलीय पृष्ठ का क्षेत्रफल दिए हुए आयतन के लिए न्यूनतम होता है, अतः द्रव की बूंद. गोलाकार होती है।
प्रश्न 6. निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए-
(a) किसी कागज की पट्टी को क्षैतिज रखने के लिए आपको कागज पर ऊपर की ओर हवा फूंकनी चाहिए, नीचे की ओर नहीं।
(b) जब हम किसी जल की टोंटी को अपनी ऊँगलियों द्वारा बंद करने का प्रयास करते हैं, तो ऊँगलियों के बीच की खाली जगह से तीव्र जलधाराएँ फूट निकलती हैं।
उत्तर:
(a) जब कागज के ऊपर फूंक मारें तो हवा का वेग बढ़ने के कारण बर्नूली प्रमेय के अनुसार दाब कम हो जाता है किन्तु कागज के नीचे वायुमण्डलीय दाब नियत बना रहता है एवं कागज की पट्टी क्षैतिज बना रहता है।
(b) सातत्य समीकरण ( v 1A ) के अनुसार जब हम जल की टोंटी को ऊँगलियों द्वारा बंद करते हैं तो उसके परिच्छेद का क्षेत्रफल कम हो जाता है और जल अधिक वेग से बाहर निकलने लगता है।
प्रश्न 7. हाइड्रोलिक या द्रव चालित लिफ्ट का सिद्धांत समझाइये।
उत्तर:
चित्र में X तथा Y दो बेलनाकार बर्तन हैं जो एक क्षैतिज नली T से आपस में जुड़े हैं। दोनों बर्तनों में वायुदाब पिस्टन P1 तथा P2 क्रमशः लगे हों तथा बर्तनों में द्रव भरा है। माना इनके अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल क्रमशः A1 व A2 है (जहाँ A1 < A2 )।
अब यदि पिस्टन P1 पर बल F1 लगाया जाता है तो पिस्टन पर आरोपित दाब = F1A1 , यही दाब द्रव द्वारा पिस्टन P2 पर संचरित हो जाता है जिसके फलस्वरूप पिस्टन P2 पर ऊपर की ओर बल F2 लगता है जिससे वह ऊपर उठता है अर्थात् पिस्टन P2 पर दाब = F1A1
∴ पिस्टन P2 पर बल F2 = दाब × क्षेत्रफल
या F2 = F1A1 A2
चूँकि A1 < A2 अत: F2 > F1
अर्थात् कम क्षेत्रफल वाले पिस्टन पर कम दाब लगाकर अधिक क्षेत्रफल वाले पिस्टन पर अधिक बल लगाया जा सकता है। इस प्रकार पिस्टन के P2 ऊपर यदि कोई बोझ रख दिया जाये तो उसे पिस्टन P1 पर बहुत कम बल लगाकर ही ऊपर उठाया जा सकता है, यही हाइड्रोलिक लिफ्ट का सिद्धांत है।
प्रश्न 8. d घनत्व वाले द्रव के भीतर द्रव तल से h गहराई पर द्रव के दाब के लिए सूत्र स्थापित कीजिये।
उत्तर:
चित्र में एक बर्तन में द्रव भरा है। माना द्रव के भीतर बिन्दु O के समीप किसी तल के क्षेत्रफल A के ऊपर h ऊँचाई का द्रव स्तम्भ है।
द्रव स्तम्भ का आयतन = आधार का क्षेत्रफल ऊँचाई = A . h
द्रव का द्रव्यमान = आयतन घनत्व
= Ahd जहाँ d द्रव का घनत्व है।
द्रव स्तम्भ द्वारा तल पर लगाया गया बल द्रव स्तंभ का भार = A . h dg
द्रव स्तम्भ का भार = A . h dg
अतः दाब = h dg
= द्रव की गहराई घनत्व g .
प्रश्न 9. जब एक समतल काँच की प्लेट पर शुद्ध जल गिरता है तो वह फैल जाता है लेकिन जब पारा गिरता है तो वह छोटी-छोटी गोलियाँ बनाता है, क्यों?
उत्तर: इसका कारण यह है कि जल के अणुओं तथा काँच के अणुओं के मध्य आसंजक बल का मान जल के स्वयं के अणुओं के मध्य ससंजक बल की अपेक्षा अधिक होता है अतः जब जल काँच की प्लेट पर गिरता है तो वह फैल जाता है। इसके विपरीत पारे के अणुओं तथा काँच के अणुओं के मध्य आसंजक बल का मान, पारे के स्वयं के अणुओं के मध्य ससंजक दाब की अपेक्षा कम होता है अत: पारा प्लेट पर गिरने पर छोटीछोटी गोलियाँ बनाता है।
प्रश्न 10. पास्कल का नियम क्या है ? लिखिए तथा सिद्ध कीजिए।
उत्तर: इस नियमानुसार “यदि कोई द्रव संतुलन में है तो उसके प्रत्येक भाग पर दाब एकसमान होता है (यदि गुरुत्व की उपेक्षा की जा सके)।
व्युत्पत्ति – माना किसी द्रव के अन्दर दो बिन्दु O1 तथा O2 हैं। O1O2 अक्ष वाले लंबवृत्तीय बेलन की कल्पना करो। इस बेलन के दोनों फलक वृत्तीय होंगे जिनके केन्द्र O1 और O2 हैं। बेलन के अन्दर द्रव संतुलन में है। अतः O1 तथा O2 केन्द्र वाले वृत्तीय फलकों पर लगने वाले बल बेलन की सतहों पर लगने वाले बलों के लंबवत् होंगे।
यदि O1 केन्द्र वाले वृत्तीय फलक पर कार्य करने वाला बल F1 हो, तो O1 पर दाब P1 = F1A
अतः F1 = P1.A
इसी प्रकार यदि O2 केन्द्र वाले वृत्तीय फलक पर लगने वाला बल F2 हो, तो O2 पर दाब P2 = F2A
एवं F2 = P2.A
चूँकि द्रव संतुलनावस्था में है।
अतः F1 = F2
या P1 A = P2 A
P1 = P2
अत: O1 तथा O2 पर दाब एकसमान है।
चूँकि O1 तथा O2 कोई भी दो बिन्दु हैं अतः द्रव के प्रत्येक भाग (या बिन्दु) पर दाब एकसमान होता है।
प्रश्न 11. पास्कल नियम पर गुरुत्व का प्रभाव दर्शाइए।
उत्तर:
माना किसी बर्तन में घनत्व वाला एक द्रव भरा है। द्रव के अन्दर एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा पर A तथा B दो बिन्दु हैं, A ऊपर तथा B नीचे है। उनके बीच की दूरी h है।
AB अक्ष वाले एक बेलन की कल्पना कीजिए जिसके प्रत्येक अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A तथा ऊँचाई h है।
इस काल्पनिक बेलन का भार = द्रव्यमान g
= आयतन घनत्व g
= Ah . g
यह भार ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्य करेगा। यदि बिन्दु A तथा B पर दाब क्रमशः P1 तथा P2 हों, तो ऊपर के फलक पर नीचे की ओर लगने वाला बल = दाब क्षेत्रफल
F1 = P1 A
इसी प्रकार निचले फलक पर ऊपर की ओर लगने वाला बल
F2 = P2 A
चूँकि द्रव संतुलनावस्था में है,
अतः F1+ Ah g - F2 = 0
या P1A+ Ah g - P2 A = 0
अतः ( P2 - P1 ) A = A h g
या ( P2 - P1 ) = h g
इस सूत्र से स्पष्ट है कि गुरुत्व के कारण द्रव के अन्दर एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा पर स्थित बिन्दुओं में दाबान्तर होता है।
प्रश्न 12. शुद्ध जल की बजाय साबुन के घोल से मैले कपड़े धोना आसान होता है, क्यों ?
उत्तर: पानी में साबुन या डिटर्जेंट डालने से पानी का पृष्ठ तनाव शुद्ध पानी की तुलना में कम हो जाता है अतः साबुन के घोल की एक बूंद शुद्ध पानी की एक बूंद की अपेक्षा कपड़े के अधिक क्षेत्रफल को भिगोती है। इस प्रकार साबुन का घोल कपड़े के उन छोटे-छोटे छिद्रों में भी पहुँच पाता है जहाँ शुद्ध पानी नहीं पहुँच जाता तथा अपने साथ मैल चिपकाकर बाहर निकाल लाता है। अतः साबुन का घोल, शुद्ध पानी की अपेक्षा अधिक सफाई करता है।
प्रश्न 13. किसी द्रव की पृष्ठ ऊर्जा के लिए व्यंजक निगमित कीजिए तथा इससे सिद्ध कीजिए कि पृष्ठ तनाव का संख्यात्मक मान पृष्ठ ऊर्जा के बराबर है।
उत्तर:
चित्र में तार का आयताकार फ्रेम ABCD है जिस पर एक बार GH स्वतंत्रता से आगे-पीछे खिसक सकता है। फ्रेम को साबुन के घोल में डुबाकर एक फिल्म बना ली जाती है। इस फिल्म के दो पृष्ठ हैं एक ऊपर तथा दूसरा नीचे। पृष्ठ तनाव के कारण यह फिल्म सिकुड़ने का प्रयास करती है तथा तार GH पर एक बल F = T 2 अन्दर की ओर लगता है जहाँ T द्रव का पृष्ठ तनाव तथा l तार GH उसकी लंबाई है। यहाँ पर फिल्म के दो पृष्ठों के कारण लंबाई 2l ली गयी हैं।
स्पष्टत: तार GH को अपने ही स्थान पर बनाये रखने के लिए इस पर एक बल F बाहर की ओर लगाना पड़ेगा। यदि बल F द्वारा तार GH को x दूरी तक खिसकाया जाये तो तार पर किया गया कार्य (= स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि)
W = F . x
लेकिन F = T 2l
W = T 2l . x = T A
जहाँ A= 2l. x = पृष्ठ के क्षेत्रफल में वृद्धि
या कार्य = पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल में वृद्धि
यदि A=1 तो w = T
अतः पृष्ठ के एकांक क्षेत्रफल में संचित स्थितिज ऊर्जा (अर्थात् पृष्ठ ऊर्जा) = पृष्ठ तनाव।
प्रश्न 14. किसान बरसात के बाद भूमि की जुताई करता है, क्यों?
उत्तर: खेतों में पानी पौधों तथा पेड़ों के तनों में बनी केशनलियों द्वारा ऊपर चढ़कर टहनियों तथा पत्तियों तक पहुँचता है। पानी बरसने के बाद किसान मिट्टी की ऊपरी सतह को जोत डालते हैं जिससे मिट्टी में बनी केशनलियाँ टूट जाती हैं तथा नीचे का पानी पौधों के उपयोग में आ जाता है। यदि जुताई न की जाये तो पानी केशनलियों द्वारा सतह पर आ जायेगा और वाष्पन के कारण उड़कर व्यर्थ हो जायेगा।
प्रश्न 15. यदि उपग्रह के अन्दर एक केशनली को जल में डुबाया जाये तो क्या होगा?
उत्तर: उपग्रह में भारहीनता होती है। अर्थात् g= 0
अतः सूत्र R h = 2Tdg से Rh =
अर्थात् केशनली की पूरी लंबाई तक जल चढ़ जावेगा तथा जल का स्वतंत्र पृष्ठ समतल हो जावेगा। जल केशनली से बाहर नहीं निकलेगा।
प्रश्न 16. टॉरिसिली के वायुदाब सम्बन्धी प्रयोग का वर्णन कीजिये। इससे वायुदाब कैसे मापा जाता है ?
उत्तर:
टॉरिसिली ने सर्वप्रथम वायुमंडलीय दाब को मापने के लिए ऐतिहासिक प्रयोग किया इसे टॉरिसिली का प्रयोग कहते हैं। वायुमंडलीय दाब को मापने के लिए प्रयुक्त उपकरण को बैरोमीटर या वायुदाबमापी कहते हैं।
इसमें मजबूत काँच की बनी एक मीटर लंबी नली होती है जिसका एक सिरा बन्द होता है। नली को पूर्णतः पारे से भर दिया जाता है। अब खुले सिरे को अँगूठे से दबाकर पारे से भरे बर्तन में इस प्रकार उलटकर रख देते हैं कि नली का खुला सिरा पारे के अन्दर हो। ध्यान रहे वायु का बुलबुला नली में प्रवेश न करने पाये। नली में पारे का तल धीरे-धीरे गिरने लगता है और एक निश्चित ऊँचाई पर आकर उसका गिरना रुक जाता है। इस स्थिति में बर्तन में पारे के तल से नली में पारे के तल की ऊँचाई अर्थात् नली में पारे के स्तम्भ की ऊँचाई 76 सेमी होती है। नली में पारे के स्तम्भ के ऊपर खाली स्थान में पूर्णतः निर्वात् होता है इसे टॉरिसिली का निर्वात कहते हैं।
नली में पारा अपने भार के कारण नीचे आता है। जबकि वायुमंडल की वायु उसे दबाकर ऊपर चढ़ाने का प्रयास करती है जब पारे के स्तम्भ के भार के कारण दाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है तो पारा ठहर जाता है। इस प्रकार नली में पारे के स्तम्भ की ऊँचाई से वायुमंडलीय दाब को मापा जाता है।
प्रश्न 17. पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ? वे पृष्ठ तनाव को किस प्रकार प्रभावित करते हैं ?
उत्तर: पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-
(1) द्रव में विलेय पदार्थ – यदि विलेय द्रव में अत्यधिक घुलनशील हो तो द्रव का पृष्ठ तनाव बढ़ जाता है किन्तु यदि विलेय द्रव में कम घुलनशील हो तो पृष्ठ तनाव घट जाता है। जैसे – पानी में साबुन डालने पर पानी का पृष्ठ तनाव घट जाता है।
(2) द्रव के पृष्ठ का संदूषण – यदि द्रव के पृष्ठ पर धूल के कण या कोई चिकनाई, विद्यमान है तो द्रव का पृष्ठ तनाव घट जाता है।
(3) द्रव का ताप – सामान्यतया ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है क्योंकि ताप बढ़ाने पर ससंजक बल का मान कम हो जाता है।
सूत्र के रूप में T = T0 ( 1 - . t)
जहाँ T = t 0C पर पृष्ठ तनाव, T0= t 0C पर पृष्ठ तनाव तथा = पृष्ठ तनाव के लिए ताप गुणांक है।
प्रश्न 18. समझाइये कि कोई द्रव केशनली में क्यों ऊपर चढ़ता है ?
उत्तर: मानलो केशनली को ऐसे द्रव में डुबोया गया है जो काँच को भिगोता है। केशनली में इस द्रव का मेनिस्कस अवतल होता है। मानलो द्रव केशनली में ऊपर नहीं चढ़ता है। द्रव की सतह के ठीक नीचे बिन्दुओं A तथा B की कल्पना करो। मानलो एक अन्य बिन्दु C मेनिस्कस के ऊपर है।
मेनिस्कस की अवतल सतह की ओर दाब उत्तल सतह की ओर के दाब से अधिक होता है। इस दाब आधिक्य का मान 2TR होता है जहाँ T पृष्ठ तनाव तथा R मेनिस्कस की वक्रता त्रिज्या है।
बिन्दु C पर दाब वायुमंडलीय दाब P के बराबर है। अतः बिन्दु B पर दाब = P - 2TR
बिन्दु A पर दाब वायुमंडलीय दाब P के बराबर है। बिन्दु A तथा बिन्दु B द्रव के अन्दर एक ही क्षैतिज रेखा पर हैं। अत: दोनों बिन्दुओं पर दाब समान होना चाहिए। स्पष्ट है कि केशनली में द्रव इतनी ऊँचाई तक चढ़ जायेगा जिससे कि बिन्दु B पर द्रव स्तम्भ का दाब 2TR हो जाये। इस प्रकार बिन्दु B पर कुल दाब
P - 2TR + 2TR = P होगा।
प्रश्न 19. क्रान्तिक वेग क्या है ? यह किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ? रेनॉल्ड्स संख्या के साथ इसका क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर: क्रान्तिक वेग-किसी तरल के प्रवाह का वह अधिकतम वेग जहाँ तक उसका प्रवाह धारारेखीय प्रवाह रहता है, क्रान्तिक वेग कहलाता है।
रेनॉल्ड्स के अनुसार किसी केशनली में प्रवाह के लिए क्रान्तिक वेग का मान
द्रव के घनत्व d के व्युत्क्रमानुपाती,
केशनली की त्रिज्या r के व्युत्क्रमानुपाती तथा
द्रव की श्यानता के अनुक्रमानुपाती होता है।
अर्थात् क्रान्तिक वेग vc rd या vc = K.r.d
जहाँ K = नियतांक है जिसे रेनॉल्ड संख्या कहते हैं। इसका मान केशनली के लिए लगभग 1000 होता है।
प्रश्न 20. किसी द्रव के धारारेखीय तथा विक्षुब्ध प्रवाह में अन्तर समझाइये।
उत्तर: धारारेखीय तथा विक्षुब्ध प्रवाह में अन्तर-
धारारेखीय प्रवाह | विक्षुब्ध प्रवाह |
1. किसी बिन्दु से गुजरने वाले प्रत्येक कण का वेग परिमाण व दिशा में समान रहता है। | 1. किसी बिन्दु से गुजरने वाले प्रत्येक कण का वेग भिन्न-भिन्न हो सकता है। |
2. द्रव के प्रवाह का वेग क्रान्तिक वेग से कम होता है। | 2. द्रव के प्रवाह का वेग क्रान्तिक वेग से अधिक होता है। |
3. कणों का मार्ग सरल रेखीय या वक्रीय होता है। | 3. कणों का मार्ग अनियमित तथा टेढ़ा-मेढ़ा होता है। |
प्रश्न 21. श्यानता सम्बन्धी न्यूटन का नियम लिखिए। इस नियम की सहायता से श्यानता गुणांक की परिभाषा लिखकर उसका मात्रक बताइये तथा इसका विमीय सूत्र भी लिखिये।
उत्तर: न्यूटन के अनुसार, द्रव के किन्हीं दो परतों के बीच स्पर्शरखीय श्यान बल F-
(i) परतों के क्षेत्रफल A के अनुक्रमानुपाती होता है।
(ii) परतों के मध्य वेग प्रवणता dvdx के अनुक्रमानुपाती होता है।
इस प्रकार F A
तथा F dvdx
दोनों को मिलाकर लिखने पर,
F A. dvdx
या F = -.A. dvdx
जहाँ नियतांक है जिसे द्रव का श्यानता गुणांक कहते हैं। यह द्रव की प्रकृति पर निर्भर करता है । ऋण चिन्ह इसको दर्शाता है कि श्यान बल द्रव के प्रवाह की विपरीत दिशा में कार्य करता है।
उपर्युक्त सूत्र में यदि A = 1 तथा dvdx = 1 हो, तो
F = -
अतः किसी द्रव का श्यानता गुणांक द्रव के अन्दर उस स्पर्शरेखीय बल के बराबर होता है, जो इकाई क्षेत्रफल वाली उन परतों के मध्य कार्य करता है जिनके मध्य वेग प्रवणता इकाई हो।
श्यानता गुणांक का SI मात्रक न्यूटन /मीटर X सेकण्ड है। इसका विमीय सूत्र [M1L-1T-1] है।
प्रश्न 22. सीमान्त वेग किसे कहते हैं ? किसी श्यान द्रव में गिरने वाले गोले के सीमान्त वेग की गणना कीजिये।
उत्तर:
सीमान्त वेग – किसी श्यान माध्यम में ऊर्ध्वाधर नीचे गिरते हुए पिण्ड के नियत वेग को सीमांत वेग कहते हैं।
माना एक सूक्ष्म गोलाकार वस्तु जिसकी त्रिज्या a तथा जिसके पदार्थ का घनत्व d है, श्यानता गुणांक तथा घनत्व वाले द्रव में गुरुत्व के अधीन स्वतंत्रतापूर्वक गिरती है। गिरती हुई वस्तु पर तीन बल कार्य करते हैं-
1 . वस्तु का भार, जो ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्य करता है।
2 . द्रव का उत्प्लावन बल, जो ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर कार्य करता है।
3 . श्यान बल, जो ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर कार्य करता है। अब
वस्तु का भार = आयतन घनत्व g
= 43 a3 d g
द्रव का उत्प्लावन बल = हटाये गये द्रव का भार
= 43 a3 g
अतः वस्तु का परिणामी भार = 43 a3 d g - 43 a3 g
ऊपर की ओर कार्य करने वाला द्रव का श्यान बल
F = 6 av
यदि वस्तु सीमान्त वेग v से नीचे गिरती हो तो,
श्यान बल = वस्तु का परिणामी भार
6 av = 43 (d - )g
अतः v = 29 a2 ( d - ) g
प्रश्न 23. द्रव के प्रवाह का सातत्य समीकरण स्थापित कीजिए।
उत्तर:
माना कोई द्रव एक असमान अनुप्रस्थ परिच्छेद वाली नली AB में धारारेखीय प्रवाह से प्रवाहित हो रहा है। द्रव का धनत्व d है, सिरे A पर नली के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल a1 द्रव के प्रवाह का वेग v1 एवं सिरे Bपर नली के परिच्छेद का क्षेत्रफल a2 तथा द्रव के प्रवाह का वेग v2 है।
सिरे A से बहने वाला द्रव 1 सेकण्ड में v1 दूरी तय करेगा अत: सिरे A से प्रति सेकण्ड प्रवेश करने वाले द्रव का आयतन =a1v1
अतः सिरे A से प्रति सेकण्ड प्रवेश करने वाले द्रव का द्रव्यमान =a1v1d
एवं सिरे B से प्रति सेकण्ड बाहर निकलने वाले द्रव का द्रव्यमान =a2v2d
चूँकि प्रवाह धारारेखीय है, अतः
a1v1d =a2v2d
या a1v1 =a2v2 = नियतांक
∴ a . v = नियतांक।
प्रश्न 24. उड़ने से पूर्व हवाई जहाज को हवाई पटरी पर कुछ दूर तक दौड़ाया जाता है, क्यों?
उत्तर: ऐसा करने से इसके सम्पर्क की वायु का वेग बढ़ जाता है। अब हवाई जहाज की धारारेखीय आकृति के कारण, इसके ऊपर की वायु पर्तों का वेग, नीचे की वायु पर्तों के वेग की अपेक्षा अधिक हो जाता है अतः बर्नूली प्रमेय के अनुसार इसके ऊपर वायु का दाब, नीचे के वायुदाब की अपेक्षा कम हो जाता है तथा इस दाबान्तर के कारण हवाई जहाज पर एक उत्थापक बल (ऊपर की ओर) लगता है जिससे हवाई जहाज ऊपर उठने लगता है।
प्रश्न 25. बुलबुले के अन्दर अतिरिक्त दाब के लिए सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
बुलबुले में हवा के कारण दो पृष्ठ होते हैं–एक अन्दर और दूसरा बाहर।
मानलो बुलबुले की त्रिज्या R है। इसके अन्दर अतिरिक्त दाब के कारण बाहर की ओर.बल कार्य करता है जो पृष्ठ तनाव के कारण बल द्वारा संतुलित होता है।
मानलो अतिरिक्त दाब P के कारण बुलबुले की त्रिज्या R से बढ़कर(R + R ) हो जाती है।
अत: अतिरिक्त दाब द्वारा किया गया कार्य = बल दूरी
= दाब क्षेत्रफल दूरी = P. 4R2 R
बुलबुले में दो स्वतंत्र पृष्ठ होते हैं अतः
बुलबुले के पृष्ठीय क्षेत्रफल में वृद्धि = 2 [ 4 ( R + R)2 - 4 R2]= 16 R R
अतः पृष्ठीय ऊर्जा में वृद्धि =T. 16 R R
अतिरिक्त दाब के कारण पृष्ठीय ऊर्जा में वृद्धि होती है।
अतः P. 4R2 R =T. 16 R R
या P = 4 TR
उपर्युक्त व्यंजक से स्पष्ट है कि द्रव बूंद या बुलबुले के अन्दर अतिरिक्त दाब त्रिज्या के व्युत्क्रमानुपाती होता है। इस प्रकार छोटी बूंद या बुलबुले के अन्दर अतिरिक्त दाब बड़ी बूंद या बुलबुले की अपेक्षा अधिक होता है।