बिहार बोर्ड कक्षा 12वी - हिंदी - गद्य खंड अध्याय 8: सिपाही की माँ के लघु - उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: बिशनी और मुन्नी को किसकी प्रतीक्षा है वे डाकिये की राह क्यों क्यों देखती है ?
उत्तर: बिशनी को अपने सिपाही पुत्र एवं मुन्नी को सिपाही भाई की प्रतीक्षा है। वे टा । राह चिटठी आने को देखती है। क्योंकि उसने पिछली चिट्ठी में लिखा था वे वर्मा की लडाई पर जा रहे हैं। माँ और बेटी किसी अनिष्ट की शंका के कारण चिट्ठी का इंतजार करते
प्रश्न 2: बिशनी मानक को लड़ाई में क्यों भेजती है ?
उत्तर: बिशनी एक निम्नमध्यवगीय परिवार की महिला है। उसे अपनी मुन्नी की शादी के लिए पैसों की जरूरत है। इसलिए वह मानक को पैसा कमाने के उद्देश्य से लड़ाई में भेजती है। यह एकांकी एक तरह से भारतीय समाज के विवाह परंपरा पर कुठाराघात भी. जहाँ पैसे के कारण लड़कियों का विवाह नहीं हो पाता है।
प्रश्न 3: ‘भैया मेरे लिए जो कड़े लायेंगे वे तारों और बेतों के कड़ों से भी अच्छे होगें न’ मुन्नी के इस कथन को ध्यान में रखते हुए उसका परिचय आप अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: मुन्नी सिपाही मानक की बहन और विशनी की पुत्री है। उसकी उम्र इस लायक दो चकी है कि शादी की जा सके। वह एक निम्नमध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती है। उसके सारे सपने उसके भाई सिपाही मानक के साथ जुड़े हुए हैं। वह गाँव की लडकियों को पहने देखकर अपने माँ से कहती माँ भैया मेरे लिए जो कड़े लायेंगे वे तारों और वेतों के कडों से भी अच्छे होंगे ना। मुन्नी अपने भाई से बेइंतहा प्रेम करती है। अपने भाई के लडाई में जाने के बाद मानक की चिट्ठी का इंतजार बड़ी बेसब्री से करती है। और माँ से तरह-तरह के प्रश्न करती है। क्योंकि उसके सारे अरमान उसके भाई मानक के साथ जुड़े हुए हैं और वही पूरा करने वाला भी है।
प्रश्न 4: बिशनी मानक की माँ है, पर उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढा जा सकता है, कैसे ?
उत्तर: एकांकी के दूसरे भाग में बिशनी के स्वप्न में जो घटना घटती है उसमें जो संवाद होता है उस संवाद से उसमें किसी भी सिपाही की माँ की ढूँढा जा सकता है। जब सिपाही मानक को खदेड़ते हुए बिशनी के पास ले आता है तो मानक गले से लिपट जाता है और सिपाही के पूछने पर कि इसकी तू क्या लगती है बिशनी का जबाव आता है-मैं इसकी माँ हूँ। मैं तुझे इसे मारने नहीं दूंगी। तब सिपाही का जबाव आता है यह हजारों का दुश्मन है वे उसको खोज रहे हैं तब बिशनी कहती है-तू भी तो आदमी है; तेरा भी घर-बार होगा। तेरी भी माँ होगी। तू माँ के दिल को नहीं समझता। मैं अपने बच्चे को अच्छी तरह से जानती हूँ। साथ ही जब मानक का पलटवार सिपाही पर होता है तब बिशनी मानक को यह कहती है कि बेटा ! तू इसे नहीं मारेगा। तुझे तेरी माँ की सौगन्ध तू इसे नहीं मारेगा इन संवादों से पता चलता है कि बिशनी मानक को जितना बचाना चाहती है उतना ही उस सिपाही को भी। उसका दिल दोनों के लिए एक है। अत: उसमें किसी भी सिपाही की माँ को ढूँढा जा सकता है।
प्रश्न 5: मानक और सिपाही एक-दूसरे को क्यों मारना चाहते हैं ?
उत्तर: मानक वर्मा की लड़ाई में भारत की ओर से अंग्रेजों के साथ लड़ने गया था और दूसरी ओर के पक्ष जापानी थे। सेना एक दूसरे का दुश्मन है। क्योंकि वे अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानक और सिपाही अपने को एक दूसरे का दुश्मन समझते हैं इसलिए चे एक- दूसरे को मारना चाहते हैं।
प्रश्न 6: मुन्नी के विवाह की चिंता न होती तो मानक लड़ाई पर न जाता आर उसकी यह दशा न होती यह चिंता किसी लड़ाई से कम नहीं है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? अपना पक्ष दें।
उत्तर: निम्नमध्यवर्गीय व्यक्ति के लिए सबसे बडी उसकी समस्या आर्थिक समस्या होता है। वह मुन्नी के विवाह की चिंता के कारण ही युद्ध पर जाता है। मुन्नी की शादी की चिता एक त्रासदी है। जिस समाज में बिना दहेज के बिना पैसे के शादी न हो वह समाज कलुष ह। हम उस समाज से लडाई लडनी चाहिए। इस सडे हा समाज को बदलने के लिए यद्ध के समान ही लड़ना होगा। तब जाकर इसका निदान होगा। इसलिए विवाह की चिंता लड़ाई से कम नहीं है।
प्रश्न 7: एकांकी और नाटक में क्या अंतर है ? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर: एकांकी और नाटक में निम्नलिखित अंतर हैं –
- एकांकी में एक ही अंक होता है और उस एक अंक में एक से अधिक दृश्य होते हैं जबकि नाटक में एक से अधिक अंक या एक्ट होते हैं और प्रत्येक अंक कई दृश्यों में विभाजित होकर प्रस्तुत होता है।
- एकांकी नाटक में एकल कथा होती है अर्थात् वहाँ केवल आधिकारिक कथा प्रासंगिक नहीं। साथ ही नाटक में आधिकारिक कथा आकार की दृष्टि से छोटी होती है तथा कोई एक लक्ष्य लेकर चलती है।
- एकांकी और नाटक में क्रिया व्यापार की सत्ता प्रधान होती है। इसे संघर्ष या द्वन्द्व कहा जाता है। यही कथा और पात्र को लक्ष्य तक पहुंचाता है। एकांकी में यह क्रिया व्यापार सीधी रेखा में चलता है लेकिन नाटक में प्रायः टेढ़ी-सीधी रेखा चलती है। नाटक में इतर प्रसंगों के लिये अवसर होता है लेकिन एकांकी में भटकने की गुंजाइश नहीं होती है।
- एकांकी में यथासाध्य जरूरी स्थितियों को ही कहने की चेष्टा की जाती है जबकि नाटक में देशकाल और वातावरण को थोड़े विस्तार से चित्रित करने का अवसर होता है।
- भारतीय दृष्टि से नाटक में कथा को नियोजित संघटित करने के लिए अर्थ प्रकति कार्यावस्था और नाट्य संधि का विधान किया गया है लेकिन एकांकी में इनकी आवश्यकता नहीं पड़ती है।
प्रश्न 8: दोनों लड़कियाँ कौन हैं ?
उत्तर: ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी में दो लड़कियों के नाम से दो पात्र है। एक को पहली लड़की व दूसरे को दूसरी लड़की के रूप में संबोधित किया गया है। दोनों लड़कियाँ रंगून नगर की है। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जब जापानी व हिन्दुस्तानी सेना बर्मा में युद्ध कर रही थी तब वहाँ भयंकर रक्तपात हआ था। लाखों बर्मा निवासी घर-द्वार छोड़कर भारत की सीमा में घुस आये थे। उन्हीं में से दो लड़कियों ने अपने परिवार के ग्यारह सदस्यों के साथ दुर्गम एवं बीहड़ जंगलों एवं दलदलों को पार करते हुए भारत में प्रवेश किया था। उन्हीं दोनों लड़कियों की भेंट इस एकांकी की मुख्य पात्र बिशनी से हो जाती है एवं खाने के लिये अन्न की माँग करती है। बिशनी इन्हें भर कटोरा चावल देती है।
प्रश्न 9: कुंती का परिचय आप किस तरह देंगे ?
उत्तर: कुंती ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी में एक प्रमुख पात्र है। वह एक अच्छी पड़ोसन के रूप में रंगमंच पर प्रस्तुत हुई है। यद्यपि कुंती की भूमिका थोड़े समय के लिये है। तब भी उसे थोड़े में आँका नहीं जा सकता। वह बिशनी की पुत्री मुन्नी के विवाह के लिये चिंतित है। वह स्वयं मुन्नी के लिये वर-घर खोजने को भी तैयार है। वह बिशनी को सांत्वना भी देती है। बिशनी के पुत्र नामक के बर्मा से सकुशल लौटने की बात भी वह करती है। बिशनी के प्रति उसकी सहानुभूति उसके शब्दों में स्पष्ट दिखाई पड़ती है। वह कहती है तू इस तरह दिल क्यों हल्का कर रही है। कुंती वर्मा के लड़कियों के प्रति थोड़ा कठोर दिखाई देती है। उनके हाव-भाव एवं पहनावे तथा भिक्षाटन पर थोड़ा क्रुद्ध भी हो जाती है। उनका इस तरह से भिक्षा माँगना कतई अच्छा नहीं लगता है। यह कहती भी है- ‘हाय रे राम । लड़कियाँ कि………………..l
प्रश्न 10: ‘भैया मेरे लिए जो कड़े लाएँगे, वे तारों और बंतो के कड़ों से भी अच्छे होंगे न’ मुन्नी के इस कथन को ध्यान में रखते हुए उसका परिचय आप अपने शब्दों में दीजिए।
उत्तर: मुन्नी ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक एकांकी को एक प्रमुख पात्र है। मुन्नी सिपाही मानक की बहन और बिशनी की पुत्री है। उसकी उम्र इस लायक हो गई है कि शादी की जा सके। वह एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती है। उसके सारे सपने उसके भाई सिपाही मानक के साथ जुड़े हुए हैं। वह गाँव की लड़कियों को कड़े पहने देखकर अपने माँ से कहती माँ भैया मेरे लिए जो कड़े लायेंगे वे तारों और बंतों के कड़ों से भी अच्छे होंगे ना। मुन्नी अपने भाई से बेइंतहा प्रेम करती है। अपने भाई के लड़ाई में जाने के बाद मानक की चिट्ठी का इंतजार बड़ी बेसब्री से करती है। वह स्वभाव से भोली, निश्छल एवं साहसी है। क्योंकि उसके सारे सपने अरमान उसके भाई मानक के साथ जुड़े हुए हैं और वही पूरा करने वाला भी है।