हिंदी - खंड अध्याय 7 पुत्र वियोग के लघु - उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12वी - हिंदी - खंड अध्याय 7: पुत्र वियोग के लघु - उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > खंड अध्याय 7 पुत्र वियोग

प्रश्न 1: कवियित्री स्वयं को असहाय और विवश क्यों कहती है?

उत्तर: कवियित्री अपने पुत्र को बचाने के लिए बहुत से जगहों पर गई। पत्थर को भी भगवान माना और उनके सामने नारियल, दूध, बताशे आदि चढ़ाकर अपना शीश नवाया लेकिन किसी देवी-देवता ने उनके पुत्र की रक्षा नहीं की और वे भी कुछ नहीं कर पायी। अपने बेटे को नहीं बचा सकीइसलिए कवियित्री स्वयं को असहाय और विवश कहती हैं।

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प्रश्न 2: पुत्र के लिए माँ क्या-क्या करती है?

उत्तर: पुत्र के लिए माँ अपना सबकुछ छोड़ देती है। ठंड लग जाएगी, इस डर से वे अपने बेटे को अपने गोद से नीचे नहीं उतरती है। उसके एक बार पुकारने पर अपना सभी काम छोड़ दौड़ी आती है। लोरियाँ गाती है, थपकी देकर सुलाती है। माँ उन सभी कामों को करती है जिससे उसका बच्चा सुरक्षित रहे। वह पत्थर को भी भगवान मानती है, जब उसका बच्चा किसी खतरे में रहता है।

प्रश्न 3: अर्थ स्पष्ट करें—

"आज दिशाऍं भी हँसती हैं
है उल्लास विश्वा पर छाया,
मेरा खोया हुआ खिलौना
अब तक मेरे पास ना आया।"

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है। यह मुकुल काव्य से संकलित है। इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, आज चारों दिशाओ मे, पूरे विश्व मे, खुशी है, उल्लास है। लेकिन मेरा खोया हुआ खिलौना, मेरा बेटा अभी तक मेरे पास नहीं आया है। 

प्रश्न 4: माँ के लिए अपना मन समझाना कब कठिन है और क्यों?

उत्तर: माँ के लिए अपना मन समझाना कठिन तब हो जाता है, जब उनके सामने उनके बच्चे की मृत्यु हो जाए क्योंकि माँ अपने बच्चे के साथ हर एक पल रहती है। माँ अपने बच्चे के लिए ही जीती है। उसके एक बार बुलाने पर वह दौड़ी चली आती है। 

प्रश्न 5: पुत्र को “छौना ” कहानी में क्या भाव छुपा है, उसे उद्घाटित करें।

उत्तर: गाय के नवजात बच्चे को छौना कहा जाता है। छौना कहकर कवियित्री ने माँ और बच्चे के बीच के निश्चल प्रेम तथा माँ की ममता का भाव स्पष्ट किया है। 

प्रश्न 6: मर्म उद्घाटित करें —

"भाई बहिन भूल सकते हैं
पिता भले ही तुम्हें भुलावे
किंतु रात-दिन की साथिन माँ
कैसे अपना मन समझावे ।"

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के पुत्र वियोग कविता से ली गई है यह मुकुल काव्य से संकलित है इन पंक्तियों के द्वारा कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान जी कहते हैं कि, तुम्हारे भाई-बहन तुम्हें भूल सकते हैं, तुम्हारे पिता तुम्हें भूला सकते हैं लेकिन जो माँ तुम्हें नव महीने अपने गर्भ में पाली है, जो रात दिन तुम्हारे साथ रहती है, वह अपने मन को कैसे समझाए कि उसका बेटा मर चुका है।

प्रश्न 7: कविता का भावार्थ संक्षेप में लिखिए।

उत्तर: पुत्र वियोग कविता मुकुल काव्य से संकलित है। जिसमें कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहान एक माँ की पीड़ा को बताते हुए कहती हैं कि, जिसे हमेशा अपने सीने से लगा कर रखा है। जिसकी चेहरे पर जरा भी उदासी को देख मैं रात-रात भर सोती नहीं थी। जिसके लिए मैं ना जाने कितने सारे देवी-देवताओं को प्रसाद चढ़ाया है, उसके आगे अपना शीश नवाया है। वह मुझसे दूर हो गया मैं उसे मैंने उसे खो दिया, मैं अपने मन को कैसे मनाऊ। उसके याद में मेरा हृदय तड़प रहा है। मुझे एक पल को भी शांति नहीं है। मेरा बेटा एक बार मेरे पास आ जाए तो, मैं उसे प्यार से समझाती कि उससे, उसके भाई-बहन भूल सकते हैं, उसे उसके पिता भूला सकते हैं लेकिन जो माँ उसे 9 महीने अपने गर्भ में पाली है, जो रात दिन उसके साथ रहती है वह अपने मन को कैसे समझाए कि उसका बेटा मर चुका है। वह कभी लौटकर नहीं आएगा बहुत कठिन है उसको समझाना।

प्रश्न 8: इस कविता को पढ़ने पर आपके मन पर क्या प्रभाव पड़ा, उसे लिखिए।

उत्तर: इस कविता को पढ़कर माँ के गहन प्रेम का अनुभव होता है। माँ के लिए उसका बच्चा ही सब कुछ होता है। वह कभी भी अपने बच्चे को भुल नहीं सकती है। इस कविता को पढ़ने पर हमारे मन में माँ के प्रति और भी ज्यादा प्रेम तथा आदर की भावना जागृत हो गई है। 

प्रश्न 9: कवयित्री का खिलौना क्या है ?

उत्तर: कवयित्री का खिलौना उसका बेटा है। बच्चों को खिलौना प्रिय होता है, वह उनकी सर्वोत्तम प्रिय वस्तु होती है। उसी प्रकार कवयित्री के लिए उसका बेटा उसके जीवन का सर्वोत्तम उपहार है। इसलिए वह कवयित्री का खिलौना है।

प्रश्न 10: पत्र के लिए माँ क्या-क्या करती है ?

उत्तर: पुत्र के लिए माँ निजी सुख-दुख भूल जाती है। उसे अपनी सुख-सुविधा के विषय में सोचने का अवकाश नहीं रहता। वह उसके स्वास्थ्य एवं सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती है। बेटा को ठंड न लग जाए अथवा बीमार न पड़ जाए, इसके लिए उसे सदैव गोद में लेकर उसका मनोरंजन करती रहती है। उसे लोरी-गीत सुनाकर सुलाती है। उसके लिए मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करती है तथा मन्नतें माँगती है।