बिहार बोर्ड कक्षा 12वी - हिंदी - गद्य खंड अध्याय 5: रोज के लघु - उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1:मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: मालती के घर का वातावरण शांत और अकेलापन जैसे मालूम होता है। मालती एक कुशल गृहिणी मालूम होती है क्योंकि वह पूरे घर के साथ अपने बच्चे को भी अकेले संभालती है। लेकिन यह शांत वातावरण उसके बच्चे के लिए सही नहीं है। बच्चे का विकास चंचल होने से होता है। शांत रहने के कारण उसका बच्चा चिड़चिड़ा हो गया था। वह अपने माँ के अलावा किसी और के पास रहता भी नहीं था क्योंकि अकेलेपन के कारण मालती को ही देखाता और उसके साथ अपना ज्यादा समय व्यतीत करता था। थे।
प्रश्न 2: ‘दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाम की छाया मँडरा रही हो’, यह कैसी शाम की छाया है ? वर्णन कीजिए ।
उत्तर: ‘दोपहर में उसने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाम की छाया मंडरा रही हो’, यह शाम की छाया एक अजीब सी शांति, अकेलापन और प्रेम जैसी भावना के नहीं होने की थी। मालती दिन भर अकेले पूरे घर को संभालती है। अपने कामों में व्यस्त रहती है। एक अजीब सी बेचैनी उसके चेहरे पर दिखाई देती है, मानो कुछ चाहकर भी बोल नहीं पा रही हो।
एक उदासी उसके जीवन में दिखाई पड़ती है। उसका बच्चा हमेशा सोता रहता है या रोता रहता है। मालती को अपने बच्चे के चोट लगने या उसके गिरने से कोई पीड़ा नहीं होती है। उसके पति भी अपने काम में व्यस्त रहते हैं
प्रश्न 3: लेखक और मालती के संबंध का परिचय पाठ के आधार पर दें ।
उत्तर: लेखक और मालती के संबंध बहुत गहरा है। मालती लेखक की दूर के रिश्तेदार की बहन है लेकिन उसके और लेखक के बीच दोस्ती का संबंध रहा है। इन दोनों की पढ़ाई एक साथ हुई है, तथा इनका बचपन एक साथ बिता है। एक साथ खेलना, लड़ना-झगरना। मालती और लेखक का संबंध कभी भाई-बहन या बड़े-छोटे का नहीं रहा है। उनका संबंध मे हमेशा दोस्ती की स्वतंत्रता रही है।
प्रश्न 4: मालती के पति महेश्वर की कैसी छवि आपके मन में बनती है, कहानी में महेश्वर की उपस्थिति क्या अर्थ रखती है ? अपने विचार दें।
उत्तर: महेश्वर किसी पहाड़ी कस्बे में एक सरकारी डिस्पेंशरी में डॉक्टर है। रोज डिस्पेंशरी जाना, मरीजों को देखना, गैंग्रीन का ऑपरेशन करना, थककर घर लौटना, यही महेश्वर की दिनचर्या है। महेश्वर हर तीसरे-चौथे दिन एक गैंग्रीन का ऑपरेशन करता है। किन्तु अपने घर में वहीं गैंग्रीन, वही अकेलेपन और उदासी के रूप मे उपस्थित है, जिसका हम कुछ नहीं बिगाड़ पाते। इस विरोधाभास और एकरसता को कहानी के भीतर संरचनात्मक स्तर पर बड़ी आत्मीयता और सहज अनुभूति से प्रतीकों, बिम्बों, परिवेशों और फ्लैश बैक के माध्यम से लेखक द्वारा व्यक्त किया गया है।।
प्रश्न 5: गैंग्रीन क्या है ?
उत्तर: गैंग्रीन एक खतरनाक बीमारी है। यह चुभे हुए काँटे को नहीं निकालने के कारण होती है। जो नासूर बन जाता है, और ऑपरेशन करने के बाद ही ठीक हो पाता है। काँटा अधिक दिन तक शरीर में रह जाने के कारण अपना विष शरीर में छोड़ता है। जो गैंग्रीन का रूप ले लेता है और उससे प्रभावित अंग को काटना परता है कभी-कभी इस रोग के कारण लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।
प्रश्न 6: कहानी से उन वाक्यों को चुनें जिनमें ‘रोज’ शब्द का प्रयोग हुआ है।
उत्तर: कहानी में मालनी के द्वारा बोले गए कुछ वाक्य है। जिसमें रोज शब्द का इस्तेमाल हुआ है।
- मालती टोंक कर बोली मेरे लिए तो यह नई बात नहीं है, रोज ही ऐसा होता है।
- क्यों पानी का क्या हुआ ? रोज ही होता है, कभी वक्त पर आता नहीं।
- मैं तो रोज ऐसी बातें सुनती हूँ।
- धीरे से बोली कि मेरे तो रोज इतने समय हो जाते हैं
प्रश्न 7: आशय स्पष्ट करें :-
“मुझे ऐसा लग रहा था कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है, वह अज्ञात रहकर भी मानो मुझे भी वश में कर रही है, मैं भी वैसा ही नीरस निर्जीव सा हो रहा हूँ, जैसे- हाँ, जैसे….यह घर, जैसे मालती ।
उत्तर: यह पंक्ति अज्ञेय द्वारा लिखित पाठ रोज कहानी से लिया गया है। लेखक मालती के घर दूर के रिश्तेदार के रूप में आए हैं। उनको यह लगता है कि मालती के घर पर कोई काली छाया मंडरा रही है। लेखक को यह भी अनुभव हो रहा है कि लेखक भी उस माहौल में बंधते चले जा रहे हैं। वह भी उसी बंधन में आकर बड़ा निराश और निर्जीव सा हो रहा है। ठीक उसी प्रकार जैसे मालती और उसका घर है।
प्रश्न 8: ‘तीन बज गए’, ‘चार बज गए’, ‘ग्यारह बज गए; कहानी में घंटे के इन खड़कों के साथ-साथ मालती की उपस्थिति है। घंटा बजने का मालती से क्या संबंध है ?
उत्तर: इससे यह स्पष्ट होता है कि मालती हर समय घंटा गिनती रहती थी क्योंकि अकेले रहने के कारण समय काटे नहीं कटता, बच्चे को संभालने साथ ही उसे घर का भी सारा काम करना होता था। घर में नौकर नहीं है, बर्तन मांजने, कपड़ा धोना, भोजन बनाने का काम सब वही करती है। घंटा बजने पर उसकी दो ही मानसिकता रहती है पहली यह कि चलो अब इतना समय बीत गया और दूसरा यह कि चलो अब काम कर लो। हर घंटा की गिनना उसको आभास करता है कि अब इतना समय हो बीत गया।
(क) मैंने देखा, पवन में चीड़ के वृक्ष… गर्मी से सूखकर मटमैले हुए चीड़ के वृक्ष धीरे-धीरे गा रहे हो ….कोई राग जो कोमल है, किंतु करुण नहीं अशांतिमय है, किंतु उद्वेगमय नहीं…
उत्तर: “मैंने देखा, पवन में चीड़ के वृक्ष… गर्मी से सूखकर मटमैले हुए चीड़ के वृक्ष धीरे-धीरे गा रहे हो ….कोई राग जो कोमल है, किंतु करुण नहीं अशांतिमय है, किंतु उद्वेगमय नहीं…” इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक बताते हैं कि दिन एक रात करीब 10:30 बज रहे थे। मालती खाना खा रही थी। वह अपने कुछ विचारो में डूबी हुई थी। लेखक आकाश की ओर देख रहे थे। पूर्णिमा की रात थी। लेखक आकाश मे देख रहे थे। लेखक अपने बहुत सारे सुखद में यादों को याद कर रहे थे। लेकिन दुख की बात यह है कि वह सुख मालती के लिए नहीं था। मालती ने वह सब कुछ नहीं देखा। मालती का जीवन अपनी रोज की नियमित गति से चले जा रहा था, एक पल के लिए रुकने को तैयार नहीं था।
प्रश्न 10: मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा ? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: रोज’ शीर्षक कहानी में प्रख्यात साहित्यकार अज्ञेय जी ने एक मध्यमवर्गीय परिवार के अकथ्य, बोझिल और प्रकपमय वातावरण को बड़ी चतुराई से शब्दों में ढला है। कहानी की नायिका मालती अपने डॉक्टर पति के साथ रहती है। कमरे में बिजली की व्यवस्था नहीं है। चौबीसों घंटे पानी भी नहीं मिल पाता है। घर में दो पलंग हैं, जिसपर कायदे का विस्तर भी नहीं है। मालती और लेखक के बीच संवाद से उक्त बातें स्पष्ट होती हैं