बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

HFSV

दीर्घ  उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सदिश गुणन को परिभाषित कर इसके गुणों को लिखिए।

उत्तर- दो सदिशों a एवं b का सदिश गुणन एक सदिश राशि होती है, इसकी दिशा सदिश à एवं b के तल के लम्बवत् होती है। सदिश गुणन की गणितीय परिभाषा निम्न है

ab=ab sin .n

n= इकाई सदिश जो सदिश ।

एवं । के तल के लम्बवत् होता है। 

गुण-

(i) दो सदिशों का सदिश गुणन एक सदिश राशि है। 

(ii) यह क्रम-विनिमेय नियम का पालन नहीं करता|

ab=ba

(iii) यह साहचर्य नियम का पालन नहीं करता|

a(bc)=(ab)c

(iv) सदिश गुणन, सदिश योग पर वितरणशील होता है,

a(bc)=ab+ac

(v) aa = (शून्य सदिश)

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प्रश्न 2. दर्शाइये कि सदिश a एवं b से बने त्रिभुज के क्षेत्रफल का परिमाण ab के परिमाण का आधा होता है।

उत्तर- माना सदिशों  a एवं b के मध्य का कोण है तथा इसे क्रमशः OA एवं OB द्वारा प्रदर्शित किया गया है। समान्तर चतुर्भुज OACB को पूर्ण कर OA पर एक लम्ब BN खींचा गया है। ONB में,

sin =BNOB

sin =BNb

BN=b sin

OAB का क्षेत्रफल =12(OA)(BN)

=12 ab sin

|a b |=ab sin

अतः OAB का क्षेत्रफल =12|a b |

प्रश्न 3. एकसमान द्रव्यमान घनत्व के निम्नलिखित पिण्डों में………………… मान केन्द्र की स्थिति लिखिए

(a) गोला,

(b) सिलिण्डर,

(c) छल्ला तथा

(d) घन।

उत्तर-

(a) गोला-गोले का केन्द्र।

(b) सिलिण्डर-सिलिण्डर के सममिति अक्ष का मध्य बिन्दु |

(c) छल्ला-छल्ले का केन्द्र |

(d) घन-विकर्णों के कटान बिन्दु पर ।

प्रश्न 4. घूर्णी गति में कार्य को परिभाषित कीजिए ।

उत्तर- जिस प्रकार रैखिक गति में कण द्वारा किया गया कार्य, बल तथा बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है, ठीक उसी प्रकार घूर्णन गति में बल आघूर्ण द्वारा किया गया कार्य, बल आघूर्ण तथा कोणीय विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है, अर्थात् कार्य W=.d ...............(1)

तथा घूर्णन गति में व्यय शक्ति P=Wt=ddt

P=.       …………….(2) 

प्रश्न 5. सिद्ध कीजिए कि कोणीय संवेग = जड़त्व आघूर्ण x कोणीय वेग

अथवा

सिद्ध कीजिए कि J=I

उत्तर- माना कोई पिण्ड किसी अक्ष के परितः कोणीय वेग से घूर्णन गति कर रहा है। घूर्णन अक्ष से r1,r2,r3......... दूरियों पर स्थित m1,m2,m3......... द्रव्यमान के कणों के रेखीय वेग क्रमशः v1,v2,v3......... हैं | अतः m1 द्रव्यमान के कण का रेखीय संवेग=m1v1

चूँकि v=r

 रेखीय संवेग r1

अतः m1  द्रव्यमान के कण का घूर्णन अक्ष के परितः कोणीय संवेग

=m1r1. r1=m1r12

इसी प्रकार m2,m3....... द्रव्यमान के कणों से घूर्णन अक्ष के परितः कोणीय संवेग क्रमश: m3r22, m3r32..... होंगे।

अतः संपूर्ण पिण्ड का घूर्णन अक्ष के परितः कोणीय संवेग.

          J=m1r12 + m2r22+ m3r32+.......=(m1r12+m2r22+.....)

या        J=mr2

           mr2=1

                J=I.

अर्थात् कोणीय संवेग = जड़त्व आघूर्ण कोणीय वेग

प्रश्न 6. कोणीय संवेग से आप क्या समझते हैं ? कोणीय संवेग एवं घूर्णन गतिज ऊर्जा में संबंध स्थापित कीजिए ।

उत्तर- कोणीय संवेग-किसी कण के रैखिक संवेग का किसी घूर्णन अक्ष के परितः आघूर्ण, कण का कोणीय संवेग कहलाता है। अर्थात् कोणीय संवेग = रेखीय संवेग    घूर्णन अक्ष से लंबवत् दूरी इसका SI मात्रक जूल- सेकण्ड है। यह एक सदिश राशि है।

घूर्णन गतिज ऊर्जा तथा कोणीय संवेग में संबंध-चूँकि हम जानते हैं कि घूर्णन गतिज ऊर्जा

Ek=12I.2=12I..

चूँकि I=J

Ek=12I.

या J=2Ek

अर्थात् कोणीय वेग =2 x घूर्णन गतिज ऊर्जाकोणीय वेग

प्रश्न 7. कोणीय संवेग संरक्षण नियम क्या है ? लिखकर सिद्ध कीजिए ।

उत्तर- इस नियमानुसार- "यदि किसी घूमते हुए पिण्ड या निकाय पर कोई बाह्य बल आघूर्ण न लगाया जाये, तो उसका कोणीय संवेग नियत रहता है।"

अर्थात् J= नियतांक या I= नियतांक 

 कोणीय संवेग में परिवर्तन की दर लगाये गये बाह्य बल आघूर्ण के बराबर होती है।

अर्थात् =d Jdt

यदि बाह्य बल आघूर्ण =0 हो, तो =d Jdt=0

या J= नियतांक

परन्तु J=I.

.: I.= नियतांक                 ………………… (1)

अर्थात् समीकरण (1) से स्पष्ट है कि यदि बाह्य बल आघूर्ण शून्य हो, तो किसी निकाय के जड़त्व आघूर्ण के घटने से उसका कोणीय वेग बढ़ने लगता है।

प्रश्न 8. किसी पिण्ड के जड़त्व आघूर्ण से आप क्या समझते हैं ? इसका व्यंजक ज्ञात कीजिए।

 उत्तर- जड़त्व आघूर्ण - किसी पिण्ड का एक निश्चित घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण उसके विभिन्न कणों के द्रव्यमानों तथा घूर्णन अक्ष से उनकी संगत दूरियों के वर्गों के गुणनफलों के योग के बराबर होता है।

माना कोई पिण्ड XY अक्ष के परितः घूर्णन कर रहा है। इस पिण्ड को m1,m2,m3......... द्रव्यमान के कणों से मिलकर बना माना जा सकता है, जिनकी घूर्णन अक्ष से दूरियाँ r1,r2,r3........हैं। तब घूर्णन अक्ष के परितः इन कणों के जड़त्व आघूर्ण m1r12 , m2r22, m3r32....... हैं |

तब इस पिण्ड का XY अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण

I=m1r12+ m2r22+ m3r32....... 

या I=mr2     ………………(1)

समीकरण (1) से स्पष्ट है कि किसी पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण निम्न कारकों पर निर्भर करता है

• पिण्ड के द्रव्यमान पर,

• द्रव्यमान के वितरण पर,

• घूर्णन अक्ष की स्थिति पर ।

प्रश्न 9. बल आघूर्ण तथा जड़त्व आघूर्ण में सम्बन्ध बताइये।

उत्तर- माना कोई पिण्ड किसी अक्ष के परितः कोणीय वेग से घूम रहा है। उस पर बाह्य बल आघूर्ण लगाने से

उसमें कोणीय त्वरण उत्पन्न हो जाता है।

माना घूर्णन अक्ष से r दूरी पर स्थित एक कण का रेखीय त्वरण है। तब न्यूटन के गति के द्वितीय नियम से,

F=m.a परन्तु

a=r.

F=mr.

इस कण का दिये गये अक्ष के परितः बल आघूर्ण

= बल बल की क्रियारेखा के अक्ष से लंबवत् दूरी ।

या =Fr

या =mr.r

=mr2

अतः संपूर्ण पिण्ड में कोणीय त्वरण a उत्पन्न करने के लिए बल आघूर्ण

                    =m1r12 + m2r22 + m3r32 +......

या                  =(m1r12 + m2r22 + m3r32 +......)=.mr2

चूँकि                 mr2=1

                             =I

अर्थात् बल आघूर्ण = जड़त्व आघूर्ण : जड़त्व आघूर्ण कोणीय त्वरण ।

प्रश्न 10. सिद्ध कीजिए कि कोणीय संवेग में परिवर्तन की दर, उस पिण्ड पर लगाये गये बाह्य बल आघूर्ण के बराबर होती है।

उत्तर- माना किसी पिण्ड पर बल आघूर्ण र लगाने पर उसमें कोणीय त्वरण उत्पन्न होता है।

तब =I    ………(1)

परन्तु =ddt

अतः  =I.ddt  ………….(2)

एवं पिण्ड का घूर्णन अक्ष के परितः कोणीय संवेग J=I

t के सापेक्ष अवकलन करने पर dJdt=I.dJdt ………..(3)

अतः समी. (2) तथा (3) से,

dJdt=

समी. (4) से स्पष्ट है कि कोणीय संवेग में परिवर्तन की दर उस पिण्ड पर लगाये गये बाह्य बल आघूर्ण के बराबर होती है।

प्रश्न 11. रेखीय तथा घूर्णी गति में विभिन्न व्यंजकों की तुलना कीजिए । 

उत्तर- रेखीय तथा घूर्णी गति में विभिन्न व्यंजकों की तुलना

रेखीय गति

घूर्णी गति

1. विस्थापन =x

2. रेखीय वेग v=dxdt

3. रेखीय त्वरणa=dvdt

4. द्रव्यमान =m

5. बल =F

 6. रेखीय संवेगP=m.v

7. बल F=dpdt

8. गतिज ऊर्जा =12mv2

9. रेखीय गति के समीकरण-

     v=u+at

     s=ut+12at2

     v2=u2+2as

1. कोणीय विस्थापन =

2. कोणीय वेग =ddt

3. कोणीय त्वरण =ddt

4. जड़त्व आघूर्ण =I

5. बल आघूर्ण : =

6. कोणीय संवेग J=I.

7. बल आघूर्ण =dJdt

8. घूर्णन गतिज ऊर्जा =12I2

9. घूर्णी गति के समीकरण-

      =0+t

       =0t+12t2

       2=02+2   

प्रश्न 12. अपने अक्ष पर 0 कोणीय चाल से घूर्णन करने वाली किसी चक्रिका को धीरे से (स्थानान्तरीय धक्का दिए बिना) किसी पूर्णतः घर्षणरहित मेज पर रखा जाता है। चक्रिका की त्रिज्या R है। चित्र में दर्शाई चक्रिका के बिन्दुओं. A, B तथा C पर रैखिक वेग क्या हैं? क्या यह चक्रिका चित्र में दर्शाई दिशा में लोटनिक गति करेगी?

उत्तर: चक्रिका व मेज के मध्य घर्षण बल शून्य है। इस कारण चक्रिका लोटनिक गति नहीं कर पाएगी व मेज के एक ही बिन्दु B के सम्पर्क में रहते हुए अपनी अक्ष के परितः घूर्णनी गति करती रहेगी।

दिया है: बिन्दु A की अक्ष से दूरी R है।

अतः बिन्दु A पर रैखिक वेग, VA=R0 (तीर की दिशा में)

तथा बिन्दु B पर रैखिक वेग, VB=R0 (तीर की विपरीत दिशा में)

चूँकि बिन्दु C की अक्ष से दूरी R2

अतः बिन्दु C पर रैखिक वेग  VC=R2 0

(क्षैतिजत: बाईं ओर से दाईं ओर को) अर्थात् चक्रिका लोटनिक गति नहीं करेगी।

प्रश्न 13. एक ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्ताकार कक्षा में चक्कर लगा रहा है। कक्षा में इसका

(1) कोणीय वेग,

(2) रेखीय वेग किस प्रकार बदलेगा?

उत्तर- सूर्य के चारों ओर ग्रह की गति सूर्य की ओर दिष्ट गुरुत्वाकर्षण बल के अन्तर्गत (अर्थात् केन्द्रीय बल के अन्तर्गत) होती है। अतः इसका कोणीय संवेग संरक्षित रहेगा।

1. चूँकि कोणीय संवेग L=mr2 नियत है। अतः जब ग्रह सूर्य के पास पहुँचता है, तो दूरी घटेगी, अतः कोणीय वेग बढ़ेगा तथा जब ग्रह, सूर्य से दूर जाता है, तो r के बढ़ने से कोणीय वेग घटेगा, क्योंकि

होता है।

2. चूँकि कोणीय संवेग L=mvr= नियतांक, अतः ग्रह सूर्य के पास आने पर r घटेगा, पर रेखीय वेग v बढ़ेगा तथा ग्रह के सूर्य से दूर जाने पर r बढ़ने पर रेखीय वेग v घटेगा, क्योंकि v 1r

प्रश्न 14. दीवार के सहारे झुकी सीढ़ी पर जैसे-जैसे आदमी ऊपर चढ़ता है, इसके फिसलने की संभावना बढ़ती जाती है, क्यों ?

उत्तर- जैसे-जैसे आदमी सीढ़ी पर ऊपर चढ़ता जाता है, इसके भार की क्रिया रेखा, सीढ़ी के आधार से लंबवत् दूरी बढ़ती जाती है, जिसके फलस्वरूप सीढ़ी के आधार के परितः आदमी के भार का बल आघूर्ण बढ़ता जाता है तथा सीढ़ी के फिसलने की संभावना बढ़ती जाती है।

प्रश्न 15. एक ही अक्ष के परितः घूर्णन कर रही दो वस्तुओं A तथा B के जड़त्व आघूर्ण क्रमशः I1 तथा I2 हैं।

 (1) यदि इनके कोणीय संवेग समान हैं, तो इनकी घूर्णन गतिज ऊर्जाओं की तुलना कीजिए । 

 (2) यदि इनकी घूर्णन गतिज ऊर्जाएँ समान हैं तो इनके कोणीय संवेगों की तुलना कीजिए । 

उत्तर- यदि कोई वस्तु कोणीय वेग से किसी अक्ष के परितः घूर्णन कर रही है तथा इसका जड़त्व आघूर्ण । है, तो घूर्णन गतिज ऊर्जा E=12I2 तथा कोणीय संवेग J=I.

उपर्युक्त संबंधों से, =JI

अतः E=12IJ2f2=J22I

या J2=2IE

1. यदि कोणीय संवेग समान है, तो E1=J22I1

 एवं  E2=J22I2

अतः E1E2=I2I1

अर्थात् अर्थात् कम जड़त्व आघूर्ण वाली वस्तु की घूर्णन ऊर्जा अधिक होगी।

2. यदि घूर्णन गतिज ऊर्जाएँ समान हैं, तो

                     J1=2EI1

एवं                 J2=2EI2

अतः               J1J2=I1I2

अर्थात्              J I

अर्थात् अधिक जड़त्व आघूर्ण वाली वस्तु का कोणीय संवेग अधिक होगा।

प्रश्न 16. नीचे दिए गए प्रत्येक प्रकथन को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा कारण सहित उत्तर दीजिए कि इनमें से कौन – सा सत्य है और कौन – सा असत्य है –

लोटनिक गति करते समय घर्षण बल उसी दिशा में कार्यरत होता है जिस दिशा में पिंड का द्रव्यमान केंद्र गति करता है।

लोटनिक गति करते समय संपर्क बिंदु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।

लोटनिक गति करते समय संपर्क बिन्दु का तात्क्षणिक त्वरण शून्य होता है।

परिशुद्ध लोटनिक गति के लिए घर्षण के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।

किसी पूर्णतः घर्षणरहित आनत समतल पर नीचे की ओर गति करते पहिए की गति फिसलन गति (लोटनिक गति नहीं) होगी।

उत्तर:

सत्य, चूँकि स्थानान्तरीय गति घर्षण बल के कारण ही उत्पन्न होती है। इसी बल के कारण पिंड का द्रव्यमान आगे की ओर बढ़ता है।

सत्य, चूँकि लोटनिक गति, सम्पर्क बिन्दु पर सी गति 1 के समाप्त होने पर प्रारम्भ होती है। इस प्रकार परिशुद्ध लोटनिक । गति में सम्पर्क बिन्दु की तात्क्षणिक चाल शून्य होती है।

असत्य चूँकि घूर्णन गति के कारण, सम्पर्क बिन्दु की गति में अभिकेन्द्र त्वरण अवश्य ही विद्यमान होता है।

सत्य चूँकि परिशुद्ध लोटनिक गति में सम्पर्क बिन्दु पर कोई सरकन नहीं होता है। इस कारण घर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य शून्य होता है।

सत्य, घर्षण के न होने पर आनत तल पर छोड़े गए पहिए का आनत तल के साथ सम्पर्क बिन्दु विरामावस्था में नहीं रहेगा बल्कि पहिए के भार के अधीन माना तल के अनुदिश फिसलता जाएगा। इस कारण यह गति लोटनिक न होकर विशुद्ध सरकन गति होगी।

प्रश्न 17. कोणीय संवेग से क्या तात्पर्य है ? इसका व्यंजक ज्ञात कीजिए । 

उत्तर- कोणीय संवेग-किसी कण के रैखिक संवेग का किसी घूर्णन अक्ष के परितः आघूर्ण, कण का कोणीय संवेग कहलाता है। अर्थात् कोणीय संवेग = रेखीय संवेग    घूर्णन अक्ष से लंबवत् दूरी इसका SI मात्रक जूल- सेकण्ड है। यह एक सदिश राशि है।

माना चित्र में m द्रव्यमान का एक कण P है, जिसका मूलबिन्दु O के सापेक्ष स्थिति सदिश r है तथा कण का रेखीय संवेग p(=mv) है, तो कण का बिन्दु O के परितः कोणीय संवेग का परिमाण J= (कण का रेखीय संवेग p) बिन्दु O से संवेग की क्रिया रेखा पर लंब की लंबाई (ON)=pr sin

चूँकि समकोण OPN में,

ON=OP sin =r sin

या J=rpsin

यहाँ सदिश r तथा p के बीच का कोण है।

कोणीय संवेग एक सदिश राशि है। इसकी दिशा दोनों सदिशों r तथा p के सम्मिलित तल के लंबवत् होती है तथा यह दिशा सदिश गुणनफल के दायें हाथ के नियम द्वारा दी जाती है।

अतः सदिश रूप में कोणीय संवेग

J=rp=r (m v)= m (r v)

प्रश्न 18. कोणीय त्वरण से आप क्या समझते हैं ? सिद्ध कीजिए कि रेखीय त्वरण = कोणीय त्वरण - घूर्णन अक्ष से कण की दूरी ।

उत्तर- कोणीय त्वरण-कोणीय वेग में परिवर्तन की दर को कोणीय त्वरण कहते हैं। 

अर्थात् कोणीय त्वरण = कोणीय वेग में परिवर्तनसमयान्तराल

यदि t समय में कोणीय वेग में परिवर्तन हो, तो औसत कोणीय त्वरण =t

तात्क्षणिक कोणीय त्वरण =t 0t =t   ………..(1)

परन्तु v=r, जहाँ r कण की अक्ष से दूरी है।

अतः t के सापेक्ष अवकलन करने पर,

dvdt =r.ddt =r.

[समी. (1) से] 

चूँकि dvdt =a= रेखीय त्वरण

a=r.

अत: रेखीय त्वरण = कोणीय त्वरण घूर्णन अक्ष से कण की दूरी । यही सिद्ध करना था ।

प्रश्न 19. घूर्णन त्रिज्या से क्या तात्पर्य है ? समांगी पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या के लिए व्यंजक ज्ञात कीजिए।

उत्तर- घूर्णन त्रिज्या-किसी पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या, घूर्णन अक्ष से उस बिन्दु की लंबवत् दूरी है, जिस पर पिण्ड के संपूर्ण द्रव्यमान को केन्द्रित मान लेने पर प्राप्त जड़त्व आघूर्ण वस्तु के वास्तविक जड़त्व आघूर्ण के बराबर होता है। 

यदि M द्रव्यमान के पिण्ड की किसी घूर्णन अक्ष के परितः घूर्णन त्रिज्या K हो, तो I=MK2 

परन्तु I=mr2

या  MK2  =mr2=m1r12 + m2r22 + m3r32 .......

K=m1r12 + m2r22 + m3r32 +......M

समांगी पिण्ड के सभी कणों का द्रव्यमान एकसमान होगा। अर्थात्

m1= m2= m3=..................=m

अतः  MK2  =m(r12+r22 + r32+.....)

K2=r12+r22 + r32+......N

या  K=r12+r22 + r32+......N

स्पष्ट है कि किसी पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या, पिण्ड के विभिन्न कणों की अक्ष से दूरियों के वर्ग-माध्य-मूल के

बराबर होती है।

प्रश्न 20. घूर्णन गतिज ऊर्जा का व्यंजक ज्ञात कीजिए।

उत्तर- माना कोई पिण्ड किसी घूर्णन अक्ष XY के परितः नियत कोणीय वेग से घूर्णी गति कर रहा है।

माना यह पिण्ड m1,m2,m3.........  द्रव्यमान के कणों से मिलकर बना है, जिनकी घूर्णन अक्षों से दूरियाँ r1,r2,r3......... हैं तथा इन कणों के रेखीय वेग क्रमश: v1,v2,v3.........  हैं|

स्पष्ट है कि कणों की गतिज ऊर्जा 12m1v12,12m2v22,12m3v32 होंगी। 

अतः पिण्ड की संपूर्ण गतिज ऊर्जा

Ek=12m1v12+12m2v22+12m3v32............

चूँकि v=r

Ek=12m1(r1)2+12m2(r2)2+............

या  Ek=122m1r12+m2r22+m3r32+............=122mr2

चूँकि mr2=I=जड़त्व आघूर्ण

Ek=12I2

अर्थात् घूर्णन गतिज ऊर्जा =12 जड़त्व आघूर्ण (कोणीय वेग)

प्रश्न 21 . स्पष्ट कीजिए कि चित्र में अंकित दिशा में चक्रिका की लोटनिक गति के लिए घर्षण होना आवश्यक क्यों है?

B पर घर्षण बल की दिशा तथा परिशुद्ध लुढ़कन आरंभ होने से पूर्व घर्षणी बल आघूर्ण की दिशा क्या है?

परिशुद्ध लोटनिक गति आरंभ होने के पश्चात् घर्षण बल क्या है?

उत्तर:

1. बिन्दु B   पर घर्षण बल B के वेग का विरोध करता है। अतः घर्षण बल तीर की दिशा में होगा। घर्षण बल आघूर्ण के कार्य करने की दिशा इस प्रकार है कि वह कोणीय गति का विरोध करता है। 0   व दोनों ही कागज के पृष्ठ के अभिलम्बवत् कार्य करते हैं। इनमें 0   कागज के पृष्ठ के अंतर्मुखी व र कागज के पृष्ठ के बहिर्मुखी है।

2. घर्षण बल सम्पर्क – बिन्दु B के वेग को कम कर देता है। जब यह वेग शून्य होता है तो चक्रिका की लोटन गति आदर्श सुनिश्चित हो जाती है। एक बार ऐसा हो जाने पर घर्षण बल का मान शून्य हो जाता है।