UP बोर्ड जीव विज्ञान - अध्याय 12: जैव प्रौधोगिकी एवं उसके उपयोग के Handwritten नोट्स
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UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 12: जैव प्रौधोगिकी एवं उसके उपयोग के Handwritten नोट्स

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जैव प्रौद्योगिकी: जैव प्रौद्योगिकी एक विज्ञान है जिसमें जीवों, उनके कोशिकाओं, और जैविक प्रक्रियाओं का उपयोग करके मानव के लिए उत्पाद और सेवाओं का विकास किया जाता है। इसमें आनुवंशिक इंजीनियरिंग, कोशिका संस्कृति और जैव रासायनिक प्रक्रियाओं का उपयोग शामिल होता है। यह कृषि, चिकित्सा, उद्योग और पर्यावरण से संबंधित समस्याओं को हल करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

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मुख्य बिंदु

  1. कृषि में जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग

    • जैव उर्वरक और जैव कीटनाशक:
      • सूक्ष्मजीवों का उपयोग मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और कीटों से फसलों की रक्षा करने के लिए किया जाता है। जैसे बैसिलस थूरिनजिनेसिस (Bt) द्वारा कीटों को नियंत्रित किया जाता है।
    • जैविक बीजों का विकास:
      • आनुवंशिक संशोधन द्वारा रोग प्रतिरोधक और उच्च उत्पादन क्षमता वाली फसलें विकसित की जाती हैं, जैसे बीटी कपास।
    • क्रायो संरक्षण:
      • पौधों और जीवों के अंडाणुओं, शुक्राणुओं और भ्रूणों का संरक्षण किया जाता है ताकि उन्हें भविष्य में पुनः जीवन में लाया जा सके।
  2. चिकित्सा में जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग

    • एंटीबायोटिक्स का उत्पादन:
      • पेनिसिलियम और स्ट्रेप्टोमाइसिस जैसे सूक्ष्मजीवों से एंटीबायोटिक्स का उत्पादन किया जाता है।
    • मानव हार्मोन का उत्पादन:
      • ई. कोलाई जैसे बैक्टीरिया का उपयोग इंसुलिन और मानव ग्रोथ हार्मोन जैसे हार्मोन के उत्पादन में किया जाता है।
    • टीकों का विकास:
      • विभिन्न रोगों के लिए टीके जैसे पोलियो, चेचक, और हेपेटाइटिस के टीकों का उत्पादन जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से किया जाता है।
    • जीन चिकित्सा (Gene Therapy):
      • आनुवंशिक विकारों के उपचार के लिए जीनों को ठीक करने या बदलने का प्रयास किया जाता है।
  3. उद्योग में जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग

    • एंजाइमों का उत्पादन:
      • एस्परजिलस और पेनिसिलियम जैसे कवक से एंजाइमों का उत्पादन किया जाता है, जिनका उपयोग खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा उद्योग और जैव ईंधन उत्पादन में होता है।
    • जैव रासायनिक (Bio-chemicals):
      • जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग जैव रासायनिकों के उत्पादन के लिए किया जाता है, जैसे एथेनॉल, बायोडीजल, और जैविक साबुन।
    • जैविक पदार्थों का पुनर्चक्रण (Biodegradation):
      • जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग जैविक अपशिष्टों के विघटन और पुनर्चक्रण में किया जाता है, जिससे पर्यावरण की सफाई होती है।
  4. पर्यावरण में जैव प्रौद्योगिकी के उपयोग

    • जैव प्रदूषण नियंत्रण:
      • सूक्ष्मजीवों का उपयोग प्रदूषकों के अपघटन के लिए किया जाता है, जैसे तेल के रिसाव को नियंत्रित करना।
    • जल शोधन:
      • गंदे पानी को शुद्ध करने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग किया जाता है, जिससे जल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
    • जैव ईंधन का उत्पादन:
      • बायोमास से जैव गैस (बायोगैस) और एथेनॉल जैसे जैव ईंधन का उत्पादन किया जाता है।

निष्कर्ष

जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग न केवल कृषि, चिकित्सा, और उद्योग में किया जाता है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और स्थायी विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके द्वारा उत्पन्न होने वाले नवाचारों से मानवता को बेहतर स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में बड़ी मदद मिल रही है।

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