बिहार बोर्ड कक्षा 12वी - हिंदी - गद्य खंड अध्याय 11: हँसते हुए मेरा अकेलापन के लघु - उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: डायरी क्या है ?
उत्तर: डायरी किसी साहित्यकार या व्यक्ति द्वारा लिखित एक ऐसा संग्रह है। जिसमें वह अपने जीवन के अनुभव और अपने जीवन के महत्वपूर्ण दिनों के बारे में बड़ी सच्चाई के साथ लिखता है।
प्रश्न 2: डायरी का लिखा जाना क्यों मुश्किल है ?
उत्तर: डायरी का लिखा जाना वाकई में मुश्किल है क्योंकि इसमें सभी घटित घटनाओं को बिल्कुल सही-सही रूप में वर्णित करना होता है। डायरी में लिखित सभी बातें सच्ची होनी चाहिए। इसके अलावा डायरी में लिखे शब्द और अर्थ में उदासीनता कम रहती है।
प्रश्न 3: किस तारीख की डायरी आपको सबसे प्रभावी लगी और क्यों ?
उत्तर: मुझे 30 अगस्त 1976 की लिखी गई डायरी सबसे प्रभावी लगी। इसमें लेखक एक सात साल की लड़की का वर्णन करते हैं। वो लड़की सेब बेचती थी। लेखक उस लड़की का वर्णन बड़े भावनात्मक तरीके से करते हैं।
प्रश्न 4: डायरी के इन अंशों में मलयज की गहरी संवेदना घुली हुई है। इसे प्रमाणित करें ।
उत्तर: डायरी के इन अंशो में मलयज का गहरी संवेदना घुली हुई है। यह बात पाठ के शुरू में ही मालूम पड़ जाती है। जब लेखक हरे भरे पेड़ पौधों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करते हैं। लेखक प्रकृति के प्रति गहरी संवेदना और लगाव प्रकट करते हैं। उनका यह लगाव तब भी जाहिर होता है, जब वे खेतों की फसलों की तुलना व्यक्ति से करते हैं। लेखक इतना संवेदनशील व्यक्ति हैं कि जब उनकी चिट्ठी नहीं आती तो वह बहुत दुखी हो जाते हैं। जब भी वह किसी से मिलते हैं तो अपनापन की भावना से मिलते हैं। जब लेखक सेब बेचती हुई लड़की को सेव बेचते हुए देखते हैं तो उन्हे पीड़ा का अनुभव होता है। लेखक डायरी में अपने डर को भी व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 5: व्याख्या करें
(क) आदमी यथार्थ को जीता ही नहीं, यथार्थ को रचता भी है ।
उत्तर: रस्तुत पंक्ति ‘हँसते हुए मेरा अकेलापन’ डायरी से ली गयी है। इस पंक्ति में लेखक मलयज ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि व्यक्ति यथार्थ में जीता भी है और यथार्थ को रचता भी है। यथार्थ मनुष्य जीवन का एक कटु सत्य है। वास्तविकता से परे (अलग) मनुष्य का जीवन एकाकी एवं व्यर्थ होता है। इस पंक्ति में लेखक ने संकेत दिया है कि उनके बच्चे उनकी रचना है और वे यथार्थ हैं। उनकी चिंता उनके स्वयं की है। लेखक पारिवारिक बोझ के बंधन से बंधे हैं। जबकि उनका परिवार बंधनरहित एवं चिंतामुक्त है। यही जीवन का यथार्थ है। अतः व्यक्ति की रचना एवं उसके जीवन का यथार्थ दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
प्रश्न 6: इस संसार से संपृक्ति एक रचनात्मक कर्म है । इस कर्म के बिना मानवीयता अधूरी है
उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति मलयज द्वारा रचित पाठ ‘हँसते हुए मेरा अकेलेपन’ से लिया गया है लेकिन इस पंक्ति के द्वारा यह कहना चाहते हैं कि मनुष्य का संसार से जुड़ा एक रचनात्मक कार्य है। इसी जुड़ाव के कारण मनुष्य भिन्न भिन्न प्रकार रचनाएँ करता है। इस कर्म के बिना मानवीयता अधूरी है अर्थात मनुष्य संसार से जुड़वा के कारण रचनात्मक कार्य करता है और उसमें मानवीयता का भाव जागृत होता है।
प्रश्न 7: ‘धरती का क्षण’ से क्या आशय है ?
उत्तर: ‘धरती का क्षण’ से लेखक का आशय है कि जिस क्षण शब्द और अर्थ मिलकर रचना का रूप ग्रहण करते है। यह क्रिया धरातल पर ही होती है कही अंतरिक्ष मे नहीं।
प्रश्न 8: रचे हुए यथार्थ और भोगे हुए यथार्थ में क्या संबंध है ?
उत्तर: भोगा हुआ यथार्थ एक दिया हुआ यथार्थ है। मनुष्य अपना यथार्थ खुद रहता है और उस रचे हुए यर्थात का एक हिस्सा दूसरे दे देता है। हर आदमी एक संसार को रचता है। वह उसी संसार में जीता है और भोगता है। रचने और भोगने का रिश्ता एक द्वंद्वात्मक रिश्ता है। इंसान वही भोगता है जो वो रचता है। दोनों एक दूसरे को बनाते तथा मिटाते हैं।
प्रश्न 9: लेखक के अनुसार सुरक्षा कहाँ है ? वह डायरी को किस रूप में देखना चाहता है ?
उत्तर: लेखक के अनुसार सुरक्षा सूरज की रोशनी में है। सुरक्षा मुश्किलों का डट कर सामना करने, लड़ने में पिसने में और खटने में है। लेखक अपनी डायरी अपनी सभी अनुभवों के रुप में देखना चाहता है। वह चाहता है कि डायरी मे उसके जीवन के सभी अनुभव व्यक्त हो। इसलिए लेखक कभी-कभी वह कविता ने मूड में डायरी लिखता है।
प्रश्न 10: डायरी के इन अंशों से लेखक के जिस ‘मूड’ का अनुभव आपको होता है, उसका परिचय अपने शब्दों में दीजिए।
उत्तर: डायरी के इन अंशो से पता चलता है कि लेखक का ‘मूड’ अपने से संबंधित सजाईयो को उजागर करने का है। वह बडे ही सामान्य मूड मे सभी क्रियाकलापो का वर्णन करता है।