बिहार बोर्ड कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 16 पर्यावरण के मुद्दे लघु उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 जीव विज्ञान अध्याय 16 पर्यावरण के मुद्दे लघु उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > जीव विज्ञान अध्याय 16 पर्यावरण के मुद्दे

प्रश्न 1. बड़े शहरों में वाहन प्रदूषण को कम करने के कारगर उपायों को बताइये।

उत्तर- महानगरों में वाहन प्रदूषण तथा उसका नियन्त्रण: स्वचालित गाड़ियों, विमानों, ट्रैक्टर आदि तथा अनेक प्रकार की अन्य मशीनों में डीजल, मिट्टी का तेल, पेट्रोल, मोबिल ऑयल आदि जलने से कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड्स, लैड (सोसा), अदग्ध हाइड्रोकार्बन तथा अन्य विषैली गैसे वायु में मिल कर उसे प्रदूषित करती है। दूसरे इन सबके जलने आदि क्रियाओं में ऑक्सीजन व्यय होती है। एक अनुमान के अनुसार, एक मनुष्य को जितनी ऑक्सीजन श्वसन के लिए एक वर्ष में लगती है, एक मोटर गाड़ी इसे 960 किमी चलने में व्यय कर लेती है। इसके अतिरिक्त धुआँ , अनेक गैसों के साथ-साथ अनेक प्रकार के ठोस व तरल कण, कालिख , राख, सीसा आदि वायु में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं।

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प्रश्न 2. औद्योगिक नगरों के समीप बहने वाली नदियों का जल पीने योग्य नहीं होता है, क्यों?. -

उत्तर- उद्योगों, कारखानों आदि से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को नदी के जल में मिलाया जाता है। इन स्थानों में जनसंख्या भी घनी होती है अत: घरों, कारखानों इत्यादि स्थानों से अपमार्जक पदार्थ, विषैली दवायें, मिट्टी का तेल, सैम्पू, अनेक विषैले रसायन इत्यादि अति हानिकारक पदार्थ नदी के जल में मिलाये जाते हैं। इसी प्रकार साबुन, सोडा, पेट्रोलियम उत्पाद, विभिन्न अम्ल, डी० डॉ०टी०] (DDT), गैमेक्सीन, फिनाइल आदि पदार्थों के विघटन से फीनॉल, क्लोरीन, क्रोमेट, अमोनिया, सायनाइड्स आदि उत्पन्न हो सकते है, जो जल में ही मिले होगे; अतः यह जल पीने योग्य नहीं रहता। इसके पीने से भयंकर रोग हो सकते हैं जिनके रोगाणु भी इसी जल में पहले से उपस्थित होगे।

प्रश्न 3 - स्पष्ट कीजिए कि कारखानों स्थापना से स्थानीय पादप जीवन पर किस प्रकार प्रभाव पड़ता है?

उत्तर- विभिन्न प्रकार के उद्योगों व कारखानों को स्थापना से धुआँ इत्यादि के साथ अनेक प्रकार के रासायनिक अपशिष्ट, वाहित मल को तरह जल तथा वायु दोनों को प्रदूषित करते हैं। इनसे मृदा प्रदूषण का भी खतरा कम नहीं है। पादप जीवन तो काफी सीमा तक मृदा की बनावट तथा वातावरण के अन्य कारकों पर ही निर्भर करता है। कारखानों से निकले अपशिष्ट मृदा व जल को विषाक्त बनाते है। इस प्रकार के प्रदूषण पौधों की वृद्धि रोकने, कम करने या उसकी मृत्यु का कारण हो सकते हैं। सम्पूर्ण पौधों तथा उनकी जड़ों की सक्रियता बनाये रखने के लिए उन्हें आवश्यक मात्रा तथा अनुपात में ऑक्सीजनयुक्त वायु प्राप्त होती रहनी चाहिए। जल व मृदा प्रदूषण दोनों ही प्राप्य मात्राओं पर अपना प्रभाव डालकर उन्हें असन्तुलित कर देते हैं।

प्रश्न 4. उस प्रक्रिया का नाम बताइये जिसके कारण DDT की मात्रा बढ़ रही है।

उत्तर— DDT एक अनिम्नीकरणीय प्रदूषक है। इसका जैव आवर्धन विभिन्न पोषी स्तरों पर होता रहता है; जैसे जल से पादप प्लवको इनसे मछली में तथा अन्त में इनके शिकारी पक्षियों (किंग फिशर या सारस) में DDT का उच्च स्तर इन पक्षियों में कैल्सियम उपापचय को विकृत करता है, फलस्वरूप इनके अण्डों पर कवच पतला रह जाता है जो समय से पूर्व ही फट या टूट जाता है।

प्रश्न 5-किसी जल निकाय में पोषकों की अत्यधिक मात्रा किस प्रकार हानिकारक है ?

उत्तर- जल निकाय में पोषक पदार्थों की मात्रा अधिक होने पर इसमें जलीय पौधे अत्यधिक मात्रा में वृद्धि करेंगे, जल सतह पर शैवाल छा जाएँगे जो प्रकाश को जल के अन्दर जाने से रोक देंगे, जिससे जल में ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी। फलस्वरूप जलीय जीव मरने लगेंगे। साथ ही शैवाल प्रस्फुटन के कारण जल में दुर्गन्ध आने लगेगी।

प्रश्न 6- किसी जलाशय में वाहित मल डाले जाने के स्थान पर मछलियों की मृत्यु दर में किस प्रकार वृद्धि हो जाती है?

उत्तर-वाहित मल में कार्बनिक पदार्थों को अधिक मात्रा होती है। कार्बनिक पदार्थों के अपघटन में सूक्ष्मजीव ऑक्सीजन का प्रयोग करते हैं जिससे जल में ऑक्सीजन को मात्रा कम हो जाती है। इससे जल में पायी जाने वाली मछलियाँ ऑक्सीजन के अभाव में मरने लगती है।

पप्रश्न 7. ताप वैद्युत संयंत्र अधिक जनसंख्या वाले तथा औद्योगिक देश के लिए अवश्वसंभावी हैं? ये पर्यावरण को क्या हानि पहुँचाते हैं? ऐसी कोई सावधानी भी बताइये जो पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बरती जा सके।

उत्तर-तापीय वैद्युत संयन्त्रों से निकलने वाला धुआँ विभिन्न हानिकारक गैसे तथा शिक पदार्थ को पर्यावरण में फैलाते हैं। इन प्रदूषकों को निष्कासित सुरों में से कुछ उपकरण द्वारा पहले ही अलग किया जा सकता है तथा पर्यावरण में फैलने से रोका जा सकता है।

प्रश्न 8. प्रदूषण एवं प्रदूषक में क्या अन्तर है? किन्हीं तीन प्रकार के वायु प्रदूषकों के नाम लिखिए।

उत्तर-प्रदूषण तथा प्रदूषक में अन्तर: 

प्रदूषण का कारण प्रदूषक कहलाता है अर्थात् प्रदूषक ऐसा पदार्थ, ऊर्जा अथवा भौतिक कारक होता है जो पर्यावरण के किसी घटक को प्रभावित करता है अथवा सम्पूर्ण पर्यावरण में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। यह परिवर्तन या प्रभाव प्रदूषण कहलाता है। धूल, धुआं, रासायनिक पदार्थ, जैसे—सल्फर डाइऑक्साइड, ऊष्मा, शोर आदि प्रदूषक है; जबकि इनसे उत्पन्न प्रभाव प्रदूषण कहलायेंगे।

प्रश्न 9. - किन्हीं तीन प्रमुख वायु प्रदूषकों के नाम बताइये।

उत्तर- तीन प्रकार के वायु प्रदूषक

1. रासायनिक प्रदूषक—गैसें वायु कुछ प्रकार की गैसों का एक सन्तुलित मिश्रण है। ऑक्सीजन को छोड़कर किसी भी गैस का मात्रात्मक रूप में कम या अधिक होना, संगठन की दूसरी गैसों पर भी प्रभाव डालेगा। अर्थात् वायु को असन्तुलित कर देगा अतः यह गैस प्रदूषक कहलायेगी। दूसरी ओर, बाहर से किसी भी अन्य गैस का प्रवेश: जैसे- सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स आदि को भी प्रदूषक समझा जायेगा। ये गैसे विषैली भी हो सकती हैं अथवा अक्रिय भी, वायु के संगठन पर इनका कुप्रभाव पड़ता है।

2. कणिकीय प्रदूषक-धूल, घुयें में कार्बन कण, विभिन्न धातुओं के कण, अनेक रोगाणु आदि कणिकीय प्रदूषक हैं।

3. भौतिक गुणों में परिवर्तन-वायु के तापमान में परिवर्तन, नमी बढ़ना, गतिशीलता कम होना आदि लक्षण वायु प्रदूषक हैं।

प्रश्न 10 - अतिचारण मृदा अपरदन को बढ़ावा देता है।" समझाइये।

उत्तर- भूमि पर वनस्पति होने से अपरदन की सम्भावना काफी कम रहती है। अतिचारण अथवा वनों को काट डालने से मृदा की ऊपरी परत शीघ्र ही शुष्क हो जाती है तथा उसके कणों को आपस में बंधे रहने की सम्भावना अत्यधिक कम हो जाती है, अतः वायु अथवा वर्षा के कारण यह परत आसानी से अपने स्थान से हटकर दूर चली जाती है। इससे अपरदन का प्रकोप, बाढ़ का प्रकोप बढ़ जाने के कारण अत्यधिक बढ़ जाता है। उपर्युक्त के अतिरिक्त भी निक्षालन (तथा निक्षेपण के द्वारा भी उपजाऊ शक्ति प्रदान करने वाले खनिज पदार्थ आवश्यकता के स्थान से घुलकर हट जाते हैं अथवा निक्षेपण के द्वारा अनुपयोगी रेत अथवा निक्षालित मृदा उपजाऊ मृदा को ढक लेती है। इससे मृदा की उपजाऊ शक्ति नष्ट होजाती है। 

प्रश्न 11 वाहित मल शुद्धिकरण केसे किया जाता है?

उत्तर: वाहित मल शुद्धिकरण प्रमुखतः दो प्रकार से किया जाता है--

(क) भौतिक
(ख) जैविक शुद्धिकरण 

(क) भौतिक शुद्धिकरण को कई पदों में पूरा किया जाता है-

1. छानना- विशेष प्रकार के उन्नों के द्वारा छानकर मोटी गन्दगी अलग कर ली जाती है।

2. स्थिरीकरण- अविलेय गन्दगी वाहित मल को स्थिर करने पर तल पर बैठ जाता है।

3. खनिजीकरण- अब वाहित मल में निलम्बित या विलेय अवस्था में रह गये अकार्बनिक तथा कुछ कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण करके अकार्बनिक पदार्थों में बदला जाता है। इसके लिए ऑक्सीजन कृत्रिम रूप से वाहित मल में भेजी जाती है यही क्रिया खनिजीकरण है।

(ख) जैविक शुद्धिकरण (biological treatment ) - जीवाणुओं तथा शैवालों की सहजीविता (symbiosis) पर निर्भर जैविक शुद्धिकरण की यह क्रिया जटिल कार्बनिक पदार्थों को अपघटित करने तथा ऑक्सीजन उत्पन्न करने के लिए की जाती है।

प्रश्न 12. धुआ प्रदूषण को परिभाषित करे। 

उत्तर: घरों में ईंधन जलाने से, औद्योगिक संस्थानों की चिमनियों से, यातायात के साधनों से अथवा अन्य किसी भी साधन से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। पूर्ण या अपूर्ण दहन से इस प्रकार निकले हुए प्रदूषक तथा उनका स्वास्थ्य पर प्रभाव अति हानिकारक होता है। 

प्रश्न 13. अम्लीय वर्षा क्या है? इससे क्या हानियाँ होती हैं?

उत्तर- अम्लीय वर्षा : प्राकृतिक ईंधनों के जलने से, अनेक पदार्थों के ऑक्साइड विशेषकर गन्धक, नाइट्रोजन आदि के ऑक्साइड जल वाष्प के साथ मिलकर अम्ल बना लेते हैं; जैसे—

(i) SO2 से SO, तथा H2SO4. इसी प्रकार

(ii) नाइट्रोजन के ऑक्साइड NO2 से HNO3 आदि बन जाते हैं। ये अम्ल अधिक आर्द्रता में जल के साथ वर्षा के रूप में गिरते हैं इसे अम्लीय वर्षा  कहते हैं।

अम्लीय वर्षा से जल तथा मृदा मे अम्लीयता बढ़ती है; अतः मृदा की उर्वरता कम हो जाती है। इस प्रकार की अम्लीय वर्षा विभिन्न प्रकार से हमारी सम्पत्ति को भी नष्ट करती है। उदाहरण के लिए-इमारतों, रेल पटरियों, स्मारकों, ऐतिहासिक इमारतों, विभिन्न पदार्थों से बनी मूर्तियों तथा अन्य सामान को नष्ट करने वाली होती है।

प्रश्न 14. ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?

उत्तर- शीशे के कक्ष में बनाये गये ग्रीन हाउस में बाह्य पर्यावरण की अपेक्षा अधिक तापमान रहता है। इस प्रकार पृथ्वी पर अधिक मात्रा में उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड शीशे के समान परत बनाकर पृथ्वी पर आ गये सूर्य ताप को वापस लौटने देने में बाधक होकर ग्रीन हाउस के समान ताप बढ़ा देती है। इसे ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 15.15. वैश्विक पृथ्वी ऊष्मायन बढ़ने के क्या कारण है? इससे क्या हानि होने की सम्भावना है?

उत्तर- वैश्विक पृथ्वी ऊष्मायन बढ़ने का कारण कार्बन डाइऑक्साइड, CFC (chlorofluorocarbon) आदि का लगातार अवमुक्त होना, विभिन्न प्रकार की वाष्पों के इसमें सम्मिलित होकर पृथ्वी के चारों ओर अधिक मोटी परत बनते जाना है। इससे ग्रीन हाउस प्रभाव के बढ़ते अगले 50 वर्षों में पृथ्यों का ताप लगभग 5°C बढ़ जाने की सम्भावना है जिससे ध्रुवों पर बर्फ पिघलेगी, समुद्र में पानी बढ़ने से इसके किनारे के बसे नगर आदि समुद्र में डूब जायेंगे, ऋतुये बदलेंगी, अनेक स्थानों पर बाढ़े तो अनेक स्थान सूखाग्रस्त हो जायेंगे।

प्रश्न 16. – ओजोन परत में छिद्र होने के क्या दुष्परिणाम होंगे?

उत्तर- ओजोन परत में छिद्र होने से सूर्य के प्रकाश के साथ आयी पराबैगनी किरणें पृथ्वी पर आने लगेगी तथा पृथ्वीवासियों, जीव-जन्तु, पेड़-पौधों तथा मनुष्यों को अनेक प्रकार से हानि पहुँचायेंगी। इनके प्रभाव से जीवों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का अवक्षय होता है। मनुष्य में ये किरणें त्वचा का कैन्सर, आंखों में मोतियाबिन्दु, अन्यापन आदि उत्पन्न करती है। इसके प्रभाव से भूमण्डलीय ऊष्मायन भी होता है। 

प्रश्न 17. स्वचालित वाहनों से शहरी वायुमण्डल क्यों प्रदूषित हो जाते हैं?

उत्तर- स्वचालित वाहनों से कई प्रकार के प्रदूषक निकलते हैं। वाहनों की संख्या अधिक होने से इन प्रदूषकों जैसे SO2. Pb कण, CO, अदग्ध हाइड्रोकार्बन्स आदि के कारण वायु अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है। ये प्रकाश की उपस्थिति में PAN भी बनाती हैं।

प्रश्न 18– औद्योगिक इकाइयों के पास बहने वाली नदियों का जल पीने योग्य नहीं होता, कारण बताइये।

उत्तर- औद्योगिक इकाइयों के पास बहने वाली नदियों का जल प्रदूषित होता है। कारण स्पष्ट है--इन इकाइयों से निकले हुए अनावश्यक पदार्थ, व्यर्थ पदार्थ आदि इसी जल में डाले जाते हैं। ये पदार्थ विषैले अथवा स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाले होते हैं; अतः ऐसे प्रदूषित जल को पीने से अनेक हानियाँ हो सकती हैं। सोसा, पारा आदि के अकार्बनिक यौगिक तथा कार्बनिक पदार्थ इस जल में हो सकते हैं। ये पदार्थ मस्तिष्क, नेत्रों आदि पर बुरा प्रभाव डालते हैं।

प्रश्न 19- ईंट के भट्टे के पास लगे आम के पेड़ के आम प्रायः मीठे नहीं होते तथा उन पर काले धब्बे भी पाये जाते हैं। क्यों? 

उत्तर- ईंट के भट्टे से निकलने वाले धुयें, धूल आदि से प्रदूषित वातावरण में आम के पेड़ ठीक से खाद्य निर्माण नहीं कर पाते हैं क्योंकि, पत्तियों पर धूल आदि का आच्छादन बन जाने के कारण प्रकाश संश्लेषण की दर में अत्यन्त कमी आ जाती है; अतः फलों की मिठास में कमी आ जाती है। इन्हीं पदार्थों के कारण फलों पर धब्बे भी बन जाते है। 


प्रश्न 20 - किन्हीं दो कारणों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ रही है।

उत्तर- कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने के कारण-
(क) अधिक मानव जनसंख्या तथा उसको विभिन्न प्रकार की, विशेषकर औद्योगिक गतिविधियाँ।
2. वनों का नष्ट होना अर्थात् वनस्पति क्षेत्रों का कम होना।

प्रश्न 21. शैवाल प्रस्फुटनों से जलराशियों में जीवन किस प्रकार प्रभावित होता है?

उत्तर- शैवाल प्रस्फुटन से जल में ऑक्सीजन अवक्षय उत्पन्न होता है। इस प्रकार ऑक्सीजन रहित जल कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के उच्च स्तर के कारण मछलियों एवं अन्य प्राणियों के योग्य नहीं रहता परिणामस्वरूप जलीय प्राणियों की मृत्यु हो जाती है। इस प्रकार शुद्ध जलाशय बदबूदार बन जाता है।

प्रश्न 22. निक्षेपण क्या है? इसकी एक हानि बताइये।

उत्तर- मृदा की ऊपरी पर्त पर और अधिक मृदा वायु द्वारा अथवा जल द्वारा लाकर जमा कर दी जाती है, इस क्रिया को निक्षेपण कहते है। इससे उर्वर मृदा ऊसर मृदा से ढक जाती है अर्थात् भूमि की उर्वरता कम हो जाती है। 

प्रश्न 22. मृदा अपरदन किसे कहते हैं?

उत्तर- किसी भी माध्यम या कारक के प्रभाव से मृदा कण मृदा समुदाय से अलग होकर अन्यत्र एकत्रित हो जाते है। इसे मृदा अपरदन कहते हैं।

प्रश्न 23. वनों में मनुष्य द्वारा जाने-अनजाने लग जाने वाली आग के दो कारण बताइये।

उत्तर- (i) दियासलाई जलाने अथवा बीड़ी, सिगरेट जली अवस्था में फेंक देने से।

(ii) आदिवासियों द्वारा वनों में निवास करने तथा खाना पकाने आदि कारणों से।

प्रश्न 24. सी० एन० जी० (CNG) तथा PAN का पूरा नाम बताइये।

उत्तर- (i) CNG = कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (compressed natural gas),

(ii) PAN = परऑक्सी एसिटिल नाइट्रेट (peroxyacetyl nitrate)।

प्रश्न 25  - विश्व की सबसे अधिक समस्यादायक जलीय खरपतवार (अपतॄण) का नाम बताइये। किस प्रकार की प्रकृति के जलाशय में यह अधिकतम वृद्धि करती है?

उत्तर- समुद्र सोख : ये पौधे सुपोधी जलाशय में अधिकतम वृद्धि करते हैं तथा उसके पारिस्थितिक सन्तुलन को पूर्णतया नष्ट कर देते हैं।