बिहार बोर्ड कक्षा 12वी - हिंदी - खंड अध्याय 10: अधिनायक के दीर्घ - उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: भारत के राष्ट्रगीत ‘जन-गण-मन-अधिनायक जय हे’ से इस कविता का क्या संबंध है? वर्णन करें ।
उत्तर: भारत के राष्ट्रगान में ‘जन-गण-मन-अधिनायक जय हे, से इस कविता का संबंध है कि इस कविता में ‘अधिनायक’ शब्द का प्रयोग व्यंग्यात्मक रूप से किया गया है। इसमें इसका प्रयोग शोषण कर रहे नेताओं के लिए किया गया है। जबकि राष्ट्रगान में इसका प्रयोग देश को आगे ले जाने वाले और आजादी दिलाने वाले नेताओं के लिए किया गया था।
प्रश्न 2: कविता का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें ।
व्याख्या करें –
"पूरब पश्चिम से आते हैं
नंगे बूचे नर-कंकाल,
सिंहासन पर बैठा, उनके
तमगे कौन लगाता है"
उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के अधिनायक कविता से ली गई है। यह एक व्यंग कविता है। यह कविता कवि रघुवीर सहाय के संग्रह आत्महत्या के विरुद्ध से ली गई है। इन पंक्तियों में कवि कहते हैं की, पूरब-पश्चिम अर्थात सभी दिशाओ से, राष्ट्रीय त्योहारों पर गरीब जनता नंगे पाॅवो आती है। उन्हे देखकर ऐसा लगता है, जैसे वे नरकंकाल हो। सिंहासन पर बैठाकर उनके (गरीब जनता के) तमगे (मैडल) लगवाने वाला वह कौन है।
प्रश्न 3: हरचरना ‘हरिचरण’ का तद्भव रूप है। कवि ने कविता में हरचरना’ को रखा है, हरिचरण को नहीं; क्यों ?
उत्तर: हरचरना’ हरिचरण का तद्भव रूप है। कवि रघुवीर सहाय ने अपनी कविता ‘अधिनायक’ में ‘हरचरना’ शब्द का प्रयोग किया है, ‘हरिचरण’ नहीं। यहाँ कवि ने लोक संस्कति की पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए ठेठ तद्भव शब्द का प्रयोग किया है। इससे कविता की लोकप्रियता बढती है। कविता में लोच एवं उसे सरल बनाने हेतु ठेठ तद्भव शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त हरचरना उपेक्षित गरीब बालक का प्रतीक है।
प्रश्न 4: “कौन-कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक वह महाबली” कवि यहाँ किसकी पहचान कराना चाहता है ?
उत्तर: कवि रघुवीर सहाय अपनी कविता ‘अधिनायक’ में प्रस्तुत पंक्ति की रचना कर उस सत्ताधारी वर्ग के जन प्रतिनिधियों की पहचान कराना चाहता है जो राजसी ठाट-बाट में जी रहे हैं। गरीबों पर, आम आदमी पर उनका रोब-दाब है। वे ही अपने को जनता का अधिनायक मानते हैं। वे बाहुबली हैं। लोग उनसे डरे-सहमे रहते हैं। कवि उन्हीं की पहचान उक्त पंक्तियों में कराना चाहता है।
प्रश्न 5: ‘कौन-कौन’ में पुनरुक्ति है। कवि ने यह प्रयोग किसलिए किया है ?
उत्तर: कवि रघुवीर सहाय ने अपनी कविता ‘अधिनायक’ के अंतिम पद में कौन-कौन का प्रयोग किया है। यहाँ कवि यह बताना चाहता है कि आज देश में अधिनायकों एवं तानाशाहों की संख्या अनेक है। अनेक बाहुबली आज जनता के भाग्यविधाता बने हुए हैं। इसलिए कविता के अतिम भाग में ‘कौन-कौन’ पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया।
प्रश्न 6: ‘अधिनायक’ कविता का केन्द्रीय भाव क्या है ?
उत्तर: ‘अधिनायक’ कविता का केन्द्रीय कथ्य भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। यह ऐसी व्यवस्था पर व्यंग्य करता है जो सत्ताधारी वर्ग के राजसी ठाट-बाट, भड़कीले रोब-दाब के साथ अपना गुणगान करवा अपने को ‘अधिनायक’ (तानाशाह) सिद्ध कराना चाहती है।
प्रश्न 7: रघुवीर सहाय ने हिन्दी के विकास में क्या योगदान किया, प्रकाश डालें ?
उत्तर: बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध के प्रमुख एवं महत्वपूर्ण कवि पत्रकार के रूप में रघुवीर सहायजी हिन्दी जगत में स्थापित हैं। इन्होंने अनेक काव्य कृतियों, नाट्य कृतियों, निबंध एवं आलोचनात्मक ग्रंथों का सृजन कर हिन्दी साहित्य के विकास में अमूल्य योगदान किया। विश्व साहित्य के नाटकों कहानियों का हिन्दी में अनुवाद कर समृद्ध किया। इनके साहित्यिक एवं पत्रकार व्यक्तित्व से नयी पीढ़ी अधिक प्रभावित हुई है।
प्रश्न 8: ‘अधिनायक’ कविता कवि के किस काव्य कृति से संकलित है ? इस कविता की संक्षिप्त टिप्पणी करें।
उत्तर: रघुवीर सहाय की ‘अधिनायक’ कविता ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ काव्य कृति से लेकर पाठ्यपुस्तक दिगन्त भाग-II में संकलित की गयी है। यह एक व्यंग्य कविता है। आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण एवं तिक्त कटाक्ष है। ‘राष्ट्रीय गान’ में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी हासिल होने के इतने वर्षो के बाद भी आम आदमी के हालत में कोई बदलाव नहीं आया। कविता में ‘हरचरना’ इसी आम आदमी का प्रतिनिधि है।
प्रश्न 9: ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर: ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता रघुवीर सहाय द्वारा लिखित एक व्यंग्य कविता है। इसमें आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण कटाक्ष है। राष्ट्रीय गीत में निहित ‘अधिनायक’ शब्द को लेकर यह व्यंग्यात्मक कटाक्ष है। आजादी मिलने के इतने वर्षों के बाद भी आम आदमी की हालत में कोई बदलाव नहीं आया। कविता में ‘हरचरना’ इसी आम आदमी का प्रतिनिधि है। हरचरना स्कूल जाने वाला एक बदहाल गरीब लड़का है। कवि प्रश्न करता है कि राष्ट्रगीत में वह कौन भारत भाग्य विधाता है जिसका गुणगान पुराने ढंग की ढीली हाली हाफ पैंट पहने हुए गरीब हरचरना गाता है। कवि का कहना है कि राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में वह ‘फटा-सुथन्ना’ पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस ‘अधिनायक’ का गुणगान किया गया है। कवि प्रश्न करता है कि वह कौन है. जो मखमल, टमटम, वल्लभ तुरही के साथ माथे पर पगडी एवं चँवर के साथ तोपों की सलामी लेकर ढोल बजाकर अपना जय-जयकार करवाता है। अर्थात् सत्ताधारी वर्ग बदले हुए जनतांत्रिक संविधान से चलती इस व्यवस्था में भी राजसी ठाठ-बाट वाले भड़कीले रोब-दाब के साथ इस जलसे में शिरकत कर अपना गुणगान अधिनायक के रूप में करवाये जा रहा हैं। कवि प्रश्न करता है कि कौन वह सिंहासन (मंच) पर बैठा जिसे दर-दर से नंगे पैर एवं नरकंकाल की भाँति दुबले-पतले लोग आकर उसे (अधिनायक) तमगा एवं माला पहनाते हैं। कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक महाबली से डरे हुए लोग से मन के रोग किसका गुणगान बजा बजाकर करते हैं। इस प्रकार इस कविता में रघुवीर सहाय ने वर्तमान जनप्रतिनिधियों पर व्यंग्य किया है। कविता का निहितार्थ यह है मानो इस सत्ताधारी वर्ग की प्रच्छन्न लालसा ही सचमुच अधिनायक अर्थात् तानाशाह बनने की है।