हिंदी - खंड अध्याय 5: कवित्त के दीर्घ - उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12वी - हिंदी - खंड अध्याय 5: कवित्त के दीर्घ - उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > खंड अध्याय 5: कवित्त के दीर्घ - उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1: प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,
कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ भूषण कवि की कविता पुस्तक छत्रसाल–दशक द्वारा ली गयी है जो पाठ्यपुस्तक में संकलित है। इस अवतरण में वीर रस के प्रसिद्ध कवि भूषण ने महाराजा छत्रसाल की तलवार का गुणगान किया है। इनकी तलवार की क्या–क्या विशेषताएँ हैं, आगे देखिए।

इन पंक्तियों में कवि के कहने का भाव यह है कि छत्रसाल बुन्देला की तलवार इतने तेज धारवाली है कि पलभर में ही शत्रुओं को गाजर–मूली की तरह काट–काटकर समाप्त कर देती है। साथ ही काल को भोजन भी प्रदान करती है। यह तलवार साक्षात् कालिका माता के समान है। वैसा ही रौद्र रूप छत्रसाल की तलवार भी धारण कर लेती है।

यहाँ अनुप्रास और उपमा अलंकार की छटा निराली है।

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प्रश्न 2: भूषण रीतिकाल की किस धारा के कवि हैं, वे अन्य रीतिकालीन कवियों से कैसे विशिष्ट हैं?

उत्तर: महाकवि भूषण रीतिकाल के एक प्रमुख कवि हैं, किन्तु इन्होंने रीति–निरूपण में शृंगारिक कविताओं का सृजन किया। उन्होंने अलंकारिकता का प्रयोग अपनी कविताओं में अत्यधिक किया है।

रीति काव्य के कवियों की प्रवृत्तियों के आधार पर दो भागों में बाँटा जा सकता है–

प्रश्न 3: शिवाजी की तुलना भूषण ने मृगराज से क्यों की है ?

उत्तर: लना कवि ने इन्द्र, समुद्र की आग, श्रीरामचन्द्रजी, पवन, शिव, परशुराम, जंगल की आग, शेर (चीता), सूर्य के प्रखर प्रकाश और कृष्ण से की है। छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व में उपरोक्त सभी देवताओं के गुण विराजमान थे। जैसे-उपरोक्त सभी अंधकार, अराजकता, दंभ, अत्याचार को दूर करने में सफल हैं, ठीक उसी प्रकार मगराज अर्थात शेर के रूप में महाराज शिवाजी मलेच्छ वंश के औरंगजेब से लोहा ले रहे हैं। वे अत्याचार और शोषण-दमन के विरुद्ध लोकहित के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छत्रपति का व्यक्तित्व एक प्रखर राष्ट्रवीर, राष्ट्रचिंतक, सच्चे कर्मवीर के रूप में हमारे सामने दृष्टिगत होता है। जिस प्रकार इन्द्र द्वारा यम का, वाड़वाग्नि द्वारा जल का, और घमंडी रावण का दमन श्रीराम करते हैं ठीक उसी प्रकार शिवाजी का व्यक्तित्व है। महावीर शिवाजी, भूषण कवि के राष्ट्रनायक हैं। इनके व्यक्तित्व के सभी पक्षों को कवि ने अपनी कविताओं में उद्घाटित किया है। छत्रपति शिवाजी को उनकी धीरता, वीरता और न्यायोचित सद्गुणों के कारण ही मृगराज के रूप में चित्रित किया है।

प्रश्न 4: छत्रसाल की तलवार कैसी है ? वर्णन कीजिए।

उत्तर: प्रस्तुत कविता में महाराजा छत्रसाल की तलवार की भयंकरता का चित्रण हुआ है। उनकी तलवार सूर्य की किरणों के समान प्रखर और प्रचण्ड है। उनकी तलवार की भयंकरता से शत्रु दल थर्रा उठता है।

उनकी तलवार युद्धभूमि में प्रलयंकारी सूर्य की किरणों की तरह म्यान से निकलती है। वह विशाल हाथियों के झूड को क्षणभर में काट-काटकर समाप्त कर देती है। हाथियों का झुण्ड गहन अंधकार की तरह प्रतीत होता है। जिस प्रकार सूर्य किरणों के समक्ष अंधकार का साम्राज्य समाप्त हो जाता है की ठीक उसी प्रकार तलवार की तेज के आगे अंधकार रूपी हाथियों का समूह भी मृत्यु को प्राप्त करता है।

छत्रसाल की तलवार ऐसी नागिन की तरह है जो शत्रुओं के गले में लिपट जाती है और मुण्डों की भीड़ लगा देती है, लगता है कि रूद्रदेव को रिझाने के लिए ऐसा कर रही है।

महाकवि भूषण छत्रसाल की वीरता धीरता से मुग्ध होकर कहते हैं कि हे बलिष्ठ और विशाल भुजा वाले महाराज छत्रसाल ! मैं आपकी तलवार का गुणगान कहाँ तक करूँ ? आपकी तलवार शत्रु-योद्धाओं के कटक जाल को काट-काटकर रणचण्डी की तरह किलकारी भरती हुई काल को भोजन कराती है।

प्रश्न 5: आपके अनुसार दोनों छंदों में अधिक प्रभावी कौन है और क्यों ?

उत्तर: पाठ्य-पुस्तक के दोनों कवित्त छंदों में अधिक प्रभावकारी प्रथम छंद है। इसमें महाकवि भूषण ने राष्ट्रनायक छत्रपति शिवाजी के वीरोचित गुणों का गुणगान किया है। कवि ने अपने कवित्त में छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व के गुणों की तुलना अनेक लोगों से करते हुए लोकमानस में उन्हें महिमा-मंडित करने का काम किया है।

कवि ने कथन को प्रभावकारी बनाने के लिए अनुप्रास और उपमा अलंकारों का प्रयोग कर अपनी कुशलता का परिचय दिया है। वीर रस में रचित इस कवित्त में अनेक प्रसंगों की तुलना करते हुए शिवाजी के जीवन से तालमेल बैठाते हुए एक सच्चे राष्ट्रवीर के गुणों का बखान किया है। इन्द्र, राम, कृष्ण, परशुराम, शेर, कृष्ण, पवन आदि के गुण कर्म और गुण धर्म से शिवाजी के व्यक्तित्व की तुलना की गयी है। वीर शिवाजी शेरों के शेर हैं, जिन्होंने अपने अभियान में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

भाषा में ओजस्विता, शब्द प्रयोग में सूक्ष्मता, कथन के प्रस्तुतीकरण की दक्षता भूषण के कवि गुण हैं। अनेक भाषाओं के ठेठ और तत्सम, तद्भव शब्दों का भी उन्होंने प्रयोग किया है।