बिहार बोर्ड कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 16 दैनिक जीवन में रसायन लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कौन ऐसा पदार्थ है जो एंटीसेप्टिक और निस्संक्रामक दोनों के रूप में प्रयोग होता है ?
उत्तर⇒ फेनाल का 0.2 % जलीय घोल एंटीसेप्टिक के रूप में एवं 1.0 % जलीय घोल निस्संक्रामक का कार्य करता है।
प्रश्न 2. एंटीबायोटिक क्या है ? सर्वप्रथम किस एंटीबायोटिक का खोज किया गया ?
उत्तर⇒ एंटीबायोटिक वैसे रासायनिक पदार्थ है जो किसी भी सूक्ष्म जीव के उपापची प्रक्रिया को सक्रिय कर उन्हें नष्ट करना कर देते है, या उनके बढ़ने की प्रक्रिया को रोक देते हैं। सर्वप्रथम पेनिसिलिन नामक एंटीबायोटिक की खोज हुई थी।
प्रश्न 3. एस्प्रीन समूह की दवाएँ हृदयाघात को रोकने में क्यों सहायक होती हैं ?
उत्तर⇒ एस्प्रीन का रासायनिक नाम एसिटाइलसैलीसिलिक अम्ल (ASA) होता है। इसमें रक्त में थक्का बनाने की क्रिया को रोकने का गुण होता है। जोकि रक्त का थक्का बनान ही दिल का दौरा का मुख्य कारण होता है। इसका मुख्य कार्य रक्त को थक्का बनने से रोकना एवं खून को पतला रखना होता है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित यौगिकों में जलरागी एवं जलविरागी भाग दर्शाइए
(i) CH3 (CH2) 10CH2SO3 - Na+
(ii) CH3 (CH2) 15N + (CH3) 3Br-
(iii) CH3 (CH2)16COO (CH2CH2O) n CH2 CH2 OH
उत्तर⇒ (i) CH3 (CH2)10CH2 SO3 - Na+
जल विरागी जल रागी
(ii) CH3 (CH2)15 N+(CH3) 3Br-
जल विरागी जल रागी
(iii) CH3(CH2)16 COO(CH2CH2O)nCH2CH2OH
जल विरागी जल रागी
प्रश्न 5. किस प्रतिअम्ल का उपयोग (i) अवसाद ग्रसत (ii) मलेरिसा ज्वर (iii) पीड़ा के समय होता है ?
उत्तर⇒ (i) नॉरऐड्रीनलिन
(ii) क्यूनिन
(iii) मोर्फीन।
प्रश्न 6. निम्न में सक्रिय अवयव का नाम लिख-
(i) ब्रुफिन
(ii) क्रोसीन
(iii) डिस्पीप।
उत्तर⇒ (i) ब्रुफिन-आइसो ब्यूटाइल फिनाइल-2-प्रापना
(ii) क्रोसिन-पैरासिटामोल
(iii) डिस्प्रीन-ऐसीटाइल सेलिसिलिक अम्ल।
प्रश्न 7. प्रतिजैविक क्या होते हैं ? प्रथम प्रमाण का नाम लिखें।
उत्तर⇒ प्रतिजैविक पूर्ण या आंशिक रूप से रासायनिक सरल प्राप्त उन पदार्थों को कहा जाता है जो कम सांद्रता म सूप उपापचयी प्रक्रमों में अवरोध उत्पन्न करके उनकी वृद्धि का सपना उनका विनाश करते हैं।
पेंसिलिन प्रथम प्रभावी प्रतिजैविक है।
प्रश्न 8. प्रतिसूक्ष्म नाशी की संरचना और क्रियात्मकता म क्या संबंध है ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर⇒ शरीर ऊत्तकों को रंजकों द्वारा रंगीन किया जाता है। एसा एक रंजक एजो रंजक है।
जिसमें -NN- आबंध होते हैं।
ऐसे ही अनेक यौगिकों को जिनमें ऐजो समूह है, को क्रियाशील किया गया इस प्रकार प्रथम प्रभावी प्रतिबैक्ट्रीया प्रोटोजीन्स को खोजा गया।
प्रश्न 9. प्रतिसूक्ष्म जैविक, सूक्ष्म जैविक रोगों को कैसे नियंत्रित करते हैं ?
उत्तर⇒ तीन प्रकार से प्रतिसूक्ष्म जैविक, सूक्ष्म जैविक को नियंत्रित करते हैं
(i) शरीर में उपस्थित बैक्टीरिया का नाश करते हैं।
(ii) बैक्टीरिया वृद्धि को रोकते हैं।
(iii) रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
प्रश्न 10. निम्न शब्दों के क्या अभिप्राय हैं ?
(i) रसायन चिकित्सा
(ii) ग्राही अणु
(iii) लैड यौगिक।
उत्तर⇒ (i) रसायन चिकित्सा-रसायनों के चिकित्सीय उपयोग को रसायन चिकित्सा कहते हैं।
(ii) ग्राही अणु-औषध आमतौर पर जैव सूक्ष्म अणुओं से क्रियाशील होता है जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन लिपिड और न्यूक्लिक अम्ल ऐसे ग्राही (लक्ष्य) अणु कहलाते हैं।
(iii) प्राकृतिक या संश्लेषित यौगिक जो औषधों से प्राप्त होते है। प्रकार तैयार किए जाते हैं, जिनमें लेड होता है। इस प्रकार के यौगिक के पार्श्व प्रभाव को कम करते हैं।
प्रश्न 11. अपमार्जक, साबुन की तुलना में अधिक उपयोगी होते हैं कैसे ?
उत्तर⇒ अपमार्जक, साबुन की तुलना में अधिक उपयोगी होते हैं क्योंकि अपमार्जक कठोर या मृदु या ठण्डे जल से मिलकर झाग उत्पन्न करते हैं तो कपड़ों को साफ करते हैं। अपमार्जक का वर्गीकरण निम्न है।
(i) ऋणायन अपमार्जक
(ii) धनायन अपमार्जक
(iii) अनायनिक अपमार्जक।
प्रश्न 12. औषध एन्जाइम से कैसे क्रिया करते हैं ?
उत्तर⇒ औषध एन्जाइम की क्रियाशीलता को कम कर देते हैं। ऐसे औषध, ऐन्जाइम रोधक भी कहलाते हैं। अर्थात् एन्जाइम संदमक कहलाते हैं। ऐसी औषध एन्जाइम की बन्धनी सतह को अवरूद्ध कर सकती है और क्रियाधार के आबंधन में रूकावट डाल सकती है। अर्थात् ये एन्जाइम के उत्प्रेरक कार्य में अवरोध उत्पन्न कर सकती है।
प्रश्न 13. हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की दो स्थितियाँ कौन-सी हैं ? प्रकाश-संश्लेषण का आधारभूत समीकरण दीजिए।
उत्तर⇒ हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की दो स्थितियाँ निम्नांकित हैं
(क) प्रकाशित अभिक्रियाएँ - यह प्रकाश की उपस्थिति में होती है।
(ख) अप्रकाशिक अभिक्रियाएँ -यह अंधेरे में अर्थात् प्रकाश की अनुपस्थिति में होती है।
प्रकाश-संश्लेषण का आधारभूत समीकरण निम्नलिखित है-
6CO2 + 6H2O C6 H12 O6 + 6O2
प्रश्न 14. रंजक से आप क्या समझते हैं ? इसका वर्गीकरण आप किस प्रकार करेंगे ? मिथाइल आरेंज और इनडिगो का संरचना सूत्र लिखें।
उत्तर⇒ रंजक- वैसा रंगीन पदार्थ जिसे विलयन या परिक्षेपण के रूप में क्रियाधार पर लगाने से रंगीन प्रतीत होता है।
e.g.- एजो रंजक :
वर्गीकरण- रंजक को दो तरीकों से वर्गीकृत किया जाता है।
(a) रासायनिक घटक पर आधारित
(b) कपड़ा पर इसका उपयोग और दूसरे कार्य के लिए मिथाइल ऑरेंज-
प्रश्न 15. हमें औषधों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत करने की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर⇒ औषध को मानव शरीर पर डालने वाले प्रभाव के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। औषध का वर्गीकरण डाक्टरों के लिए लाभदायक है। जैसे प्रतिअम्ल के रूप में, प्रति हिस्टैमिन और तंत्रकीय सक्रिय औषध तथा प्रतिसूक्ष्म जैविक के रूप में।
प्रश्न 16. औषध रसायन के पारिभाषिक शब्द, लक्ष्य-अणु अथवा औषध-लक्ष्य को समझाइए।
उत्तर⇒ ग्राही, औषध लक्ष्य की तरह-ग्राही, शरीर की संचार व्यवस्था के निर्णायक प्रोटीन होते हैं। इनमें अधिकतर कोशिका-कला में स्थित होते हैं। ग्राही प्रोटीन कोशिका-कक्षा में इस प्रकार स्थित होते हैं कि उनका छोटा-सा सक्रिय सतह वाला भाग कोशिका-कला के बाहरी क्षेत्र में खुलता है। जैव अणु ग्राही कहलाते हैं। रसायन चिकित्सा के अनुसार औषध के वास्तविक प्रभाव को समझा जा सकता है।
प्रश्न 17. उन वृहद्अणुओं के नाम लिखिए जिन्हें औषध-लक्ष्य चुना जाता है ?
उत्तर⇒ वे जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, प्रोटीन तथा न्यूक्लीक अम्ल जो औषध लक्ष्य के लिए उपयुक्त होते हैं तथा चिकित्सीय प्रभाव दर्शाते हैं।
प्रश्न 18. बिना डॉक्टर से परामर्श लिए दवाईयाँ क्यों नहीं लेनी चाहिए ?
उत्तर⇒ औषध विशेष लक्ष्यों से अन्योन्यक्रिया के लिए अभिकल्पित की जाती है जिससे इनके द्वारा दूसरे लक्ष्यों पर पार्श्व-प्रभाव की संरचना न्यूनतम हो। इससे पार्श्व प्रभाव न्यूनतम हो जाता है। यदि उपयुक्त औषध न ली जाए तो औषध का पार्श्व प्रभाव होता है। अतः औषध को डॉक्टर की सलाह पर लेना चाहिए।
प्रश्न 19. एन्जाइम की सतह पर औषध को थामने के लिए कौन-से बल कार्य करते हैं ?
उत्तर⇒ क्रियाधार एन्जाइम की सक्रिय सतह पर विभिन्न प्रकार की अन्योन्य क्रियाओं द्वारा बंधते हैं। जैसे आयनिक आबंध, हाइड्रोजन आबंध, वान्डरवाल्स अन्योन्य क्रिया या द्विध्रुव-द्विध्रुव बल।
प्रश्न 20. ‘वृहद-स्पेक्ट्रम जीवाणुनाशी’ शब्द से आप क्या समझते हैं ? समझाइए।
उत्तर⇒ जो प्रतिजीवाणु ग्रैम पॉजिटिव और ग्रैम नेगेटिव दोनों प्रकार के जीवाणुओं के विस्तृत परास का विनाश करते हैं अथवा निरोध करते हैं, वृहद स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु कहलाते हैं। ऐम्पिसिलीन, ऐमोक्सिीलीन पेनिसीलीन के संश्लिष्ट रूपान्तर है। इनका स्पेक्ट्रम विस्तृत है।
प्रश्न 21. ऐलिटेम को कृत्रिम मधुरक की तरह उपयोग में लाने पर क्या समस्याएँ होती हैं ?
उत्तर⇒ ऐलिटेम उच्च प्रबलता वाला कृत्रिम मधुरक है जिसकी मिठास शक्कर की तुलना में 2000 गुना होती है। अत: इनका उपयोग कर भोजन की मिठास नियंत्रित करना कठिन होता है।
प्रश्न 22. कृत्रिम मधुरक क्या है ? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर⇒ सुक्रोज, ग्लूकोज आदि प्राकृतिक मधुरक हैं। इनके उपयोग से कैलोरी मान बढ़ता है। आर्थोसल्फोबेन्जीमाइड जो सैकरीन भी कहलाता है यह लोकप्रिय मधुरक है। यह सूक्रोस से लगभग 550 गुना अधिक मीठी होती है। यह शरीर में अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाती है। यह सेवन के पश्चात् पूर्णतः अक्रिय और अहानिकारक प्रतीत होती है। इसका उपयोग मधुमेह के रोगियों एवं उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें कैलोरी अंतग्रहण पर नियंत्रण की आवश्यकता है अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। ऐस्पार्टेम, सूक्रालेस तथा ऐलिटेम उदाहरण है।
प्रश्न 23. मधुमेह के रोगियों के लिए मिठाई बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले मधूरकों के क्या नाम है ?
उत्तर⇒ सूक्रालोज जो सूक्रोज का ट्राइक्लोरो व्युत्पन्न होता है। इसका स्वाद चीनी जैसा होता है जो कम ताप पर स्थाई है। इसका कैलोरी मान शून्य होता है।
प्रश्न 24. ऐलिटेम को कृत्रिम मधुरक की तरह उपयोग में लाने पर क्या समस्याएँ होती हैं ?
उत्तर⇒ ऐलिटेम अधिक प्रबल मधुरक है, यद्यपि यह ऐस्पार्टेम से अधिक स्थायी होता है, परन्तु इसके उपयोग से मिठास को नियमित करना कठिन होता है।
प्रश्न 25. साबुनों की अपेक्षा संश्लेषित अपमार्जक किस प्रकार से श्रेष्ठ हैं ?
उत्तर⇒ साबुन को जब कठोर जल में घोलने पर क्रमशः अघुलनशील कैल्सियम और मैग्नीशियम साबुन में परिवर्तित कर देते हैं। यह धुलाई में रुकावट डालते हैं। क्योंकि यह अवक्षेप कपड़ों के रेशों पर चिपचिपे पदार्थ की तरह चिपक जाता है। संश्लिष्ट अपमार्जक कठोर जल में भी उपयोग किए जा सकते हैं। कुछ अपमार्जक बर्फीले जल में भी झाग देते हैं।