बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति लघु उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक विज्ञान अध्याय 7 कणों के निकाय तथा घूर्णी गति लघु उत्तरीय प्रश्न

CDSF

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. घूर्णी गति किसे कहते हैं ?

उत्तर- जब कोई पिण्ड बल लगाये जाने पर अपने में से जाने वाले किसी अक्ष के परितः घूमने लगता है, तो इस गति को घूर्णी गति कहते हैं। 

उदाहरण-पंखे के ब्लेडों की गति, पहिये की गति।

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प्रश्न 2. दृढ़ पिण्ड किसे कहते हैं ?

उत्तर- प्रत्येक पिण्ड अनेक छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना माना जा सकता है। यदि किसी पिण्ड पर कोई बाह्य बल आरोपित करने पर उसके कणों में परस्पर एक-दूसरे के सापेक्ष कोई विस्थापन न हो, तो ऐसे पिण्ड को दृढ़ पिण्ड कहते हैं।

प्रश्न 3.घूर्णन गति तथा वृत्तीय गति में क्या अंतर है ?

उत्तर-घूर्णन गति में घूर्णन अक्ष पिण्ड के किसी बिन्दु से होकर गुजरता है जबकि वृत्तीय गति में घूर्णन अक्ष पिण्ड के बाहर होता है। उदाहरण- पृथ्वी का अपने अक्ष के परितः घूमना घूर्णन गति है, जबकि पृथ्वी का सूर्य के परितः चक्कर लगाना वृत्तीय गति है।

प्रश्न 4. बल आघूर्ण किसे कहते हैं ? इसका मात्रक तथा विमीय सूत्र क्या है ? बल आघूर्ण का मान कब अधिकतम होता है?

उत्तर- किसी बल द्वारा किसी पिण्ड को किसी अक्ष के परितः घुमाने के प्रभाव को उस बल का घूर्णन अक्ष के परितः बल आघूर्ण कहते हैं।

बल आघूर्ण बल के परिमाण और घूर्णन अक्ष से बल की क्रियारेखा के बीच की लंबवत् दूरी पर निर्भर करता है। इसे (टाऊ) से प्रदर्शित करते हैं।

अतः बल आघूर्ण = बल अक्ष से बल की क्रियारेखा के बीच की लंबवत् दूरी . 

= बल    आघूर्ण भुजा

SI में इसका मात्रक न्यूटन मीटर तथा विमीय सूत्र [M1L2T-2] है ।

प्रश्न 5. कोणीय वेग तथा कोणीय त्वरण से क्या तात्पर्य है ? इनका मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिए।

उत्तर- कोणीय वेग - किसी कण द्वारा घूर्णन अक्ष के परितः 1 सेकण्ड में घूमा हुआ कोण उस कण का कोणीय वेग कहलाता है।

इसका मात्रक रेडियन/सेकण्ड है, विमीय सूत्र [MLT-1] है।' कोणीय त्वरण- घूर्णन गति में समय के साथ कोणीय वेग में परिवर्तन की दर को कोणीय त्वरण कहते हैं। इसका मात्रक रेडियन/सेकेण्ड है, विमीय सूत्र  [MLT-2] है।

प्रश्न 6. कोणीय संवेग से क्या तात्पर्य है ? यह सदिश राशि है या अदिश?

उत्तर-किसी कण के रैखिक संवेग का किसी घूर्णन अक्ष के परितः आघूर्ण, कण का कोणीय संवेग कहलाता है। अर्थात् कोणीय संवेग = रेखीय संवेग  घूर्णन अक्ष से लंबवत् दूरी इसका SI मात्रक जूल- सेकण्ड है। यह एक सदिश राशि है।

प्रश्न 7. जड़त्व आघूर्ण से क्या तात्पर्य है ? इसका SI मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिये|

उत्तर- किसी पिण्ड का एक निश्चित घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व आघूर्ण उसके विभिन्न कणों के द्रव्यमानों तथा घूर्णन अक्ष से उनकी संगत दूरियों के वर्गों के गुणनफलों के योग के बराबर होता है।

अर्थात् जड़त्व आघूर्ण  I=mr2 

इसका SI मात्रक किग्रा मीटर है तथा विमीय सूत्र [M1L2T ] है |

प्रश्न 8. जड़त्व आघूर्ण का भौतिक महत्व लिखिये।

उत्तर- घूर्णन गति में वस्तु का जड़त्व आघूर्ण जितना अधिक होता है, अवस्था परिवर्तन के लिए उतना ही अधिक बल आघूर्ण लगाना पड़ता है।

प्रश्न 9. किसी पिण्ड का जड़त्व आघूर्ण किन-किन कारकों पर निर्भर करता है ?

 उत्तर-  पिण्ड के द्रव्यमान पर, घूर्णन अक्ष के सापेक्ष पिण्ड के द्रव्यमान के वितरण पर ।

प्रश्न 10. यदि किसी पिण्ड के घूमने की दिशा बदल दी जाये, तो जड़त्व आघूर्ण पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर- कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 11. घूर्णन (परिभ्रमण) त्रिज्या की परिभाषा, मात्रक एवं विमीय सूत्र लिखिए।

उत्तर-किसी पिण्ड की घूर्णन त्रिज्या, घूर्णन अक्ष से उस बिन्दु की लंबवत् दूरी है, जिस पर पिण्ड के संपूर्ण द्रव्यमान को केन्द्रित मान लेने पर प्राप्त जड़त्व आघूर्ण वस्तु के वास्तविक जड़त्व आघूर्ण के बराबर होता है। इसे K से प्रदर्शित करते हैं। इसका मात्रक मीटर तथा विमीय सूत्र [ML1T] है।

प्रश्न 12. घूर्णन कर रहे पिण्ड पर कोई बल आघूर्ण लगना क्या आवश्यक है ? कारण सहित . समझाइये।

उत्तर- बल आघूर्ण केवल पिण्ड में कोणीय त्वरण उत्पन्न करने के लिए आवश्यक होता है, अतः घूर्णन कर रहे पिण्ड पर कोई बल आघूर्ण लगना आवश्यक नहीं है।

प्रश्न 13. छोटी डोरी के सिरे से पत्थर बाँधकर घुमाना, लंबी डोरी की तुलना में आसान है, क्यों?

उत्तर- छोटी डोरी की बजाय, लंबी डोरी के सिरे पर पत्थर बाँधकर घुमाने पर पत्थर का जड़त्व आघूर्ण (I=MR2) बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप इसे घुमाने के लिए आवश्यक बल आघूर्ण t=Ia का मान बढ़ जाता है अर्थात् अब पत्थर के टुकड़े को घुमाने के लिए अधिक बल आघूर्ण लगाना पड़ता है।

प्रश्न 14. कोणीय संवेग तथा बल आघूर्ण में संबंध लिखिए ।

उत्तर- बल आघूर्ण = कोणीय संवेग में परिवर्तन की दर अर्थात् =dJdt

प्रश्न 15. कोणीय संवेग तथा जड़त्व आघूर्ण में क्या संबंध है ?

उत्तर- कोणीय संवेग = जड़त्व आघूर्ण कोणीय वेग।

प्रश्न 16. सायकिल के पहिये में स्पोक्स क्यों लगाये जाते हैं ?

उत्तर- पहिये में स्पोक्स लगाने से उसका अधिकांश द्रव्यमान उसके सिरे पर केन्द्रित होता है, जिससे उसका जड़त्व आघूर्ण अधिक होता है। जड़त्व आघूर्ण अधिक होने के कारण पहिया एकसमान रफ्तार से घूमता है, फलस्वरूप झटके नहीं लगते।

प्रश्न 17. दरवाजा खोलने का हैण्डिल दरवाजे से दूर लगा रहता है, क्यों?

उत्तर- ऐसा होने से बल की क्रियारेखा की अक्ष से लंबवत् दूरी बढ़ जाती है, अतः कम बल लगाकर दरवाजे को आसानी से खोला या बंद किया जा सकता है।

प्रश्न 18. घूर्णी गति में घूर्णन अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु का वेग कितना होगा?

उत्तर- घूर्णी गति में घूर्णन अक्ष पर स्थित किसी बिन्दु का वेग शून्य होता है।

प्रश्न 19. कुम्हार के चाक को घुमाने के लिए लकड़ी फँसाने का गड्ढा परिधि के पास क्यों बनाया जाता है ?

उत्तर- ऐसा करने से उत्तोलक भुजा का मान बढ़ जाता है, जिससे बल आघूर्ण का मान बढ़ जाता है, अतः थोड़ा सा भी बल लगाने पर चाक आसानी से घूमने लगता है।

प्रश्न 20. जड़त्व तथा जड़त्व आघूर्ण में अन्तर लिखिए।

उत्तर- जड़त्व तथा जड़त्व आघूर्ण में अन्तर

                      जड़त्व

                  जड़त्व आघूर्ण 

1. रैखिक गति में यह महत्वपूर्ण है।

1. यह घूर्णी गति में महत्वपूर्ण होता है।

2. यह वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है।

2. यह कण के द्रव्यमान तथा घूर्णन अक्ष से उसकी लंबवत् दूरी पर निर्भर करता है।

3. किसी वस्तु का जड़त्व नियत होता है।

3. भिन्न-भिन्न घूर्णन अक्षों के सापेक्ष किसी वस्तु का जड़त्व आघूर्ण भिन्न- भिन्न होता है ।

प्रश्न 21. किसी निकाय के यांत्रिक संतुलन से क्या तात्पर्य है ? 

उत्तर- जब निकाय पर कार्यरत कुल बलों का सदिश योग एवं कुल बल आघूर्णों का सदिश योग शून्य हो, तो वह यांत्रिक संतुलन में होगा |

प्रश्न 22. आघूर्णों का सिद्धान्त लिखिए। 

उत्तर- इस सिद्धांत के अनुसार, घूर्णी संतुलन में, अक्ष के परितः वामावर्त आघूर्णों एवं दक्षिणावर्त आघूर्णों का योग शून्य होता है । वामावर्त आघूर्णों को धनात्मक एवं दक्षिणावर्त आघूर्णों को ऋणात्मक लिया जाता है।

प्रश्न 23. बलयुग्म के आघूर्ण से क्या तात्पर्य है ? यह किन बातों पर निर्भर करता है ?

उत्तर- जब किसी दृढ़ पिण्ड पर दो समान परिमाण के बल विपरीत दिशा में इस प्रकार लगाये जाते हैं कि उनकी क्रियारेखाएँ समान न हों तो बलों के इस युग्म को बलयुग्म कहते हैं। चित्र में बलयुग्म प्रदर्शित किया गया है।

बलयुग्म के दोनों बलों में से एक बल और उनकी क्रियारेखाओं के बीच की लंबवत् दूरी के गुणनफल को उस बलयुग्म का आघूर्ण कहते हैं। अर्थात् बलयुग्म का आघूर्ण = एक बल बलयुग्म की भुजा

=Fd इस सूत्र से स्पष्ट है कि बलयुग्म का आघूर्ण अधिक होगा यदि-

• बल का परिमाण अधिक हो

• बलयुग्म की भुजा लंबी हो अर्थात् दो बलों की क्रिया रेखाओं के बीच की लंबवत् दूरी अधिक हो|

प्रश्न 24. पेंचकस का हत्था चौड़ा क्यों बनाया जाता है ?

उत्तर- क्योंकि ऐसा करने से आरोपित बल की क्रिया रेखा से अक्ष की लंबवत् दूरी बढ़ जाती है, जिसके फलस्वरूप बल आघूर्ण का मान बढ़ जाता है, अत: पेंच आसानी से घूमने लगता है।

प्रश्न 25. जलपंप का हत्था लंबा क्यों होता है ?

उत्तर- हत्था के लंबे होने से हत्थे की पिस्टन से लंबवत् दूरी अधिक हो जाती है। इस प्रकार बल की क्रियारेखा की अक्ष से लंबवत् दूरी अधिक होने के कारण बल आघूर्ण का मान बढ़ जाता है।

प्रश्न 26. पाने की सहायता से नट को खोलना आसान होता है, क्यों?

उत्तर-इस स्थिति में बल की क्रियारेखा को अक्ष से लंबवत् दूरी बढ़ जाती है, जिससे बल आघूर्ण का मान भी बढ़ जाता है, अत: नट आसानी से घूम जाता है।