बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 15 तरंगे लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. तरंग गति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर: ऊर्जा स्थानान्तरण की वह विधि जिसमें विक्षोभ अपना रूप बदले बिना एक नियत चाल से आगे बढ़ता रहता है, तरंग गति कहलाती है।
प्रश्न 2. प्रगामी तरंग किसे कहते हैं ? धनात्मक X - अक्ष की ओर v वेग से गतिमान प्रगामी तरंग का विस्थापन समीकरण लिखिए।
उत्तर: वह तरंग जिसके किसी माध्यम में संचरित होने पर माध्यम के कण सरल आवर्त गति में कम्पन करते हैं, प्रगामी तरंग कहलाती है। धनात्मक X -अक्ष की ओर v वेग से संचरित प्रगामी तरंग का विस्थापन समीकरण निम्न है-
y = a Sin 2 (t - x)
प्रश्न 3. तरंगों के अध्यारोपण का सिद्धांत क्या है ? यह कब लागू नहीं होता है ?
उत्तर: इस सिद्धांतानुसार जब दो तरंगें माध्यम के किसी बिन्दु पर एक साथ पहुँचती हैं तो उस बिन्दु पर परिणामी विस्थापन उन तरंगों के अलग-अलग विस्थापनों का बीजगणितीय योग होता है। यह सिद्धांत बहुत बड़े आयाम की तरंगों पर लागू नहीं होता है।
प्रश्न 4. ध्वनि तरंगों के अध्यारोपण से उत्पन्न तीन प्रकार की घटनाओं के नाम बताइये।
उत्तर:
ध्वनि या व्यतिकरण
ध्वनि का विस्पन्द
अप्रगामी तरंगें |
प्रश्न 5. अप्रगामी तरंगें किसे कहते हैं ?
उत्तर: जब समान आयाम तथा समान आवृत्ति वाली दो तरंगें माध्यम में एक ही चाल से एक ही रेखा में विपरीत दिशा में गमन करती हैं तो उनके अध्यारोपण के फलस्वरूप परिणामी तरंग समय के साथ आगे नहीं बढ़ती है, इसे अप्रगामी तरंग कहते हैं।
इस प्रकार की तरंग द्वारा माध्यम में ऊर्जा का स्थानान्तरण नहीं होता।
प्रश्न 6. अप्रगामी तरंगें कितने प्रकार की होती हैं ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिये।
उत्तर: अप्रगामी तरंगें दो प्रकार की होती हैं-
अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें – यदि अध्यारोपित होने वाली तरंगें अनुप्रस्थ हैं तो उनके द्वारा उत्पन्न तरंगें अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें होती हैं।
उदाहरण – सितार, गिटार इत्यादि के तने हुए तारों में अनुप्रस्थ अप्रगामी तरंगें होती हैं।
अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें – अनुदैर्ध्य तरंगों के अध्यारोपण से उत्पन्न तरंगें अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंगें कहलाती हैं।
उदाहरण – ढोलक, तबला, बांसुरी के वायु स्तम्भ में अनुदैर्ध्य अप्रगामी तरंग बनती हैं।
प्रश्न 7. निस्पन्द तथा प्रस्पन्द क्या होते हैं ? दो क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच की दूरी कितनी होती हैं ?
उत्तर: अप्रगामी तरंग में माध्यम के कुछ बिन्दुओं का कम्पन, आयाम तथा वेग शून्य होता है, इन बिन्दुओं को निस्पन्द कहते हैं। इसके विपरीत माध्यम के कुछ बिन्दुओं का कम्पन, आयाम तथा वेग अधिकतम होता है, इन बिन्दुओं को प्रस्पन्द कहते हैं। दो क्रमागत प्रस्पन्दों के बीच की दूरी 2 होती है। जहाँ तरंग का तरंगदैर्घ्य है।
प्रश्न 8. विस्पन्द किसे कहते हैं ? स्पष्ट विस्पन्द सुनने की आवश्यक शर्ते क्या हैं ?
उत्तर: जब किसी माध्यम में लगभग समान आवृत्ति की दो ध्वनि तरंगें एक साथ एक ही दिशा में चलती हैं तो उनके अध्यारोपण के फलस्वरूप माध्यम के किसी बिन्दु पर ध्वनि की तीव्रता एकान्तर क्रम में घटती-बढ़ती रहती है। ध्वनि की तीव्रता में होने वाले इस क्रमिक उतार-चढ़ाव को विस्पंद कहते हैं। इसके लिए निम्न शर्ते आवश्यक हैं-
(1) दोनों तरंगों को एक ही दिशा में और एक ही रेखा में समान चाल से चलना चाहिये।
(2) दोनों तरंगों की आवृत्ति में थोड़ा-सा अन्तर होना चाहिये।
(3) दोनों तरंगों के आयाम लगभग बराबर होना चाहिये।
प्रश्न 9. ध्वनि की प्रबलता से क्या तात्पर्य है ? यह किन-किन कारकों पर निर्भर करती है ?
उत्तर: प्रबलता, ध्वनि का वह लक्षण है जिससे ध्वनि कान को धीमी या तीव्र प्रतीत होती है। ध्वनि की प्रबलता, ध्वनि की तीव्रता, ध्वनि स्रोत से श्रोता की दूरी तथा श्रोता के कान की संवेदिता पर निर्भर करती है।
प्रश्न 10. विस्पन्द के कोई तीन अनुप्रयोग लिखिये।
उत्तर:विस्पन्द के तीन अनुप्रयोग -
किसी स्वरित्र की अज्ञात आवृत्ति ज्ञात करना।
किसी वाद्य यंत्र को समस्वरित करना।
खानों में हानिकारक गैसों का पता लगाना।
प्रश्न 11. किसी तनी हुई डोरी में उत्पन्न अनुप्रस्थ तरंग का वेग किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ? क्या यह डोरी की लंबाई पर निर्भर करता है ? एक तनी हुई डोरी में मूल कम्पन की आवृत्ति का सूत्र लिखिए।
उत्तर: (1) डोरी में तनाव पर,
(2) डोरी की एकांक लंबाई के द्रव्यमान पर। यह डोरी की लंबाई पर निर्भर नहीं करता है।
सूत्र : n =12lTm
l तनी हुई डोरी की लंबाई, T डोरी में तनाव, m डोरी की एकांक लंबाई का द्रव्यमान है।
प्रश्न 12. एक सितार, तबला तथा हारमोनियम तीनों एक ही आवृत्ति पर समस्वरित किये हुए हैं फिर भी उन तीनों की ध्वनि अलग-अलग पहचानी जा सकती है, समझाइये ऐसा कैसे होता है ?
उत्तर: सितार, तबला, हारमोनियम यदि एक ही आवृत्ति पर समस्वरित हैं तब भी चूँकि उनसे उत्पन्न ध्वनि में विभिन्न संनादी उपस्थित होंगे तथा उनकी आपेक्षिक तीव्रता भिन्न-भिन्न होगी अतः उनसे उत्पन्न ध्वनि की गुणता अलग-अलग होगी जिससे उनमें पहचान की जा सकती है।
प्रश्न 13. तनी डोरी में मूल कम्पन की आवृत्ति किन-किन कारकों पर निर्भर करती है तथा किस प्रकार?
उत्तर: (1) डोरी की लंबाई n ∝ 1l
(2) डोरी में तनाव पर n ∝ T
(3) डोरी की त्रिज्या पर n ∝ 1r
(4) डोरी के घनत्व पर n ∝ 1d
प्रश्न 14. समान लंबाई तथा समान त्रिज्या के लोहे तथा ऐल्युमिनियम के दो तार समान तनाव पर खींचे जाते हैं। किसमें अनुप्रस्थ तरंग का वेग अधिक होगा?
उत्तर: ऐल्युमिनियम के तार में अनुप्रस्थ.तरंग का वेग अधिक होगा, क्योंकि ऐल्युमिनियम का घनत्व, लोहे की अपेक्षा कम होता है तथा अनुप्रस्थ तरंग का वेग ∝ 1d
प्रश्न 15. संनादी किसे कहते हैं ? तनी हुई डोरी में कौन-कौन से संनादी उत्पन्न किये जा सकते हैं ?
उत्तर: वे कम्पन जिनकी आवृत्तियाँ, मूल कम्पन की आवृत्ति की सरल गुणक होती हैं, संनादी कहलाते हैं, तनी डोरी में सभी (सम तथा विषम) संनादी उत्पन्न किये जा सकते हैं।
प्रश्न 16. सुपरसोनिक विमानों की ध्वनि पृथ्वी पर सुनायी नहीं देती, क्यों?
उत्तर: सुपरसोनिक विमानों का वेग, ध्वनि के वेग के बराबर या उससे अधिक होता है अत: डॉप्लर प्रभाव के अनुसार विमान द्वारा उत्पन्न ध्वनि की आभासी आवृत्ति श्रव्यता की सीमा के बाहर हो जाती है, अतः ध्वनि पृथ्वी पर सुनायी नहीं पड़ती है।
प्रश्न 17. आर्गन नलिका द्वारा उत्पन्न स्वर की आवृत्ति, उसकी लंबाई पर किस प्रकार निर्भर करती है ?
उत्तर: बन्द अथवा खुली आर्गन नलिका द्वारा उत्पन्न स्वर की आवृत्ति, उसकी लंबाई के व्युत्क्रमानुपाती होती है अर्थात् नलिका की लंबाई कम करते जाने पर मूल स्वर की आवृत्ति बढ़ती जाती है जिससे आवाज पतली होती जाती है।
प्रश्न 18: क्या कारण है कि नल के नीचे घड़े के भरने का अनुमान दूर बैठा मनुष्य उसकी अवाज सुनकर लगा लेता है ?
उत्तर: जैसे-जैसे पानी का तल घड़े में ऊपर उठता जाता है, वायु स्तंभ की लंबाई कम होती जाती है जिससे उत्पन्न होने वाली ध्वनि की आवृत्ति बढ़ती जाती है अर्थात् आवाज पतली होती जाती है।
प्रश्न 19. किसी आर्गन नलिका से निकले स्वर की आवृत्ति पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर: ताप बढ़ने से चूँकि वायु में ध्वनि का वेग बढ़ जाता है अत: आर्गन नलिका से निकले स्वर की आवृत्ति भी बढ़ जाती हैं चूँकि ∝ T अत: n ∝ T .
इसी प्रकार, आर्द्रता बढ़ने से वायु में ध्वनि का वेग बढ़ जाता है अत: आर्गन नलिका से निकले स्वर की आवृत्ति भी बढ़ जाती है।
प्रश्न 20. अन्त्य संशोधन से क्या अभिप्राय है ? इसका लगभग मान कितना होता है ?
उत्तर: आर्गन नलिका में प्रस्पन्द नलिका के ठीक खुले सिरे पर नहीं बनता है बल्कि थोड़ा बाहर बनता है क्योंकि जड़त्व के कारण वायु के कम्पित कण नलिका के खुले सिरे से कुछ बाहर आ जाते हैं। खुले सिरे से प्रस्पन्द की दूरी को अन्त्य संशोधन कहते हैं।
यदि नलिका की आन्तरिक त्रिज्या r है तो इसका लगभग मान 0.6 r होता है।
प्रश्न 21. खुली नली में बन्द नली की अपेक्षा मधुर स्वर उत्पन्न होते हैं, क्यों?
उत्तर: स्वर, उसी समय मधुर होता है जबकि उसमें सम तथा विषम दोनों प्रकार के संनादी उपस्थित हों। खुली नली में सम और विषम दोनों प्रकार के संनादी उत्पन्न होते हैं जबकि बन्द नली में केवल विषम संनादी ही उत्पन्न होते हैं यही कारण है कि खुली नली में बन्द नली की अपेक्षा मधुर स्वर उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 22. क्या कारण है कि अनुनाद नली के प्रयोग में प्रथम अनुनाद, द्वितीय अनुनाद की अपेक्षा तीव्र होता है ?
उत्तर: अनुनाद नली के वायु स्तम्भ में प्रथम अनुनाद तब उत्पन्न होता है जबकि स्वरित्र की आवृत्ति, वायु स्तम्भ के मूल स्वर की आवृत्ति के बराबर होती है, अतः ध्वनि अधिक तीव्र होती है, इसके विपरीत द्वितीय अनुनाद की स्थिति में स्वरित्र की आवृत्ति, वायुस्तंभ के प्रथम अधिस्वरक (या तृतीय संनादी) की आवृत्ति के बराबर होती है अतः ध्वनि अपेक्षाकृत कम तीव्र होती है।
प्रश्न 23. डॉप्लर प्रभाव क्या है ? इसके लागू होने की क्या सीमा है ?
उत्तर: डॉप्लर प्रभाव के अनुसार जब ध्वनि स्रोत तथा श्रव्य के बीच सापेक्ष गति होती है तो ध्वनि स्रोत की वास्तविक आवृत्ति श्रोता को परावर्तित होती हुई प्रतीत होती है।
डॉप्लर प्रभाव लागू होने की सीमा – यह केवल तभी लागू होता है जबकि ध्वनि स्रोत या प्रेक्षक का वेग, ध्वनि के वेग के बराबर या उससे कम होता है।
प्रश्न 24. हॉल में प्रतिध्वनि कम करने के लिए क्या किया जाता है ?
उत्तर: हॉल में प्रतिध्वनि कम करने के लिए हॉल की दीवारों तथा छत को ध्वनि शोषकों से ढंक दिया जाता है जिससे ध्वनि का परावर्तन नहीं हो पाता। इसके लिए प्रायः सरन्ध्र ऐस्बेस्टॉस टाइल्स का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 25. ध्वनि के तारत्व (या पिच) से क्या तात्पर्य है ? यह किस भौतिक राशि पर निर्भर करता है?
उत्तर: तारत्व, ध्वनि का वह लक्षण है जिससे ध्वनि को मोटा या तीक्ष्ण कहा जाता है। तारत्व का सम्बन्ध आवृत्ति से होता है। जैसे-जैसे ध्वनि की आवृत्ति बढ़ती जाती है वैसे-वैसे ध्वनि का तारत्व बढ़ता जाता है तथा ध्वनि तीक्ष्ण या पतली होती जाती है। ध्वनि की आवृत्ति कम होने पर उसका तारत्व कम होता है तथा ध्वनि मोटी या सपाट प्रतीत होती है।