बिहार बोर्ड कक्षा 12 भौतिक विज्ञान अध्याय 4 गतिमान आवेश तथा चुम्बकत्व लघु उत्तरीय प्रश्न
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बिहार बोर्ड कक्षा 12 भौतिक विज्ञान अध्याय 4 गतिमान आवेश तथा चुम्बकत्व लघु उत्तरीय प्रश्न

BSEB > Class 12 > Important Questions > भौतिक विज्ञान अध्याय 4 गतिमान आवेश तथा चुम्बकत्व

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. तार की एक वृत्ताकार कुंडली में 100 फेरे हैं, प्रत्येक की त्रिज्या 8.0 cm है और इनमें 0.40A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। कुंडली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है ?

हल-

दिया है,

कुण्डली में तार के फेरों की संख्या n = 100

प्रत्येक फेरे की त्रिज्या r = 8.0 सेमी = 8.0 x 10-2 मीटर

कुण्डली में प्रवाहित धारा I = 0.40 ऐम्पियर

कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण B = ?

                         B = 04 2nir

                     B = 10-723.141000.40 8.0 x 10-2

                     B =  3.1410-4 टेस्ला 

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2. साइक्लोट्रॉन किस सिद्धान्त पर कार्य करता है? 

उत्तर- 

साइक्लोट्रॉन के कार्य करने का सिद्धान्त यह है कि डीज के बीच लगने वाले प्रत्यावर्ती विभवान्तर की रेडियो आवृत्ति, डीज के भीतर आवेशित कण के परिक्रमण की आवृत्ति के बराबर होनी चाहिए।

3. एक लम्बे, सीधे तार में 35 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। तार से 20 cm दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है?

हल-

दिया है,       i =35 A  ,   r = 20 cm = 0.20 m,     B = ?    

एक लम्बी धारावाही सीधी तार के कारण r दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र,

                              UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 4 Moving Charges and Magnetism Q2

                                     B = 0i2r

                               B = 410-73520.20

                               B = 3.510-5 T

 

4. क्षैतिज तल में रखे एक लम्बे सीधे तार में 50A विद्युत धारा उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के पूर्व में 2.5 m दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण ज्ञात कीजिए।

हल-

दिया है,

धारा की प्रबलता I = 50 ऐम्पियर

दिए गए बिन्दु की तार से लम्बवत् दूरी r = 2.5 मीटर

बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र B का परिमाण = ?

                            B =  04 2Ir

                     B = 10-72502.5

                            B = 410-4टेस्ला 

 

 5. व्योमस्थ खिंचे क्षैतिज बिजली के तार में 90 A विद्युत धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। तार के 1.5 m नीचे विद्युत धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण और दिशा क्या है?

हल-

तार में धारा i = 90 A (पूर्व से पश्चिम), तार से दूरी = 1.5 m

तार के कारण चुम्बकीय क्षेत्र

                                 B = 02 ir 

                                 B = 410-72 901.5

                                    B = 1.210-5 T

चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्षैतिजत: उत्तर से दक्षिण की ओर होगी।

6. एक 3.0 cm लम्बा तार जिसमें 10 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है, एक परिनालिका के भीतर उसके अक्ष के लम्बवत् रखा है। परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र का मानं 0.27 T है। तार पर लगने वाला चुम्बकीय बल क्या है?

हल-

परिनालिका के अन्दर उसकी अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.27 T (जिसकी दिशा अक्ष के अनुदिश ही होती है)। धारावाही तार अक्ष के लम्बवत् है,

अतः θ = 90°; तार की लम्बाई L = 3.0 सेमी = 3.0 x 10-2 मी; तार में धारा I = 10 A; अतः तार पर लगने वाला चुम्बकीय बल

                                    F = ILB sin θ न्यूटन

                                       = 10 x (3.0 x 10-2 ) (0.27) x sin 90° न्यूटन

                                       = 81 x 10-2 x 1 न्यूटन

                                   F = 8.1 x 10-2 न्यूटन

7.  एक ऐम्पियर की परिभाषा दीजिए।

उत्तर-  “1 ऐम्पियर वह वैद्युत धारा है जो कि निर्वात् अथवा वायु में 1 मीटर दूर रखे दो समान्तर तारों में प्रवाहित होने पर उसकी प्रति मीटर लम्बाई पर 2 x 10-7 न्यूटन का बल आरोपित करती है।”

8. एक प्रकोष्ठ में 6.5 G (1G = 10-4 T) का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र बनाए रखा गया है। इस चुम्बकीय क्षेत्र में एक इलेक्ट्रॉन 4.8 x 106 ms-1 के वेग से क्षेत्र के लम्बवत् भेजा गया है। व्याख्या कीजिए कि इस इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार क्यों होगा? वृत्ताकार कक्षा की त्रिज्या ज्ञात कीजिए। (e = 1.6 x 1019 C, me = 9.1 x 10-31 kg)

हल-

                                                   r = mveB

                                      r= 9.1 x 10-31 4.8 x 106 1.6 x 1019 6.5 10-4 m

                                                 r=  4.2 x 10-2 m

क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र में लम्बवत् प्रवेश करने वाले इलेक्ट्रॉन पर चुम्बकीय बल सदैव इसके वेग के लम्बवत् रहने के कारण इलेक्ट्रॉन का पथ वृत्ताकार हो जाता है।

9. (a) किसी प्रकोष्ठ में एक ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया गया है जिसका परिमाण तो एक बिन्दु पर बदलता है, पर दिशा निश्चित है। (पूर्व से पश्चिम)। इस प्रकोष्ठ में एक आवेशित कण प्रवेश करता है और अविचलित एक सरल रेखा में अचर वेग से चलता रहता है। आप कण के प्रारम्भिक वेग के बारे में क्या कह सकते हैं?

(b) एक आवेशित कण, एक ऐसे शक्तिशाली असमान चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है। जिसको परिमाण एवं दिशा दोनों एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु पर बदलते जाते हैं, एक जटिल पथ पर चलते हुए इसके बाहर आ जाता है। यदि यह मान लें कि चुम्बकीय क्षेत्र में इसका किसी भी दूसरे कण से कोई संघट्ट नहीं होता तो क्या इसकी अन्तिम चाल, प्रारम्भिक चाल के बराबर होगी?

उत्तर:-  (a) आवेशितं कण अविचलित सरल रेखीय गति करता है, इसका यह अर्थ है कि कण पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कोई बल नहीं लगा है। इससे प्रदर्शित होता है कि कण का प्रारम्भिक वेग या तो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में है अथवा उसके विपरीत है।

(b) हाँ, कण की अन्तिम चाल उसकी प्रारम्भिक चाल के बराबर होगी। इसका. कारण यह है कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण गतिमान आवेश पर कार्यरत बल सदैव कण के वेग के लम्बवत् दिशा में लगता है जो केवल गति की दिशा को बदल सकता है परन्तु कण की चाल को नहीं।


10.  पश्चिम से पूर्व की ओर चलता हुआ एक इलेक्ट्रॉन एक ऐसे प्रकोष्ठ में प्रवेश करता है। जिसमें उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर एकसमान एक विद्युत क्षेत्र है। वह दिशा बताइए जिसमें एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित किया जाए ताकि इलेक्ट्रॉन को अपने सरल रेखीय पथ से विचलित होने से रोका जा सके।

उत्तर: -   विद्युत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन पर दक्षिण से उत्तर की ओर विद्युत बल F, कार्य करेगा, जिसके कारण इलेक्ट्रॉन उत्तर दिशा की ओर विक्षेपित होने की प्रवृत्ति रखेगा। इलेक्ट्रॉन बिना विचलित हुए सरल रेखीय गति करे इसके लिए आवश्यक है कि चुम्बकीय क्षेत्र ऐसी दिशा में लगाया जाए कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन पर उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर चुम्बकीय बल कार्य करे। इसके लिए फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम से चुम्बकीय क्षेत्र ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर लगाना चाहिए।

11.एक सीधी, क्षैतिज चालक छड़ जिसकी लम्बाई 0.45 cm एवं द्रव्यमान 60 g है। इसके सिरों पर जुड़े दो ऊर्ध्वाधर तारों पर लटकी हुई है। तारों से होकर छड़ में 5.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है।

(a) चालक के लम्बवत कितना चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए कि तारों में तनाव शून्य हो जाए।

(b) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा यथावत रखते हुए यदि विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कर दी जाए तो तारों में कुल आवेश कितना होगा? (तारों के द्रव्यमान की उपेक्षा कीजिए। (g = 9.8 ms-2)

हल-

छड़ की लम्बाई l = 0.45 m व द्रव्यमान m = 0.06 kg, तार में धारा i = 5.0 A

(a) तारों में तनाव शून्य करने के लिए आवश्यक है कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण छड़ पर बल उसके भार के बराबर वे विपरीत हो।

अतः ilB sin 90° = mg

                                  B = mgil   = 0.069.85.00.45 = 0.26 T

(b) यदि धारा की दिशा बदल दी जाए तो चुम्बकीय बल तथा छड़ का भार दोनों एक ही दिशा में हो जाएँगे।

इस स्थिति में, तारों का तनाव = mg + IlB sin 90°

                        = 2mg (∵ प्रथम दशा से, IlB sin 90° = mg)

                        = 2 x 0.06 x 9.8 = 1.176 = 1.18 N

12. एक स्वचालित वाहन की बैटरी से इसकी चालने मोटर को जोड़ने वाले तारों में 300 A विद्युत धारा (अल्प काल के लिए) प्रवाहित होती है। तारों के बीच प्रति एकांके लम्बाई पर कितना बल लगता है यदि इनकी लम्बाई 70 cm एवं बीच की दूरी 1.5 cm हो। यह बल आकर्षण बल है या प्रतिकर्षण बल ?

हल-

दिया है, तारों में धारा  i1=i2 = 300 A, बीच की दूरी r = 1.5 x 10-2 m

तारों की लम्बाई = 70 cm

तारों के बीच एकांक लम्बाई पर बल

                                      F = 02 i1i22r

                             F = 410-72 3003001.510-2

                                     F = 1.2 Nm-1

चूँकि तारों में धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है; अत: यह बल प्रतिकर्षण का होगा।

13. किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध 15 Ω है। 4 mA की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 6 A परास वाले अमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?

हल-

दिया है, G = 15 Ω, ig = 4 mA = 4.0 x  10-3 A, i = 6 A

गैल्वेनोमीटर को 0-1 ऐम्पियर धारा परास वाले अमीटर में बदलने के लिए इसके पाश्र्वक्रम में एक सूक्ष्म प्रतिरोध S (शण्ट) जोड़ना होगा, जहाँ

 i - ig S = ig G

                 S = ig Gi - ig = 4.0 x  10-3156-4.0 x  10-3 = 6010-36.000-0.004

                S = 610-35.996 = 0.01 Ω = 10m Ω

अत: इसके समान्तर क्रम में 10 mΩ का प्रतिरोध जोड़ना होगा।

14. q आवेश वाला कोई कण वेग v से एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B के समान्तर दिशा में गति कर रहा है। इस कण पर लगने वाले बल का मान कितना होगा? 

हल-

                                F = qvB sin θ

                                F = qvB sin 0° 

                                   = 0

 अर्थात् शून्य।

15. एक इलेक्ट्रॉन 0.1 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में लम्बवत् 105मीटर/सेकण्ड की चाल से प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन पर लॉरेन्ज बल का मान ज्ञात कीजिए। 

हल-

दिया है, B = 0.1 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर, v = 105 मी/सेकण्ड

लॉरेन्ज बल (F) = qvB

 = 1.6 x 10-19 x 105 x 0.1

 = 1.6 x 10-15 न्यूटन

 

16. किसी 20 सेमी त्रिज्या के वृत्ताकार लूप में 4 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। लूप के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की गणना कीजिए।

हल-

वृत्ताकार धारावाही लूप के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र

                                    B = 04 (2ir)

                        B =10-7  23.1440.2न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर

                                   B =1.26 x 10-5 न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर

 

17. ऐम्पियर का परिपथीय नियम लिखिए।

उत्तर-

 ऐम्पियर का परिपथीय नियम: -  “किसी बन्द वक्र के परित: चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का रेखा-समाकलन उस बन्द वक्र द्वारा घिरे क्षेत्रफल में से गुजरने वाली कुल वैद्युत धारा का 0 गुना होता है, जहाँ 0 निर्वात् की निरपेक्ष चुम्बकशीलता है।” अर्थात्

                                     C B.dl = 0.I

जिसमें I पथ द्वारा घिरी नेट धारा है तथा C बन्द पथ की सीमा है।

 

18. किसी धारा लूप का क्षेत्रफल 0.25m2 है तथा उसमें प्रवाहित धारा 0.5 ऐम्पियर है। इस लूप का चुम्बकीय आघूर्ण क्या होगा?

हल-

दिया है, A = 0.25 m2, I = 0.5 ऐम्पियर

                          चुम्बकीय आघूर्ण (M) = IA

                                                  M  = 0.5 x 0.25

                                                  M  = 0.125 ऐम्पियर-मी.

 

19. एक ऋजु रेखीय चालक में धारा से उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाओं की प्रकृति क्या होगी? 

उत्तर- एक ऋजु रेखीय चालक में धारा से उत्पन्न चुम्बकीय बल रेखाओं की प्रकृति वृत्ताकार होगी।

20. चल-कुण्डल धारामापी की सुग्राहिता से क्या तात्पर्य है?

उत्तर-  यदि किसी धारामापी में थोड़ी-सी धारा प्रवाहित करने से ही पर्याप्त विक्षेप आ जाए तो धारामापी को सुग्राही कहते हैं। कुण्डली में एकांक धारा प्रवाहित करने पर उसमें उत्पन्न विक्षेप को धारामापी की सुग्राहिता कहते हैं।

21. एक धारामापी को वोल्टमीटर में कैसे बदलते हैं? 

उत्तर- श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध जोड़ने पर धारामापी वोल्टमीटर में परिवर्तित हो जाता है।

22. किसी चल कुण्डली धारामापी का ऐमीटर और वोल्टमीटर में कैसे रूपान्तरण किया जाता  हैं? 

उत्तर-

धारामापी की कुण्डली के समान्तर में लघु प्रतिरोध (शन्ट) लगा देते हैं, जिसका मान ऐमीटर की परास पर निर्भर करता है। इस प्रकार चल कुण्डली धारामापी का ऐमीटर में रूपान्तरण हो जाता है।

श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध जोड़ने पर धारामापी वोल्टमीटर में परिवर्तित हो जाता है।

23. 99 ओम प्रतिरोध के चल कुण्डली धारामापी में मुख्य धारा का 10% भेजने के लिए आवश्यक शन्ट के प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए।

हल-     दिया है , 

 धारामापी का प्रतिरोध G = 99

मुख्य धारा I = 100 ऐम्पियर

विक्षेप के लिए आवश्यक धारा Ig = 10 ऐम्पियर

आवश्यक शांत का प्रतिरोध S = GIgI-Ig = 99100100-10 = 11

24. चुम्बकीय आघूर्ण की परिभाषा दीजिए।

उत्तर-

चुम्बकीय आघूर्ण:- किसी चुम्बकीय द्विध्रुव का चुम्बकीय आघूर्ण वह बल आघूर्ण है जो इस द्विध्रुव को एकांक व एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् रखने पर द्विध्रुव पर लगता है।

25.चुम्बकीय बल रेखाओं एवं वैद्युत बल रेखाओं में अन्तर लिखिए।

उत्तर-

चुम्बकीय बल रेखाओं एवं वैद्युत बल रेखाओं में अन्तर : -

चुम्बकीय बल रेखाएँ बन्द वक्र में होती हैं जबकि वैद्युत बल रेखाएँ बन्द वक्र में नहीं होती हैं। इसका मुख्य कारण चुम्बकीय ध्रुव का विलगित नहीं होना है जबकि धनावेश एवं ऋणावेश विलगित अवस्था में प्राप्त किए जा सकते हैं।

चुम्बकीय बल रेखाओं का किसी चुम्बकीय पदार्थ से किसी भी कोण पर निर्गमन अथवा आगमन सम्भव होता है। जबकि वैद्युत बल रेखाओं को किसी चालक पदार्थ से लम्बवत् निर्गमन अथवा आगमन होता है।