बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक अध्याय 8 गुरुत्वाकर्षण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 11 भौतिक अध्याय 8 गुरुत्वाकर्षण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

ASD

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण सम्बन्धी नियम लिखिए तथा सम्बन्धित सूत्र दीजिए।

उत्तर- दो बिन्दु कणों को पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण बल दोनों कणों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है तथा बल की दिशा दोनों वस्तुओं को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होती है।

यदि एक कण का द्रव्यमान m1 दूसरे कण का द्रव्यमान m2 तथा उनके बीच की दूरी r हो तो

                                 F=Gm1m2r2

यहाँ F दोनों वस्तुओं के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल है तथा G सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक है।

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प्रश्न 2. गुरुत्वाकर्षण नियतांक क्या होता है? इसका S.I. मात्रक निगमित कीजिए।

उत्तर- यदि दो पिण्डों के द्रव्यमान m1 एवं m2 तथा उनके बीच की दूरी हो तो पिण्डों के बीच गुरुत्वाकर्षण

बल                     F=Gm1m2r2

समानुपातिक नियतांक G  को गुरुत्वाकर्षण नियतांक

कहते हैं।

उपर्युक्त सूत्र से ,  G=F.r2m1m2

अत: G का मात्रक =F का मात्रक r2 का मात्रक m1m2  का मात्रक

                        =न्यूटन.(मीटर)2( किलोग्राम)2

अथवा         = न्यूटन.(मीटर)2( किलोग्राम)-2

प्रश्न 3. गुरुत्वाकर्षण, गुरुत्व तथा गुरुत्वीय त्वरण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- पदार्थ के किन्हीं दो कणों के बीच उनके द्रव्यमान तथा बीच की दूरी पर निर्भर रहने वाले आकर्षण बल के उत्पन्न होने के गुण को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं, जबकि पृथ्वी द्वारा किसी पिण्ड पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल को गुरुत्व तथा इसके द्वारा पिण्ड में उत्पन्न त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं।

इस प्रकार गुरुत्वाकर्षण द्रव्य का एक मौलिक गुण, गुरुत्व एक बल तथा गुरुत्वीय त्वरण एक त्वरण है।

प्रश्न 4. राशियाँ G तथा g क्या व्यक्त करती हैं? इनमें सम्बन्ध बताने वाला समीकरण स्थापित कीजिए।

उत्तर-

राशि G गुरुत्वाकर्षण नियतांक है। इसका मान परस्पर 1मीटर की दूरी पर स्थित 1-1  किग्रा द्रव्यमान के दो पिण्डों के बीच गुरुत्वाकर्षण बल को व्यक्त करता है।

राशि g गुरुत्वीय त्वरण है अर्थात् यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण किसी वस्तु में उत्पन्न त्वरण को व्यक्त करती है।

g तथा G में सम्बन्ध निम्नवत् है-

                                   g=GMeRe2

जबकि Me  पृथ्वी का द्रव्यमान तथा Re  पृथ्वी की औसत त्रिज्या है।

प्रश्न 5. किसी वस्तु के ‘भार’ से क्या तात्पर्य है? भार का S.I.  मात्रक क्या है?

उत्तर- किसी वस्तु पर पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल को वस्तु का भार कहते हैं। इसका मान वस्तु के द्रव्यमान। (m ) तथा गुरुत्वीय त्वरण (g ) के गुणनफल से व्यक्त होता है (W=m.g) 

भार का S.I. मात्रक वही है जो बल का- अर्थात् न्यूटन ।

प्रश्न 6. किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में अन्तर बताइए।

उत्तर- द्रव्यमान तथा भार में अन्तर - द्रव्यमान तथा भार में निम्नलिखित अन्तर हैं

                  द्रव्यमान 

                    भार 

1. वस्तु में उपस्थित कुल पदार्थ की मात्रा होती है। यह वस्तु के जड़त्व की माप होती है।

2. यह प्रत्येक स्थान पर अचर होता है।

3. इसका मात्रक किलोग्राम है।

4. यह भौतिक तुला से तोला जाता है।

5. यह एक अदिश राशि है।

1. वह बल है जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती है।

2.वस्तु का भार स्थान-स्थान पर बदलता रहता है। 

3. इसका मात्रक न्यूटन है

4. यह कमानीदार तुला से तोला जाता है।

5. यह एक सदिश राशि है।

प्रश्न 7. लोहे का बना जहाज जल पर तैरता है। जबकि ठोस लोहे का टुकड़ा जल में डूब जाता है। क्यों?

उत्तर- लोहे के टुकड़े का भार उसके द्वारा हटाए गए जल के भार से अधिक होता है जिससे वह जल में डूब जाता है। जहाज का ढाँचा इस प्रकार बनाया जाता है कि इसके थोड़े-से हिस्से द्वारा हटाए गए जल का भार जहाज तथा उसमें लदे सामान के भार के बराबर होता है जिससे जहाज तैरने लगता है।

प्रश्न 8. जब मनुष्य चलता है तो भूमि पर दाब | क्यों अधिक पड़ता है, अपेक्षाकृत कि जब वह खड़ा होता है?

उत्तर- जब मनुष्य चलता है, तो एक समय पर उसका एक ही पैर भूमि पर होता है। इसके कारण, मनुष्य के भार का दाब उत्पन्न करता है। दूसरी ओर, जब मनुष्य खड़ा होता है, तो उसके दोनों पैर भूमि पर होते हैं। इसके कारण मनुष्य के भार का बल भूमि के बड़े क्षेत्र पर लगता है और भूमि पर कम दाब उत्पन्न करता है।

प्रश्न 9. गद्दे पर जब मनुष्य खड़ा होता है तो क्यों काफी अधिक दबता है अपेक्षाकृत कि जब वह उस पर लेटा होता है?

उत्तर- जब मनुष्य गद्दे के ऊपर खड़ा होता है तो उसके केवल दो पैर (कम क्षेत्रफल वाले) गद्दे के संपर्क में होते हैं। इसके कारण मनुष्य का भार गद्दे के छोटे से क्षेत्र पर लगता है और अधिक दाब उत्पन्न करता है। यह अधिक दाब गद्दे में बड़े गर्त का कारण होता है। दूसरी ओर जब वही मनुष्य गद्दे के ऊपर लेटा होता है, तो इसका संपूर्ण शरीर (बड़े क्षेत्रफल वाला) गद्दे के संपर्क में होता है। इस स्थिति में मनुष्य का भार गद्दे के काफी बड़े क्षेत्र के ऊपर लगता है और काफी कम दाब उत्पन्न करता है और यह कम दाब गद्दे में बहुत छेटा गर्त बनाता है।

प्रश्न 10. गुरुत्वीय त्वरण (g ) व गुरुत्वीय स्थिरांक (G ) में सम्बन्ध तथा अन्तर बताइये।

उत्तर - गुरुत्वीय त्वरण (g ) व गुरुत्वीय स्थिरांक (G ) में सम्बन्ध 

                      g=GMeR2

            गुरुत्वीय त्वरण (g )

                गुरुत्वीय स्थिरांक (G )

1. इसका मान 9.81 मी/से2 होता है।

2. इसका मान भिन्न-भिन्न स्थानों पर होता है।

3. इसका मात्रक मी/से2 है।

4. यह एक सदिश राशि है।

1. इसका मान 6.6734 10-11 न्यूटन मीटर2/किग्रा2  होता है। 

2. इसका मान सदैव स्थिर रहता है।

3. इसका मात्रक न्यूटन मीटर2/किग्रा2 है।

4. यह एक अदिश राशि है।

प्रश्न 11. नीचे की ओर गिरती हुई और ऊपर की ओर फेंकी गयी वस्तुओं के लिए u , v , g और h में सम्बन्ध लिखिए।

उत्तर- (1) यदि कोई वस्तु आरम्भिक वेग u से नीचे गिर रही है,

तब t सेकण्ड पश्चात् अन्तिम वेगं

                           (v)=u+gt            ......................(i)

t सेकण्ड पश्चात् तय की गयी दूरी

                (h)=ut+12gt2                 ...................(ii)

u, v व h में सम्बन्ध  v2 = u2 + 2gh        ........................(iii)

(2) यदि कोई वस्तु विराम की अवस्था से नीचे गिर रही है तब 

आरम्भिक वेग    (u) = 0

 t सेकण्ड पश्चात् अन्तिम वेग (v)=gt                 ..................(i)

  t सेकण्ड पश्चात् तय की गयी (h)=12gt2 .........................(ii) 

  u, v व h में सम्बन्ध  v2 =  2gh        ........................(iii)

(3) जब कोई वस्तु आरम्भिक वेग (u) से ऊपर जा रही है, तब गुरुत्वीय त्वरण (g ) ऋणात्मक होगा क्योंकि वस्तु के वेग की दिशा ऊपर की ओर है और गुरुत्वीय त्वरण की दिशा नीचे की ओर।

इस स्थिति में

t सेकण्ड पश्चात् अन्तिम वेग

                                    (v)=u-gt                      .......................(i)  

t सेकण्ड पश्चात् तय की गयी दूरी

                                 (h)=ut-12gt2 .........................(ii)

u, v व h में सम्बन्ध  v2 = u2 - 2gh        ........................(iii)

प्रश्न 12. गुरुत्वाकर्षण’ से क्या तात्पर्य है? न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम की व्याख्या कीजिए।

उत्तर- गुरुत्वाकर्षण - आकाशीय पिण्डों जैसे चन्द्रमा, ग्रह, पृथ्वी आदि की गतियों के आधार पर न्यूटन ने यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया कि ब्रह्माण्ड में सभी वस्तुएँ एक-दूसरे को अपनी ओर बल लगाकर आकर्षित करती हैं।

जिस बल के कारण दो वस्तुएँ एक-दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, उस बल को गुरुत्वाकर्षण बल तथा वस्तुओं के परस्पर आकर्षित होने के गुण को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं।

न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण का नियम - न्यूटन ने दो पिण्डों के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल सम्बन्धी एक नियम प्रस्तुत किया जिसे न्यूटन का सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सम्बन्धी नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार “विश्व में पदार्थ का प्रत्येक कण, प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता है तथा किन्हीं दो कणों का पारस्परिक आकर्षण का बल कणों के द्रव्यमानों के अनुक्रमानुपाती एवं कणों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।”

इस बल की क्रिया- रेखा दोनों कणों को मिलाने वाली ऋजु रेखा के अनुदिश होती है।

यदि दो कणों के द्रव्यमान m1 तथा m2 एवं उनके बीच की दूरी हो तो कणों का पारस्परिक बल

                                  F m1

                                 F m2

तथा                          F 1r2

अथवा                     F m1.m2r2

अथवा                    F = G.m1.m2r2

G एक समानुपातिक नियतांक है। इसका मान सभी कणों के लिए सभी स्थानों पर एवं सभी दशाओं में समान रहता है।

अतः इसे सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहते हैं।

इसका मान 6.67 X 10-11 न्यूटन मीटर/किग्रा है।

प्रश्न 13. ‘गुरुत्वीय त्वरण’ का क्या अर्थ है? गुरुत्वाकर्षण के आधार पर पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण का सूत्र प्राप्त कीजिए।

उत्तर- गुरुत्वीय त्वरण - पृथ्वी द्वारा किसी वस्तु पर आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल को ‘गुरुत्व’ कहते हैं। इस | गुरुत्व बल के कारण वस्तु में जो त्वरण उत्पन्न होता है उसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं।

यदि किसी पिण्ड P का द्रव्यमान m , पृथ्वी का द्रव्यमान Me तथा पृथ्वी के केन्द्र से पिण्ड P की दूरी r हो तो पिण्ड पर गुरुत्वाकर्षण बल

                                F = G Mem r2

 यदि इस बल से पिण्ड में त्वरण g उत्पन्न हो, तो त्वरण = बल / पिण्ड का द्रव्यमान अथवा                           g = Fm

अथवा                          g = G Me r2

अब यदि पृथ्वी तल से पिण्ड की ऊँचाई h तथा पृथ्वी की औसत त्रिज्या Re हो तो 

                                             r = Re+h

अतः                                 g = G Me (Re+h)2

पृथ्वी तल पर अथवा उसके निकट पिण्डों के लिए h को शून्य माना जा सकता है। अतः पृथ्वी तल पर अथवा उसके निकट स्थित पिण्डों का गुरुत्वीय त्वरण

                              g = G Me Re2

उपर्युक्त समीकरण गुरुत्वीय त्वरण (g) तथा गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का सम्बन्ध व्यक्त करता है।

प्रश्न 14. पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण में किस प्रकार परिवर्तन होता है? आवश्यक सूत्र देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण के मान में परिवर्तन- गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का मान सदा अपरिवर्तित रहता है- परन्तु गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान परिवर्तनीय है। इसका परिवर्तन दो प्रकार से होता है

(1)  पृथ्वी के तल पर परिवर्तन – पृथ्वी की त्रिज्या, अर्थात् पृथ्वी के केन्द्र से पृथ्वी तल की दूरी सभी जगह समान नहीं है। पृथ्वी पर ही विषुवत रेखा पर पृथ्वी की त्रिज्या अधिकतम तथा उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवों पर न्यूनतम होती है। अत: समीकरण 

                                 g = G Me Re2

के अनुसार g का मान विषुवत रेखा पर (Re के अधिकतम होने के कारण) न्यूनतम तथा उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव पर (Re के न्यूनतम होने के कारण) अधिकतम होता है।
अत: विषुवत् रेखा से ध्रुवों की ओर (उत्तर या दक्षिण) जाने पर ४ का मान बढ़ता जाता है।
इसी प्रकार तल से ऊपर मैदानों तथा पर्वतों में अधिक ऊँचाई पर ‘g’ का मान समुद्र तल पर इसके मान की अपेक्षा कम होता है।
पृथ्वी पर समुद्र तल से नीचे जैसे गहरी खदानों में जाने पर भी g का मान शून्य होता है।

(2) पृथ्वी के बाहर अंतरिक्ष में – पृथ्वी से दूर जाने पर, पृथ्वी के केन्द्र से दूरी बढ़ने के कारण g का मान कम होता जाता है।
यदि अंतरिक्ष में किसी स्थान की पृथ्वी के तल से ऊँचाई h हो तो उस स्थान की पृथ्वी के केन्द्र से दूरी r=(Re+h)  होगी।
अतः उस स्थान पर 

                                       g = G Me (Re+h)2
इससे स्पष्ट है कि पृथ्वी तल से ऊँचाई (h) बढ़ने के साथ g का मान कम होता जाता है।

प्रश्न 15. पृथ्वी पर अथवा उसके निकट स्थित वस्तुओं की गति पर गुरुत्वीय त्वरण के प्रभावों को उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- पृथ्वी पर स्थित वस्तुओं पर गुरुत्व का प्रभाव

(a) एकविमीय गुरुत्वीय गति  – यदि कोई वस्तु कुछ ऊँचाई से स्वतन्त्रतापूर्वक छोड़ दी जाय तो वह ऊध्र्वाधर दिशा में गिरने लगेगी। वस्तु के गिरने का वेग लगातार एक-समान दर से बढ़ता जाता है अर्थात् वस्तु एक-समान त्वरण से गिरती है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है। इसी आकर्षण बल के कारण गिरने वाली वस्तु में एक त्वरण उत्पन्न हो जाता है जिसका मान नियत होता है तथा सभी वस्तुओं के लिए समान होता है। यह त्वरण गुरुत्वीय त्वरण कहलाता है। इसे g से प्रदर्शित करते हैं। इसका मान 9.8 मी से-2 है। पृथ्वी की ओर गिरती हुई अथवा पृथ्वी से ऊपर की ओर फेंकी गयी वस्तुओं की गति गुरुत्वीय गति कहलाती है।

अतः यदि कोई वस्तु प्रारम्भिक वेग u से पृथ्वी की ओर फेंकी जाय तो उसकी गुरुत्वीय गति के समीकरण निम्नलिखित होंगे- (ये गति के समीकरणों में a=+ g रखने पर प्राप्त होती है।)

      (1)  (v)=u+gt          

      (2)  (s)=ut+12gt2               

      (3) v2 = u2 + 2gh  

स्वतन्त्रतापूर्वक गिरने वाली वस्तु के लिए प्रारम्भिक वेग u=0 तथा त्वरण g ही है। अतः इसके लिए उपर्युक्त समीकरणों का स्वरूप निम्नवत् होगा-

  (v)=gt               

 (s)=12gt2 

   (3) v2 =  2gh       

इसके विपरीत यदि वस्तु को नीचे से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर फेंका जाय तो गति के समीकरणों में a के स्थान पर (-g) रखना होगा; क्योंकि गुरुत्वीय त्वरण g की दिशा सदैव पृथ्वी के ओर होती है; जो अब वस्तु की गति की दिशा के विपरीत है।

अतः पृथ्वी तल से प्रारम्भिक वेग u  से ऊपर की ओर फेंकी गयी वस्तु के लिए गुरुत्वीय गति के समीकरण निम्नवत् होंगे-

       (1)  (v)=u-gt          

      (2)  (s)=ut-12gt2               

      (3) v2 = u2 - 2gh  

(b) प्रक्षेप्य की गति (द्विविमीय गुरुत्वीय गति) – यदि किसी पत्थर के टुकड़े को किसी ऊँचाई पर स्थित स्थान से पृथ्वी तल के समान्तर दिशा में फेंकते हैं तो इसका पथ पृथ्वी तल के समान्तर क्षैतिज नहीं रह पाता। यह पत्थर वक्र रेखीय प्रक्षेप पथ पर गतिशील होकर पृथ्वी पर गिरता है। प्रक्षेप पथ तथा क्षैतिज पथ प्रदर्शित हैं।

यदि पत्थर पर गुरुत्व बल न लगता तो पत्थर क्षैतिज दिशा में रैखिक गति करता रहता, परन्तु पत्थर परे लगने वाले गुरुत्व बल के कारण इसकी दिशा परिवर्तित हो जाती है और यह त्वरित वेग से प्रक्षेप पथ पर चलकर फेंकने के स्थान से कुछ दूरी पर गिर पड़ता है।

यदि किसी पिण्ड को किसी प्रारम्भिक वेग से पृथ्वी तल के समान्तर फेंका जाता है तो इस पर गुरुत्व बल आरोपित हो जाता है और यह पिण्ड त्वरित वेग से प्रक्षेप पथ पर चलकर पृथ्वी पर गिर पड़ता है तो इस पिण्ड को प्रक्षेप्य कहते हैं। किसी भवन की छत से फेंका गया पत्थर, किसी राइफल से छोड़ी गयी बुलेट, किसी हवाई जहाज से छोड़ा गया बम, खिलाड़ी द्वारा फेंका गया जेवलिन आदि प्रक्षेप्य हैं और प्रक्षेपण पथ पर त्वरित होते हैं।

प्रश्न 16. क्या न्यूटन को गति का तीसरा नियम और गुरुत्वाकर्षण का नियम, एक-दूसरे के विरोधी हैं? एक पत्थर और पृथ्वी की स्थिति के अनुसार इसका स्पष्टीकरण करें।

उत्तर- न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार,

“यदि एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर बराबर और विपरीत बल लगाती है।”

न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम के अनुसार, ब्रह्माण्ड का प्रत्येक द्रव्यमान (पिंड) दूसरे द्रव्यमान (पिण्ड) को अपनी ओर आकर्षित करता है।

एक पत्थर और पृथ्वी की स्थिति को देखें तो स्वतंत्र अवस्था में गिरता हुआ पत्थर पृथ्वी की ओर आता है अतः पृथ्वी उसे अपने केन्द्र की ओर खींचती है, लेकिन न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार पत्थर द्वारा भी पृथ्वी को अपनी ओर खींचना चाहिए और यह वास्तव में सही है। कि पत्थर भी उतने ही गुरुत्व बल के द्वारा पृथ्वी को अपनी ओर खींचता है, और F=m a .

पत्थर का द्रव्यमान कम होने के कारण उसके वेग में त्वरण 9.8 मी/से होता है लेकिन पृथ्वी का द्रव्यमान 6 1024 किग्रा होने से यह त्वरण 0.00000000000000000000000165 मी/से या 1.65 10-24 मी/से होता है; जो इतना कम है कि अनुभव ही नहीं हो सकता।

प्रश्न 17. एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों?

उत्तर- जब स्कूल बैग को उसके साथ लगे एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से उठाते हैं तो हाथ तथा डोरी के मध्य संपर्क क्षेत्रफल बहुत कम होता है तथा स्कूल बैग के भार के कारण हमारे हाथ पर दाब अधिक पड़ता है क्योंकि जब बल छोटे क्षेत्रफल पर लगता है तो दाब अधिक होता है अर्थात् बल का प्रभाव अधिक होता है इसी कारण स्कूल बैग को पतली डोरी से बने पट्टे की सहायता से उठाना कठिन है।

प्रश्न 18. उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- जब किसी वस्तु को किसी तरल पदार्थ में डुबाया जाता है तो उस वस्तु पर ऊपर की दिशा में एक बल लगता है। यह बल वस्तु द्वारा हटाए गए तरल पदार्थ के भार के बराबर होता है। इस प्रकार वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाले बल को उत्प्लावकता बल या उत्प्लावन बल कहते हैं। यदि तरल पदार्थ का घनत्व अधिक होगा तो वस्तु द्वारा हटाए गये तरल पदार्थ का भार भी अधिक होगा और उत्प्लावन बल भी अधिक होगा।

प्रश्न 19. आपके पास एक रुई को बोरा तथा एक लोहे की छड़ है। तुला पर मापने पर दोनों 100 kg द्रव्यमान दर्शाते हैं। वास्तविकता में एक-दूसरे से भारी है। क्या आप बता सकते हैं कि कौन-सा भारी है और क्यों?

उत्तर- वास्तव में रुई का बोरा लोहे की छड़ की अपेक्षा भारी होगा क्योंकि रुई के बारे का आयतन अधिक होने के कारण रुई के बोरे द्वारा हटाये गये वायु को भार लोहे की छड़ द्वारा हटाये गये वायु के भार से अधिक होगा। अतः वायु में रूई के बोरे के भार में अधिक कमी होती है। परन्तु दोनों का वायु में भार समान है अतः हम कह सकते हैं कि वास्तव में रुई के बोरे का भार लोहे की। छड़ की अपेक्षा अधिक होगा।

प्रश्न 20. पृथ्वी तथा चंद्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चंद्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है? बताइए क्यों?

उत्तर- पृथ्वी चंद्रमा को उसी बल से अपनी ओर आकर्षित करती है जिस बल से चंद्रमा पृथ्वी को अपनी ओर आकर्षित करता है। क्योंकि, गुरुत्वाकर्षण के सार्वभौमिक नियम के अनुसार, अंतरिक्ष में प्रत्येक वस्तु अन्य दूसरी वस्तु को उसी बल से आकर्षित करती है जो उन वस्तुओं की मात्रा के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

प्रश्न 21 . यदि चंद्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है, तो पृथ्वी चंद्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती?

उत्तर- न्यूटन की गति के तीसरे नियम के अनुसार, चंद्रमी भी पृथ्वी को अपनी ओर आकर्षित करता है। किन्तु, न्यूटन की गति के दूसरे नियम के अनुसार त्वरण, वस्तु के द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है। चंद्रमा की द्रव्यमान पृथ्वी से बहुत कम है। अतः हम पृथ्वी को चंद्रमा की ओर गति करते नहीं देखते हैं।

प्रश्न 22. गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्त्व हैं?

उत्तर- गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्त्व-

(i) इस बल के कारण ही सभी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे आदि पृथ्वी पर टिके हुए हैं।

(ii) सौरमण्डल में सूर्य के चारों ओर ग्रहे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही चक्कर लगाते हैं।

(ii) चन्द्रमा भी पृथ्वी के चारों ओर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही चक्कर लगाता है।

(iv) समुद्र में ज्वार-भाटा भी चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण के कारण उत्पन्न होता है।

(v) पृथ्वी पर वायुमण्डल भी इसी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण है।

प्रश्न 23. मुक्त पतन का त्वरण क्या है?

उत्तर- स्वतंत्र रूप से नीचे गिरती हुई वस्तुओं का त्वरण 9.8 m/s-2 होता है जो अग्रे प्रकार से ज्ञात किया जा सकता है।

मान लिया कोई m द्रव्यमान की वस्तु स्वतंत्र रूप से पृथ्वी की ओर नीचे त्वरण g से गिरती है तो वस्तु पर लगा बल

F = mg 

परन्तु गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के अनुसार

                                F = G.M.mR2         mg=G.M.mR2

                               g=G.MR2

                                   =6.6710-11 Nm2kg-2 6.0 1024 kg(6.4106m)2

                                   =9.8 m/s2

प्रश्न 24. एक व्यक्ति A अपने मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है। वह इस सोने को विषुवत् वृत्त पर अपने मित्र को दे देता है। क्या उसका मित्र खरीदे हुए सोने के भार से संतुष्ट होगा? यदि नहीं तो क्यों? (संकेत : ध्रुवों पर g का मान विषुवत् वृत्त की अपेक्षा अधिक है।)

उत्तर- व्यक्ति A का मित्र उसके द्वारा ध्रुवों पर खरीदे गए सोने के भार से सहमत नहीं होगा क्योंकि भूमध्य (या विषुवत्) रेखा पर उसी सोने का भार ध्रुवों की अपेक्षा कम होगा। इसका कारण यह है कि वस्तु का भार गुरुत्वीय त्वरण g पर निर्भर करता है। पृथ्वी ध्रुवों पर थोड़ी पिचकी हुई है जिसके  कारण ध्रुवों पर पृथ्वी की त्रिज्या भूमध्य रेखा की अपेक्षा कम है। गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी की त्रिज्या के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। ध्रुवों पर g का मान भूमध्य रेखा की अपेक्षा कम होगा। अतः ध्रुवों पर सोने का भार भूमध्य रेखा की अपेक्षा कम होगा।

प्रश्न 25. एक कागज की शीट, उसी प्रकार की शीट को मरोड़कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है?

उत्तर- जब कागज के पन्ने को गेंद की आकृति में बदला जाता है तो उसका पृष्ठ क्षेत्रफल जो वायु के संपर्क में आता है कम हो जाता है इस प्रकार नीचे गिरते समय वायु द्वारा उस पर पेपर सीट की अपेक्षा कम प्रतिरोध लगता है। अतः गेंद की आकृति का कागज नीचे जल्दी गिरता है, पेपर सीट का क्षेत्रफल अधिक होने के कारण वायु का प्रतिरोध अधिक लगता है इसलिए वह धीरे गिरता है।