UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 11: जैव प्रौधोगिकी : सिद्धांत व् प्रक्रम के Handwritten नोट्स
जैव प्रौद्योगिकी एक बहुविषयी विज्ञान है, जिसमें जीवों, उनकी कोशिकाओं और जैविक प्रक्रियाओं का उपयोग करके मानव कल्याण के लिए उत्पाद या सेवाओं का निर्माण और विकास किया जाता है। यह आनुवंशिक इंजीनियरिंग और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं पर आधारित है।
मुख्य बिंदु
जैव प्रौद्योगिकी के सिद्धांत
- आनुवंशिक सामग्री का हस्तांतरण (Genetic Material Transfer): किसी जीव के डीएनए को संशोधित करके वांछित लक्षण उत्पन्न करना।
- पुनः संयोजित डीएनए प्रौद्योगिकी (Recombinant DNA Technology): अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त डीएनए को जोड़कर नई आनुवंशिक संरचना तैयार करना।
- वैक्टर (Vector): डीएनए को लक्ष्य कोशिका तक पहुंचाने के लिए प्लाज्मिड या वायरस का उपयोग।
- प्रतिलोम अनुवांशिकी (Reverse Genetics): जीन की संरचना और कार्य को बदलने के लिए आनुवांशिक इंजीनियरिंग।
जैव प्रौद्योगिकी के प्रक्रम (Processes)
- डीएनए अलगाव (DNA Isolation): कोशिका से डीएनए को अलग करने के लिए रसायन और एंजाइम का उपयोग।
- डीएनए कटाई और संयोजन (Cutting and Joining DNA): रेस्ट्रिक्शन एंजाइम (Restriction Enzyme) का उपयोग डीएनए को काटने और जोड़ने के लिए किया जाता है।
- डीएनए क्लोनिंग (Cloning): वांछित जीन को क्लोन करके बड़ी संख्या में उसकी प्रतियां बनाना।
- वेक्टर का उपयोग (Use of Vector): जीन को होस्ट कोशिका में डालने के लिए प्लाज्मिड, वायरस आदि का उपयोग।
- होस्ट कोशिका में ट्रांसफॉर्मेशन (Transformation): संशोधित डीएनए को लक्ष्य कोशिका में स्थानांतरित करना।
- डीएनए अनुक्रमण (DNA Sequencing): जीन की संरचना और अनुक्रम का अध्ययन।
जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग
- कृषि: रोग प्रतिरोधक और अधिक उत्पादन क्षमता वाली फसलें, जैसे बीटी कपास।
- चिकित्सा: इंसुलिन उत्पादन, वैक्सीन निर्माण और जेनेटिक उपचार।
- उद्योग: जैव रसायन और एंजाइमों का निर्माण।
निष्कर्ष
जैव प्रौद्योगिकी मानव जीवन में अत्यधिक उपयोगी है और कृषि, चिकित्सा, उद्योग तथा पर्यावरण संरक्षण में योगदान देती है।
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