बिहार बोर्ड कक्षा 12वी - हिंदी - गद्य खंड अध्याय 12: तिरिछ के दीर्घ - उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: साँप के बारे में लोगों की एवं लेखक की क्या धारणा है, लिखें ?
उत्तर: लेखक एवं आम लोगों की धारणा है कि अगर कोई व्यक्ति साँप को मार रहा हो तो अपने मरने के पूर्व वह साँप अंतिम बार अपने हत्यारे के चेहरे को पूरी तरह से, बहुत गौर से देखता है। आदमी उसकी हत्या कर रहा होता है, और साँप टक-टकी बाँधकर उस आदमी के चेहरे की एक-एक बारीकी को अपनी आँख के भीतरी पर्दे में दर्ज कर रहा होता है। बाद में, आदमी के जाने के बाद साँप का दूसरा जोड़ा उस मरे हुए साँप की आँख में झाँककर हत्यारे की पहचान कर लेता है। वह हत्यारा कहीं भी चला जाए साँप बदला लेने की फिराक में रहता है।
प्रश्न 2: थानू कौन था ? लेखक के साथ क्या संबंध था ?
उत्तर: थानू लेखक का मित्र है। थानू लेखक का प्रिय एवं विश्वसनीय मित्र होने के नाते ‘तिरिछ’ के बारे में बता रहा था। जब लेखक के पिता को ‘तिरिछ’ जैसा विषैला जंत काट लेता है तब वह (थान) कहता है कि ‘तिरिछ’ द्वारा काटा गया व्यक्ति जीवित नहीं रह पाता तथा उसकी मृत्यु चौबीस घंटे के भीतर हो जाती है। अब चूँकि उनकी (पिताजी की मृत्यु हो चुकी है इसलिए थानू अपने पूर्व कथन की पुनः पुष्टि कर रहा है।
प्रश्न 3: ‘अगर तिरिछ को देखो तो उससे कभी आँख मत मिलाओ । आँख मिलते ही वह आदमी की गंध पहचान लेता है और फिर पीछे लग जाता है। फिर तो आदमी चाहे पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा ले, तिरिछ पीछे-पीछे आता है।’ क्या यहाँ तिरिछ केवल जानवर भर है ? यदि नहीं तो उससे आँख क्यों नहीं मिलाना चाहिए ?
उत्तर: इस पाठ में वर्णित “तिरिछ” एक विषैला जन्तु, अपितु मानव की हिंसात्मक पाशविक प्रवृत्तियाँ प्रतीत होती हैं। यद्यपि तिरिछ एक खतरनाक विषैला जानवर होता है जिसके काटने से मनुष्य की प्रायः मृत्यु हो जाती है। किन्तु मानव की हिंसक तथा दानवी गतिविधियाँ उससे अधिक, अत्यन्त घातक तथा मर्मान्तक (असह्य) पीड़ादायी होती हैं। उससे मनुष्य घुल-घुलकर मौत के मुँह में चला जाता है।
कथाकार ने तिरिछ से आँख नहीं मिलाने का परामर्श दिया है, क्योंकि तिरिछ की प्रकृति है, परस्पर आँखें मिल जाने पर वह अपने शिकार पर आक्रमण कर देता है तथा अपने विषैले दाँत उसके शरीर में गड़ा देता है।यहाँ पर कहानीकार दुर्जन एवं तिरिछ के समान खतरनाक व्यक्तियों से आँखें नहीं मिलाने के लिए कहता है। इसका निहितार्थ यह है कि हमें ऐसे व्यक्तियों से किसी प्रकार का संबंध नहीं रखना चाहिए तथा उनसे किसी प्रकार का पंगा भी नहीं लेना चाहिए। उनसे दूर ही रहना चाहिए। अवांछनीय व्यक्तियों से ना तो मित्रता अच्छी होती है और ना ही शत्रुता। उनसे आँखें मिलाना श्रेयस्कर नहीं।
प्रश्न 4: तिरिछ लेखक के सपने में आता था और वह इतनी परिचित आँखों से देखता था कि लेखक अपने आपको रोक नहीं पाता था। यहाँ परिचित आँखों से क्या आशय है ?
उत्तर: तिरिछ लेखक के सपने में आता था और वह इतनी परिचित आँखों से देखता था कि लेखक अपने आप को रोक नहीं पाते थे। यहाँ पर परिचित आँखों से तात्पर्य यह है कि लेखक रोज एक ही सपना देखते थे और इस वजह से उन्हें तिरिछ की आँखें परिचित लगने लगी थी और यह घटना सत्य होने वाली थी। यह एक संकेत था। अपने डर के कारण लेखक तिरिछ से अपनी आँखें मिलाने से रोक नहीं पाते थे।
प्रश्न 5: व्याख्या करें-
(क) वैसे, धीरे-धीरे मैंने अनुभवों से यह जान लिया था कि आवाज ही ऐसे मौके पर मेरा सबसे बड़ा अस्त्र है।
उत्तर: लेखक हमेशा सपने देखकर डर जाया करते थे और वह नींद में होने के कारण सत्य और सपने में अंतर नहीं निकाल पाते थे लेकिन जब उनकी माँ या वह किसी आवाज के कारण जग जाते थे। उनका डर और उनका सपना टूट जाता था इसलिए वह आवाज को अपना सबसे बड़ा अस्त्र मानते है।
(ख) जैसे जब मेरी फीस की बात आई थी, उस समय हमारे पास का आखिरी गिलास भी गुम हो गया था और सब लोग लोटे में पानी पीते थे ।लेखक काफी गरीब परिवार से थे और उनके पिताजी कोर्ट के चक्कर लगाया करते थे, जिसके कारण काफी पैसे अदालत में और वकीलों के फीस में खत्म हो जाते थे। जब लेखक को फीस के लिए पैसे की आवश्यकता होती है, तो वे अपने पिताजी से कहते हैं।
2 दिन चुप रहने के बाद उनके पिताजी उन्हें एक पत्र देकर किसी के पास भेजते हैं। जो उन्हें 100 के तीन नोट देता है।
(ग) आश्चर्य था कि इतने लंबे अर्से से उसके अड्डे को इतनी अच्छी तरह से जानने के बावजूद कभी दिन में आकर मैंने उसे मारने की कोई कोशिश नहीं की थी।
उत्तर: लेखक को अफसोस होता है कि उनके सपने में आए उस तिरीछ के काटने के कारण उनकी पिताजी की मृत्यु हो जाती है।वह सपना काफी समय से देख रहे होते हैं लेकिन उनमें इतनी हिम्मत नहीं होती है कि वह आकर इस तिरीछ को मारे, अगर वह पहले ही इसे मारने की कोशिश किए होते या उसे मार देते तो पिताजी के साथ वह घटना नहीं घटती और उनके पिताजी अभी जीवित होते हैं।
(घ) मुझे यह सोचकर एक अजीब सी राहत मिलती है और मेरी फँसती हुई साँसें फिर से ठीक हो जाती हैं कि उस समय पिताजी को कोई दर्द महसूस नहीं होता रहा होगा ।
उत्तर: लिखक जब शहर में पिताजी के साथ घटी घटना के बारे में सोचते हैं तो उन्हें बहुत बुरा लगता है। जिस प्रकार उन्हें बताया जाता है कि पिताजी पुरे नशे में थे और उन पर काफी ज्यादा टेंशन था, अदालत जाने और भी कई सारी परेशानिया थी। नशे में होने के कारण जब उन लड़कों ने लेखक को के पिताजी को राॅड से मारा होगा तो उन्हें ज्यादा दर्द महसूस नहीं हुआ होगा। उन्हें लग रहा होगा कि वह किसी सपने में है और यह सब एक बुरा सपना है जो नींद से उठते हैं ठीक हो जाये