बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 6 कार्य , ऊर्जा तथा शक्ति दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 6 कार्य , ऊर्जा तथा शक्ति दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. संघट्ट से क्या तात्पर्य है ? प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ संघट्ट में अंतर लिखिये।

उत्तर: दो वस्तुओं का आपस में टकराना या उनके मध्य अन्योन्य क्रिया का होना संघट्ट कहलाता है। दैनिक जीवन में क्रिकेट के बल्ले का गेंद से टकराना, सड़क पर वाहनों का टकराना इत्यादि।

                         प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ संघट्ट में अन्तर

प्रत्यास्थ संघट्ट

अप्रत्यास्थ संघट्ट

1. इस संघट्ट में निकाय का संवेग और गतिज ऊर्जा दोनों संरक्षित रहते हैं।

1. इस संघट्ट में निकाय का संवेग तो संरक्षित रहता है, किन्तु गतिज ऊर्जा संरक्षित नहीं रहती।

2. परमाणुओं, अणुओं और परमाण्वीय कणों के  मध्य होने वाले संघट्ट प्रत्यास्थ संघट्ट हैं।

2. कीचड़ का दीवार पर छिटककर चिपकना, गोली का लक्ष्य के अन्दर घुसकर रुक जाना अप्रत्यास्थ संघट्ट के उदाहरण हैं।

 


प्रश्न 2. किसी गेंद को पृथ्वी तल से ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर 10 जूल प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा से फेंका गया। अधिकतम ऊँचाई प्राप्त करने के बाद वह पृथ्वी की ओर लौटना प्रारम्भ करती है|

(1) उच्चतम बिन्दु पर उसकी गतिज तथा स्थितिज ऊर्जा कितनी होगी|

 (2) पृथ्वी तल पर वापस पहुँचने के क्षण उसकी गतिज ऊर्जा कितनी होगी? .

उत्तर-

(1) उच्चतम बिन्दु पर गेंद का वेग v = 0 अतः गतिज ऊर्जा शून्य होगी।

ऊर्जा संरक्षण के नियमानुसार उच्चतम बिन्दु पर पहुँचने पर गेंद की प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में बदल जायेगी अर्थात् उच्चतम बिन्दु पर स्थितिज ऊर्जा = प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा = 10 जूल।

(2) पृथ्वी तल पर वापस पहुँचने के क्षण पर गेंद की गतिज ऊर्जा उतनी ही होगी जितनी कि गेंद को ऊपर फेंकने के क्षण पर थी (क्योंकि वेग समान होगा) अर्थात् पृथ्वी तल पर वापिस पहुँचने के क्षण गेंद की गतिज ऊर्जा = 10 जूल।

प्रश्न 3. धनात्मक, ऋणात्मक तथा शून्य कार्य से आप क्या समझते हैं ? प्रत्येक को उदाहरण सहित समझाइये।

उत्तर- धनात्मक कार्य-जब वस्तु का विस्थापन बल की दिशा में होता है, अथवा बल और विस्थापन के बीच का कोण न्यूनकोण (90° से छोटा) होता है, तो बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है, तथा हम कहते हैं कि बल द्वारा वस्तु पर कार्य किया जाता है, इस स्थिति में वस्तु की ऊर्जा में वृद्धि होती है।

उदाहरण-पत्थर को ऊपर उठाने में उसके भार के बराबर ऊपर की ओर बल लगाना पड़ता है तथा पत्थर का विस्थापन भी ऊपर की ओर होता है, अतः पत्थर पर बाह्य बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है।

ऋणात्मक कार्य-जब वस्तु का विस्थापन बल की दिशा के विपरीत होता है, अथवा बल और विस्थापन के बीच का कोण अधिक कोण (90° से बड़ा) होता है, तो बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य ऋणात्मक होता है तथा हम कहते हैं कि वस्तु द्वारा कार्य किया जाता है, इस स्थिति में वस्तु की ऊर्जा में कमी होती है।

उदाहरण-पत्थर को उठाने में गुरुत्वीय बल नीचे की ओर तथा विस्थापन ऊपर की ओर होता है, अतः गुरुत्वीय बल द्वारा पत्थर पर किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।

शून्य कार्य-यदि वस्तु पर बल लगाने के फलस्वरूप वस्तु का विस्थापन शून्य होता है अथवा वस्तु का विस्थापन बल की दिशा के लंबवत् होता है, तो बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य शून्य होता है। इस स्थिति में वस्तु की ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है।

उदाहरण-यदि हम दीवार पर धक्का लगायें, तो चूँकि दीवार का विस्थापन नहीं होता, अत: हमारे द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।

प्रश्न 4. किसी लोलक के गोलक को क्षैतिज अवस्था से छोड़ा गया है। यदि लोलक की लम्बाई 1.5 m है, तो निम्नतम बिन्दु पर आने पर गोलक की चाल क्या होगी ? यह दिया गया है कि इसकी आरंभिक ऊर्जा का 5% अंश वायु प्रतिरोध के विरुद्ध क्षय हो जाता है।

उत्तर- लोलक के गोलक की उच्चतम विस्थापन की स्थिति में

स्थितिज ऊर्जा =mgh 

=m9.815

5%  ऊर्जा क्षय हो जाती है, अत: कुल स्थितिज ऊर्जा का 95% गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है,

=mgh 95100=12mv2

या 

=m9.815 95100=12mv2

या v=29.81.595100

या v=5.29 m/s

या v=5.3 m/s

प्रश्न 5. सिद्ध कीजिए कि किसी पिण्ड पर लगाये गये बल द्वारा पिण्ड को विस्थापित करने में किया गया कार्य, उसकी गतिज ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होता है ?

अथवा

कार्य-ऊर्जा प्रमेय क्या है ? इसे सिद्ध कीजिए जबकि बल अचर हो?

उत्तर-

कार्य-ऊर्जा प्रमेय के अनुसार-“किसी पिण्ड पर लगाये गये बल द्वारा पिण्ड को विस्थापित करने में किया गया कार्य उसकी गतिज ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होता है।”

माना कोई पिण्ड किसी प्रारम्भिक वेग ५ से गतिमान है। उस पर कोई बल F, t सेकण्ड तक लगाने से उसका अंतिम वेग v हो जाता है। यदि पिण्ड द्वारा इस समय में चली गयी दूरी X है। तब समीकरण v2=u2+2as से,

v2=u2+2ax

अतः 2ax=v2-u2

∴ a=v2 - u2x

एवं न्यूटन के द्वितीय नियम से F=ma

F=m(v2-u2 2x)

तब बल द्वारा किया गया कार्य W = बल × विस्थापन

W=m(v2-u2 2x).X=12mv2-12mu2

अर्थात् किया गया कार्य = अंतिम गतिज ऊर्जा – प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा यही कार्य-ऊर्जा प्रमेय है।

प्रश्न 6. पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर किसी पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का सूत्र व्युत्पन्न कीजिये।

उत्तर- माना पृथ्वी तल पर m द्रव्यमान की कोई वस्तु रखी है। इसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा शून्य है। यदि इसे h ऊँचाई तक उठाया जाये, तो उस पर वस्तु के भार या गुरुत्वीय बल mg के विरुद्ध कार्य करना पड़ेगा जो वस्तु में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के रूप में एकत्रित हो जायेगा।

अत: वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा = वस्तु को h ऊँचाई तक ले जाने में किया गया कार्य

= गुरुत्वीय बल × विस्थापन = mgh.

यही गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा है।

प्रश्न 7. द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता समझाकर लिखिए।

उत्तर: आइन्स्टीन के अनुसार-“द्रव्यमान को ऊर्जा में तथा ऊर्जा को द्रव्यमान में परिवर्तित किया जा सकता है।”

यदि m किग्रा द्रव्यमान को ऊर्जा में बदलें, तो ऊर्जा E=mc2 जूल प्राप्त होगी, जहाँ cप्रकाश की चाल ( c=3108 मीटर/सेकण्ड) है। इसी प्रकार यदि E ऊर्जा को द्रव्यमान में बदलें, तो द्रव्यमान m=Ec2  प्राप्त होता है।

इसे आइन्स्टीन का द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता सिद्धांत कहते हैं । अतः इस सिद्धांत के अनुसार E=mc2

उदाहरणस्वरूप-यदि 1 किग्रा द्रव्यमान ऊर्जा में बदले, तो प्राप्त ऊर्जा

 E=1(3108) = 91016 जूल होगी।

प्रश्न 8. यदि किसी वस्तु का संवेग चार गुना कर दिया जाये, तो गतिज ऊर्जा कितनी हो जायेगी ?

उत्तर:

p1p2=E1E2  से

E1E2=p12p22=p14p12=116

या

E=16E1, अर्थात् गतिज ऊर्जा 16 गुनी हो जायेगी।

प्रश्न 9. यदि किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा चार गुनी कर दी जायें, तो संवेग कितना हो जायेगा ?

उत्तर- p=2mE  से,

p  ∝ E

या 

p1p2=E1E2=E14E1=12 

∴ p2=2p1 

अर्थात् संवेग दो गुना हो जायेगा।

प्रश्न 10.किसी वस्तु द्वारा किये गये कार्य तथा किसी वस्तु पर किये गये कार्य को उदाहरण सहित समझाइये।

उत्तर-

जब वस्तु का विस्थापन, बाहरी लगाये गये बल की दिशा में होता है, तो वस्तु पर कार्य किया जाता है। इसके विपरीत जब वस्तु का विस्थापन, बलं की विपरीत दिशा में होता है, तो वस्तु द्वारा कार्य किया जाता है। उदाहरण-किसी पत्थर के टुकड़े को ऊर्ध्वाधरत: ऊपर उठाने के लिए पत्थर के भार के बराबर ऊपर की ओर बाह्म बल लगाना होता है तथा विस्थापन भी ऊपर की ओर होता है। अतः पत्थर पर कार्य किया जाता है। इसके विपरीत जब पत्थर नीचे गिरता है, तो पत्थर द्वारा कार्य किया जाता है।

प्रश्न 11. K1 , तथा K2 स्प्रिंग नियतांक वाली दो स्प्रिंगों A तथा B को समान बल लगाकर खींचा जाता है। उनमें संचित स्थितिज ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।

उत्तर-

हम जानते हैं कि स्प्रिंग में संचित स्थितिज ऊर्जा  U=12Kx2  तथा उस पर लगाया गया बल F=Kx

∴ U=12Kx2=12KFK2=F22K

यदि K1 व K2  स्प्रिंग नियतांक वाली दो स्प्रिंगों A तथा B को समान बल F लगाकर खींचा जाये, तो स्प्रिंग

A की स्थितिज ऊर्जा  UA=F22K1  तथा स्प्रिंग B की स्थितिज ऊर्जा UB=F22K2

अतः  UAUB=F22K1 F22K12=K12K1 .

प्रश्न 12. किसी वस्तु पर किसी बल द्वारा किये गये कार्य निम्न स्थितियों में धनात्मक हैं या ऋणात्मक समझाइए

(i) किसी व्यक्ति द्वारा किसी कुएँ में से रस्सी से बँधी बाल्टी को रस्सी द्वारा बाहर निकालने में किया गया कार्य।

(ii) उपर्युक्त स्थिति में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य।

(iii) किसी आनत तल पर फिसलती हुई किसी वस्तु पर घर्षण द्वारा किया गया कार्य।

(iv) किसी खुरदरे क्षैतिज तल पर एकसमान वेग से गतिमान वस्तु पर लगाये गये बल द्वारा किया गया कार्य।

उत्तर-

(i) इस स्थिति में व्यक्ति द्वारा लगाये गये बल एवं विस्थापन की दिशा समान है, अतः θ= 0° है और कार्य W = Fd cos0°, W = Fd धनात्मक होगा।

(ii) गुरुत्वीय बल एवं विस्थापन एक-दूसरे के विपरीत हैं। θ = 180°, कार्य W = Fd cos 180° = -Fd कार्य ऋणात्मक होगा।

(iii) इस स्थिति में भी कार्य ऋणात्मक है, क्योंकि घर्षण बल एवं विस्थापन की दिशा विपरीत है। (θ= 180°)

(iv) वस्तु बल की दिशा में गतिशील है, अतः θ =0° होगा एवं कार्य धनात्मक है।

प्रश्न 13. एक हल्का पिण्ड वेग से गति करता हुआ विरामावस्था में रखे हुए भारी पिण्ड से प्रत्यास्थ संघट्ट करता है, संघट्ट के पश्चात् उनके वेग क्या होंगे?

उत्तर- माना संघट के पश्चात् हल्के सिण्ड (द्रव्यमान m ) का वेग v1 तथा भारी पिण्ड (द्रव्यमान M) का वेग v2 हो जाता है, तो संवेग संरक्षण नियम से mu=mv1+mv2

तथा प्रत्यास्थ संघट्ट के लिए v1-v2=-(u-0)

या u=v2-v1

हल करने पर, v1=-M-mM+mu

तथा v2=2muM+m

  यदि m<1=-u तथा

v2 ≈ 0

अर्थात् हल्का पिण्ड अपने प्रारम्भिक वेग से वापिस लौट आयेगा।

प्रश्न 14. 72 किमी प्रति घण्टाकी चाल से क्षैतिज सड़क पर चलने वाली कोई कार 180 न्यूटन बल का सामना कर रही है। उसके इंजन की शक्ति ज्ञात कीजिए।

उत्तर- 

-- दिया है, v=72 किमी/घण्टा =7210006060=20 मी-से-1

बल F=180 न्यूटन,  शक्ति P = ?

P=Fv=18020=3600 वाट = 3.6 किलोवाट

प्रश्न 15. दो समान द्रव्यमान के पिण्ड एक ही रेखा में क्रमशः u1 तथा u2  वेग से गति करते हुए प्रत्यास्थ संघट्ट करते हैं। संघट्ट के बाद उनके वेग क्या होंगे?

उत्तर-

माना संघट्ट के बाद उनके वेग क्रमशः v1 तथा v2, हैं, तो

संवेग संरक्षण नियम से,  mu1+mu2=mv1 +mv2

 

या  u1+u2=v1 + v2           …………….(1)

तथा प्रत्यास्थ संघट्ट के लिए v1-v2=-(u1 -u2)…………(2)

उपर्युक्त समीकरणों को हल करने पर, v1 = u2 तथा v2=u1

अर्थात् पिण्डों के वेग परस्पर बदल जाते हैं।

प्रश्न 16. m द्रव्यमान की वस्तु वेग से चल रही है। यदि वस्तु का संवेगp तथा गतिज ऊर्जा K हो, .. तो सिद्ध कीजिए कि p=2mK

उत्तर-

माना m द्रव्यमान की कोई वस्तु v वेग से गतिमान है।

तब वस्तु का संवेग p=m.v      ………………….. (1)

एवं वस्तु की गतिज ऊर्जा K=12mv2        ....................(2)          

समीकरण (1) से, v=pm

समीकरण (2) में मान रखने पर,

K=12mpm2

K=p22m

या p2=2mK 

∴ p=2mK

प्रश्न 17. m1 तथा m2, द्रव्यमान की दो वस्तुएँ एक ही रेखा में क्रमशः u1 तथा u2 वेग से गति करती हुई प्रत्यास्थ संघट्ट करती हैं। संघट्ट के पश्चात् इनके वेग के लिए व्यंजक लिखिये। क्या होगा यदि

(1) पिण्डों के द्रव्यमान समान हैं,

(2) इनमें से एक पिण्ड प्रारम्भ में विरामावस्था में है,

(3) हल्का पिण्ड प्रारम्भ में विरामावस्था में है,

(4) भारी पिण्ड प्रारम्भ में विरामावस्था में है ?

उत्तर:

माना m1 तथा m2 द्रव्यमान की दो वस्तुएँ A तथा B एक ही दिशा में क्रमशः u1 तथा u2 वेग से गतिमान हैं। इनके बीच संघट्ट होने से वे उसी दिशा में v1 तथा v2 वेग से चलने लगती हैं।

चूँकि संघट्ट पूर्णतः प्रत्यास्थ है, अत: संघट्ट के पूर्व संवेग = संघट्ट के पश्चात् संवेग

m1u1 + m2 u2 = m1v1 + m2 v2 

या m1u1– m1v1 = m2 v2 – m2u2  

या m1 (u1 – v1) = m2 (v2 -u2) ……………… (1)

चूँकि संघट्ट पूर्णतः प्रत्यास्थ है, अतः

संघट्ट के पूर्व गतिज ऊर्जा = संघट्ट के पश्चात् कुल गतिज ऊर्जा

12m1u12+12m2u22=12m1v12+12m2v22    

या  m1u12-m1v12=m2v22-m2u22  

m1 (u1 – v1)(u1+ v1) = m2 (v2 -u2) (v2+u2)   …………(2)

समी. (2) में समी. (1) का भाग देने पर,

u1+ v1= v2+u2

या u1- u2= v2+v1 ……………………. (3)

अर्थात् पास आने का आपेक्षिक वेग = दूर जाने का आपेक्षिक वेग

संघट्ट के पश्चात् वेगों की गणना

1. वस्तु A का वेग-समीकरण (3) से,

v2=u1- u2+v1

यह मान समीकरण (1) में रखने पर,

      m1 (u1 – v1) = m2 (u1 -u2+v1-u2

    u1(m1 - m2)+2m2 u2=(m1+ m2)v1 

          v1=m1 - m2m1+ m2u1+2m1m1+ m2u2         ...............(4)

2. वस्तु B का वेग-समीकरण (3) से,

v1= v2+u2-u1  

यह मान समीकरण (1) में रखने पर,

m1 (u1 -v2-u2+u1) = m2 (v2 – u2

    2m1 u1-(m1- m2)u2=(m1 + m2) v2 

          v2=2m1 m1+ m2u1-m1-m2m1+ m2u2         ...............(5)

स्थितियाँ-

1. जब दोनों वस्तुओं का द्रव्यमान समान हो अर्थात् m1 = m2 

तब समी. (4) से, v1 = u

एवं समी. (5) से, v2 = u

अर्थात् समान द्रव्यमान की वस्तुएँ प्रत्यास्थ संघट्ट होने से अपने वेग को परस्पर बदल लेती हैं।

2. m2 द्रव्यमान की वस्तु B विरामावस्था में है

अर्थात् u2=0 

तब समी. (4) से, V=m1-m2m1+ m2u1         ……………(6)

 एवं समी. (5) से,  V2 =m1-m2m1+ m2u1       ………….(7)

यदि m1= m2=m (मानलो)

तब समी. (6) से, v1= 0

एवं समी. (7) से, v2 = u1

इस प्रकार समान द्रव्यमान की दो वस्तुओं में प्रत्यास्थ संघट्ट में यदि दूसरी वस्तु विरामावस्था में है, तो संघट्ट के पश्चात् पहली वस्तु विरामावस्था में आ जाती है तथा दूसरी वस्तु, पहली वस्तु के वेग से चलने लगती है।

(3) यदि वस्तु B का द्रव्यमान m2 वस्तु A के द्रव्यमान की तुलना में नगण्य हो. अर्थात्         m2<< m1 तब

समी. (6) से, v1 = u1

एवं समी. (7) से, v2 = 2 u1

इस प्रकार जब भारी वस्तु किसी स्थिर हल्की वस्तु से टकराती है, तो भारी वस्तु उसी वेग से चलती रहती है, किन्तु हल्की वस्तु भारी वस्तु के दो गुने वेग से चलने लगती है।

(4) यदि वस्तु A का द्रव्यमान m1, वस्तु B के द्रव्यमान m2 की तुलना में नगण्य हो,तो

समी. (6) से, v1 = - u1

एवं समी. (7) से, v2=2 m1 m2 u1=0 

अर्थात् जब हल्की वस्तु, स्थिर भारी वस्तु से टकराती है, तो भारी वस्तु स्थिर ही रहती है किन्तु हल्की वस्तु उसी वेग से विपरीत दिशा में चलने लगती है।

प्रश्न 18.  दो नत घर्षण रहित समतल एक-दूसरे से बिन्दु A पर मिलते हैं। इनमें से एक तल P का ढाल, दूसरे तल Q के ढाल की अपेक्षा अधिक है। बिन्दु A से एक एकसमान द्रव्यमान की गोलियों को प्रत्येक तल पर विरामावस्था से छोड़ा जाता है। सली पर पहुँचने पर उनके वेगों में क्या अनुपात होगा? क्या दोनों गोलियाँ एक साथ तल पर पहुँचेंगी?

उत्तर-

चूँकि दोनों गोलियाँ तल तक आने में समान ऊर्ध्वाधर ऊँचाई तय करेंगी, अतः दोनों गोलियों के – तल पर पहुँचने पर वेग समान v=2gh  होंगे।

अर्थात् तल पर उनके वेगों का अनुपात = 1: 1 होगा। समीकरण v=u+at से तल P पर गोली द्वारा लिया गया समय t1=vgsin1, (क्योंकि नत समतल P पर गोली का त्वरण = gsin1, होगा, यदि 1, इसका क्षैतिज से झुकाव है) तथा तल Q पर गोली द्वारा लिया गया समय t2=-vgsin2 होगा।

चूँकि 1>2  अत: sin1>sin2

इसलिए t1<t2 अर्थात् तल P की तली पर गोली, तल Q की तली की अपेक्षा पहले पहुँचेगी।

प्रश्न 19. दो गोलों के द्विविमीय प्रत्यास्थ संघट्ट के लिए उन समीकरण को व्युत्पन्न कीजिए जिनकी सहायता से संघट्ट के पश्चात् गोलों के वेग ज्ञात किये जा सकते हैं।

उत्तर-

माना m1 द्रव्यमान का एक पिण्ड प्रारम्भिक वेग u1  , से X-अक्ष के अनुदिश गतिमान है तथा यह m2, द्रव्यमान के एक स्थिर पिण्ड (u2 = 0) से टकराता है। टक्कर के पश्चात् माना m1 द्रव्यमान का पिण्ड  , वेग से अपनी प्रारम्भिक गति की दिशा से 1 कोण पर विक्षेपित हो जाता है तथा m2 द्रव्यमान का पिण्ड v2 वेग से X-दिशा से 2, कोण पर गतिमान हो जाता है।

चूँकि v1 तथा v2 दोनों X-Y तल में हैं । अतः v1,u1, u2 को X व Y दिशा में वियोजित करके संवेग संरक्षण के नियमानुसार

x दिशा में प्रारम्भिक संवेग = अंतिम संवेग

m1u1=m1v1sin1-m2v2sin2           .................(1)

इसी प्रकार Y दिशा में,

प्रारम्भिक संवेग = अंतिम संवेग ।

या 0=m1v1sin1-m2v2sin2 ……………………. (2)

गतिज ऊर्जा संरक्षण के नियमानुसार (संघट्ट प्रत्यास्थ है) प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा = अंतिम गतिज ऊर्जा

12m1u12=12m1v12+12m2v22

m1u12= m1v12+m2v22   ………..(3)

उपर्युक्त समीकरणों (1), (2) तथा (3) की सहायता से m1,m2,u1, तथा 1 , या 2 , ज्ञात होने पर v1,v2, 2  या ज्ञात किये जा सकते हैं।

प्रश्न 20. स्प्रिंग को खींचने में किये गये कार्य की गणना कीजिये।

उत्तर- आदर्श प्रत्यास्थ स्प्रिंग के लिए बल, विस्थापन के समानुपाती होता है। अत: बल और विस्थापन के बीच खींचा गया वक्र चित्रानुसार एक सरल रेखा होती है।

बल-विस्थापन वक्र में कोई बिन्दु A लो। माना A के संगत स्प्रिंग का विस्थापन X है। अत: A के संगत स्प्रिंग पर बल F=Kx होगा।

स्प्रिंग को x दूरी तक खींचने में किया गया कार्य, बल-विस्थापन वक्र और x=0 तथा x=x के बीच घिरे क्षेत्रफल के बराबर होगा। इस प्रकार स्प्रिंग को खींचने में किया गया कार्य

W = ΔABO का क्षेत्रफल

=12OBAB

=12Kx=12Kx2

यही कार्य स्प्रिंग में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। अतः स्प्रिंग की स्थितिज ऊर्जा

W=12Kx2

प्रश्न 21. निम्नलिखित यन्त्र किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं

उत्तर-

डायनेमो-यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में।

विद्युत् मोटर-विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में।

प्रकाश विद्युत् सेल-प्रकाश ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में।

लाउडस्पीकर-विद्युत् ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में।

विद्युत् बल्ब का जलना-विद्युत् ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा में।

एक पत्थर का ऊपर से गिरना-स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में।

प्रश्न 22. किसी वस्तु पर किसी बल द्वारा किए गए कार्य का चिह्न समझना महत्त्वपूर्ण है। सावधानीपूर्वक बताइए कि निम्नलिखित राशियाँ धनात्मक हैं या ऋणात्मक –

(a) किसी व्यक्ति द्वारा किसी कुएँ में से रस्सी से बँधी बाल्टी को रस्सी द्वारा बाहर निकालने में किया गया कार्य।

(b) उपर्युक्त स्थिति में गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य।

(c) किसी आनत तल पर फिसलती हुई किसी वस्तु पर घर्षण द्वारा किया गया कार्य।

(d) किसी खुरदरे क्षैतिज तल पर एकसमान वेग से गतिमान किसी वस्तु पर लगाए गए बल द्वारा किया गया कार्य।

(e) किसी दोलायमान लोलक को विरामावस्था में लाने के लिए वायु के प्रतिरोधी बल द्वारा किया गया कार्य।

उत्तर :

(a) चूँकि मनुष्य द्वारा लगाया गया बल तथा बाल्टी का विस्थापन दोनों ऊपर की ओर दिष्ट हैं; अत: कार्य धनात्मक होगा।

(b) चूँकि गुरुत्वीय बल नीचे की ओर दिष्ट है तथा बाल्टी का विस्थापन ऊपर की ओर है; अतः गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।

(c) चूँकि घर्षण बेल सदैव वस्तु के विस्थापन की दिशा के विपरीत दिष्ट होता है; अत: घर्षण बल द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।

(d) वस्तु पर लगाया गया बल घर्षण के विपरीत अर्थात् वस्तु की गति की दिशा में है; अत: इस बल द्वारा कृत कार्य धनात्मक होगा।

(e) वायु का प्रतिरोधी बल सदैव गति के विपरीत दिष्ट होता है; अतः कार्य ऋणात्मक होगा।

प्रश्न 23. 300 kg द्रव्यमान की कोई ट्रॉली, 25 kg रेत का बोरा लिए हुए किसी घर्षणरहित पथ पर 27 km h-1 की एकसमान चाल से गतिमान है। कुछ समय पश्चात बोरे में किसी छिद्र से रेत 0.05 kg s-1 की दर से निकलकर ट्रॉली के फर्श पर रिसने लगती है। रेत का बोरा खाली होने के पश्चात् ट्रॉली की चाल क्या होगी?

उत्तर : ट्रॉली तथा रेत का बोरा एक ही निकाय के अंग हैं जिस पर कोई बाह्य बल नहीं लगा है (एकसमान वेग के कारण); अत: निकाय का रैखिक संवेग नियत रहेगा भले ही निकाय में किसी भी प्रकार का आन्तरिक परिवर्तन (रेत ट्रॉली में ही गिर रहा है, बाहर नहीं) क्यों न हो जाए। अतः ट्रॉली की चाल 27 km h-1 ही बनी रहेगी।

प्रश्न 24. 0.3 kg द्रव्यमान का कोई बोल्ट 7 m s-1 की एकसमान चाल से नीचे आ रही किसी लिफ्ट की छत से गिरता है। यह लिफ्ट के फर्श से टकराता है (लिफ्ट की लम्बाई = 3m) और वापस नहीं लौटता है। टक्कर द्वारा कितनी ऊष्मा उत्पन्न हुई? यदि लिफ्ट स्थिर होती तो क्या आपको उत्तर इससे भिन्न होता?

हल : जड़त्व के कारण बोल्ट की प्रारम्भिक चाल, लिफ्ट की चाल के बराबर है। अत: लिफ्ट के सापेक्ष बोल्ट की प्रारम्भिक चाल शून्य है। जब बोल्ट नीचे गिरता है, इसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलती है, जो अन्त में ऊष्मा में बदल जाती है।

∴ उत्पन्न ऊष्मा = mgh = 3 × 9.8 × 3 जूल = 8.82 जूल।

यदि लिफ्ट स्थिर होती तो भी बोल्ट की लिफ्ट के सापेक्ष चाल शून्य होती; इसलिए उत्तर अब भी वही रहेगा अर्थात् अब भी इस दशा में उत्पन्न ऊष्मा = 8.82 जूल।

प्रश्न 25. ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर : ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त – ऊर्जा संरक्षण सिद्धान्त के अनुसार, “ऊर्जा न तो नष्ट की जा सकती है और न ही इसे उत्पन्न किया जा सकता है इसका एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरण ही सम्भव है। दूसरे शब्दों में, जब ऊर्जा का एक रूप विलुप्त होता है तो वही ऊर्जा इतने ही परिमाण में किसी और रूप में प्रकट हो जाती है।

यह व्यापक सिद्धान्त संरक्षी एवं असंरक्षी दोनों प्रकार के बलों के लिए समान उपयोगी है।

उदाहरण – बाँधों में संचित जल की स्थितिज ऊर्जा, टरबाइन की गतिज ऊर्जा में बदलती है जो अन्ततः जेनरेटर द्वारा विद्युत ऊर्जा में बदल दी जाती है।