बिहार बोर्ड कक्षा 12वी - हिंदी - गद्य खंड अध्याय 8: सिपाही की माँ के दीर्घ - उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: बिशनी मानक की माँ है, पर उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है। कैसे?
उत्तर: बिशनी मोहन राकेश द्वारा लिखित ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी की प्रमुख पात्र है। एकांकी के दूसरे भाग में बिशनी स्वप्न में जो घटना घटती है उसमें जो संवाद होता है उस संवाद से उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है। जब सिपाही मानक को खदेड़ते हुए विशनी के पास ले जाता है तो मानक की गले से लिपट जाता है और सिपाही के पूछने पर कि इसकी तू क्या लगती है विशनी का जवाब आता है-मैं इसकी माँ हूँ। मैं तुझे इसे मारने नहीं दूँगी। तब सिपाही का जवाब आता है यह हजारों का दुश्मन है वे उसको खोज रहे हैं तब बिशनी कहती है-तू भी तो आदमी है तेरा भी घर-वार होगा।
तेरी भी माँ होगी। तू माँ के दिल को नहीं समझता। मैं अपने बच्चे को अच्छी तरह से जानती हूँ। साथ ही जब मानक पलटकर सिपाही पर बन्दूक तान देता है तब बिशनी मानक को यह कहती है कि बेटा। तू इसे नहीं मारेगा। तुझे तेरी माँ की सौगन्ध तू इसे नहीं मारेगा इन संवादों से पता चलता है कि बिशनी मानक को जितना बचाना चाहती है उतना ही उस सिपाही को भी जो उसके बेटे को मारने के लिए खदेड़ रहा था। उसका दिल दोनों के लिए एक है। अत: उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढ़ा जा सकता है।
प्रश्न 2: एकांकी और नाटक में क्या अन्तर है? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर: एकांकी और नाटक में निम्नलिखित अंतर है
- एकांकी में एक ही अंक होते हैं और उस एक अंक में एक से अधिक दृश्य होते हैं जबकि नाटक में एक से अधिक अंक या एक्ट होते हैं और प्रत्येक अंक कई दृश्यों में विभाजित होकर . प्रस्तुत होता है।
- एकांकी नाटक में एकल कथा होती है अर्थात् वहाँ केवल आधिकारिक कथा प्रासंगिक नहीं। साथ ही नाटक में आधिकारिक कथा आकार की दृष्टि से छोटी होती है तथा कोई एक लक्ष्य लेकर चलती है।
- एकांकी और नाटक में क्रिया व्यापार की सत्ता प्रधान होती है। इसे संघर्ष या द्वन्द्व कहा. जाता है। यही कथा और पात्र को लक्ष्य तक पहुँचाता है। एकांकी में यह क्रिया व्यापार सीधी रेखा में चलता है लेकिन नाटक में प्रायः टेढ़ी-सीधी रेखा चलती है। नाटक में इतर प्रसंगों के लिये अवसर होता है लेकिन एकांकी में भटकने की गुंजाइश नहीं होती है।
- एकांकी में यथासाध्य जरूरी स्थितियों को ही कहने की चेष्टा की जाती है जबकि नाटक में देशकाल और वातावरण को थोड़े विस्तार से चित्रित करने का अवसर होता है।
- भारतीय दृष्टि से नाटक में कथा को नियोजित संघटित करने के लिए अर्थ, प्रकृति, कार्यावस्था और नाट्य सन्धि का विधान किया गया है लेकिन एकांकी में इनकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।
प्रश्न 3: आपके विचार में इस एकांकी का सबसे सशक्त पात्र कौन है और क्यों?
उत्तर: मेरे विचार से ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी का सबसे सशक्त पात्र बिशनी है। सम्पूर्ण एकांकी में बिशनी धूरी का कार्य करती है जिसके चारों तरफ एकांकी के सभी पात्र घूमते हुए नजर आते हैं। उसे सम्पूर्ण एकांकी का केन्द्र बिन्दुः भी कहा जा सकता है।
बिशनी एक माँ है। माँ के सारे गुण एवं लक्षण उसमें वर्तमान हैं। इकलौते सिपाही बेटे को वह फौज में भेजने में जरा भी संकोच नहीं करती है। साथ ही पुत्र के प्रति ममता सहन ही परिलक्षित होती है मानक के पत्र की प्रतीक्षा पर भी वह पुत्र की कुशलता के प्रति चिन्तित है।
बिशनी एक अविवाहित पुत्री की माँ है। पुत्री के विवाह की चिन्ता ही उसके सारे दुखों का कारण है। यह सहज और स्वाभाविक है। वह एक भारतीय एवं ग्रामीण नारी की प्रतिमूर्ति है। भला एक भारतीय नारी को अपनी जवान पुत्री की चिन्ता क्यों न हो। पुत्री को अपना भार नहीं समझती। बार-बार प्रत्येक अवसर पर वह उसके माथे को चूम लेती है। वह उसे एक वरदान के रूप में मानती है।
बिशनी माँओं में माँ है। वह एक सामान्य माँ नहीं है। अपने पुत्र की चिन्ता उसे है। साथ ही दूसरे के पुत्र का भी उतना ही ख्याल रखती है। वह हर हाल में दुश्मन सिपाही की अपने पुत्र से रक्षा करने का सशक्त प्रयास करती है। किसी भी हाल में वह मानक को उसे मारने नहीं देती। धक्के खाकर भी वह बार-बार और जोरदार विरोध करती है। बिशनी में एक सहज ग्रामीण नारी के गुण भी कभी-कभी दिखाई पड़ते हैं। गाँव के चौधरी के प्रति उसका विचार सामान्य नारी के समान है। वह चौधरी की किसी बात पर भरोसा नहीं करती लेकिन उसमें कोई कपट दिखाई नहीं पड़ता वह निष्कपट है। वह एक अच्छी माँ, अच्छी पड़ोसन और अच्छी अभिभावक है। एक अच्छी नारी के सभी अच्छे गुण उसमें वर्तमान हैं। अत: बिशनी इस एकांकी की सबसे सशक्त पात्र हैं।
प्रश्न 4: दोनों लड़कियाँ कौन हैं?।
उत्तर: ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी में दो लड़कियों के नाम से दो पात्र हैं। एक को पहली लड़की व दूसरी को दूसरी लड़की के रूप में संबोधित किया गया है। दोनों लड़कियाँ बर्मा की रंगून नगर की है। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जब जापानी व हिन्दुस्तानी सेना बर्मा में युद्ध कर रही थी तब वहाँ भयंकर रक्तपात हुआ था। लाखों बर्मा निवासी घर-द्वार छोड़कर भारत की सीमा में घुस आये थे। उन्हीं में से दो लड़कियों ने अपने परिवार के ग्यारह सदस्यों के साथ दुर्गम एवं बीहड़ जंगलों एवं दलदलों को पार करते हुए भारत में प्रवेश किया था। उन्हीं दोनों लड़कियों की भेंट इस एकांकी की मुख्य पात्र बिशनी से हो जाती है एवं खाने के लिए अन्न की माँग करती है। बिशनी इन्हें भर कटोरा चावल देती है।
प्रश्न 5: मानक स्वयं को वहशी और जानवर से भी बढ़कर क्यों कहता है?
उत्तर: ‘सिपाही की माँ” शीर्षक एकांकी में मानक एक फौजी है। वह बर्मा में हिन्दुस्तानी फौज की ओर से जापानी सेना से युद्ध कर रहा है। मानक और दुश्मन सिपाही एक-दूसरे को घायल करते हैं। मानक भागता हुआ अपनी माँ के पास आता है। दुश्मन सिपाही उसका पीछा करते हुए वहाँ पहुँच जाता है। मानक की माँ मानक को बचाना चाहती है। इस पर दुश्मन सिपाही मानक को वहशी और जानवर कहकर पुकारते हैं। मानक का पौरुष जग उठता है तो घायल अवस्था में भी वह खड़ा होकर सिपाही को मारने का प्रयास करता है और क्रोध की स्थिति में वह स्वयं को वहशी और जानवर से भी बढ़कर कहता है। मानक का ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं है। समय और परिस्थिति के अनुसार उसका कहना यथार्थ है? दर्शकों की नजर में मानक की उक्ति प्रभावकारी एवं आकर्षक है।