UP बोर्ड कक्षा 12 वी जीव विज्ञान - अध्याय 2: पुष्पी पादपो में लैगिक जनन के Handwritten नोट्स
पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन: यह प्रक्रिया वह है जिसमें नर और मादा जनन अंगों (पुष्प के भीतर स्थित) के माध्यम से नए पौधों का निर्माण होता है। पुष्प पादप का जनन अंग है, जिसमें लैंगिक जनन की प्रक्रिया संपन्न होती है।
मुख्य बिंदु
पुष्प का संरचना
- पुष्पन (Flowering): पुष्प पादप का प्रजनन अंग है।
- पुष्प में चार प्रमुख चक्र होते हैं:
- बाह्यदलपुंज (Calyx)
- दलपुंज (Corolla)
- पुंकेसर (Androecium) - नर जनन अंग
- अंडप (Gynoecium) - मादा जनन अंग
लैंगिक जनन के चरण
परागण (Pollination)
- पराग कणों का पुंकेसर से अंडप के वर्तिका (Stigma) पर स्थानांतरण।
- परागण दो प्रकार का होता है:
- स्वपरागण (Self-pollination): एक ही पुष्प में परागण।
- परपरागण (Cross-pollination): एक पुष्प से दूसरे पुष्प में परागण।
निषेचन (Fertilization)
- पराग कण वर्तिका से होकर अंडाशय (Ovary) में पहुँचते हैं।
- नर और मादा गैमेट्स का मिलन होता है।
- निषेचित अंडाणु (Zygote) का निर्माण होता है।
बीज और फल का निर्माण (Seed and Fruit Formation)
- निषेचित अंडाणु भ्रूण में विकसित होता है।
- अंडाशय फल में बदलता है।
- अंडा बीज में परिवर्तित होता है।
परागण के माध्यम
- कीटों, पक्षियों, हवा और जल के माध्यम से परागण संपन्न होता है।
- परागण के माध्यम के अनुसार पुष्प विशेष संरचनाओं का विकास करते हैं।
लैंगिक जनन का महत्व
- संतान में आनुवंशिक विविधता लाता है।
- पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार पौधों के अनुकूलन में सहायक।
निष्कर्ष
पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन एक जटिल और संगठित प्रक्रिया है, जिसमें परागण और निषेचन के माध्यम से नए पौधों का निर्माण होता है।
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