बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 4 समतल में गति लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: प्रक्षेप्य गति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:जब किसी पिण्डे को एक प्रारम्भिक वेग से ऊध्र्वाधर दिशा से भिन्न किसी दिशा में फेंका जाता है। तो उस पर गुरुत्वीय त्वरण सदैव ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर लगता है तथा पिण्ड ऊध्र्वाधर तल में एक वक्र पथ पर गति करता है। इस गति को प्रक्षेप्य गति कहते हैं।
प्रश्न 2:निम्नलिखित भौतिक राशियों में से बताइए कि कौन-सी सदिश हैं और कौन-सी अदिश-आयतन, द्रव्यमान, चाल, त्वरण, घनत्व, मोल संख्या, वेग, कोणीय आवृत्ति, विस्थापन, कोणीय वेग।
उत्तर: सदिश राशियाँ: त्वरण, वेग, विस्थापन तथा कोणीय वेग।
अदिश राशियाँ: आयतन, द्रव्यमान, चाल, घनत्व, मोल-संख्या तथा कोणीय आवृत्ति।
प्रश्न 3:प्रक्षेपण पथ के उच्चतम बिन्दु पर प्रक्षेप्य की गति की दिशा क्षैतिज क्यों हो जाती है?
उत्तर:क्योंकि उच्चतम बिन्दु पर प्रक्षेप्य के वेग का ऊर्ध्व घटक शून्य हो जाता है। इसमें केवल क्षैतिज घटक ही रह जाने के कारण प्रक्षेप्य की गति की दिशा प्रक्षेपण पथ के उच्चतम बिन्दु पर क्षैतिज हो जाती है।
प्रश्न 4:प्रक्षेप्य के उड्डयनकाल (T) की परिभाषा एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर:जितने समय में पिण्ड प्रक्षेपण बिन्दु से उच्चतम बिन्दु तक पहुँचकर अपने परवलय पथ द्वारा प्रक्षेपण-बिन्दु की सीध में नीचे आता है, उसे पिण्ड का उड्डयनकाल कहते हैं।
प्रक्षेप्य के उड्डयनकाल =2u sing
प्रश्न 5:“पृथ्वी से छोड़े गये प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार होता है। प्रक्षेप्य की चाल पथ के उच्चतम बिन्दु पर न्यूनतम होगी।” समझाइए कि यह कथन सत्य है या असत्य।
उत्तर:यह कथन सत्य है, क्योंकि उच्चतम बिन्दु पर प्रक्षेपण वेग का ऊर्ध्व घटक शून्य हो जाता है तथा क्षैतिज घटक अपरिवर्तित रहता है।
प्रश्न 6:प्रक्षेप्य,पथ के परवलयाकार होने के प्रतिबन्ध बताइए।
उत्तर:प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार होने के प्रतिबन्ध-प्रक्षेप्य का पथ परवलयाकार तभी हो सकता है, जबकि उक्त प्रतिबन्ध सन्तुष्ट हो। इसके लिए निम्नलिखित प्रतिबन्ध आवश्यक हैं
1. प्रक्षेप्य द्वारा प्राप्त ऊँचाई बहुत अधिक नहीं होनी चाहिए अन्यथा ४ को परिमाण बदल जाएगा।
2. प्रक्षेप्य का परास बहुत अधिक नहीं होना चाहिए अन्यथा ४ की दिशा परिवर्तित हो जाएगी।
3. प्रक्षेप्य का प्रारम्भिक वेग कम होना चाहिए जिससे कि वायु का प्रतिरोध नगण्य रहे। उपर्युक्त प्रतिबन्धों के सन्तुष्ट होने पर ही प्रक्षेप्य पथ एक परवलय रहेगा अन्यथा बदल जाएगा।
प्रश्न 7:एक व्यक्ति 2 किग्रा एवं 3 किग्रा के दो गोले समान वेग से क्षैतिज से समान झुकाव कोण पर फेंकता है। बताइए कौन-सा गोला पृथ्वी पर पहले पहुँचेगा? यदि गोले भिन्न-भिन्न वेगों से फेंके जाएँ तब कौन-सा पहले पहुँचेगा?
उत्तर:
प्रक्षेप्य का उड्डयन काल
T=2uo sing
सूत्र से स्पष्ट है कि उड्डयन काल प्रक्षेपित पिण्ड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता। अतः दोनों गोले पृथ्वी पर एक साथ पहुंचेंगे। उड्डयन काल प्रक्षेपण वेग u0 पर निर्भर करता है तथा T α uo। अत: जिस गोले का प्रक्षेपण वेग कम है, वह पहले पृथ्वी पर पहुँचेगा।
प्रश्न 8:नीचे दिए गए कथनों को ध्यानपूर्वक पढिए और कारण सहित बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य
(a) वृत्तीय गति में किसी कण का नेट त्वरण हमेशा वृत्त की त्रिज्या के अनुदिश केन्द्र की ओर होता है।
(b) किसी बिन्दु पर किसी कण का वेग सदिश सदैव उस बिन्दु पर कण के पथ की स्पर्श रेखा के अनुदिश होता है।
(c) किसी कण को एकसमान वृत्तीय गति में एक चक्र में लिया गया औसत त्वरण सदिश एक शून्य सदिश होता है।
उतर:
(a) असत्य है क्योंकि यह कथन केवल एकसमान वृत्तीय गति के लिए सत्य है।
(b) सत्य है क्योंकि यदि कण की गति में त्वरण, वेग के अनुदिशहै तो कण सरल रेखीय पथ पर गति करता है और यदि गति में त्वरण किसी अन्य दिशा में है तो कण वक्र पथ पर गति करता है तथा वेग
की दिशा पथ के स्पर्श रेखीय रहती है।
(c) सत्य है क्योंकि एक अर्द्धचक्र में त्वरण; दूसरे अर्द्धचक्र में त्वरण के ठीक बराबर व विपरीत होता है।
प्रश्न 9:एक पत्थर पृथ्वी तल से क्षैतिज से 30° कोण पर 49 मी/से के वेग से फेंका जाता है। इसका उड्डयन काल तथा क्षेतिज परास ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है, प्रक्षेप्य कोण θ0= 30°
प्रक्षेप्य वेग u=49 मी /से
उड्डयन काल T=2u sin g=249sin 309.8
=24919.82=5 से
क्षेतिज परास R=u2 sin 2 g=(49)2 sin (230)9.8
=(49)2 sin ( 6 0)9.8=4949329.8
=24532=212.17 मी
प्रश्न 10:क्या आप निम्नलिखित्व के साथ कोई संदिश सम्बद्ध कर सकते हैं-
(a) किसी लूप में मोड़ी गई तार की लम्बाई,
(b) किसी समतल क्षेत्र,
(c) किसी गोले के साथ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(a) नहीं, क्योंकि वृत्तीय लूप में मोड़े गए तार की कोई निश्चित दिशा नहीं होती।
(b) हाँ, दिए गए समतल पर एक निश्चित अभिलम्ब खींचा जा सकता है; अत: समतल क्षेत्र के साथ एक सदिश सम्बद्ध किया जा सकता है जिसकी दिशा समतल पर अभिलम्ब के अनुदिश हो सकती
(c) नहीं, क्योंकि किसी गोले का आयतन किसी विशेष दिशा के साथ सम्बद्ध नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 11:किसी सदिश में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं। क्या इसका यह अर्थ है कि कोई राशि जिसका परिमाण व दिशा हो, वह अवश्य ही सदिश होगी? किसी वस्तु के घूर्णन की व्याख्या घूर्णन-अक्ष की दिशा और अक्ष के परितः घूर्णन-कोण द्वारा की जा सकती है। क्या इसका यह अर्थ है कि कोई भी घूर्णन एक सदिश है?
उत्तर:किसी राशि में परिमाण तथा दिशी होने पर उसका सदिश होना आवश्यक नहीं है। सदिश होने के लिए किसी राशि में परिमाण तथा दिशा के साथ-साथ उसे सदिश नियमों का पालन भी करना चाहिए। उदाहरण के लिए प्रत्येक घूर्णन कोण एक सदिश राशि नहीं हो सकता। केवल सूक्ष्म घूर्णन को ही सदिश राशि माना जा सकता है।
प्रश्न 12:किसी सदिश में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं। क्या दिक़स्थान में इसकी कोई स्थिति होती है? क्या यह समय के साथ परिवर्तित हो सकता है? क्या दिकस्थान में भिन्न स्थानों पर दो बराबर सदिशों का समान भौतिक प्रभाव अवश्य पड़ेगा? अपने उत्तर के समर्थन में उदाहरण दीजिए।
उत्तर:सभी सदिशों की स्थिति नहीं होती। किसी बिन्दु के स्थिति सदिश के समान कुछ सदिशों की स्थिति होती है जबकि वेग सदिश के समान कुछ सदिशों की कोई स्थिति नहीं होती। हाँ, कोई सदिश समय के साथ परिवर्तित हो सकता है, जैसे- गतिमान कण की स्थिति सदिश । आवश्यक नहीं है, उदाहरण के लिए दो अलग-अलग बिन्दुओं पर लगे बराबर बल अलग-अलग आघूर्ण उत्पन्न करेंगे।
प्रश्न 13:किसी दिकस्थान पर एक स्वेच्छ गति के लिए निम्नलिखित सम्बन्धों में से कौन-सा सत्य है?
यहाँ औसत की आशय समयान्तराल t2 व t1 से सम्बन्धित भौतिक राशि के औसत मेन से है।
उत्तर:
(a) असत्य,
(b) सत्य,
(c) असत्य,
(d) असत्य,
(e) सत्य।
प्रश्न 14:निम्नलिखित सूची में से एकमात्र सदिश राशि को छाँटिए
ताप, दाब, आवेग, समय, शक्ति, पूरी पथ-लम्बाई, ऊर्जा, गुरुत्वीय विभव, घर्षण गुणांक, आवेश।
उत्तर:
दी गई राशियों में एकमात्र सदिश राशि आवेग है।
प्रश्न 15:नीचे दिए गए कथनों को ध्यानपूर्वक पढिए और कारण सहित बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य
(a) वृत्तीय गति में किसी कण का नेट त्वरण हमेशा वृत्त की त्रिज्या के अनुदिश केन्द्र की ओर होता है।
उतर:
असत्य है क्योंकि यह कथन केवल एकसमान वृत्तीय गति के लिए सत्य है।
(b) किसी बिन्दु पर किसी कण का वेग सदिश सदैव उस बिन्दु पर कण के पथ की स्पर्श रेखा के अनुदिश होता है।
उतर: सत्य है क्योंकि यदि कण की गति में त्वरण, वेग के अनुदिश है तो कण सरल रेखीय पथ पर गति करता है और यदि गति में त्वरण किसी अन्य दिशा में है तो कण वक्र पथ पर गति करता है तथा वेग
की दिशा पथ के स्पर्श रेखीय रहती है।
(c) किसी कण को एकसमान वृत्तीय गति में एक चक्र में लिया गया औसत त्वरण सदिश एक शून्य सदिश होता है।
उतर:
सत्य है क्योंकि एक अर्द्धचक्र में त्वरण; दूसरे अर्द्धचक्र में त्वरण के ठीक बराबर व विपरीत होता है।
16. कोई वायुयान पृथ्वी से 3400 m की ऊँचाई पर उड़ रहा है। यदि पृथ्वी पर किसी अवलोकन बिन्दु पर वायुयान की 10.0 s की दूरी की स्थितियाँ 30का कोण बनाती हैं तो वायुयान की चाल क्या होगी?
हल:माना 10 s के अन्तराल पर वायुयान की दो स्थितियाँ क्रमशः P तथा Q हैं जबकि 0 प्रेक्षण बिन्दु है।
∴ वायुयान की चाल = तय की गई दूरीलगा समय
=1822.4 m10 s
=182.2 ms-1
17. क्या आप निम्नलिखित्व के साथ कोई संदिश सम्बद्ध कर सकते हैं-
(a) किसी लूप में मोड़ी गई तार की लम्बाई,
उत्तर: नहीं, क्योंकि वृत्तीय लूप में मोड़े गए तार की कोई निश्चित दिशा नहीं होती।
(b) किसी समतल क्षेत्र,
उत्तर: हाँ, दिए गए समतल पर एक निश्चित अभिलम्ब खींचा जा सकता है; अत: समतल क्षेत्र के साथ एक सदिश सम्बद्ध किया जा सकता है जिसकी दिशा समतल पर अभिलम्ब के अनुदिश हो सकती
(c) किसी गोले के साथ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर: नहीं, क्योंकि किसी गोले का आयतन किसी विशेष दिशा के साथ सम्बद्ध नहीं किया जा सकता।
18. किसी दिकस्थान पर एक स्वेच्छ गति के लिए निम्नलिखित सम्बन्धों में से कौन-सा सत्य है?
vऔसत = 12[v(t1)+v(t2)]
उत्तर: असत्य,
(b) vऔसत = [r (t2)-r (t1)](t2-t1)
उत्तर: सत्य,
(c) v(t)=v(0)+at
उत्तर: असत्य,
(d) r (t)=r(0)+v (0)t+12at2
उत्तर: असत्य,
(e) a जससत =[v (t2)-v (t1)](t2-t1)
यहाँ औसत की आशय समयान्तराल t2 व t1 से सम्बन्धित भौतिक राशि के औसत मेन से है।
उत्तर: सत्य।
19. निम्नांकित सूची में से दो अदिश राशियों को छाँटिए
बल, कोणीय संवेग, कार्य, धारा, रैखिक संवेग, विद्युत क्षेत्र, औसत वेग, चुम्बकीय आघूर्ण, आपेक्षिक वेग।
उत्तर: दो अदिश राशियाँ कार्य तथा धारा हैं।
प्रश्न 20. क्या आप निम्नलिखित के साथ कोई सदिश संबद्ध कर सकते हैं:
किसी लूप में मोड़ी गई तार की लंबाई
किसी समतल क्षेत्र
किसी गोले के साथ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नहीं, चूँकि वृत्तीय लूप में मोड़े गए तार की कोई निश्चित दिशा नहीं है।
दिए गए समतल पर एक निश्चित अभिलम्ब खींचा जा सकता है। इसलिए समतल क्षेत्र के साथ एक सदिश सम्बद्ध किया जा सकता है जिसकी दिशा समतल पर अभिलम्ब के अनुदिश हो सकती है।
नहीं, चूँकि किसी गोले का आयतन किसी विशेष दिशा के साथ सम्बद्ध नहीं कर सकते हैं।