UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 14: पारितंत्र के Handwritten नोट्स
पारितंत्र (Ecosystem): पारितंत्र एक जैविक समुदाय (biotic community) और उसके आसपास के अजैविक घटकों (abiotic components) का एक अंतरनिर्भर और संतुलित संगठन होता है। यह जीवों और उनके पर्यावरण के बीच आपसी संबंधों का समूह होता है, जो ऊर्जा और पोषक तत्वों के प्रवाह द्वारा संचालित होता है। पारितंत्र में सभी जीवों (पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव) और गैर-जीवित घटकों (हवा, पानी, मिट्टी, तापमान) का आपस में मिलकर कार्य होता है।
मुख्य बिंदु
पारितंत्र के घटक
- जैविक घटक (Biotic Components):
- ये जीवित घटक होते हैं, जो पारितंत्र में रहते हैं और आपस में परस्पर संबंधित होते हैं। इसमें प्रमुख रूप से उत्पादक (producers), उपभोक्ता (consumers) और अपघटक (decomposers) शामिल होते हैं।
- उत्पादक (Producers): ये पौधे होते हैं जो प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) द्वारा सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
- उपभोक्ता (Consumers): ये जीव उत्पादकों से ऊर्जा प्राप्त करते हैं। इनमें शाकाहारी (herbivores), मांसाहारी (carnivores) और सर्वाहारी (omnivores) शामिल होते हैं।
- अपघटक (Decomposers): ये सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया, कवक) होते हैं, जो मृत पदार्थों को विघटित कर पुनः पोषक तत्वों को मिट्टी में वापस छोड़ते हैं।
- ये जीवित घटक होते हैं, जो पारितंत्र में रहते हैं और आपस में परस्पर संबंधित होते हैं। इसमें प्रमुख रूप से उत्पादक (producers), उपभोक्ता (consumers) और अपघटक (decomposers) शामिल होते हैं।
- अजैविक घटक (Abiotic Components):
- ये गैर-जीवित घटक होते हैं, जो पारितंत्र के वातावरण और जीवन को प्रभावित करते हैं। इनमें प्रमुख रूप से जल, वायु, तापमान, मिट्टी, प्रकाश और खनिज शामिल होते हैं।
- जैविक घटक (Biotic Components):
पारितंत्र के प्रकार
- स्थलीय पारितंत्र (Terrestrial Ecosystems):
- ये पारितंत्र भूमि पर आधारित होते हैं, जैसे जंगल, मरुस्थल, घास के मैदान।
- जल पारितंत्र (Aquatic Ecosystems):
- ये पारितंत्र जल में स्थित होते हैं, जैसे नदी, तालाब, महासागर, दलदली क्षेत्र।
- अर्धस्थलीय पारितंत्र (Semi-terrestrial Ecosystems):
- ये दोनों भूमि और जल दोनों का मिश्रण होते हैं, जैसे दलदल और तटीय पारितंत्र।
- स्थलीय पारितंत्र (Terrestrial Ecosystems):
पारितंत्र की कार्यप्रणाली
- ऊर्जा का प्रवाह (Flow of Energy):
- पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह सूर्य से प्रारंभ होता है। उत्पादक (पौधे) सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करते हैं और उसे रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। उपभोक्ता इस ऊर्जा का उपयोग करते हैं और अपघटक इसे पुनः पारितंत्र में लौटा देते हैं।
- पोषक तत्वों का चक्रीय प्रवाह (Nutrient Cycling):
- पारितंत्र में पोषक तत्वों (कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फास्फोरस) का चक्रीय प्रवाह होता है, जो अपघटकों द्वारा पुनः प्रकृति में वापस लौटता है।
- ऊर्जा का प्रवाह (Flow of Energy):
पारितंत्र का संतुलन
- पारितंत्र का संतुलन प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा बनाए रखा जाता है। जब इस संतुलन में विघटन होता है, तो पारितंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो सकता है, जैसे प्रदूषण, अत्यधिक शिकार, और अनियंत्रित मानव गतिविधियों के कारण।
- पारितंत्र में मानव का प्रभाव जैसे वनस्पति नष्ट करना, जल स्रोतों का अत्यधिक दोहन और जैव विविधता की कमी पारितंत्र के लिए हानिकारक हो सकता है।
पारितंत्र के महत्व
- जीवों के लिए आवास: पारितंत्र सभी जीवों के लिए आवश्यक आवास प्रदान करता है।
- ऊर्जा और पोषण का प्रवाह: पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह और पोषक तत्वों का चक्रीय प्रवाह जीवन के लिए आवश्यक हैं।
- प्राकृतिक संतुलन: पारितंत्र प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है और जैव विविधता को संरक्षित करता है।
निष्कर्ष
पारितंत्र जैविक और अजैविक घटकों का एक ऐसा संतुलित और आपसी निर्भर समूह है, जो ऊर्जा के प्रवाह और पोषक तत्वों के चक्रीय प्रवाह द्वारा जीवों के जीवन को बनाए रखता है। पारितंत्र का संरक्षण और संतुलन बनाए रखना हमारे प्राकृतिक संसाधनों के समुचित उपयोग और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है। जैव विविधता, पर्यावरणीय सुरक्षा और जीवन के सभी पहलुओं के संरक्षण में पारितंत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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