UP बोर्ड जीव विज्ञान - अध्याय 15: जैव विविधता एवं संरक्षण के Handwritten नोट्स
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UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 15: जैव विविधता एवं संरक्षण के Handwritten नोट्स

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जैव विविधता (Biodiversity): जैव विविधता से तात्पर्य पृथ्वी पर पाए जाने वाले जीवों की विविधता से है, जिसमें पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव और उनके पारिस्थितिकी तंत्र शामिल होते हैं। जैव विविधता का महत्व न केवल पर्यावरण के संतुलन के लिए है, बल्कि यह मानव जीवन के लिए भी आवश्यक है, क्योंकि यह पोषण, चिकित्सा, और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता में योगदान करती है।

संरक्षण (Conservation): संरक्षण का अर्थ है प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता के घटकों की रक्षा करना, ताकि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सकें। इसमें प्राकृतिक आवासों, वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्रों का संरक्षण किया जाता है, साथ ही जैविक प्रजातियों के अस्तित्व को बनाए रखने के उपाय किए जाते हैं।

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मुख्य बिंदु

  1. जैव विविधता के प्रकार

    • जैविक विविधता का स्तर
      • जैविक प्रजातियाँ (Species Diversity): यह प्रजातियों के बीच विविधता को दर्शाता है, यानी विभिन्न प्रकार के जीवों की संख्या और उनके बीच का अंतर।
      • जैविक जीनोम विविधता (Genetic Diversity): यह एक ही प्रजाति के भीतर विभिन्न जीनों की विविधता को दर्शाता है, जो उसके अस्तित्व और अनुकूलन में सहायक होती है।
      • परिस्थितिकी विविधता (Ecological Diversity): यह पारिस्थितिकी तंत्रों, समुदायों और विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों की विविधता को दर्शाता है।
  2. जैव विविधता का महत्व

    • प्राकृतिक संसाधनों का स्रोत: जैव विविधता का संरक्षण प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी, खाद्य सामग्री, और औषधियों का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करता है।
    • पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता: जैव विविधता पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता और कार्यप्रणाली को बनाए रखने में सहायक होती है, जैसे जलवायु परिवर्तन, प्रजनन और खाद्य श्रृंखलाओं में संतुलन।
    • मानव जीवन की गुणवत्ता: जैव विविधता मानव जीवन के लिए आवश्यक है, जैसे औषधियों, कृषि, और जलवायु नियंत्रण में योगदान देती है।
  3. जैव विविधता के खतरों के कारण

    • मानव गतिविधियाँ: जंगलों की कटाई, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण जैव विविधता के लिए बड़े खतरे हैं।
    • प्राकृतिक आपदाएँ: भूकंप, तूफान, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाएँ भी जैव विविधता को प्रभावित करती हैं।
    • अवैध शिकार और व्यापार: वन्य जीवों का शिकार और उनके अंगों का व्यापार भी जैव विविधता को खतरे में डालते हैं।
    • प्रजातियों का विलुप्त होना: वनों की कमी, जलवायु परिवर्तन, और प्रदूषण के कारण कई प्रजातियाँ विलुप्त हो रही हैं, जैसे सफेद बाघ और जंगली हाथी।
  4. जैव विविधता का संरक्षण

    • संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas): राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्यों और वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में जैव विविधता का संरक्षण किया जाता है।
    • विधायी उपाय (Legislative Measures): भारत सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972), जैव विविधता अधिनियम (2002) और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (1986) जैसे कानून बनाए हैं, ताकि जैव विविधता को बचाया जा सके।
    • स्मार्ट कृषि प्रथाएँ (Sustainable Agricultural Practices): जैव विविधता के संरक्षण में सटीक और स्थायी कृषि प्रथाओं का पालन किया जाता है, जैसे जैविक खेती और जलवायु अनुकूल कृषि।
    • जैव विविधता के संवर्धन के लिए कार्यक्रम: वन्यजीव संरक्षण, वृक्षारोपण, और पर्यावरण शिक्षा जैसे कार्यक्रम जैव विविधता के संरक्षण में सहायक होते हैं।
  5. जैव विविधता के संरक्षण के उपाय

    • सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा: लोगों को जैव विविधता और उसके संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना।
    • संवेदनशील क्षेत्रों का संरक्षण: ऐसे क्षेत्रों का संरक्षण करना, जहां जैव विविधता सबसे अधिक खतरे में हो, जैसे जैविक रिजर्व और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ।
    • पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्स्थापना (Ecosystem Restoration): ऐसे पारितंत्रों को फिर से स्थापित करना जो किसी कारणवश नष्ट हो गए हों, जैसे दलदल और आर्द्रभूमि।

निष्कर्ष

जैव विविधता मानव जीवन और पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें खाद्य, चिकित्सा, जलवायु परिवर्तन नियंत्रण और पर्यावरणीय सेवाएँ प्रदान करती है। जैव विविधता के संरक्षण के लिए हमें समाज, सरकार और व्यक्तिगत स्तर पर गंभीर प्रयास करने होंगे, ताकि हम अपनी पृथ्वी पर जीवन की स्थिरता और गुणवत्ता बनाए रख सकें। जैव विविधता का संरक्षण न केवल हमारे लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।

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