बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 5 गति के नियम दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जड़त्व से क्या तात्पर्य है? गति जड़त्व को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर :किसी पिण्ड का वह गुण जिसके कारण पिण्ड अपनी विरामावस्था में अथवा एकसमान गति की अवस्था में किसी भी प्रकार के परिवर्तन का विरोध करता है, जड़त्व कहलाता है। गति जड़त्व किसी वस्तु में उसकी गति अवस्था में परिवर्तन के विरोध का गुण गति जड़त्व कहलाता है।
उदाहरण—चलती रेल में गेंद को ऊपर उछालने पर गेंद उछालने वाले के हाथ में वापस लौट आती है।
प्रश्न 2. न्यूटन का गति विषयक प्रथम नियम लिखिए।
उत्तर : न्यूटन का गति विषयक प्रथम नियम- इस नियम के अनुसार, ‘यदि कोई वस्तु विरामावस्था में है, तो वह विरामावस्था में ही रहेगी अथवा यदि कोई वस्तु गतिमान है, तो वह सरल रेखा में एकसमान वेग से ही गति करती रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाए” इसे जड़त्व का नियम भी कहते हैं।
प्रश्न 3.स्पष्ट कीजिए कि न्यूटन के गति विषयक द्वितीय नियम F =ma में उसका प्रथम नियम भी निहित है।
उत्तर :न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से,
यदि = 0 हो, तो = 0 अर्थात् यदि वस्तु पर बाह्य बल ने लगाया जाए, तो वस्तु में त्वरण भी उत्पन्न नहीं होगा। त्वरण के शून्य होने पर या तो वस्तु विरामावस्था में ही रहेगी या एकसमान वेग से गतिमान रहेगी। यही न्यूटन का गति विषयके प्रथम नियम है; अत: न्यूटन के गति के द्वितीय नियम में प्रथम नियम स्वत: निहित है।
प्रश्न 4.निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए –
(i) तेज चलती गाड़ी से अचानक नीचे उतरने पर यात्री क्यों गिर पड़ता है?
(ii) पेड़ के हिलाने पर उसके फल टूट्टकर क्यों गिर जाते हैं?
(iii) बन्दूक से गोली चलाने पर पीछे की ओर धक्का लगता है, क्यों?
(iv) कुएँ से जल खींचते समय रस्सी टूट जाने पर हम पीछे की ओर गिर जाते हैं, क्यों?
उत्तर :
(i) तेज चलती गाड़ी से अचानक नीचे उतरने पर यात्री गिर पड़ता है – गाड़ी से उतरने से पूर्व यात्री के सम्पूर्ण शरीर का वेग गाड़ी के वेग के बराबर होता है। जैसे ही यात्री प्लेटफॉर्म पर या नीचे उतरता है, तो उसके पैर तो विरामावस्था में आ जाते हैं, परन्तु उसके शरीर का ऊपरी भाग गति जड़त्व के कारण उसी वेग से चलने का प्रयत्न करता है। अत: यात्री गाड़ी के चलने की दिशा में गिर पड़ता है। इसलिए चलती गाड़ी से उतरने पर कुछ दूर गाड़ी की दिशा में अवश्य दौड़ना चाहिए।
(ii) पेड़ की डाल हिलाने पर फल नीचे गिर पड़ते हैं – डाल हिलाने से पेड़ की डाल में यकायक गति उत्पन्न हो जाती है, परन्तु डाल पर लगे फल विराम जड़त्व के कारण अपने ही स्थान पर या नीचे रहने का प्रयत्न करते हैं। इस प्रकार फल डालियों से अलग हो जाते हैं और पृथ्वी के गुरुत्व-बल के कारण वे नीचे गिर पड़ते हैं।
(iii) बन्दूक से गोली चलाने पर पीछे की ओर धक्का लगता है – बन्दूक चलाने पर बारूद जलकर गैस बन जाती है, जो किं फैलने पर गोली को आगे की ओर फेंकती है। गोली जितने बल . से आगे फेंकी जाती है, बन्दूक पर प्रतिक्रिया बल भी उतना ही अधिक लगता है जिससे चलाने वाले को पीछे की ओर धक्का लगता है।
(iv) कुएँ से पानी खींचते समय रस्सी टूट जाने पर हम पीछे को गिर जाते हैं – इसका कारण यह है कि पहले मनुष्य रस्सी को अपनी ओर खींच रहा था। रस्सी टूट जाने पर रस्सी द्वारा मनुष्य पर लगने वाला बल लुप्त हो गया। अतः खिंचाव हट जाने के कारण वह गिर पड़ता है। बाल्टी जितनी अधिक भारी होती है उतनी ही अधिक शक्ति को धक्का हमें पीछे की ओर लगता है।
प्रश्न 5. 20 ग्राम की एक वस्तु पर एक बल बहुत कम समय के लिए कार्य करता है, जिससे वस्तु का वेग शून्य से बढ़कर 10 मीटर/सेकण्ड हो जाता है। बल का आवेग ज्ञात कीजिए।
हल :
वस्तु को द्रव्यमान, m = 20 ग्राम = 20 × 10-3 किग्रा
प्रारम्भिक वेग, u = 0
अन्तिम वेग, υ = 10 मीटर/सेकण्ड
प्रारम्भिक संवेग, p1 = mu =20 × 10-3 × 0 = 0
अन्तिम संवेग, P2 = mυ =20 × 10-3 × 10
=20 × 10-2 न्यूटन-सेकण्ड
बल का आवेग = संवेग-परिवर्तन
= p2 – p1
=20 × 10-2 – 0 =20 × 10-2
= 0.2 न्यूटन-सेकण्ड
प्रश्न 6. एक पिण्ड का संवेग दो मिनट में 150 किग्रा-मी/से से बढ़कर 600 किग्रा-मी/से हो जाता है। पिण्ड पर आरोपित बल ज्ञात कीजिए।
हल :
प्रारम्भिक संवेग, p1 = 150 किग्रा-मी/से
अन्तिम संवेग, p2 = 600 किग्रा-मी/से
समय, t =2 मिनट = 120 सेकण्ड
पिंड पर आरोपित बल ,
F=pt=p2-p1t
= 600-150120
=450120
=3.75 न्यूटन
प्रश्न 7. दिए गए बल-समय वक़ से आवेग का परिमाण ज्ञात कीजिए।
हल :
∵ प्रश्न में दिए चित्रानुसार,
∆ORP का क्षेत्रफल =12 × 4 × 20 = 40
∆MSQ का क्षेत्रफल =12 × 2 × 20 = 20
आयत PQRS का क्षेत्रफल = 2 × 20 = 40
आवेग का परिमाण = 40 + 20 + 40
= 100 न्यूटन - सेकण्ड
प्रश्न 8. संवेग की परिभाषा दीजिए। संवेग का दैनिक जीवन में महत्त्व लिखिए।
उत्तर : संवेग – संवेग वह राशि है जो गतिशील वस्तु के वेग व द्रव्यमान दोनों पर निर्भर करती है। किसी वस्तु का संवेग वस्तु के द्रव्यमान और वेग के गुणनफल के बराबर होता है।
संवेग = द्रव्यमान × वेग
यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m एवं उसका वेग υ हो, तो वस्तु का रेखीय संवेग,
संवेग एक सदिश राशि है। उसका मात्रक किग्रा-मी/से या न्यूटन-सेकण्ड होता है।
संवेग का दैनिक जीवन में महत्त्व – संवेग का दैनिक जीवन में महत्त्व निम्नलिखित है –
1. यदि दो वस्तुएँ समान वेग से गति कर रही हैं तो भारी वस्तु का संवेग, हल्की वस्तु के संवेग से अधिक होता है।
माना भारी वस्तु का द्रव्यमान M और हल्की वस्तु का द्रव्यमान m है तथा दोनों का वेग υ समान है
तब, भारी वस्तु का संवेग p1=Mv .......................(1)
हल्की वस्तु का संवेग p2=mv .......................(2)
समीकरण (1) व समीकरण (2) से,
p1p2=Mvmv=Mm
अब चूँकि M > m , अतः p1 > p2
इससे स्पष्ट है कि यदि दो वस्तुएँ समान वेग से चल रही हैं तो भारी वस्तु का संवेग हल्की वस्तु के संवेग से अधिक होता है। यदि एक बस और एक दो पहिया स्कूटर समान वेग से चल रहे हों तो बस का संवेग स्कूटर के संवेग से बहुत अधिक होगा।
2. यदि दो वस्तुओं का संवेग बराबर है तो हल्की वस्तु का वेग भारी वस्तु के वेग से अधिक होगा।
माना भारी वस्तु का द्रव्यमान M तथा वेग V है और हल्की वस्तु का द्रव्यमान m तथा वेग υ है। चूंकि दोनों का संवेग बराबर है, अर्थात्
p1 = p2
अथवा MV=mv Mm=vV
स्पष्ट है कि यदि दो वस्तुओं का संवेग एकसमान है तो हल्की वस्तु का वेग भारी वस्तु के वेग से अधिक होता है।
प्रश्न 9. 2 किग्रा तथा 3 किग्रा द्रव्यमान के दो पिण्ड, एक हल्की डोरी से चित्रानुसार लटके हुए हैं। डोरी घर्षणहीन घिरनी पर से होकर गुजरती है। यदि घिरनी 5 मी/से2 के त्वरण से ऊपर उठाई जाती है, तो डोरी में तनाव बल की। गणना कीजिए। (g = 10 मी/से2)
हल- पहले पिण्ड का द्रव्यमान, m1 = 2 किग्रा;
दूसरे पिण्ड का द्रव्यमान, m2 = 3 किग्रा;
घिरनी में त्वरण, a = 5 मी/से2
माना डोरी में तनाव T है । तब पिण्ड m1 की गति के लिए,
T-2g+m1a=m1f ………....(1)
पिण्ड m2 की गति के लिए,
3g-T+m1a=m2f ……….....(2)
प्रश्नानुसार, T+3f=15 …………..(3)
T-3f=10 …………..(4)
- + -
5f=5
f=1 मी/से2
f का मान समी० (4) में रखने पर,
T - 2 = 10 ⇒ T = 12 न्यूटन मी
प्रश्न 10. 0.3 किग्रा का एक पिण्ड छत से एक हल्की डोरी द्वारा लटकाया गया है। 0.7 किग्रा का दूसरा पिण्ड, प्रथम पिण्ड से दूसरी हल्की डोरी द्वारा लटकाया गया है। दोनों डोरियों में तनाव बलों का परिकलन कीजिए। (g= 10 ms-2)
हल - माना 0.3 किग्रा के पिण्ड से बँधी डोरी में तनाव T1 तथा 0.7 किग्रा डोरी में तनाव T2 है।
0.3 किग्रा वाले पिण्ड की गति के लिए
T1=0.3g-T2 ……………..(1)
इसी प्रकार 0.7 किग्रा वाले पिण्ड की गति के लिए
T2=0.7g (g=9.8 मी/से2 )
=0.710=7 न्यूटन
T2 का मान समी० (1) में रखने पर,
T1=0.3g-T2
=0.310-7=3-7=4 न्यूटन
अतः दोनों डोरियों में तनाव बल क्रमश: 7 न्यूटन तथा 4 न्यूटन हैं।
प्रश्न 11. ब्लॉक A पर एक नियत बल F = 0.1 किग्रा-भार को लगाया है। पुली तथा डोरी नगण्य भार की है तथा मेज की सतह चिकनी है। ब्लॉक A का त्वरण ज्ञात कीजिए। प्रत्येक ब्लॉक का द्रव्यमान 0.2 किग्रा है।
हल -
दिया है, प्रत्येक ब्लॉक का द्रव्यमान (m) = 0.2 किग्रा
बल, F=ma
ब्लॉक B के लिए, ब्लॉक का भार mg तथा डोरी में तनाव एक-दूसरे के विपरीत हैं। अतः इसका परिणामी बल (mg-T) होगा।
mg-T=ma
0.2g-T=0.2a ……………(1)
ब्लॉक A के लिए, बल F तथा तनाव T एक-दूसरे के विपरीत हैं (T > F)
अतः परिणामी बल (T - F) होगा। ब्लॉक पर नियत बल 0.1 किग्रा भार है, अर्थात्
F=0.1 g
T-F=0.2 a
T-0.1g =0.2 a …………….(2)
समी० (1) व (2) को जोड़ने पर,
0.1g =0.4 a
a=0.10.4g =g4
g का मान रखने पर,
a=9.84 =2.45 मी/से2
अतः ब्लॉक A का त्वरण 2.45 मी/से2 होगा।
प्रश्न 12 .बल के आवेग और संवेग-परिवर्तन में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
या
सिद्ध कीजिए कि बल का आवेग, संवेग-परिवर्तन के बराबर होता है।
उत्तर :
माना कोई बल F, m द्रव्यमान की वस्तु पर बहुत अल्प समय t के लिए कार्य करता है। यदि वस्तु के वेग में परिवर्तन v हो, तो वस्तु के वेग परिवर्तन की दर vtहोगी।
अब, परिभाषा से,
आवेग (I) =बल x समयान्तराल = Ft …………..(1)
परन्तु, न्यूटन गति विषयक के द्वितीय नियम से,
बल (F) = द्रव्यमान x त्वरण = ma …………..(2)
त्वरण की परिभाषा से,
त्वरण (a)=वेग परिवर्तन समयान्तराल=vt
समीकरण (2) से,
F=m.vt
F का मान समीकरण (1) में रखने पर,
आवेग, I=Ft = m.vtt=m.v.
= द्रव्यमान x वेग-परिवर्तन
= संवेग-परिवर्तन = p
अर्थात् I=Ft= p ………………..(3)
स्पष्ट है कि किसी बल का आवेग उसके द्वारा वस्तु में उत्पन्न संवेग में परिवर्तन के बराबर होता है।
प्रश्न 13. आपने सरकस में ‘मौत के कुएँ (एक खोखला जालयुक्त गोलीय चैम्बर ताकि उसके भीतर के क्रियाकलापों को दर्शक देख सकें) में मोटरसाइकिल सवार को ऊध्र्ध्वाधर लूप में मोटरसाइकिल चलाते हुए देखा होगा। स्पष्ट कीजिए कि वह मोटरसाइकिल सवार नीचे से कोई सहारा न होने पर भी गोले के उच्चतम बिन्दु से नीचे क्यों नहीं गिरता? यदि चैम्बर की त्रिज्या 25 m है तो ऊर्ध्वाधर लूप को पूरा करने के लिए मोटरसाइकिल की न्यूनतम चाल कितनी होनी चाहिए?
हल :
गोलीय चैम्बर के उच्चतम बिन्दु पर मोटरसाइकिल सवार चैम्बर को बाहर की ओर दबाता है और प्रतिक्रिया स्वरूप चैम्बर सवार पर गोले के केन्द्र की ओर दिष्ट प्रतिक्रिया R लगाता है। सवार वे मोटरसाइकिल का भार mg भी गोले के केन्द्र की ओर कार्य करते हैं। ये दोनों बल सवार को वृत्तीय गति करने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करते हैं, जिसके कारण सवार नीचे नहीं गिर पाता।
इस बिन्दु पर गति की समीकरण
R+mg=mu2r
जहाँ υ सवार की चाल तथा r गोले की त्रिज्या है।
ऊर्ध्वाधर लूप को पूरा पार करने के लिए उच्चतम बिन्दु पर न्यूनतम चाल (क्रान्तिक चाल)
vc=g r = 10 m s-225 m
=15.8 m s-1
प्रश्न 14. 15 kg संहति का कोई गुटका किसी लंबी ट्रॉली पर रखा है। गुटके तथा ट्रॉली के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक 0.18 है। ट्रॉली विरामावस्था से 20 s तक 0.5 ms-2 के त्वरण से त्वरित होकर एकसमान वेग से गति करने लगती है- (a) धरती पर स्थिर खड़े किसी प्रेक्षक को तथा (b) ट्रॉली के साथ गतिमान किसी अन्य प्रेक्षक को, गुटके की गति कैसी प्रतीत होगी, इसकी विवेचना कीजिए।
हल :
गुटके का द्रव्यमान m = 15 kg, µ = 0.18
t = 20s के लिए, ट्रॉली का त्वरण a1 = 0.5 m s-2
तत्पश्चात् ट्रॉली का वेग अचर है।
∵प्रारम्भ में ट्रॉली त्वरित गति करती है; अत: यह एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र है।
∴ गुटके पर एक छद्म बल F1 =ma1 =15 × 0.5 = 7.5 N
पीछे की ओर कार्य करेगा।
जबकि ट्रॉली के फर्श द्वारा गुटके पर आरोपित अग्रगामी घर्षण बल
F2 =µ N.=µm g = 0.18 × 15 × 10 = 27 N
∵ गुटके पर पश्चगामी बेल घर्षण बल की तुलना में कम है; अतः गुटका पीछे की ओर नहीं फिसलेगा और ट्रॉली के साथ-साथ गति करेगा।
(a) धरती पर खड़े स्थिर प्रेक्षक को गुटका ट्रॉली के साथ गति करता प्रतीत होगा।
(b) ट्रॉली के साथ गतिमाने प्रेक्षक को गुटका स्वयं के सापेक्ष विराम अवस्था में दिखाई देगा।
प्रश्न 15. कोई रेलगाड़ी बिना ढाल वाले 30 m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ पर 54 km h-1 की चाल से चलती है। रेलगाड़ी की संहति 106 kg है। इस कार्य को करने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल कौन प्रदान करता है, इंजन अथवा पटरियाँ ? पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए मोड़ का ढाल-कोण कितना होना चाहिए?
हल :
आवश्यक अभिकेन्द्र बल पटरियाँ प्रदान करती हैं।
यहाँ v=54 km h-1 = 54518 m s-1 , g=10 m s-2 ,
वृत्तीय मोड़ की त्रिज्या R = 30m, m = 105 kg
पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए ढाल कोण इतना होना चाहिए कि रेलगाड़ी को मोड़ पार करने हेतु घर्षण की आवश्यकता न पड़े।
इसके लिए v2=R g cos
tan =v2R g=15153010=34
=tan-134=40
अतः पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए पटरियों का ढाल कोण 40° रखना चाहिए।
प्रश्न 16. किसी मेज पर एक-एक रुपये के दस सिक्कों को एक के ऊपर एक करके रखा गया है। प्रत्येके सिक्के की संहति m है। निम्नलिखित प्रत्येक स्थिति में बल का परिमाण एवं दिशा लिखिए
(a) सातवें सिक्के (नीचे से गिनने पर) पर उसके ऊपर रखे सभी सिक्कों के कारण बल
(b) सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के द्वारा आरोपित बल, तथा
(c) छठे सिक्के की सातवें सिक्के पर प्रतिक्रिया।
हल :
(a) नीचे से सातवें सिक्के के ऊपर तीन सिक्के रखे हैं।
अतः सातवाँ सिक्का इन तीन सिक्कों के भार के बराबर बल का अनुभव करेगा।
∴ सातवें सिक्के पर ऊपर के सिक्कों के कारण बल = 3 mg N
(b) आठवें सिक्के के ऊपर दो सिक्के और रखे हैं; अत: सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के के कारण बल, आठवें सिक्के तथा ऊपर के दो सिक्कों के भारों के योग के बराबर होगा।
∴सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के के कारण बल = mg + 2 mg= 3 mg N
(c) सातवें सिक्के के ऊपर तीन सिक्के रखे हैं; अत: सातवाँ सिक्का अपने तथा ऊपर के तीन सिक्कों के भारों के योग के बराबर बल से छठवें सिक्के को दबाएगा।
अत: छठे सिक्के पर सातवें के कारण बल = mg + 3 mg = 4 mgN
∴ छठवें सिक्के की सातवें पर प्रतिक्रिया = 4mg N
प्रश्न 17. 100 kg संहति की किसी तोप द्वारा 0.020 kg का गोला दागा जाता है। यदि गोले की नालमुखी चाल 80 मी/से-1 है तो तोप की प्रतिक्षेप चाल क्या है?
हल :
तोप का द्रव्यमान M =100 किग्रा
गोले का द्रव्यमान m=0.020 किग्रा
गोले की नालमुखी चाल =80 मी/से
माना तोप की प्रतिक्षेप चाल =V मी/से
प्रारम्भ में गोला व तोप दोनों विरामावस्था में हैं। अत: प्रारम्भ में प्रत्येक का संवेग शून्य था।
अतः रेखीय संवेग-संरक्षण नियम के अनुसार,
तोप तथा गोले का अन्तिम संवेग = प्रारम्भिक संवेग
MV+mv=0
या MV=-mv
V=-mMv=-0.020 किग्रा 100 किग्रा 80 मी/से
=-0.016मी/से
यहाँ (-) चिह्न इस तथ्य का प्रतीक है कि तोप का वेग गोले के वेग की विपरीत दिशा में होगा। इसीलिए इसको प्रतिक्षेप चाल कहते हैं। अत: तोप की प्रतिक्षेप चाल = 0.016 सेमी/से।
प्रश्न 18. किसी कमरे की छत से 2 m लम्बी डोरी द्वारा 0.1 kg संहति के गोलक को लटकाकर दोलन आरम्भ किए गए। अपनी माध्य स्थिति पर गोलक की चाल 1 ms-1 है। गोलक का प्रक्षेप्य-पथ क्या होगा यदि डोरी को उस समय काट दिया जाता है जब गोलक अपनी – (a) चरम स्थितियों में से किसी एक पर है तथा (b) माध्य स्थिति पर है?
उत्तर :
(a) चरम स्थिति में गोलक का वेग शून्य होगा; अत: डोरी काट देने पर, गोलक ऊर्ध्वाधर रेखा में नीचे की ओर गिर जाएगा।
(b) माध्य स्थिति में गोलक के पास क्षैतिज दिशा में अधिकतम वेग होगा; अत: इस स्थिति में डोरी काट दिए जाने पर गोलक प्रक्षेप्य की भाँति परवलयाकार पथ पर चलता हुआ अन्त में भूमि पर गिर जाएगा।
प्रश्न 19.20000 kg उत्थापन संहति के किसी रॉकेट में 5 ms-2 के आरम्भिक त्वरण के साथ ऊपर की ओर स्फोट किया जाता है। स्फोट का आरम्भिक प्रणोद (बल) परिकलित कीजिए।
हल- रॉकेट का द्रव्यमान m=20000 kg, त्वरण a =5 ms-2
माना रॉकेट पर आरम्भिक प्रणोद F है जो ऊपर की ओर कार्य करता है।
रॉकेट पर दो बल लगे हैं—(1) प्रणोद F ऊपर की ओर तथा ( 2 ) रॉकेट का भार mg नीचे की ओर।
रॉकेट ऊपर उठ रहा है; अत: नेट बल F1=F-mg ऊपर की ओर लगेगा।
गति के द्वितीय नियम से,
F-mg=ma
रॉकेट पर प्रणोद F=m(g+a)
=20000 kg (10+5) m s-2
F=3.0105 N
प्रश्न 20. 3.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर आरोपित कोई बल 25 s में उसकी चाल को 2.0 ms -1 से 3.5 ms-1 कर देता है। पिण्ड की गति की दिशा अपरिवर्तित रहती है। बल का परिमाण व दिशा क्या है?
हल - पिण्ड का द्रव्यमान m = 3.0 किग्रा
समयान्तराल (t2-t1) = 25 सेकण्ड
vt1=2.0 मी/से
तथा vt2=3.5 मी/से
गति की समीकरणं
vt2= vt1+a(t2-t1 ) से,
3.5 मी/से =2.0 मी/से +a(25 सेकण्ड)
अतः पिण्ड में उत्पन्न त्वरण,
a=(3.5-2.0) मी/से 25 सेकण्ड =0.06 मी/से2
.: बल का परिमाण F=mg = 3.0किग्रा 0.06 मी/से2 = 0.18 न्यूटन
चूँकि आरोपित बल का दिशा अपरिवर्तित है तथा यह पिण्ड की चाल को बढ़ा रहा है, अतः बल की दिशा पिण्ड की गति की दम में ही होगी।
प्रश्न 21. निम्नलिखित पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए –
(a) एकसमान चाल से नीचे गिरती वर्षा की कोई बूंद
(b) जल में तैरता 10g संहति का कोई कॉर्क
(c) कुशलता से आकाश में स्थिर रोकी गई कोई पतंग
(d) 30 km h-1 के एकसमान वेग से ऊबड़-खाबड़ सड़क पर गतिशील कोई कार
(e) सभी गुरुत्वीय पिण्डों से दूर तथा वैद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों से मुक्त, अन्तरिक्ष में तीव्र चाल वाला इलेक्ट्रॉन।
उत्तर :
(a) ∵ त्वरण शून्य है; अत: नेट बल भी शून्य होगा।
(b) ∵ उपरिमुखी गति के समय कॉर्क जल पर स्थिर तैर रहा है अर्थात् गति नहीं हो रही है,
अत : त्वरण शून्य है,
∴नेट बल भी शून्य है।
(c) ∵ पतंग को स्थिर रोका गया है; अत: त्वरण a = 0
∴ नेट बल भी शून्य है।
(d) ∵ कार का वेग एकसमान है; अतः त्वरण a = 0
∴ नेट बल भी शून्य होगा।
(e) ∵ इलेक्ट्रॉन गुरुत्वीय पिण्डों, वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों से दूर है; अतः उस पर कोई बल नहीं लगेगा।
प्रश्न 22. 0.05 kg संहति का कोई कंकड़ ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंका गया है। नीचे दी गई प्रत्येक परिस्थिति में कंकड़ पर लग रहे नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए –
(a) उपरिमुखी गति के समय।
(b) अधोमुखी गति के समय।
(c) उच्चतम बिन्दु पर जहाँ क्षण भर के लिए यह विराम में रहता है। यदि कंकड़ को क्षैतिज दिशा से 45° कोण पर फेंका जाए, तो क्या आपके उत्तर में कोई परिवर्तन होगा? वायु-प्रतिरोध को उपेक्षणीय मानिए।
उत्तर :
(a) उपरिमुखी गति के समय कंकड़ पर बल = कंकड़ का भार = mg = 0.05 kg × 10 m/s-2 = 0.5 N
(b) अधोमुखी गति के समय भी कंकड़ पर बल उसके भार के बराबर अर्थात् 0.5 N लगेगा।
(c) इस स्थिति में भी कंकड़, पर वही बल 0.5 N ही लगेगा।
कंकड़ को क्षैतिज से 45° के कोण पर फेंकने पर भी कंकड़ पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में गति करता है; अतः इस स्थिति में भी, प्रत्येक दशा में कंकड़ पर बल 0.5 N ही लगेगा।
प्रश्न 23. 0.1 kg संहति के पत्थर पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा निम्नलिखित परिस्थितियों में ज्ञात कीजिए –
(a) पत्थर को स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्
(b) पत्थर को 36 km h-1 के एकसमान वेग से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्,
(c) पत्थर को 1 ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्,
(d) पत्थर 1 ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी के फर्श पर पड़ा है तथा वह रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है।
उपर्युक्त सभी स्थितियों में वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।
उत्तर :
(a) स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने पर, पत्थर पर एकमात्र बल उसका भार नीचे की ओर कार्य करेगा।
∴ पत्थर पर बल = mg = 0.1 kg × 10 m s-2
= 1N ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर।
(b) इस स्थिति में भी गाड़ी से पत्थर गिराने के पश्चात् गाड़ी की गति के कारण उस पर कार्य करने वाले बल का कोई प्रभाव नहीं होगा और पत्थर पर केवल उसका भार कार्य करेगा।
∴ पत्थर पर बल =1N ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर।
(c) ∵ पत्थर गाड़ी से नीचे गिरा दिया गया है; अतः अब उस पर केवल उसका भार कार्य करेगा।
∴ पत्थर पर बल 1N ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर
(d) ∵ पत्थर रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है,
∴ पत्थर का त्वरण a = रेलगाड़ी का त्वरण = 1 m s-2
∴ F = m a से, गाड़ी की त्वरित गति के कारण पत्थर पर नेट बल
F = m a = 0.1 kg 1 m s-2
= 0.1 N (क्षैतिज दिशा में)
पत्थर पर कार्यरत अन्य बल उसका भार तथा फर्श की अभिलम्ब प्रतिक्रिया परस्पर सन्तुलित हो जाते हैं।