बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 14 दोलन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. गणितीय गणना द्वारा सिद्ध कीजिए कि यदि आयाम कम हो तो सरल लोलक की गति, सरल आवर्त गति होती है। लोलक के आवर्तकाल का सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
चित्र में एक सरल लोलक प्रदर्शित है। माना लोलक की प्रभावकारी लंबाई l है तथा लोलक का द्रव्यमान m है।
जब लोलक अधिकतम विस्थापित स्थिति B पर है तो उस पर लगने वाले बल हैं-
(i) लोलक का भार mg ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर तथा
(ii) डोरी में तनाव T डोरी के अनुदिश निलंबन बिन्दु O की ओर। भार mg को दो घटकों में वियोजित करने पर घटक mg Cos डोरी के अनुदिश (तनाव T के विपरीत) और घटक mg Sin डोरी के लंबवत् (मध्यमान स्थिति की ओर) होगा। घटक mg Sin ही लोलक को इसकी माध्य स्थिति A पर लाने की चेष्टा करता है, इसे प्रत्यानयन बल कहते हैं।
अतः प्रत्यानयन बल = mg Sin ( माध्य स्थिति A की ओर)
यदि लोलक का आयाम कम है अर्थात् कोण छोटा है तो
Sin xl
अतः प्रत्यानयन बल = mg = mg . xl ….(1)
यहाँ x लोलक का विस्थापन (=AB ) और l लोलक की प्रभावकारी लंबाई है।
लेकिन बल = द्रव्यमान त्वरण
समी. (1) से,लोलक का त्वरण = प्रत्यानयन बललोलक का द्रव्यमान = mg xlm
=g . xl
अर्थात् त्वरण = gl विस्थापन
∴ विस्थापनत्वरण = lg …(2)
चूँकि लोलक का त्वरण, उसके विस्थापन x के अनुक्रमानुपाती है अत: लोलक की गति सरल आवर्त गति होती है।
सरल लोलक का आवर्तकाल T = 2 विस्थापनत्वरण
∴ समी. (2) से, T = 2 lg
प्रश्न 2. पृथ्वी की त्रिज्या R से तुलनीय लंबाई l के सरल लोलक के आवर्तकाल के लिए सूत्र की स्थापना कीजिए। यदि सरल लोलक की लंबाई
(i) पृथ्वी की त्रिज्या R (6400 किमी) की आधी,
(ii) अनन्त है तो आवर्तकाल का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
मानाकि एक सरल लोलक की लंबाई l है जो पृथ्वी की त्रिज्या R के सापेक्ष नगण्य नहीं है। चित्र से स्पष्ट है कि
कोणीय विस्थापन की स्थिति में (अर्थात् B पर) लोलक पर लगने वाला प्रत्यानयन बल = लोलक के भार mg (BC की ओर ) का OB के लंबवत् घटक।
अर्थात्
प्रत्यानयन बल F = mg Sin ( + ) mg ( + )
(क्योंकि कोण तथा अत्यल्प हैं)
लेकिन = xl तथा =xR
जहाँ x गोलक का रेखीय विस्थापन है।
∴ प्रत्यानयन बल = mg xl + xR
= mgx 1l + 1R = mg l+ RlRx
चूँकि प्रत्यानयन बल ∝ विस्थापन
अतः लोलक की गति सरल आवर्त गति होगी।
लेकिन त्वरण = बलद्रव्यमान
त्वरण = g l+ RlR
या विस्थापनत्वरण = lRg (l + R ) = Rg 1+ Rl
आवर्तकाल T = 2 1विस्थापनत्वरण = 2Rg1+Rl
(1) यदि l = R2 तो T =2Rg1+2 =2R3g
या T =26400 1033 9.8 = 2930 सेकंड
या T = 48 मिनट 50 सेकंड |
(2) यदि l = तो T =2Rg = 2 6400 103 9.8
या T = 5075 सेकंड
या T = 84.6 मिनट |
प्रश्न 3. सरल आवर्त गति में कण की स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा का व्यंजक निगमित कीजिए तथा सिद्ध कीजिए कि कण की सम्पूर्ण यांत्रिक ऊर्जा नियत रहती है।
उत्तर: गतिज ऊर्जा – सरल आवर्त गति करते हुए कण का वेग
v = A2 - y2
यदि द्रव्यमान m हो तो कण की गतिज ऊर्जा
K.E. = 12 m v2 = 12 m A2 - y22
K.E. = 12 m2 (A2 - y2) ………..(1)
स्थितिज ऊर्जा – सरल आवर्त गति में कण में उत्पन्न त्वरण का मान ।
= -2 y
परन्तु न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से,
बल = द्रव्यमान त्वरण
यदि कण का द्रव्यमान m हो तो कण पर लगने वाला प्रत्यानयन बल
F =-m = m2 y .
चूँकि प्रत्यानयन बल सदैव साम्य स्थिति की ओर दिष्ट होता है अतः कण के विस्थापन को बनाये रखने के लिए प्रत्यानयन बल के बराबर परन्तु विपरीत दिशा में एक बल कण पर लगाना होगा। इस बल का मान साम्य स्थिति पर शून्य है तथा साम्य स्थिति से दूर हटने पर इसका मान बढ़ता जाता है।
अतः कण पर लगा मध्यमान बल F = 0+ m2y2= 12m2y
अतः कण को y दूरी विस्थापित करने में किया गया कार्य
W = बल विस्थापन
या W =12m2y y = 12m2y2
यही कार्य कण में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है, अतः कण की स्थितिज ऊर्जा
P.E. = 12m2y2 ……….(2)
सम्पूर्ण ऊर्जा – सरल आवर्त गति करते हुए कण की संपूर्ण ऊर्जा
E = K.E. +P.E. = 12m2( A2-y2) + 12m2y2
या E =12m2A2 ………….(3)
समी. (3) कण की संपूर्ण ऊर्जा का व्यंजक है, चूँकि m , , A नियत राशि हैं अत: E भी नियत होगा।
इस प्रकार सरल आवर्त गति करते हुए कण की यांत्रिक ऊर्जा नियत रहती है।
प्रश्न 4. एक सरल लोलक का गोलक एक जल से भरी गेंद है। यदि गेंद की तली में एक बारीक छिद्र कर दें तो आवर्तकाल पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर: जैसे-जैसे गेंद में से जल बाहर निकलता जाता है इसका आवर्तकाल पहले बढ़ता है तथा फिर घटने लगता है। प्रारंभ में जब गेंद जल से पूरी भरी है तब लोलक का गुरुत्व केन्द्र गेंद के केन्द्र पर ही है जैसेजैसे गेंद में से जल बाहर निकलता है लोलक का गुरुत्व केन्द्र गेंद के केन्द्र से नीचे की ओर खिसकने लगता है जिससे लोलक की प्रभावकारी लंबाई बढ़ने लगती है अतः लोलक का आवर्तकाल भी बढ़ने लगता है। जब गेंद आधे से अधिक खाली हो जाती है तब लोलक का गुरुत्व केन्द्र पुनः ऊपर उठने लगता है जिससे लोलक की प्रभावकारी लंबाई पुनः घटने लगती है। अतः आवर्तकाल भी घटने लगता है जब गेंद पूर्णतः खाली हो जाती है तब लोलक का गुरुत्व केन्द्र पुनः गेंद के केन्द्र पर आ जाता है अत: आवर्तकाल अपने प्रारंभिक मान पर आ जाता है।
प्रश्न 5. सरल आवर्त गति किसे कहते हैं ? कोई चार उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर: जब कोई पिण्ड अपनी साम्य स्थिति के दोनों ओर सरल रेखा में इस प्रकार आवर्त गति करता है कि इसका त्वरण प्रत्येक स्थिति में कण के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है तथा त्वरण की दिशा सदैव माध्य स्थिति की ओर होती है तब पिण्ड की गति सरल आवर्त गति कहलाती है।
उदाहरण – सरल लोलक की गति, स्प्रिंग से लटके पिण्ड की गति, स्वरित्र द्विभुज की गति, झूले की गति इत्यादि।
विशेषताएँ- (1) वस्तु अपनी मध्यमान स्थिति के दोनों ओर सरल रेखा में गति करती है।
(2) वस्तु पर लगने वाला बल, मध्यमान स्थिति से विस्थापन के अनुक्रमानुपाती होता है तथा सदैव मध्यमान स्थिति की ओर होता है ।
(3) यांत्रिक ऊर्जा सदैव संरक्षित रहती है। गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में तथा स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में बदलती रहती है।
प्रश्न 6. सरल आवर्त गति में कण के त्वरण तथा विस्थापन में सम्बन्ध लिखिए तथा इसकी सहायता से आवर्तकाल का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर: सरल आवर्त गति में y विस्थापन पर कण का त्वरण f =2y
जहाँ कण का कोणीय वेग है यहाँ (-) ve चिन्ह केवल त्वरण की दिशा बतलाता है, अतः
2 = fy = त्वरणविस्थापन (संख्यात्मक मान )
या कोणीय वेग = त्वरणविस्थापन
अतः आवर्तकाल T = 2 = 2त्वरणविस्थापन =2 त्वरणविस्थापन
प्रश्न 7. सरल आवर्त गति करते हुए कण के लिए विस्थापन, वेग तथा त्वरण के सूत्र लिखिए तथा बताइये कि
(i) कण का वेग कब अधिकतम तथा कब शून्य होगा ?
(ii) कण का त्वरण कब अधिकतम तथा कब शून्य होगा?
उत्तर:
विस्थापन y = a sin ty = a sin ωt
वेग u=a Cos t = a2 - y2
तथा त्वरण f = - 2 a sin t = - 2y
जहाँ a कण का आयाम तथा कोणीय आवृत्ति है।
(i) कण का वेग अधिकतम, माध्य स्थिति (y=0) पर होगा।
umax = . a
कण का वेग शून्य, अधिकतम विस्थापित स्थिति (y = a) पर होगा।
u = 0 जब y = a
(ii) कण का त्वरण अधिकतम, अधिकतम विस्थापित स्थिति (y = a) पर होगा।
fmax = 2 जबकि y = a
कण का त्वरण शून्य, माध्य स्थिति पर होगा (f= 0 जबकि y= 0 )।
प्रश्न 8. सरल लोलक से क्या अभिप्राय है ? सरल लोलक को जब माध्य स्थिति से हटाया जाता है तो वह दोलन करने लगता है, क्यों ?
उत्तर:
सरल लोलक-एक आदर्श सरल लोलक वह निकाय है जिसमें एक भारी से भारी द्रव्यमान कण दृढ़ आधार से एक भाररहित, अवितान्य तथा प्रत्यास्थ डोरी से लटका होता है।
जब लोलक को माध्य स्थिति A से विस्थापित करके स्थिति B पर पहुँचा दिया जाता है तो स्पष्ट है कि लोलक कुछ ऊपर उठ जाता है और उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ जाती है। यदि लोलक को स्थिति B पर स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है तो उसका गुरुत्व केन्द्र स्थायी संतुलन के लिए नीचे की ओर गिरता है और स्थिति A पर वापस पहुँचते-पहुँचते उसकी संपूर्ण स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। स्थिति A पर आकर लोलक रुकता नहीं है बल्कि गति के जड़त्व के कारण आगे की ओर बढ़ जाता है और माध्य स्थिति A के दोनों ओर दोलन करता रहता है।
प्रश्न 9. सरल लोलक के आवर्तकाल का सूत्र लिखिए तथा बताइए कि यह किन-किन कारकों पर तथा किस प्रकार निर्भर करता है ?
उत्तर: सरल लोलक का आवर्तकाल T = 2 lg
उपर्युक्त सूत्र से स्पष्ट है कि सरल लोलक का उसके
(1) लंबाई पर निर्भरता – T ∝ l अर्थात् यदि लोलक की प्रभावकारी लंबाई बढ़ाकर चार गुनी कर दी जाये तो उसका आवर्तकाल दोगुना हो जायेगा।
(2) गुरुत्वीय त्वरण पर निर्भरता-सरल लोलक का आवर्तकाल T ∝ 2 lg
अर्थात् g का मान बढ़ने पर आवर्तकाल घट जाता है तथा g का मान कम होने पर आवर्तकाल बढ़ जाता है।
प्रश्न 10. सरल लोलक के नियम लिखिए। प्रत्येक नियम का क्या व्यावहारिक उपयोग है ?
उत्तर: चूँकि सरल लोलक का आवर्तकाल T = 2 lg
उपर्युक्त सूत्र से सरल लोलक के निम्नलिखित चार नियम प्राप्त होते हैं-
लंबाई का नियम – सरल लोलक का आवर्तकाल उसकी प्रभावकारी लंबाई के वर्गमूल के समानुपाती होता है अर्थात् T ∝ √l.
इस नियम का उपयोग लोलक वाली घड़ियों के सुस्त या तेज हो जाने पर उन्हें ठीक करने के लिए किया जाता है।
गुरुत्वीय त्वरण का नियम-सरल लोलक का आवर्तकाल उस स्थान पर गुरुत्वीय त्वरण के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात् T ∝ lg इसीलिए पहाड़ों या खान में जाने पर लोलक घड़ी सुस्त हो जाती है।
द्रव्यमान का नियम – सरल लोलक का आवर्तकाल, लोलक अथवा धागे के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है। अत: लोलक भारी या हल्का, यदि उसका गुरुत्व केन्द्र समान रहता है तो उसका आवर्तकाल भी समान रहता है।
समकालत्व का नियम-सरल लोलक का आवर्तकाल, आयाम पर निर्भर नहीं करता है (यदि आयाम कम हो) यही कारण है कि सरल लोलक के प्रयोग में लोलक का कोणीय आयाम कम रखा जाता है।
प्रश्न 11. आवृत्ति तथा आवर्तकाल में सम्बन्ध ज्ञात कीजिए।
उत्तर: माना दोलन गति करने वाली वस्तु की आवृत्ति v तथा आवर्तकाल T है चूँकि T सेकण्ड में दोलनों की संख्या =1
अतः 1 सेकण्ड में दोलनों की संख्या = 1T
आवृत्ति की परिभाषा से, v= 1T
या v . T = 1 यही अभीष्ट संबंध है।
प्रश्न 12. सरल आवर्त गति करने वाले कण के आवर्तकाल तथा आवृत्ति के व्यंजक ज्ञात कीजिए।
उत्तर: सरल आवर्त गति करने वाले कण का त्वरण
= 2y (केवल परिमाण लेने पर)
2 = y
= y = त्वरणविस्थापन
आवर्तकाल T = 2 =2 त्वरणविस्थापन
आवृत्ति v = 1T =12 त्वरणविस्थापन
प्रश्न 13. m द्रव्यमान का एक पिण्ड किसी आदर्श स्प्रिंग से लटका हुआ ऊपर-नीचे दोलन कर रहा है। यदि स्प्रिंग का बल नियतांक k हो तो सिद्ध कीजिए कि इसका आवर्तकाल
T = 2 mk हो |
उत्तर:
माना एक आदर्श स्प्रिंग दृढ़ आधार से लटकी है तथा इसके निचले सिरे पर m द्रव्यमान का एक पिण्ड लटका हुआ है पिण्ड की साम्य स्थिति A है। अब यदि पिण्ड पर एक बल लगाकर नीचे की ओर स्थिति B तक खींचकर उसे छोड़ते हैं तो पिण्ड ऊपर-नीचे सरल आवर्त गति करने लगता है।
माना स्थिति B पर साम्य स्थिति A से विस्थापन y है तो स्प्रिंग के द्वारा पिण्ड पर लगने वाला प्रत्यानयन बल F ,
विस्थापन y के अनुक्रमानुपाती होता है तथा इस बल की दिशा साम्य स्थिति की ओर होती है। अर्थात्
F ∝ -y या F = - ky , जहाँ k स्प्रिंग का बल नियतांक है।
अतः पिण्ड का त्वरण = बलद्रव्यमान = -kmy
या =त्वरणविस्थापन = mk , ( क्योंकि यहाँ ऋणात्मक चिन्ह केवल यह दर्शाता है कि त्वरण दिशा विस्थापन की
दिशा विपरीत है )
आवर्तकाल T = 2 त्वरणविस्थापन =2 mk
प्रश्न 14. यदि पृथ्वी के गुरुत्वीय केन्द्र के आर-पार कोई खोखली नली डालना सम्भव हो तो उसमें छोड़ी गयी किसी गोली की गति कैसी होगी ? गोली के वेग तथा त्वरण में किस प्रकार परिवर्तन होगा? गोली की गति का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए। नली के माध्यम का प्रभाव उपेक्षणीय है।
उत्तर:
गोली पृथ्वी के केन्द्र के दोनों ओर सरल आवर्त गति करेगी। पृथ्वी के केन्द्र पर गोली का वेग अधिकतम तथा त्वरण शून्य होगा जबकि पृथ्वी के तल पर गोली का वेग शून्य तथा त्वरण अधिकतम (पृथ्वी के केन्द्र की ओर) होगा।
चित्र में माना पृथ्वी की त्रिज्या R तथा केन्द्र O है । पृथ्वी तल पर बिन्दु A से पृथ्वी के व्यास के अनुदिश आर-पार खोखली नली में m द्रव्यमान की एक गोली बिन्दु A पर छोड़ी जाती है। किसी क्षण गोली की स्थिति बिन्दु P पर है जिसकी पृथ्वी के केन्द्र से दूरी x है। बिन्दु P पर गुरुत्वीय त्वरण g' = g.xR.
(केन्द्र O की ओर)
अर्थात्
त्वरण ∝ विस्थापन (माध्य स्थिति की ओर)
अत: गोली की गति, सरल आवर्त गति होगी जिसका
आवर्तकाल T = 2 त्वरणविस्थापन =2 Rg
यदि R = 6.4 106 मीटर तथा g = 9.8 g = 9.8 मीटर/ सेकण्ड2 है तो
T = 2 6.4 1069.8
T = 5075 सेकण्ड
या T = 84.6 मिनट।
प्रश्न 15. सेकण्ड लोलक किसे कहते हैं ? इसकी प्रभावकारी लंबाई की गणना कीजिए।
उत्तर: सेकण्ड लोलक-जिस सरल लोलक का आवर्तकाल 2 सेकण्ड होता है उसे सेकण्डी लोलक कहते हैं।
सूत्र T = 2 lg में, T= 2 सेकण्ड रखने पर सेकण्डी लोलक की लंबाई l = g2
सेकण्ड लोलक की प्रभावकारी लंबाई लगभग 100 सेमी होती है
हम जानते हैं कि सरल लोलक का आवर्तकाल
T = 2 lg
या T2 = 4 2lg
या l = g T24 2
सेकण्ड लोलक के लिए T = 2 सेकण्ड
एवं समुद्र तल पर 45° अक्षांश पर g का प्रामाणिक मान = 981 सेमी/सेकण्ड2
l = 981 2 14 (3.14)2 = 99.34 सेमी
l = 100 सेमी (लगभग)
अर्थात् सेकण्ड लोलक की प्रभावकारी लम्बाई लगभग 100 सेमी होती है।
प्रश्न 16. किसी कमानीदार तुला का पैमाना 0 से 50 किग्रा तक अंकित है और पैमाने की लंबाई 20 सेमी है। इस तुला में लटकाया गया कोई पिण्ड, जब विस्थापित करके मुक्त किया जाता है, 0.6 सेकण्ड आवर्तकाल से दोलन करता है। पिण्ड का भार कितना है ?
उत्तर:
दिया है-अधिकतम भार या बल = 50 9.8 = 490 न्यूटन
अधिकतम प्रसार = 20 सेमी =0.2 मीटर
तुला के कमानी या स्प्रिंग का नियतांक k = Fx = 4900.2
= 2450 न्यूटन/मीटर
आवर्तकाल का सूत्र T = 2 mk से,
m= T2 k4 2 = 0.60.6245043.143.14
या m =0.36245049.86 = 88239.44
= 22.36 किग्रा।
प्रश्न 17. एक वस्तु सरल आवर्त गति कर रही है। उसका आवर्तकाल. 2 सेकण्ड तथा आयाम 2 मीटर है। वस्तु की अधिकतम चाल क्या होगी?
उत्तर:
T = 2 सेकण्ड, a = 2 मीटर
अतः आवर्तकाल ज्ञात = a = a 2 T = 223.142
= 2 3.14 = 6.28 मीटर /सेकण्ड।
प्रश्न 18. एक सरल आवर्त गति करने वाले कण का त्वरण जब वह माध्य स्थिति से 2 सेमी दूर है, 2 सेमी/सेकण्ड है तो उसका आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है- y = 2 सेकण्ड, = 2 सेमी/सेकण्ड2
∴ T = 2 y में मान रखने पर,
T =2 3.14 22 = 6.28 सेकण्ड।
प्रश्न 19. सेकण्डी लोलक की लंबाई
(i) पृथ्वी सतह पर ( g = 9.8 मी/से2 ),
(ii) चन्द्रमा सतह पर ( g = 1.65 मी/से2) ज्ञात कीजिए।
उत्तर: सेकण्डी लोलक के लिए T =2 सेकण्ड होता है।
अत: सूत्र T = 2 lg में T =2 सेकण्ड रखने पर,
l = g2
(i) पृथ्वी सतह पर g = 9.8 मी/से2
∴ l = 9.8(3.14)2 = 0.99 मीटर।
(ii) चन्द्रमा सतह पर g = 1.65 मी/से2
अतः l = 1.652
l = 0.167 मीटर (लगभग)।
प्रश्न 20. 200 न्यूटन प्रति मीटर बल नियतांक वाली किसी आदर्श स्प्रिंग से 98 किग्रा द्रव्यमान का लटका पिण्ड दोलन कर रहा है। इसका आवर्तकाल कितना होगा?
उत्तर:
प्रश्नानुसार, m = 98 किग्रा, k = 200 न्यूटन /मीटर
आवर्तकाल T = 2 mk
या T = 2 98200 = 2 3.14 98200
T = 4.396 सेकण्ड।
प्रश्न 21 . 100 सेमी तथा 110.25 सेमी लंबाई के दो लोलक एक साथ दोलन करना प्रारंभ करते हैं। कितने दोलनों के पश्चात् वे पुनः एक साथ दोलन करने लगेंगे ?
उत्तर: माना 100 सेमी लंबाई के लोलक का दोलनकाल T1 है,तो
T1 = 2 100g
यदि 110.25 सेमी लंबाई के लोलक का दोलनकाल T2 है,तो
T2 = 2 110.25g
स्पष्टः T1 < T2
अतः पुनः एक साथ दोलन करने के लिए यदि बड़ा लोलक l दोलन करता है तो छोटा लोलक (n+1) दोलन करेगा अर्थात्
(n + 1)T1 = n T2
या (n+1) 2 100g = n 2 110.25g
या ( n+1) 10 = n 10.5
या n ( 10.5 -10 ) = 10
या n = 1005 = 20
अर्थात् बड़े लोलक के 20 (या छोटे लोलक के 21) दोलनों के पश्चात् वे पुनः एक साथ दोलन करने
प्रश्न 22. सरल आवर्त गति करते हए कण का आवर्तकाल 2 सेकण्ड तथा कम्पन का आयाम 5 सेमी है। इसकी गति का समीकरण लिखिए-
(i) गति प्रारंभ करने के 1.5 सेकण्ड बाद कण का विस्थापन तथा वेग कितना होगा?
(ii) कितने समय बाद कण का विस्थापन 2.5 सेमी होगा?
(iii) कण का अधिकतम वेग तथा अधिकतम त्वरण कितना होगा? यह माना जाये कि कण अपनी माध्य स्थिति से गति प्रारंभ करता है ?
उत्तर:
प्रश्नानुसार, T= 2 सेकण्ड, a = 5 सेमी
= 2 T = 2 2 = = 3.14 रेडियन/सेकण्ड
चूँकि कण अपनी माध्य स्थिति से दोलन प्रारंभ करता है अतः गति का समीकरण निम्नलिखित होगा-
y = a Sin t = 5 Sin t (सेमी)
(i) t = 1.5 सेकण्ड बाद
y = 5 Sin 1.5 = - 5 सेमी
t = 1.5 सेकण्ड बाद u = a cos t
अतः t = 1.5 सेकण्ड बाद u = 5 cos ( 1.5 ) = 5 cos 1.5 = 0
(ii) समीकरण y = 5 Sin t से y = 2.5 सेमी के लिए
2.5 = 4 Sin t
या sin t = 2.5 5 = 12 = Sin 6
∴ t = 6
या t =16 सेकण्ड।
(iii) कण का अधिकतम वेग-
umax = a
या umax = 5 3.14 = 15.7 सेमी/सेकण्ड
कण का अधिकतम त्वरण fmax = -2a
= -(3.14)2 5 = - 49.3 सेमी/सेकण्ड2 ।
प्रश्न 23. एक सरल लोलक प्रति मिनट 60 दोलन करता है इसकी लंबाई ज्ञात कीजिए (जबकि g = 981 सेमी/सेकण्ड2 )।
उत्तर:
दोलनकाल T = समय दोलनों की संख्या = 1 मिनट 60 = 60 सेकंड60 = 1 सेकंड
सूत्र – T = 2 lg से,
l= g T24 2 = 981 (1)24 (3.14)2
या l = 24.87 सेमी।
प्रश्न 24. किसी ग्रह पर गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण के मान का 14 है। यदि किसी सरल लोलक का आवर्तकाल पृथ्वी पर 2-0 सेकण्ड है तो उसका आवर्तकाल उस ग्रह पर कितना होगा?
उत्तर:
आवर्तकाल T = 2 lg अर्थात् T ∝ 1g
∴ T2T1 = g1g2
प्रश्नानुसार, g1 = g , g2 = g4 , T1 = 2 सेकण्ड, T2 = ?
∴ T2T1 = gg4 = 4 = 2
∴ T2 = 2 T1 = 2 2 = 4 सेकण्ड।
अत: ग्रह पर सरल लोलक का आवर्तकाल 4 सेकण्ड होगा।
प्रश्न 25 . 9.82 मीटर लंबाई के सरल लोलक का आवर्तकाल कितना होगा ? ऐसे लोलक को क्या कहते हैं ? (g = 9.8 मी/से2 )
उत्तर:
l =9.82 तथा g = 9.8 मी/से2
T = 2 lg = 2 9.829.8 = 2 = 2 सेकण्ड
ऐसे लोलक को (जिसका आवर्तकाल 2 सेकण्ड है) सेकण्डी लोलक कहते हैं।