बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 13 अणुगति सिद्धांत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 13 अणुगति सिद्धांत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 11 > Important Questions > अध्याय 13 अणुगति सिद्धांत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. क्रान्तिक ताप के आधार पर वाष्प तथा गैस में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- वाष्प तथा गैस दोनों ही किसी पदार्थ की गैसीय अवस्था के दो नाम हैं। इनमें अन्तर यह है कि जो पदार्थ साधारण ताप व दाब पर द्रव या ठोस अवस्था में होते हैं उनके गैसीय अवस्था में आ जाने पर उनको वाष्प कहते हैं; जैसे—कपूर की वाष्प, जलवाष्प आदि। परन्तु जो पदार्थ साधारण ताप व दाब पर ही गैसीयं अवस्था में होते हैं, वे गैस कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-वायु, ऑक्सीजन आदि। गैस को दाब डालकर द्रवित करने के लिए पहले उसे क्रान्तिक ताप तक ठण्डा करना पड़ता है, परन्तु वाष्प को केवल दाब डालकर ही द्रवित किया जा सकता है। अतः क्रान्तिक ताप से ऊपर पदार्थ गैस तथा नीचे वाष्प की भाँति व्यवहार करता है।

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प्रश्न 2. गैस के अणुगति सिद्धान्त की परिकल्पनाओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- गैस के अणुगति सिद्धान्त की परिकल्पनाएँ-गैसों का अणुगति सिद्धान्त निम्नलिखित परिकल्पनाओं पर आधारित है–

1. प्रत्येक गैस छोटे-छोटे कणों से मिलकर बनी होती है जिन्हें अणु कहते हैं।

2. किसी गैस के अणु दृढ़, पूर्णतः प्रत्यास्थ , गोलाकार व सभी प्रकार से एकसमान होते हैं।

3. अणुओं का आकार अत्तराणुक अन्तराल की तुलना में नगण्य होता है। अतः अणुओं का अपना आयतन गैस के आयतचे की तुलना में नगण्य होता है।

4. साधारणत: अणुओं के बीच किसी प्रकार का बल नहीं लगता; अत: ये नियत चाल से ऋजु-रेखीय पथों पर गति करते हैं। परन्तु जब दो अणु एक-दूसरे के अत्यन्त निकट आ जाते हैं तो उनके बीच प्रतिकर्षण बल कार्य करने लगता है जिससे उनकी चाल तथा गति की दिशा बदल जाती है। फलस्वरूप, अणु नये सरल रेखीय पथ पर गति प्रारम्भ करते हैं। इस घटना को दो अणुओं के बीच ‘टक्कर’ कहते हैं। अत: दो क्रमागत टक्करों के बीच गैस के अणु सरल रेखा में गति करते हैं। दो क्रमागत टक्करों के बीच गैस के अणु द्वारा तय की गयी औसत दूरी को ‘औसत मुक्त पथ’ कहते हैं। इस प्रकार अणु सभी सम्भव वेग से सभी सम्भव दिशाओं में अनियमित गति करते हैं।

5. ये अणु बर्तन की दीवारों से टकराते हैं किन्तु इन टक्करों से गैस का आयतन नहीं बदलता अर्थात् गैस के प्रति एकांक आयतन में अणुओं की संख्या स्थिर रहती है।

6. दो अणुओं की टक्कर पूर्णतः प्रत्यास्थ होती है। टक्कर के समय उनके मध्य आकर्षण या प्रतिकर्षण बल नहीं लगता जिससे टक्कर में गतिज ऊर्जा संरक्षित रहती है।

7. दो अणुओं की टक्कर क्षणिक होती है अर्थात् टक्कर का समय उनके द्वारा स्वतन्त्रतापूर्वक चलने | में लिए गये समय की तुलना में नगण्य होता है।

8. अणुओं की गति पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को नगण्य माना जा सकता है। अतः गुरुत्वाकर्षण बल के कारण भी अणुओं के वितरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रश्न 3. अणुगति सिद्धान्त के आधार पर बॉयल तथा चाल्र्स के नियमों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- बॉयल के नियम की व्याख्या-अणुगति सिद्धान्त से एक निश्चित द्रव्यमान की गैस द्वारा आरोपित दाब

P = 13mnv(v2)         ………..(1)

यहाँ V = गैस का आयतन m= गैस के प्रत्येक अणु का द्रव्यमान, n = गैस के निश्चित द्रव्यमान में अणुओं की कुल संख्या तथा v2अणुओं का वर्ग माध्य वेग है। 

PV = 13mn (v2)                      ……………(2)

अतः

उपर्युक्त सूत्र में mn गैस का द्रव्यमान है जो कि निश्चित है। यदि गैस का ताप स्थिर रहे तो वर्ग - माध्य वेग v2 भी नियत रहेगा।

इस दशा में उपर्युक्त समीकरण (2) से PV = नियतांक । यही बॉयल का नियम है।

 चार्ल्स के नियम की व्याख्या - अणुगति सिद्धान्त से एक निश्चित द्रव्यमान की गैस का दाब

P = 13mnv(v2)         

या         PV = 13mn (v2)          अथवा        V = 23nP (12mv2)

चूँकि एक अणु की औसत गतिज ऊर्जा =13m v2 = 32KT

अतः          V = 23nP(32KT) = n KTP

यदि गैस का दाब P नियत हो, तब एक निश्चित द्रव्यमान की गैस के लिए n भी नियत होगा तथा K स्वयं नियतांक है।

अतः                       V T

अतः यही चार्ल्स का नियम है।

प्रश्न 4. किसी गैस को सम्पीडित करने में किये गये कार्य को समझाइए।

उत्तर- गैस को सम्पीडित करने में किया गया कार्य-माना एक आदर्श गैस एक पिस्टन लगे सिलिण्डर में भरी है, गैस का दाब P, आयतन V तथा ताप T है, जब गैस को सम्पीडित किया जाता है, तो उसके लिए μ मोलों के लिए आदर्श गैस समीकरण । PV = μT से, μR का मान नियत रहता है। गैस को सम्पीडित करने में गैस पर कुछ कार्य करना पड़ता है। यदि P दाब पर गैस का आयतन dV कम हो जाये, तो गैस पर कृत कार्य,

dw = PdV

गैस का आयतन V1 से V2 तक सम्पीडित करने में गैस पर किया गया कार्य

W = V2V1PdV ( V1 > V2 )

कृत कार्य का मान गैस को सम्पीडित करने के प्रक्रम पर भी निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, समदाबी, समतापी व रुद्धोष्म प्रक्रमों में कृत कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं। यदि गैस वास्तविक है, तो गैस को सम्पीडित करने में अन्तरआण्विक बलों के विरुद्ध भी कार्य करना पड़ता है।

प्रश्न 5. अन्तरिक्ष के किसी क्षेत्र में प्रति घन सेमी में औसतन केवल 5 अणु हैं तथा वहाँ ताप 3 है। उस क्षेत्र में गैस का दाब क्या है? बोल्ट्ज मैन नियतांक R = 1.38 1O-23 जूल/K

हल- यदि गैस के किसी द्रव्यमान में n अणु हों तब गैस के इस द्रव्यमान के लिए निम्नलिखित समीकरण होगी

PV = n KB T               P = nVKBT

प्रश्नानुसार , nv = 5 सेमी 3 = 5 1O6 मी 3

p = ( 5 1O6  मी 3 ) ( 1.38 1O-23 जूल/K ) 3 K

    = 2.07 10-16 जूल/मी 3 = 2.07 1O-16 न्यूटन/मी 2

प्रश्न 6. एक बर्तन में भरी गैस का ताप 400 K है और दाब 2.78 1O-3 न्यूटन/मी 2 है। बर्तन के 1 सेमी 3आयतन में अणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए। बोल्ट्जमैन नियतांक K = 1.38 1O-23   जूल/केल्विन।

हल- 

आदर्श गैस समीकरण PV = n KB T से,

अणुओं की संख्या n = PV KB T

          दाब (P) =  2.78 1O-3 न्यूटन/मी 2

         आयतन (V) = 1 सेमी 3 = 1.0 1O-6 M3

   KB= 1.38 10-23   जूल/केल्विन।  

    T = 400 K

अणुओं की संख्या (n) = 2.78 1O-3 1.0 1O-6 1.38 1O-23400= 5.03 1O7

प्रश्न 7. वायु से भरे हुए एक कमरे का आयतन 41.4 मी 3 है। वायु का ताप 27C तथा दाब 1.0 1O5 न्यूटन/मी 2 है। वायु के कुल अणुओं की संख्या ज्ञात कीजिए।

हल-

आदर्श गैस समीकरण PV = n KB T से,

अणुओं की संख्या n = PV KB T

          दाब (P) =  1.0 1O5 न्यूटन/मी 2 , T =27C + 273C = 300 K 

         आयतन (V) = 41.4 मी 3 , KB= 1.38 1O-23 J/K

(n) = 1.0 1O5 41.4 1.38 1O-23300= 1.0 1O27

प्रश्न 8. दिखाइए कि गैस के अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग गैस के परमताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होता है।

हल- गैस के अणुओं के वेगों के वर्गों का माध्य का वर्गमूल, गैस के अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग कहलाता है। उसे   vrms  से प्रदर्शित करते हैं।

गैस के N अणुओं की वर्ग-माध्य-मूल चाल   vrms = v12 + v22+ ..... + vn2N  

आदर्श गैस का दाब ,                              p = 12mNV   vrms2

गैस की 1 मोल मात्रा के लिए, mN = M = गैस  का अणुभार 

               p = 12MV   vrms2     या      vrms =3 p VM

परन्तु   P V = R T ,

             vrms =3 R T M              vrms2T = 3RM

               vrms T

अत: किसी गैस के अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग गैस के परमताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 9. 27C  पर ऑक्सीजन (आणविक भार =32 ) के लिए अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग तथा 4  ग्राम गैस की गतिज ऊर्जा भी ज्ञात कीजिए। (गैस नियतांक R = 8.31 जूल/मोल-K)

हल-

  T =27C = 27 + 273 = 300 K  , M = 32  

      वर्ग-माध्य-मूल वेग  v2 = 3RTM

                        v2 = 3 8.31 30032 = 233.71

                        v = 15.28  किमी/से

4 ग्राम गैस की गतिज ऊर्जा = 52RT

                                      = 52 8.31 300 = 6.23 10-3 जूल

प्रश्न 10. किसी गैस का प्रारम्भिक ताप -73C है। इसे किस ताप तक गर्म करना चाहिए जिससे

(i) गैस के अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग दोगुना हो जाये?

(ii) अणुओं की औसत गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाए?

हल-

प्रारम्भिक परमताप T1 = (-73 + 273  ) K = 200 K ; माना इसको t2C तक गर्म किया जाना चाहिए जिसका संगत परमताप T2 K .

(1) vrms T    अतः (vrms)2(vrms)1 = T2T1

या             T2T1 =(vrms)2(vrms)1 2= 2 (vrms)2(vrms)1 2= 4 

या            T2 = 4 T1 + 4 200 K = 800 K

              t2 = ( T2 - 273 )C =( 800 - 273 )C= 527C 

(2)   E T      अतः   E2E1= T2T1              

                  2E1E1= T2T               या         T2T1 = 2

   T2 = 2 T1 = 2 200 K = 400 K    

 t2 = ( T2 - 273 )C = ( 400 -273 )C = 127C

प्रश्न 11. यदि किसी गैस का ताप 127C से बढ़ाकर 527C कर दिया जाये तो उसके अणुओं का वर्ग-माध्य-मूल वेग कितना हो जायेगा?

हल-

       vrms T    अतः (vrms)1(vrms)2 = T2T1

T1 = ( 127 + 273 ) K = 400 K , T2= ( 527 + 273 ) K = 800 K

                              (vrms)1(vrms)2 = 400800       

                          (vrms)1= 12 (vrms)2

प्रश्न 12. 4.0 ग्राम ऑक्सीजन गैस की 27C  ताप पर कुल आन्तरिक ऊर्जा की गणना कीजिए। (ऑक्सीजन गैस की स्वातन्त्रय कोटियों की संख्या 5 तथा गैस नियतांक R = 2.0 कैलोरी/मोल-केल्विन है)

हल-

4 ग्राम ऑक्सीजन गैस  के लिए  कुल आन्तरिक ऊर्जा ( U ) = 4 52 R T

   T = 27 + 273 = 300 K , R = 2.0 कैलोरी

आन्तरिक ऊर्जा ( U ) = 4 52 2 300 = 6 103  जूल 

प्रश्न 13. आदर्श गैस समीकरण लिखिए। वास्तविक गैसों के लिए वाण्डर वाल्स के संशोधनों को समझाइए तथा इससे संशोधित गैस समीकरण प्राप्त कीजिए।

उत्तर- आदर्श गैस समीकरण-1 मोल गैस के लिए आदर्श गैस समीकरण है P V = R T , जहाँ  P= दाब, V = आयतन, R = गैस नियतांक तथा T = परमताप है।

वाण्डर वाल्स गैस समीकरण-बॉयल के नियमानुसार, स्थिर ताप पर गैस के एक निश्चित द्रव्यमान के लिए दाब (P) व्र आयतन (V ) का गुणनफल P V एक नियतांक होता है। प्रयोगों द्वारा देखा गया है। कि कोई भी वास्तविक गैस इस नियम का पूर्णतः पालन नहीं करती। उच्च दाबों तथा निम्न तापों पर गैस बॉयल के नियम से बहुत अधिक विचलित हो जाती है। अतः वाण्डर वाल्स ने वास्तविक गैसों के इस व्यवहार की व्याख्या करने के लिए आदर्श मॉडल में निम्न लिखित दो संशोधन किये

1. अणुओं का अशून्य आकार – आदर्श गैस समीकरण P V = R T  को प्राप्त करने में यह माना गया था कि गैस के अणुओं का आयतन, गैस के आयतन V की तुलना में नगण्य है तथा गैस का सम्पूर्ण आयतन अणुओं की गति के लिए उपलब्ध है। परन्तु सभी अणुओं का आयतन कुछ स्थान घेरता है जिससे आदर्श गैस के आयतन का प्रभावी आयतन (V- b ) होगा, जहाँ । एक नियतांक है। अत: हम आदर्श गैस समीकरण P V = R T में v के स्थान पर (V- b ) रखेंगे।

2. अन्तरा-अणुक बल – आदर्श गैस मॉडल में यह भी माना गया था कि गैस के अणुओं के मध्ये कोई बल आरोपित नहीं होता। यह मान्यता वास्तविक गैसों पर लागू नहीं होती है। गैस का प्रत्येक अणु दूसरे अणु पर बल लगाता है जिसे अन्तर आणविक बल कहते हैं। साधारण दाबों पर गैस के अणु बहुत दूर-दूर होते हैं; अत: उनके बीच अन्तर आणविक बल लगभग शून्य होता है। दाब बढ़ने के साथ-साथ अणु भी पास-पास आ जाते हैं और वे एक-दूसरे को आकर्षित करने लगते हैं। बर्तन के मध्य स्थित अणु (जैसे P) पर चारों ओर से आकर्षण बल कार्य करते हैं; अत: उस पर कोई प्रभावी बल नहीं लगता। जो अणु दीवार के पास होता है उस पर एक बल अन्दर की ओर लगता है, जिससे दीवार के टकराते समय उसके संवेग में कुछ कमी आ जाती है। अतः अणु द्वारा दीवार पर आरोपित बल आदर्श गैस मॉडल में प्राप्त बल से कम होता है। इसके फलस्वरूप दीवार पर वास्तविक गैस का दाब, आदर्श गैस के दाब से कम होता है। यदि यह कमी β है तो आदर्श गैस समीकरण में P के स्थान पर (P + β) रखेंगे। β का मान दीवार के समीप अंणु को आकर्षित करने वाले अणुओं की प्रति एकांक आयतन में संख्या पर तथा दीवार के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर प्रति सेकण्ड टकराने वाले अणुओं की संख्या पर निर्भर करता है। ये दोनों ही गैस के घनत्व के अनुक्रमानुपाती होते हैं।

घनत्व घनत्व घनत्व2

परन्तु गैस के एक निश्चित द्रव्यमान के लिए 

घनत्व   1आयतन

  1V2               अथवा     =  aV2   

जहाँ a गैस के 1 ग्राम- अणु के लिए नियतांक है। अतः आदर्श गैस समीकरण P V = R T में हमें P के स्थान पर P +  aV2    रखना होगा।

अणुओं के अशून्य आकार तथा अणुओं के बीच लगने वाले अन्तरा - अणुक बल का संशोधन लगाने पर आदर्श गैस समीकरण का निम्न रूप प्राप्त होता है—

P +  aV2  (V - b ) = R T

इसे वाण्डर वाल्स समीकरण कहते हैं। वास्तविक गैसें इस समीकरण का निम्न ताप तथा उच्च दाब पर भी पालन करती हैं।

प्रश्न 14. मोलर आयतन, STP पर किसी गैस (आदर्श) के 1 मोल द्वारा घेरा गया आयतन है। (STP:1 atm दाब, 0°C ताप)। दर्शाइए कि यह 22.4 = R लीटर है।

उत्तर:

S. T. P. का अर्थ P= 1 वायुमण्डलीय दाब = 1.013 105 न्यूटन-मीटर-2

तथा T = 0 + 273 = 273 K है तथा R = 8.31 जूल/मोल-K

∴ (1 मोल के लिए) आदर्श गैस समीकरण P V = R T से 

∴ मोलर आयतन V = R T P = 8.31 J/MOL-K  273 K 1.013 105 N-M3

=22.395 10-3  मी-3  22.4 लीटर

प्रश्न 15. हीलियम परमाणु की औसत तापीय ऊर्जा का आकलन कीजिए-

(i) कमरे के ताप  (27  C ) पर।

उत्तर:

हीलियम एक परमाणु गैस है। अत: परमाणु की औसत तापीय ऊर्जा अणु की औसत तापीय ऊर्जा ही होगी। किसी गैस के एक अणु की औसत तापीय ऊर्जा (गतिज ऊर्जा)

E = 32 K. T

जहाँ T = परमताप,

T  = ( 27 + 273 ) K = 300

औसत उर्जा E = 32 K. T

= 32 1.38 10-23 जूल K-1 300 K

=6.21 10-21 जूल

(ii) सूर्य के पृष्ठीय ताप ( 6000 K ) पर।

उत्तर : 

हीलियम एक परमाणु गैस है। अत: परमाणु की औसत तापीय ऊर्जा अणु की औसत तापीय ऊर्जा ही होगी। किसी गैस के एक अणु की औसत तापीय ऊर्जा (गतिज ऊर्जा)

E = 32 K. T

T = 6000 K

औसत उर्जा E = 32 K. T

= 32 1.38 10-23 जूल K-1 6000 K

=1.24 10-19 जूल

(iii) 100 लाख केल्विन ताप (तारे के क्रोड का प्रारूपिक ताप) पर।

उत्तर

यहाँ T = 100 , K = 100 105 K  =107 K 

 औसत उर्जा E = 32 K. T  =32 1.38 10-23 जूल K-1 107 K 

= 2.1 10-16 जूल

प्रश्न 16. 1 मीटर लम्बी संकरी (और एक सिरे पर बन्द) नली क्षैतिज रखी गई है। इसमें 76 cm लम्बाई भरा पारद सूत्र, वायु के 15 cm स्तम्भ को नली में रोककर रखता है। क्या होगा यदि खुला सिरा नीचे की ओर रखते हुए नली को ऊर्ध्वाधर कर दिया जाए?

उत्तर:

प्रारम्भ में जब नली क्षैतिज है, तब बन्द सिरे पर रोकी गई वायु का दाब वायुमण्डलीय दाब के बराबर होगा क्योंकि यह वायु, वायुमण्डलीय दाब के विरुद्ध पारे के स्तम्भ को पीछे हटने से रोकती है।

∴ P1 = वायुमण्डलीय दाब

= 76 सेमी पारद स्तम्भ का दाब

यदि नली का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A सेमी² है तो वायु का आयतन  V1 = 15  सेमी A

सेमी² = 15 A सेमी3 । जब नली का खुला सिरा नीचे की ओर रखते हुए ऊध्र्वाधर करते हैं तो खुले सिरे पर बाहर की ओर से वायुमण्डलीय दाब (76 सेमी पारद स्तम्भ का दाब) काम करता है जब कि ऊपर की ओर से 76 सेमी पारद सूत्र का दाब तथा बन्द सिरे पर एकत्र वायु की दाब काम करते हैं। चूँकि खुले सिरे पर पारद स्तम्भ + वायु का दाब अधिक है अतः पारद स्तम्भ सन्तुलन में नहीं रह पाता और नीचे गिरते हुए, वायु को बाहर निकाल देता है।

माना पारद स्तम्भ की h लम्बाई नली से बाहर निकल जाती है।

तब, पारद स्तम्भ की शेष ऊँचाई = ( 76 --h ) 

सेमी जबकि बन्द सिरे पर वायु स्तम्भ की लम्बाई = ( 15 + 9 + h) सेमी

= (24 + h )सेमी

वायु का आयतन V2 = (24 + h)A  सेमी3

 

माना अब इस वायु का दाब P2  है तो संतुलन की स्तिथि में P2 +(76 + h ) सेमी. पारद स्तम्भ का दाब = वायुमंडलीय दाब = 76 सेमी.

P2 = h  सेमी.पारद का स्तम्भ का दाब 

P1 V1  = P2 V2 से,

76 सेमी 15 A सेमी3 = h सेमी ( 24 h) सेमी3 

1140 = 24 h + h2

h2 + 24 h - 1140 = 0

h = -24 (24)2-41(-1140)21

तः  h = 23.8 सेमी अथवा --47.8 सेमी (जो अनुमान्य है।)

इसलिए h =23.8 सेमी ≈ 24 सेमी ।

अतः लगभग 24 सेमी पारा बाहर निकल जायेगा। शेष पारे का 52 सेमी ऊँचा स्तम्भ तथा 4.8 सेमी वायु स्तम्भ इसमें जुड़कर बाह्य वायुमण्डल के साथ संतुलन में रहते हैं। (यहाँ पूरे प्रयोग की अवधि में ताप को नियत माना गया है तब ही बॉयल के नियम का प्रयोग किया है।

प्रश्न 17. एक कमरे में, जिसकी धारिता 25.0 m3 है, 27  C ताप और 1 atm दाब पर, वायु के कुल अणुओं (जिनमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, जलवाष्प और अन्य सभी अवयवों के कण सम्मिलित हैं) की संख्या ज्ञात कीजिए।

उत्तर: दिया है : कमरे की धारिता  V = 25.0 m3 , ताप T = 27 + 273 = 300 K

दाब P = 1 atm = 1.01 105 N m-2

कुल अणुओं की संख्या = ?

P V = R T से, 

= P VR T = 1.01 105 N m-2 25.0 m38.31 J /molK 300 K

या  = 1013 ग्राम-अणु 

∴1 ग्राम-अणु में NA = 6.02 1023अणु होते हैं.

∴ कमरे में की कुल अनुओ की संख्या  N = NA=1013 6.02 1023

=6.1 1026 अणु

प्रश्न 18. चित्र में ऑक्सीजन के 100 10-3 kg द्रव्यमान के लिए PVT एवं P में, दो अलग-अलग तापों पर ग्राफ दर्शाए गए हैं।  

 

 

(a). बिन्दुकित रेखा क्या दर्शाती है?

उत्तर-

बिन्दुकित रेखा यह दर्शाती है, कि राशि PVT नियत है। यह तथ्य केवल आदर्श गैस के लिए सत्य है; अतः बिन्दुकित रेखा आदर्श गैस का ग्राफ है।

(b). क्या संत्य है : T1 >T2 अथवा T1 < T2?

उत्तर-

हम देख सकते हैं कि ताप  T2 पर ग्राफ की तुलना में ताप T1 पर गैस का ग्राफ आदर्श गैस के ग्राफ के अधिक समीप है अर्थात् ताप T2 पर ऑक्सीजन गैस का आदर्श गैस के व्यवहार से विचलन अधिक है।

हम जानते हैं कि वास्तविक गैसें निम्न ताप पर आदर्श गैस के व्यवहार से अधिक विचलित होती है।

अतः T1 >T2  

(c) y - अक्ष पर जहाँ वक्र मिलते हैं PVT वहाँ का मान क्या है?

उत्तर-

 जिस बिन्दु पर ग्राफ y -अक्ष पर मिलते हैं ठीक उसी बिन्दु से आदर्श गैस का ग्राफ भी गुजरता है;

अतः इस बिन्दु पर ऑक्सीजन गैस, आदर्श गैस समीकरण का पालन करेगी।

अत: P V = R T से,  PVT= R

∵ गैस का द्रव्यमान  m = 1.00 10-3 kg जबकि गैस का ग्राम अणुभार M = 32 g

M = 32 10-3 kg

= mM = 1.00 10-3 kg32 10-3 kg = 132

PVT = 132 mol 8.31 J/ molK = 0.26 J K-1

प्रश्न 19. यदि हम ऐसे ही ग्राफ 100 10-3 kg हाइड्रोजन के लिए बनाएँ तो भी क्या उस बिन्दु पर जहाँ वक़ y-अक्ष से मिलते हैं PVT का मान यही होगा? यदि नहीं, तो हाइड्रोजन के कितने द्रव्यमान के लिए PVT का मान (कम दाब और उच्च ताप के क्षेत्र के लिए वही होगा? H2 का अणु द्रव्यमान  =2.02 u , O2 का अणु द्रव्यमान  =32.0 u , R = 8.31 J mol-1 K-1 )

उत्तर-

इस बिन्दु पर गैस, आदर्श गैस समीकरण का पालन करेगी; अतः PVT = R होगा। परन्तु समान द्रव्यमान हाइड्रोजन गैस में ग्राम-अणुओं की संख्या भिन्न होगी; अत: हाइड्रोजन गैस के लिए PVT का मान भिन्न होगा।

H2 गैस के लिए PVT = R का वही मान प्राप्त करने के लिए हमें ग्राम-अणुओं की संख्या वही = 132 लेनी होगी। 

∵ हाइड्रोजन का ग्राम अणु द्रव्यमान M = 2.02 g = 2.02 10-3 kg

∴ हाइड्रोजन का अभीस्ट द्रव्यमान  m= M = 132 2.02 10-3 kg = 6.3 10-5 kg

प्रश्न 20. वायु का एक बुलबुला, जिसका आयतन 1.0 cm3 है, 40 m गहरी झील की तली से जहाँ ताप 12  C है, उठकर ऊपर पृष्ठ पर आता है जहाँ ताप 35  C है। अब इसका आयतन क्या होगा?

उत्तर:

दिया है : बुलबुले का आयतन V1 = 1.0 cm3  = 1.0 10-6 m3 

अन्तिम आयतन V2 = ?

T1 = 12 +273 = 285 K तथा T2 = 35 +273=308 K

जल का घनत्व = 1.0 103 kg m-3 , h = 40 m , g= 10 m s-2

झील की तली में बुलबुले पर दाब P1 = h g + वायुमंदलीय दाब 

P1= 40 m 1.0 103 kg m-3 10 m s-2 + 1.01105 Nm-2 

= 4105 Nm-2 + 1.01 105 N m-2

= 5.01105 Nm-2

जबकि झील के ऊपर प्रस्थ पर दाब P2 = 1.01 105 N m-2

∴ P1 V1T1 =P2 V2T2 से , 

V2 =P1 V1T2P2T1 

= 5.01105 Nm-2   1.010-6 m3 308 K 1.01105 Nm-2 285 K

बुल्बुले का आयतन V2 = 5.36 cm3 हो जाएगा. 

प्रश्न 21. किसी उपकरण से हाइड्रोजन गैस  28 : 7 सेमी3/से की दर से विसरित हो रही है। उन्हींस्थितियों में कोई दूसरी गैस 7.2 सेमी3/से की दर से विसरित होती है। इस दूसरी गैस को पहचानिए।

(संकेत-ग्राहम के विसरण नियम  R1 R2 = M2 M1 12 का उपयोग कीजिए, यहाँ R1 , R2

 क्रमशः गैसों की विसरण दर तथा M1 एवं M2 उनके आणविक द्रव्यमान हैं। यह नियम अणुगति सिद्धान्त का एक सरल परिणाम है।)

उत्तर:

किसी गैस के विसरण की दर । गैस अणुओं के वर्ग माध्य मूल वेग के अनुक्रमानुपाती होती है अर्थात्

r vrms परन्तु  vrms   ∝ 1M   ( जहाँ M = गैस का अणुभार)

∴ r ∝ 1M

⇒ r1r2 = M2 M1  

⇒ M = r1r2 2 M

यहाँ H2 के लिए  r1 = 28.7 सेमी3/से तथा M1 = 2

दूसरी गैस के लिए r2 = 7.2 सेमी3/से तथा M2 = ?

∴  M2  = 28.77.2 2 2 32

अतः दूसरी गैस ऑक्सीजन है। (चूंकि ऑक्सीजन का अणुभार 32 होता है।)

प्रश्न 22. साम्यावस्था में किसी गैस का घनत्व और दाब अपने सम्पूर्ण आयतन में एकसमान हैं। यह पूर्णतया सत्य केवल तभी है जब कोई भी बाह्य प्रभाव न हो। उदाहरण के लिए गुरुत्व से प्रभावित किसी गैस स्तम्भ का घनत्व (और दाब) एकसमान नहीं होता है। जैसा कि आप आशा करेंगे इसका घनत्व ऊँचाई के साथ घटता है। परिशुद्ध निर्भरता ‘वातावरण के नियम 

n2 = n1 exp -m gKB T ( h2 - h1)   

से दी जाती है, यहाँ n2 , n1 क्रमशः h2 व h1 ऊँचाइयों पर संख्यात्मक घनत्व को प्रदर्शित करते हैं। इस सम्बन्ध का उपयोग द्रव-स्तम्भ में निलम्बित किसी कण के अवसादने साम्य के लिए समीकरण

n2 = n1 exp -m g NA R T (-')( h2 - h1)   

को व्युत्पन्न करने के लिए कीजिए, यहाँ निलम्बित कण का घनत्व तथा ' चारों तरफ के माध्यम का घनत्व है। NA आवोगाव्रो संख्या तथा R सार्वत्रिक गैस नियतांक है। (संकेतः निलम्बित कण के आभासी भार को जानने के लिए आर्किमिडीज के सिद्धान्त का उपयोग कीजिए)

उत्तर-

वातावरण के नियम के अनुसार,

n2 = n1 exp -m gKB T ( h2 - h1)   

जबकि m द्रव्यमान का कण वायु में साम्यावस्था में तैर रहा है। यदि कण ' वाले किसी द्रव में छोड़ा गया है तो इस कण पर द्रव के कारण उत्क्षेप भी कार्य करेगा। ऐसी स्थिति में हमें उक्त सूत्र में mg के स्थान पर कण का आभासी भार रखना होगा।

माना कण का आयतन V तथा घनत्व है तब l कण का आभासी भार = mg --उत्क्षेप

= V g - V 'g

= Vg (-') = V g p 1-'

= mg 1-' = mg (-')

समीकरण(1) में mg के स्थान पर mg (-')  तथा KB के स्थान पर RNA रखने पर,

n2 = n1 exp -m g NA R T (-')( h2 - h1)   

प्रश्न 23. नीचे कुछ ठोसों व द्रवों के घनत्व दिए गए हैं। उनके परमाणुओं की आमापों का आकलन (लगभग) कीजिए।

पदार्थ 

परमाणु द्रव्यमान 

घनत्व

कार्बन(हीरा )

गोल्ड

नाइट्रोजन (द्रव)

लिथियम 

फ्लुओरीन (द्रव)

 

12.01

                  197.00

14.01

6.94

19.00

 

2.22

19.32

1.00

0.53

               1.14

(संकेतः मान लीजिए कि परमाणु ठोस अथवा द्रव प्रावस्था में दृढ़ता से बँधे हैं, तथा आवोगाव्रो संख्या के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए। फिर भी आपको विभिन्न परमाणवीय आकारों के लिए अपने द्वारा प्राप्त वास्तविक संख्याओं का बिल्कुल अक्षरशः प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि दृढ़ संवेष्टन सन्निकटन की रूक्षता के परमाणवीय आकार कुछ A के पास में हैं )

उत्तर: 

यदि परमाणु की त्रिज्या r है तो प्रत्येक परमाणु का आयतन =43 r2

∴ एक परमाणु का द्रव्यमान m=43 r3

यदि पदार्थ का परमाणु द्रव्यमान M ग्राम हो तो 

इसमें परमाणुओं की संख्या=अवोगाद्रो संख्या
= N = 6.02 1023

∴ एक परमाणु का द्रव्यमान  m = MN ग्राम 

अत समीकरण (1) व समीकरण (2) से,

∵ 43 r3 =MN r = 3 M 4 N13 

कार्बन के लिए  M = 12.01 ग्राम = 12.01 10-3किग्रा.

= 2.22 103 किग्रा.-मी.-3

r = 3 12.01 10-3  4 3.14 2.22 103 6.023 102313

= 1.29 10-10 मी. A

इसी प्रकार अन्य पदार्थों के लिए गणना करने पर

गोल्ड के लिए r = 1.59 A , द्रव नाइट्रोजन के लिए r = 1.77 A , लिथियम के लिए r = 1.73 A ,

द्रव फ्लुओरीन के लिए  r=1.88 A

प्रश्न 24. गैस का दाब किस प्रकार उत्पन्न होता है ?

उत्तर: जब किसी गैस को किसी बर्तन में बन्द कर दिया जाता है तो गैस के द्वारा बर्तन की दीवारों पर दाब डाला जाता है। वास्तव में, गैस के अणु अपनी अनियमित गति के दौरान बर्तन की दीवारों से टकराते रहते हैं। जब कोई अणु दीवार से टकराकर लौटता है तो उसका संवेग परिवर्तित हो जाता है। संवेग संरक्षण के नियमानुसार उतना ही संवेग दीवार से हस्तान्तरित हो जाता है। न्यूटन के गति के द्वितीय नियमानुसार, दीवार के संवेग में परिवर्तन की दर, दीवार पर लगने वाले बल के बराबर होती है। चूँकि दीवार पर असंख्य परमाणु टकराते रहते हैं। अत: दीवार पर एक स्थायी बल आरोपित होता रहता है । दीवार के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला यह बल ही गैस का दाब होता है।

प्रश्न 25. स्वतंत्रता की कोटियाँ किसे कहते हैं ? समझाइए।

उत्तर: किसी गतिक निकाय की स्थिति एवं उसके कणों के अभिविन्यास को पूर्ण रूप से प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक निर्देशांकों की कुल संख्या को स्वतंत्रता की कोटि कहते हैं। यदि कोई कण एक सीधी रेखा में गति कर रहा है, तो इस कण की स्वतंत्रता की कोटि एक होगी। यदि कण किसी समतल में गतिशील है, तो स्वतंत्रता की कोटि दो होगी।

माना कोई निकाय N कणों से मिलकर बना है, इस निकाय के लिए स्वतंत्रता की कोटियाँ निम्न होगी-

f = 3 N - K

जहाँ ‘K ’ निकाय के कणों के मध्य स्वतंत्र संबंधों की संख्या है।

द्विपरमाणुक गैस के लिए N = 2 , K = 1

अतः f = 3 2 -1 = 5 .

 

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