बिहार बोर्ड कक्षा 12 भौतिक विज्ञान अध्याय 14 अर्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी पदार्थ, युक्तियां तथा सरल परिपथ लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सिलिकन या जर्मेनियम के मादन के लिए तात्विक मादकों का चयन प्रायः या तो समूह XIII अथवा समूह ‘xv के तत्वों में से ही क्यों किया जाता है?
उत्तर :-सिलिकन या जर्मेनियम के मादन के लिए XIII अथवा XV समूह के तत्वों का चयन इसलिए किया जाता है क्योंकि इन तत्वों के परमाणुओं का आकार ऐसा होता है कि ये अर्द्धचालक क्रिस्टल जालक की संरचना को विकृत किए बिना ही सिलिकन या जर्मेनियम के साथ सहसंयोजी बन्ध बनाकर एक आवेश वाहक का क्रिस्टल में योगदान कर देते हैं।
2. Sn, C तथा Ge, Si सभी समूह XIV के तत्व हैं। फिर भी Sn चालक है, C विद्युतरोधी है जबकि Si एवं Ge अर्द्धचालक हैं। ऐसा क्यों है?
उत्तर:- परमाणु आकार के अनुसार Sn के लिए ऊर्जा अन्तराल 0 eV,C के लिए 5.4eV, Si के लिए 1.1eV तथा Ge के लिए 0.7eV होता है। अत: Sn चालक, C विद्युतरोधी जबकि Si व Ge अर्द्धचालक हैं।
3. क्या p-n सन्धि के सिरों पर विभव प्राचीर की माप केवल सन्धि पर वोल्टतामापी जोड़ कर की जा सकती है?
उत्तर:- नहीं, p-n सन्धि के सिरों पर वोल्टतामापी जोड़कर विभव प्राचीर की माप नहीं की जा सकती है। क्योंकि इसके लिए सन्धि प्रतिरोध की तुलना में वोल्टतामापी का प्रतिरोध बहुत अधिक होना चाहिए जबकि सन्धि प्रतिरोध लगभग अनन्त होता है।
4. प्रवर्धकों X, Y एवं Z को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। यदि x, Y एवं Z की वोल्टता लब्धि क्रमश: 10, 20 एवं 30 और निवेश सिग्नल का शिखर मान 1 मिलीवोल्ट है, तो निर्गत सिग्नल वोल्टता का शिखर मान क्या होगा, जबकि
dc प्रदान वोल्टता 10 वोल्ट है?
dc प्रदाय वोल्टता 5 वोल्ट है?
हल :-
1. परिणामी वोल्टता लब्धि = 10 x 20 x 30 = 6000 .
∴ निर्गत सिग्नल वोल्टता का शिखर मान ( V0) = 6000×1 मिलीवोल्ट = 6000×10-3 वोल्ट = 6 वोल्ट।
2. यहाँ dc प्रदाय वोल्टता 5 वोल्ट है तो निर्गत सिग्नल वोल्टता का शिखर मान. भी 5 वोल्ट से अधिक नहीं हो सकता।
∴ V0 = 5 वोल्ट।
5. किसी उभयनिष्ठ उत्सर्जक ट्रांजिस्टर प्रवर्धक परिपथ से कोई धारा और वोल्टता लब्धि सम्बद्ध है। दसरे शब्दों में, कोई शक्ति-लब्धि होती है? शक्ति को ऊर्जा की माप मानते हुए क्या इस परिपथ में ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन होता है?
उत्तर :- नहीं, इस परिपथ में ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन नहीं हुआ है। इस प्रक्रिया में आवश्यक अतिरिक्त शक्ति प्रयुक्त D.C. स्रोत द्वारा प्रदान की जाती है।
6. pn संधि डायोड का प्रतीक बताइए ।
उत्तर:-
pn संधि डायोड का प्रतीक
7. AND गेट से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:- AND गेट :-
AND गेट एक ऐसी युक्ति होती है जिसमें दो (या अधिक) निवेश तथा एक निर्गत होता है। जिन्हें प्रतीक में क्रमशः A, B और Y द्वारा दर्शाया गया है।
AND गेट का प्रतीक:-
8. निज अर्धचालक किसे कहते है?
उत्तर:- निज अर्धचालक :-
वह शुद्ध अर्धचालक जिसमें कोई अपद्रव्य न मिला हो तब इस प्रकार के अर्धचालकों को निज अथवा शुद्ध अर्धचालक कहते हैं। अपनी प्राकृतिक अवस्था में शुद्ध जर्मेनियम तथा सिलिकॉन निज अर्धचालक होते हैं।
9. pn संधि डायोड में अवक्षय परत से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:- pn संधि डायोड में अवक्षय परत:-
pn संधि के दोनों ओर की वह परत जिसमें चलनशीन आवेश वाहक नहीं रहते हैं। तब उस परत को अवक्षय परत कहते हैं। अवक्षय परत pn संधि पर बनी दाता व ग्राही आयनों की परत होती है। अवक्षय परत की मोटाई लगभग 10-6 मीटर होती है।
10. विभव प्राचीर क्या है?
उत्तर :- pn संधि के दोनों ओर बनी अवक्षय परत के सिरों के बीच उत्पन्न विभवांतर को विभव प्राचीर कहते हैं। इसे रोधिका विभव भी कहते हैं। एवं विभव प्राचीर का मान संधि के ताप तथा अर्धचालकों में मिश्रित अपद्रव्य की सांद्रता पर निर्भर करता है।
12. ट्रांजिस्टर के लिये धारा प्रवर्धन गुणों का α व β में सम्बन्ध लिखिये।
उत्तर:- ट्रांजिस्टर के लिये धारा प्रवर्धन गुणों का α व β में सम्बन्ध :-
= 1-
13. OR Gate के लिये सत्यता सारणी बनाईये।
उत्तरः-
OR Gate की सत्यता सारणी :-
A | B | A+B = Y |
0 | 0 | 0 |
0 | 1 | 1 |
1 | 0 | 1 |
1 | 1 | 1 |
14. डोपिंग किसे कहते है ?
उत्तर:- अर्धचालकों में उसकी चालक क्षमता को कम या ज्यादा करने के लिए उसमें किसी दूसरी धातुओं को मिलाया जाता है और इसी दूसरी धातुओं को मिलाने की पूरी प्रक्रिया को डोपिंग कहते हैं |
15. अर्धचालक क्या है?
उत्तर :- अर्धचालक :-
वह पदार्थ जिनके विद्युतीय गुण, चालकों तथा अचालकों के बीच होते हैं तो उन पदार्थों को अर्धचालक कहते हैं।
जर्मेनियम तथा सिलिकॉन अर्धचालक के मुख्य उदाहरण हैं।।
अर्धचालक पदार्थों में विद्युत धारा का संचालन कुछ विशेष परिस्थितियों में ही होता है।
अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं।
1. निज अर्धचालक
2. अपद्रव्यी अर्धचालक
16. p टाइप अर्धचालक क्या होता है ?
उत्तर :-
p टाइप अर्धचालक:-
जब किसी शुद्ध अर्धचालक में 3 संयोजकता वाला अपद्रव्य परमाणु को मिश्रित किया जाता है तब इस प्रकार के मिश्रित अर्धचालक को p टाइप अर्धचालक कहते हैं।
p टाइप अर्धचालक में अल्प संख्यक आवेश वाहक मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। तथा बहुसंख्यक आवेश वाहक मुक्त कोटर होते हैं।
17. ट्रांजिस्टर की परिभाषा लिखिए |
उत्तर:- ट्रांजिस्टर एक ऐसी अर्द्धचालक, इलेक्ट्रॉनिक युक्ति होती है जो ट्रायोड वाल्व के स्थान पर उपयोग की जाती है। यह P व N प्रकार के अर्द्ध-चालकों से बनाई जाती है जिसका काम इलेक्ट्रॉन एवं विद्युत् को स्विच या ज्यादा करने के लिए किया जाता है। अतः यह विद्युत् एवं इलेक्ट्रॉन की गति को नियंत्रित कर सकता है।
ट्रांजिस्टर एक तीन सिरों वाली युक्ति है जिसका पहला सिरा ‘आधार’ , दूसरा सिरा ‘संग्राहक’ तथा तीसरा सिरा ‘उत्सर्जक’ कहलाते है, जिसमें एक संधि से दूसरी संधि तक प्रतिरोध का स्थानांतरण होता है।
18. अर्धचालकों के गुण बताइए |
उत्तर:- अर्धचालकों के गुण :-
ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की विद्युत चालकता बढ़ती है, इस कारण ही अर्धचालकों का प्रतिरोध ताप गुणांक ऋणात्मक होता है। अर्धचालकों में बहुत से अन्य उपयोगी गुण भी देखने को मिलते हैं, जैसे किसी एक दिशा में दूसरे दिशा की अपेक्षा आसानी से धारा का प्रवाह होना अर्थात् भिन्न-भिन्न दिशाओं में विद्युतचालकता का भिन्न-भिन्न होना। इसके अलावा नियंत्रित मात्रा में अशुद्धियाँ डालकर अर्धचालकों की चालकता को कम या अधिक किया जा सकता है। इन अशुद्धियों को मिलाने की प्रक्रिया को ‘डोपन’ कहते हैं। डोपिंग करके ही इलेक्ट्रानिक युक्तियों (डायोड, ट्रांजिस्टर आदि) का निर्माण किया जाता है। इनकी चालकता को बाहर से लगाए गए विद्युत क्षेत्र या प्रकाश के द्वारा भी परिवर्तित किया जा सकता है।
19. जेनर डायोड क्या है?
उत्तर:- जेनर डायोड :-
जेनर डायोड सामान्य पश्च दिशिक डायोडो से विशेष रूप से निर्मित अत्यधिक अपमिश्रित pn संधि डायोड होता है जो उत्क्रम अभिनति में भंजक वोल्टता पर बिना खराब हो निरंतर कार्य कर सकता है। इसका उपयोग वोल्टता नियंत्रित के रूप में किया जाता है। जेनर डायोड का अविष्कार वैज्ञानिक क्लारेंस जेनर ने किया था जिस कारण इनके नाम पर ही इसे जेनर डायोड कहते हैं। जेनर डायोड कोई युक्ति नहीं है। एक प्रकार की p-n संधि ही है।
जेनर डायोड का प्रतीक चिन्ह:-
20. चालक क्या है ?
उत्तर:- चालक – इन पदार्थों में संयोजकता बैण्ड का ऊपरी भाग और चालन बैण्ड का निचला भाग एक-दूसरे पर अतिव्यापित हो जाता है। अतः वर्जित ऊर्जा अन्तराल का मान EG = 0 (शून्य) होता है। ऐसे पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत अधिक होती है। अर्थात् बिना अतिरिक्त ऊर्जा के इलेक्ट्रॉन आसानी से संयोजी बैण्ड से चालन बैण्ड में चले जाते हैं। इसलिए धातुओं की चालकता सर्वाधिक होती है।
उदाहरणार्थ – चाॅंदी, सोना, एलुमिनियम तथा ताॅंबा आदि पदार्थ चालक पदार्थ कहलाते हैं।
21. n-p-n और p-n-p ट्रांजिस्टर में अंतर बताइए |
उत्तर:-
n-p-n और p-n-p ट्रांजिस्टर में अंतर :-
1. p-n-p ट्रांजिस्टर के पास p-टाइप कलेक्टर और एमिटर n-टाइप बेस के साथ हैं, जबकि n-p-n ट्रांजिस्टर के पास n-टाइप कलेक्टर हैं और p-टाइप आधार वाले एमिटर हैं।
2. p-n-p के अधिकांश प्रभार वाहक छेद हैं, जबकि n-p-n में, यह इलेक्ट्रॉन है।
3. n-p-n के पास एक तेज आवृत्ति प्रतिक्रिया समय और घटक के माध्यम से एक अधिक वर्तमान प्रवाह है, जबकि p-n-p में सीमित आवधिक प्रतिक्रिया के साथ कम आवृत्ति प्रतिक्रिया है।
22. अपद्रव्यी अर्धचालक क्या है ?
उत्तर:- अपद्रव्यी अर्धचालक :-
शुद्ध अर्धचालकों की चालकता अति अल्प होती है। यदि किसी ऐसे पदार्थ की मात्रा जिनकी संयोजकता 5 अथवा 3 हो, शुद्ध अर्धचालकों में अपद्रव्य के रूप में मिला दी जाती है तब इससे अर्धचालकों की चालकता काफी वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार के पदार्थों को अपद्रव्यी अर्धचालक अथवा अशुद्ध अर्धचालक कहते हैं।
अपद्रव्य को मिश्रित करने की क्रिया को अपमिश्रण (डोपिंग) कहते हैं।
अपद्रव्यी अर्धचालक दो प्रकार के होते हैं।
1. n-टाइप अर्धचालक
2. p-टाइप अर्धचालक
23. pn संधि डायोड में अग्र अभिनति से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:- pn संधि डायोड में अग्र अभिनति:-
जब pn संधि डायोड के p-टाइप क्रिस्टल को किसी बाह्य बैटरी के धन सिरे से तथा n-टाइप क्रिस्टल को बैटरी के ऋण सिरे से जोड़ दिया जाता है। तो यह संधि अग्र अभिनति कहते हैं। कहीं कहीं इसे अग्र दिशिक भी कहा जाता है।
PN संधि डायोड को अग्र अभिनत करने पर में अवक्षय परत की चौड़ाई कम हो जाती है फलस्वरुप विभव प्राचीर भी कम हो जाता है।
24. LED(प्रकाश उत्सर्जक डायोड) क्या है?
उत्तर:- LED एक अत्यधिक अपमिश्रित pn संधि डायोड होती है। जो अग्र दिशिक में विकिरणों का उत्सर्जन करती है। इस प्रकार की युक्ति को प्रकाश उत्सर्जक डायोड अथवा LED कहते हैं। यह डायोड पारदर्शी आवरण से बंद होता है जिससे कि उत्सर्जित विकिरण (प्रकाश) बाहर आ सके। अगर आसान भाषा में वर्णन करें तो, वह युक्ति, जो अभिनत बैटरी से प्राप्त विद्युत ऊर्जा को विकिरण ऊर्जा में परिवर्तित करती है। LED कहलाती है।
25. NOR गेट क्या है? NOR गेट की सत्यता सारणी बनाइए।
उत्तर:- NOR गेट :-
NOR गेट, NOT गेट और OR गेट के संयोग से बनता है। इसमें दो (या अधिक) निवेश तथा एक निर्गत होता है। यदि जब निवेश A तथा B दोनों ‘0’ होते हैं। तब निर्गत Y केवल ‘1’ होता है।
A+B = Y
NOR गेट की सत्यता सारणी :-
A | B | Y |
0 | 0 | 1 |
0 | 1 | 0 |
1 | 0 | 0 |
1 | 1 | 0 |